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31 अक्टूबर, 2010

जय हो अटल बिहारी के : जय छत्तीसगढ़ महतारी के !

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 10 वर्ष पूर्ण होने पर आप सबको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें ... 

भारत के 26 वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य दिनांक 1 नवम्बर 2000 को अस्तित्व में आया .नए राज्य का स्थापना दिवस और दिवाली लगभग साथ साथ आता है .सन 2000  में जब नए राज्य का उदय हुआ था उस वर्ष भी दीवाली नजदीक थी  .शायद सन 2000 में दीवाली 12-13 नवम्बर को थी .स्वाभाविक रूप से राज्य निर्माण और दीवाली दोनों का आनंद साथ साथ मनाया जा रहा था . ऐसे अवसर पर हमने छत्तीसगढ़ी में एक कविता लिखी थी जिसे हमने उस वर्ष के दीवाली ग्रीटिंग कार्ड में प्रकाशित किया था . आज हम छत्तीसगढ़ राज्य एवं उस समय के प्रधानमंत्री माननीय अटलबिहारी वाजपेयी को समर्पित ग्रीटिंग कार्ड और उस कविता को यहाँ प्रकाशित कर रहे है ------

 

धान के  कटोरा मा ,                                         
कौशिल्या दाई  के कोरा मा ;
 नवां राज के बारी के ,
फूल खिले फूलवारी के ;

जय छत्तीसगढ़ महतारी के ,
जय हो अटल बिहारी के ;


दीया के अन्जोर मा ,
घर अंगना अऊ खोर मा ;
 देखव नाच  संगवारी के ,
 जब दफड़ा बाजे देवारी   के ;

जय  छत्तीसगढ़  महतारी  के ,           
जय हो अटल बिहारी के ;


राजीव लोचन के वाणी मा ,   
पैरी, सोढुल के पानी मा ;
महानदी के धारी  के ,
कुलेश्वर  त्रिपुरारी के ;

जय छत्तीसगढ़ महतारी के ,         
जय हो अटल बिहारी के ;

भारत माँ के छावं मा ,
खेत - खार अऊ गाँव मा ;
नवां राज बलिहारी के ,
नन्दलाल कृष्ण मुरारी के ;

जय छत्तीसगढ़ महतारी के ,            
जय हो अटल बिहारी के ;




2000 का दीवाली ग्रीटिंग कार्ड

00267

छत्तीसगढ़ : एक अटल-प्रतिज्ञा जो पूरी हुई


छत्तीसगढ़ के निर्माता माननीय  अटल जी का 36लाख पंखुड़ियों की पुष्पमाला से अभिनन्दन

छत्तीसगढ़ राज्य

     वह दृश्य अभी भी आँखों से ओझल नहीं हो पाया है जब 31 अक्टूबर 2000 को घड़ी की सुई ने रात के 12 बजने का संकेत दिया तो चारों तरफ खुशी और उल्लास का वातावरण बन गया। लोग मस्ती में झूमते- नाचते एक दूसरे को बधाइयाँ दे रहे थे .प्रधानमंत्री माननीय अटलबिहारी वाजपेयी की चारोँ तरफ जय-जयकार  हो रही थी .घर घर में दीपमल्लिका सजा कर रोशनी की गई थी.आतिशबाज़ी का नजारा देखते ही बनता था . पहली सरकार कांग्रेस की बननी थी सो कुर्सी के लिए उठापटक का दौर बंद कमरे में चल रहा था .लोग एक तरफ नए राज्य निर्माण की खुशी मना रहे थे तो दूसरी तरफ कौन बनेगा प्रथम मुख्यमंत्री इस जिज्ञाषा में अपना ध्यान राजनीतिक गलियारों की ओर लगायें थे.
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़



राज्य का गठन करना कोई हंसी खेल तो था नहीं। कई वर्षों से लोग आवाज उठा रहे थे अनेक तरह से आंदोलन भी करते रहे लेकिन राज्य का निर्माण नहीं हो पाया था। इस बीच प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने सन 1998 में सप्रेशाला रायपुर के मैदान में एक अटल-प्रतिज्ञा की कि यदि आप लोकसभा की 11 में से 11 सीटों में भाजपा को जितायेंगे तो मैं तुम्हें छत्तीसगढ़ राज्य दूंगा। लोकसभा चुनाव का परिणाम आया। भाजपा को 11 में से 8 सीटे मिली लेकिन केंद्र में अटल सरकार फिर से बनी। प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप राज्य निर्माण के लिए पहले ही दिन से प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। मध्यप्रदेश राज्य पुर्निर्माण विधेयक 2000 को 25 जुलाई 2000 में लोकसभा में पेश किया गया। इसी दिन बाक़ी दोनों राज्यों के विधेयक भी पेश हुए । 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। 25 अगस्त को राष्ट्रपति ने इसे मंज़ूरी दे दी। 4 सितंबर 2000  को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और एक अटल- प्रतिज्ञा पूरी हुई .
सी.पी.& बरार



    छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले हम मध्यप्रदेश में थे। मध्यप्रदेश का निर्माण सन 1956 में 1 नवम्बर को ही हुआ था। हम 1 नवम्बर 1956 से 31 अक्टूबर 2000 तक यानी 44वर्षों तक मध्यप्रदेश के निवासी थे तब हमारी राजधानी भोपाल थी । इसके पूर्व वर्तमान छत्तीसगढ़ का हिस्सा सेन्ट्रल प्रोविंस एंड बेरार ( सी.पी.एंड बेरार ) में था तब हमारी राजधानी नागपुर थी। इस प्रकार हम पहले सी.पी.एंड बेरार,तत्पश्चात मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के निवासी है। वर्तमान छत्तीसगढ़ में जिन लोंगों का जन्म 1 नवम्बर 1956 को या इससे पूर्व हुआ वे तीन राज्यों में रहने का सुख प्राप्त कर चुकें है।

परंतु छत्तीसगढ़ राज्य में रहने का अपना अलग ही सुख है। अगर हम भौतिक विकास की बात करे तो छत्तीसगढ़ के संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि हमने 10 वर्षों से लंबी छलांग लगाई है। मैं यह बात इसीलिए लिख रहा हूँ क्योंकि हम 1 नवम्बर 2000 के पहले देश की मुख्य धारा से काफी अलग थे। गरीबी, बेकारी, भूखमरी, अराजकता और पिछड़ापन हमें विरासत में मिला । छत्तीसगढ़ इन दस वर्षों में गरीबी, बेकारी, भुखमरी, अराजकता एवं पिछड़ापन के खिलाफ संघर्ष करके आज ऐसे मुकाम पर खड़ा है जहां देखकर अन्य विकासशील राज्यों को ईर्ष्या हो सकती है। इस नवोदित राज्य को पलायन व पिछडापन से मुक्ति पाने में 10 वर्ष लग गये। सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं से नगर, गांव व कस्बों की तकदीर व तस्वीर तेजी से बदल रही है। छत्तीसगढ़ की मूल आत्मा गांव में बसी हुई है, सरकार के लिए गांवों का विकास एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन इस काल-खण्ड में विकास कार्यों के सम्पन्न हो जाने से गांव की नई तस्वीर उभरी है। गांव के किसानों को सिंचाई, बिजली, सड़क, पेयजल, शिक्षा व स्वास्थ जैसी मूलभूत सेवाएं प्राथमिकता के आधार पर मुहैया कराई गई है। हमें याद है कि पहले गाँवों में ग्राम पंचायतें थी लेकिन पंचायत भवन नहीं थे, शालाएं थी लेकिन शाला भवन नहीं थे, सड़के तो नहीं के बराबर थी, पेयजल की सुविधा भी नाजुक थी लेकिन आज गांव की तस्वीर बदल चुकी है। विकास कार्यों के नाम पर पंचायत भवन, शाला भवन, आंगनबाड़ी भवन, मंगल भवन, सामुदायिक भवन, उप स्वास्थ केन्द्र, निर्माला घाट, मुक्तिधाम जैसे अधोसंरचना के कार्य गांव-गांव में दृष्टिगोचर हो रहे हैं। अपवाद स्वरूप ही ऐसे गांव बचें होंगे जहाँ बारहमासी सड़कों की सुविधा ना हो ; गांवों को सडकों से जोड़ने से गांव व शहर की दूरी कम हुई है। अनेक गंभीर चुनौतियों के बावजूद ग्रामीण विकास के मामले में छत्तीसगढ़ ने उल्लेखनीय प्रगति की है । छत्तीसगढ़ को भूखमरी से मुक्त कराने के लिए डा. रमन सिंह की सरकार ने बी. पी. एल. परिवारों को 1 रुपये/२ रुपये किलों में प्रतिमाह 35 किलों चावल देने का एतिहासिक निर्णय लिया जो देश भर में अनुकरणीय बन गया है । किसानों को 3 %ब्याज दर पर फसल ऋण प्राप्त हो रहा है । स्कूली बच्चों को मुफ्त में पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रहीं है। वनोपज संग्रहणकर्ता मजदूरों को चरण -पादुकाएं दी जा रहीं है । अगर यह संभव हो पाया तो केवल इसलिए कि माननीय अटलबिहारी वाजपेयी ने एक झटके में छत्तीसगढ़ का निर्माण किया ;  छत्तीसगढ़ की जनता उनका सदैव ऋणी रहेगीं । Photo By Googal 00288

29 अक्टूबर, 2010

कोर्ट की ललकार : जागो सरकार

अनाज सड़ाने या फेंकने के बजाय गरीबों में बांटों : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार केंद्र से कहा कि अतिरिक्त अनाज फौरन देश में भूखे और गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले परिवारों को दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अनाज को गोदामों में सड़ने, समुद्र में फेंकने या चूहों को खाने नहीं दिया जा सकता।

 फोटो साभार गूगल
    जस्टिस दलवीर भंडारी और जस्टिस दीपक वर्मा की बेंच ने अटॉर्नी जनरल से अपना नजरिया बताने को कहा और अडिशनल सॉलीसिटर जनरल मोहन परासरण से कहा कि बिना अमल में लाए योजनाओं का कोई मतलब नहीं है। परासरण ने इस मामले में स्थगन की मांग की थी। बेंच ने कहा, 9 साल से भी पहले (20 अगस्त 2001 को) इस कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि गोदामों, खासतौर पर एफसीआई गोदामों में क्षमता से अधिक खाद्यान्न हैं और अधिक मात्रा में होने से इन्हें समुद्र में फेंकने या चूहों के लिए खाने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए

बेंच ने कहा, 'अमल में न लाए और योजनाएं मनाते रहें, इससे कुछ नहीं होगा। जरूरी यह है कि भूखों को भोजन मिलना चाहिए।' बेंच ने कहा, 'खाद्य सुरक्षा और किसानों के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त अनाज की खरीदी जरूरी है। हमारी चिंता यह है कि खरीदे गए अनाज को सही तरह से रखा जाए। भंडारण क्षमता की कमी के चलते खाद्यान्नों की जितनी मात्रा को नहीं रखा जा सकता, कम से कम इस अनाज को बीपीएल परिवारों तक तत्काल पहुंचाया जाए।'

इस मामले याचिका दायर करने वाले संगठन पीयूसीएल के अनुसार करीब 7करोड़ बीपीएल परिवार अब जुड़ गए हैं और उन्हें पीडीएस से वंचित रखा गया। बेंच ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि बताएं कि 1991  के जनगणना के आंकड़ों को मानने के बजाया ताजा आंकड़ों के मुताबिक आवंटन क्यों नहीं किया जाए  ?  सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए केंद से यह भी कहा कि पीयूसीएल की इस दलील की पड़ताल की जाए कि देश में 150  गरीब जिलों को भी बीपीएल जनसंख्या की तर्ज पर अनाज आवंटित किया जाना चाहिए।

बेंच ने पहले भी केंद्र सरकार से कहा था कि अनाज को गरीबों में मुफ्त बांटा जाए लेकिन केंद्र ने तब कोई कदम नहीं उठाया और कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि यह केवल एक सुझाव है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा था कि गरीबों को अनाज मुफ्त में देने के लिए हमने कोई सुझाव नहीं दिया था बल्कि यह एक आदेश था। बाद में प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर कहा था कि अदालतों को नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। 00290

अमेरिका ने फिर माना भारत का लोहा


अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से पहले अमरीका ने कहा है कि भारत के उदय और महत्व को देखते हुए भविष्य में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के किसी भी सुधार में भारत केन्द्र में होगा.

      बराक ओबामा की भारत यात्रा के कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए हुई पत्रकार वार्ता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर भारतीय दावे के सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के राजनैतिक मामलों के अधिकारी बिल बर्न्स ने ये बात कही.हालांकि सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए भारत के समर्थन पर अमरीका ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया.

अमरीकी विदेश मंत्रालय के राजनैतिक मामलों के अधिकारी बिल बर्न्स ने कहा " अमरीका वैश्विक ढाँचे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इक्कीसवी सदी में कारगर बनाए रखने का महत्व समझता है." अमरीका की ओर से कहा गया है कि बराक ओबामा की ये भारत यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को और मज़बूत करेगी.

भारत-पाकिस्तान रिश्ते और कश्मीर पर बातचीत को लेकर उठे सवाले के जवाब में अमरीकी सुरक्षा सलाहकार समिति के बैन रोड्स ने कहा " राष्ट्रपति बराक ओबामा मानते है कि भारत-अमरीका और पाकिस्तान-अमरीका रिश्ते एक दूसरे पर निर्भर नहीं करते. पिछले कई वर्षो में अक्सर ये माना जाता है कि अमरीका एक देश के साथ नज़दीकी दूसरे देश की कीमत पर बनाता है. पर हम लगातार संकेत देते रहे है कि मौजूदा प्रशासन की सोच ठीक विपरीत है"

इसी सवाल के जवाब में बिल बर्नस ने कहा " हमने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का हमेशा स्वागत किया है. और दोनों महत्वपूर्ण देशों को रिश्ते सुधारने के लिए प्रेरित किया है. लेकिन बातचीत की गति क्या हो, दायरा क्या हो और बातचीत कैसे हो ये भारत और पाकिस्तान को निर्धारित करना है. पर हम बातचीत का स्वागत करते रहेगें और प्रोत्साहन देते रहेंगे."

अमरीकी अधिकारियों ने ये भी कहा कि अमरीकी कंपनियाँ परमाणु उर्जा क्षेत्र के विकास में भारत का सहयोग करेंगी. और भारत ने वियना में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के पूरक क्षतिपूर्ती संधि पर हस्ताक्षर कर इस ओर सकारात्मक कदम उठाया है, जिससे अमरीकी कंपनियों को व्यापार करने के समान अवसर मिलेगें.

अब देखना यह है कि अमेरिका का रूख केवल दिखावा है या इसमें कोई सच्चाई भी है . इस ब्लॉग में हमने 19-8-2010 को सहायक विदेशमंत्री रॉबर्ट ब्लैक के हवाले से लिखा था कि "अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे " . 00292

28 अक्टूबर, 2010

ब्रिटेन में दिवाली और छत्तीसगढ़ में राज्योत्सव

दिवाली अभी दस दिन बाकी है लेकिन ब्रिटेन के भारतीयों ने दिवाली मना भी लिया .भारत देश के छत्तीसगढ़ प्रान्त में राज्योत्सव की धूम मची थी वहीं ब्रिटेन के एक गांव में करीब 40 हजार लोग बॉलीवुड संगीत, समोसे और भारतीय संस्कृति का आनंद उठाने इकट्ठा हुए. दिवाली के पहले किए गए इस समारोह में बाकायदा आतिशबाजी भी की गई. जबकि 38 साल पहले भारतीयों को यहां पसंद नहीं किया जाता था .

     1972 में जब पहली बार भारतीय युगांडा से यहां पहुंचे तो उनका यहां किसी तरह का स्वागत नहीं हुआ, बल्कि वह एक तरह से यहां अवांछित थे. लेकिन 38 साल बाद यहां का माहौल दिवाली के रंगों में सजा था और भारत के गरमा गरम समोसों और खाने की खुशबू से महक रहा था. कुल 40 हजार लोग भारतीय संस्कृति का आनंद उठाने इकट्ठा हुए.भारत के बाहर दिवाली का इतना बड़ा समारोह अमेरिका में ही शायद ही होता होगा .

लाइसेस्टर दिवाली के रंगों में रंगा था. बेलग्रेव रोड पर साढ़े छह हजार रंग बिरंगे आकाश दीये चमक रहे थे. 1972 में इन आप्रवासियों को इलाके के लिए खतरा माना जा रहा था और आज यहाँ की परिषद के मुखिया विजय पटेल हैं. उन्होंने कहा, "हम लाइसेस्टर की दिवाली समारोह पर बहुत गर्व महसूस करते हैं. पिछले 27 साल से यह सिलसिला चला आ रहा है और हर साल यह बड़ा होता जा रहा है. हजारों लोग इस समारोह का आनंद उठाने आते हैं . समारोह की वजह से रास्ते जम हो जाते है .जानकारों का कहना है कि 2011में लाइसेस्टर ब्रिटेन का पहला शहर होगा जहां ज्यादातर विदेशी मूल के लोग होंगे. DW 00296




26 अक्टूबर, 2010

भविष्यवक्ता ऑक्टोपस यानी पॉल बाबा का निधन


ऑक्टोपस यानी " पॉल बाबा " का  कल  रात अचानक निधन हो गया . फुटबॉल  वर्ल्ड कप के विभिन्न मैचों की सही भविष्यवाणी कर सुर्खियों में आने वाले जर्मनी के ऑक्टोपस पॉल अब नहीं रहे . अपनी सही भविष्यवाणियों के चलते शोहरत के मामले में उसने वर्ल्ड कप को भी पीछे छोड़ दिया था ." पॉल का जलवा फ़ुटबॉल विश्व कप के दौरान किसी स्टार से कम नहीं था.

सफल भविष्यवक्ता
ऑक्टोपस यानी पॉल बाबा

पॉल ने वर्ल्ड कप मैचों की सही भविष्यवाणी कर दुनिया को हैरान कर दिया था .भविष्यवाणी के लिए पॉल के बॉक्स में उन दोनों देशों के झंडे रखे जाते थे जिनके बीच मैच होना था.  पॉल उनमें से एक को चुन कर विजेता की भविष्यवाणी करता था.

दक्षिण अफ्रीका में हुए फुटबॉल वर्ल्ड कप में जर्मनी के सभी आठ मैचों के बारे में ऑक्टोपस की भविष्यवाणियां सही निकलीं  थी  .  फिर स्पेन और हॉलैंड के बीच फ़ाइनल मैच से पहले   पॉल बाबा ने अपने एक्वेरियम में स्पेन का झंडा चुनकर ये भविष्यवाणी की थी कि मैच स्पेन जीतेगा .कड़े मुकाबले में स्पेन की 1-0 से जीत हुई , जिससे उसकी विश्वसनीयता और बढ़ गई थी .
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जर्मनी के एक्वेरियम "ओबरहॉसन सी लाइफ सेंटर "  के  अधिकारी व कर्मचारी इस घटना से बेहद दुखी है . पॉल के ' पार्थिव अवशेष ' को फिलहाल कोल्डस्टोरेज में रखा गया है .  प्रबंधकों को अब यह तय करना है कि  कितने भव्य तरीके से पॉल का अंतिम संस्कार किया जाए.  लेकिन पॉल के चाहने वालों को ज्यादा निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह एक्वेरियम पॉल बाबा के उत्तराधिकारी के रूप में एक दूसरे ऑक्टोपस को तैयार कर रहा है .नया ऑक्टोपस सफल भविष्यवक्ता बन सकेगा अथवा नहीं यह जानने के लिए हमें अगले फुटबॉल वर्ल्ड कप की प्रतीक्षा करनी होगी .
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मैंने 12   जलाई 2010 को एक पोस्ट लिखी थी इसे जरूर पढ़े -- विश्व कप के भविष्यवक्ता पॉल बाबा स्वंय का भविष्य तो बतायें......  00327




25 अक्टूबर, 2010

रविवार को बदल जाएगा वक्त


           अक्तूबर इस साल का सबसे लंबा महीना होगा. इसी महीने दुनिया के बहुत सारे देश अपनी अपनी घड़ियां एक घंटा पीछे करेंगे.हर साल अक्टूबर के आखिरी रविवार को समय पीछे होता है और मार्च में फिर से घड़ियां घंटे भर आगे कर दी जाती हैं.
         रूस में स्टेट मेट्रोलॉजी सेंटर के विशेषज्ञ बताते हैं कि साल में दो बार घड़ियों को आगे पीछे किया जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक,  "बसंत की शुरुआत में घड़ियां एक घंटा आगे की जाती हैं और पतझड़ में एक घंटा पीछे. आमतौर पर ऐसा मार्च और अक्तूबर के आखिरी रविवार को किया जाता है."
         यह तरीका स्कॉटलैंड में पैदा हुए कनाडा के एक इंजीनियर सैनफोर्ड फ्लेमिंग ने ईजाद किया था. फ्लेमिंग ने दुनिया को टाइम जोन में बांटने का प्रस्ताव दिया. 1883 में उनके इस प्रस्ताव को अमेरिका का समर्थन मिला. 1884 में वॉशिंगटन डीसी में एक समझौता हुआ जिसके तहत 26 देशों ने टाइम जोन को मान लिया.
         टाइम जोन दरअसल धरती के क्षेत्र हैं जहां एक जैसा वक्त रहता है. फ्लेमिंग के प्रस्तावों को मंजूरी मिलने के बाद हर टाइम जोन का अपना वक्त हो गया. इसे स्थानीय समय कहा जाता है.
        मौसम के हिसाब से इन टाइम जोन में बदलाव किया जाता है. दिन में रोशनी के मुताबिक वक्त को एक घंटा आगे या पीछे कर लिया जाता है. इस प्रक्रिया को डे लाइट सेविंग टाइम या समर टाइम जोन कहते हैं. यह प्रस्ताव अमेरिकी विचारक बेंजामिन फ्रैंकलिन ने दिया था.
      अब टाइम जोन समझौते के मुताबिक 192 में से 110 देश साल में दो बार अपनी घड़ियां आगे या पीछे करते हैं.DW  

"बचपन और हमारा पर्यावरण"

"बचपन और हमारा पर्यावरण"

      पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम को गति प्रदान करने के लिए एक लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है,इसमें आप भी सक्रीय भागीदारी निभा सकते है .प्रतियोगिता  में भाग लेने के लिए यहाँ क्लिक करें.इस आयोजन के लिए श्री ललित शर्मा बधाई के पात्र है . 00347

अब खुलेंगे ब्रह्मांड के दरवाजे


            ब्रह्मांड में कहीं छिपी हुई एक अनजानी दुनिया, जिसका अभी तक पता नहीं है. ये अब तक साइंस फिक्शन लिखने वालों के काम की चीजें रही हैं. लेकिन वैज्ञानिकों को उम्मीद हैं कि अगले साल तक इस सिलसिले में ठोस धारणाएं पेश करेंगे.
यही है महाट्यूब
     परमाणु अनुसंधान के लिए यूरोपीय संगठन, फ्रांसीसी अक्षरों के मुताबिक इसे सैर्न कहा जाता है. फ्रांस और स्विट्जरलैंड की सीमा पर जूरा पहाड़ियों की घाटी में इसके केंद्र में सैकड़ों वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. यहां 10 अरब डॉलर की लागत से एक प्रयोग शुरू किया गया था, जिसे लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर या एलएचसी कहा जाता है. भौतिक शास्त्रियों की भाषा में यह न्यू फिजिक्स का प्रयोग है, जिसके आधार पर ब्रह्मांड के बारे में अब तक प्रचलित मान्यताएं पूरी तरह से बदलनी पड़ेंगी.
       आम बोलचाल की भाषा में इसे महाप्रयोग का नाम दिया गया है. सैर्न के वैज्ञानिकों का कहना है कि समानांतर दुनिया, पदार्थ के अज्ञात रूप, अतिरिक्त आयाम - ये अब साइंस फिक्शन के विषय नहीं रह जाएंगे, बल्कि फिजिक्स के ठोस सिद्धांत बनेंगे, जिन्हें एलएचसी और इस तरह के अन्य प्रयोगों के जरिये प्रमाणित किया जाएगा.
ब्रह्मांड की खोज
       अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के इस तथाकथित थ्योरी ग्रुप में इस बात पर विचार किया जा रहा है कि टेलिस्कोप की पहुंच के बाहर क्या क्या हो सकता है, जैसा कि सैर्न के इस महीने के बुलेटिन में कहा गया है. बुलेटिन के एक लेख में बताया गया है कि एलएचसी की भूमिगत प्रयोगशाला में लगातार बढ़ाई जा रही ऊर्जा के साथ कणों के बीच टकराव की स्थिति पैदा की जा रही है,  जैसा कि ब्रह्मांड में हुआ करता है.  इनके नतीजों को कंप्यूटर के जरिये परखा जाएगा.
        केंद्र के महानिदेशक रोल्फ हॉयर ने पिछले सप्ताहांत बताया कि जमीन के नीचे 27  किलोमीटर लंबी सुरंग में अक्टूबर के मध्य में प्रोटोन के कण 50 लाख प्रति सेकंड की दर से आपस में टकराए जा रहे हैं.  यह योजना से दो सप्ताह पहले संपन्न हुआ है. और अगले साल घर्षण की गति अब तक अज्ञात आयाम तक बढ़ाई जाएगी, और उनसे प्राप्त हो सकने वाली सूचनाएं वैज्ञानिकों की अब तक की सारी धारणाओं को बदल सकती हैं. सिर्फ़ प्रकाश की गति इस घर्षण की गति से अधिक है.  इनके जरिये उसका एक नमूना तैयार किया जाएगा, आज से लगभग 13.7 अरब वर्ष पहले बिग बैंग के बाद एक सेकंड के एक छोटे से हिस्से में जो कुछ हुआ था.
         सदियों के निरीक्षण और प्रयोग के बाद भी अभी तक ब्रह्मांड के लगभग 4 प्रतिशत के बारे में ही कुछ जानकारी मिल सकी है. उसके बाहर जो कुछ है, उसे डार्क मैटर या डार्क एनर्जी कहा जाता है, क्योंकि वह पूरी तरह से अज्ञात है.
          सैर्न के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इन महाप्रयोगों के नतीजे के रूप में उन्हें ऐसे आयामों के संकेत मिलेंगे, जो लंबाई, चौड़ाई, गहराई और समय से परे होंगे, क्योंकि उर्जा के कणों को इन चारों आयामों से परे तक गायब होते पाया जाएगा और वे फिर से इन चार आयामों की परिधि में लौट आएंगे. DW 00344

24 अक्टूबर, 2010

हर व्यक्ति का अब अलग पहचान नंबर ( UID )

चमारिन बाई को मिला पहला यू.आई.डी. कार्ड

देश के हर व्यक्ति का अब अलग पहचान नंबर होगा जिसे यू . आई . डी . नाम दिया गया  है .यह अनोखी राष्ट्रीय परियोजना है,जो नेशनल आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा संचालित है .  हर व्यक्ति का पहचान नंबर बारह अंकों का होगा . 
पूरे देश में एक जैसे पहचान पत्र जारी करने की इस योजना पर तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होने हैं.यह योजना मार्च 2014 तक चलेगी और तब तक देश के हर नागरिक को आधार संख्या दे दी जाएगी.एक जैसे पहचान पत्र और पहचान संख्या देने का मकसद देश के सभी लोगों को विकास की प्रक्रिया में शामिल करना है. आधार संख्या के जरिए सरकार उन लोगों की पहचान को आसान बनाना चाहती है जो विकास की रफ्तार में पीछे छूट जाते हैं. इसके अलावा प्रशासन को बेहतर बनाने और लोगों तक आसानी से सारी सुविधाएं पहुंचाने में भी यह पहचान पत्र काम आएगा. छात्रवृत्ति, राशन कार्ड, पासपोर्ट आदि के लिये यह उपयोग में लाया जा सकेगा .
 छत्तीसगढ़ में आज से  नागरिकों को विशेष पहचान संख्या  UID   देने का काम शुरू हो गया है .रायपुर जिले के गरियाबंद के ग्राम पंचायत जोबा की चमारिन बाई को इस परियोजना के तहत राज्य का पहला यू.आई.डी कार्ड धारी होने का गौरव प्राप्त हुआ .स्वयं मुख्य मंत्री डा. रमन सिंह ने ग्राम जोबा के स्टाल में जाकर अपना  यू . आई . डी . बनवाया .  



23 अक्टूबर, 2010

छत्तीसगढ में सहकारिता के माध्यम से चमका किसानों का भाग्य

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 10 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष

सहकारी आंदोलन का   विस्तार

त्तीसगढ़ राज्य का गठन सहकारिता के लिए वरदान सिद्ध हुआ है। इन 10 वर्षों में सहकारी आंदोलन के स्वरूप में काफी विस्तार हुआ है। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से फसल ऋण लेने वाले किसानों की संख्या जो वर्ष 2000-01 में 3,95,672 थी,जो वर्ष 2009-10 में बढ़कर 7,85,693 हो गई है। इन 10 वर्षों में 3 प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण उपलब्ध कराने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य बना। छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन का जिम्मा सहकारी समितियों को दिया गया है , सभी उपार्जन केन्द्रों को कम्प्यूटरीकृत किया गया है जो कि अपने आप में छत्तीसगढ़ शासन की बहुत बड़ी उपलब्धि है। उपलब्धियों की दास्तान यही खत्म नहीं होती,यह बहुत लंबी है। शासन ने प्रो.बैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू कर मृतप्राय समितियों को पुनर्जीवित किया है,इस योजना के तहत सहकारी समितियों को 225  करोड़ की सहायता राशि प्रदान की गई है। इस योजना को लागू करने के लिए 25.09.2007 को राज्य शासन,नाबार्ड एवं क्रियान्वयन एजेन्सियों के मध्य एम.ओ.यू हुआ। इससे प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को प्राणवायु मिल गया है।

रासायनिक खाद  वितरण -
प्रदेश में कृषि साख सहकारी समितियों की संख्या 1333 है, जिसमें प्रदेश के 18 जिलों के सभी 20796 गांवों के 22,72,070 सदस्य हैं। इनमें से 14,39,472 ऋणी सदस्य हैं। इन समितियों के माध्यम से चालू वित्तीय वर्ष में खरीफ फसल के लिए 3  प्रतिशत ब्याज दर पर 896.41  करोड़ रूपिये का ऋण वितरित किया गया है। छत्तीसगढ राज्य निर्माण के समय वर्ष 2000-01 में मात्र 190 करोड रूपिये का ऋण वितरित किया गया था जो अब 4 गुणा से अधिक हो गया है। ऋण के रूप में किसानों को इस वर्ष 5,29,309  मिट्रिक टन रासायनिक खाद का वितरण किया गया है।

 3 प्रतिशत ब्याज -
अल्पकालीन कृषि ऋण पर ब्याजदर पूर्व में 13 से 15 प्रतिशत था। वर्ष 2005-06 से ब्याजदर को घटाकर 9 प्रतिशत किया गया। वर्ष 2007-08 में 6 प्रतिशत ब्याज दर निर्धारित किया गया। 2008-09 से प्रदेश के किसानों को तीन प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। शासन की नीति के तहत सहकारी संस्थाओं द्वारा गौ-पालन,मत्स्यपालन एवं उद्यानिकी हेतु भी 3 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जा रहा है।

किसान क्रेडिट कार्ड -
किसानों की सुविधा के लिए सहकारी समितियों में किसान क्रेडिट कार्ड योजना लागू की गई है। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कृषक सदस्यों को 5 लाख रूपिये तक के ऋण उपलब्ध कराये जा रहे है। कुल 14,39,472 क्रियाशील सदस्यों में से 11,86,413 सदस्यों को अब तक किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराये जा चुके है जो कि कुल क्रियाशील सदस्यों का 80 प्रतिशत है।

 महिला स्व सहायता समूह -
सहकारी संस्थाओं के माध्यम से महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए स्व सहायता समूहों का गठन किया जा रहा है। अब तक 20140 समूहों का गठन किया गया है जिसमें 2,41,722  महिला शामिल है। इन समूहों को सहकारी बैंकों के माध्यम से 10 करोड़ 10 लाख रू. की ऋण राशि उपलब्ध कराई जा चुकी है। इसी प्रकार बैंको के माध्यम से 90 कृषक क्लब गठित किये गये है।

प्रो. बैद्यनाथन कमेटी की सिफारिश -
छत्तीसगढ शासन ने प्रो.बैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू कर राज्य में अल्पकालीन साख संरचना को पुनर्जीवित करने की दिशा में ठोस कदम उठाया है इसके तहत दिनांक 25 सितंबर 2007 को केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और नाबार्ड के बीच एम.ओ.यू हुआ। त्रि-स्तरीय समझौते के तहत् प्रदेश के 1071 प्राथमिक कृषि साख समितियों को 193.96 करोड़ रूपिये 5 जिला सहकारी केन्द्रीय बैकों को कुल 21.56  करोड़ रूपिये तथा अपेक्स बैंक को 9.49 करोड़ रूपिये की राहत राशि आबंटित की जा चुकी है।

धान खरीदी -
सहकारी समितियों के माध्यम से शासन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की व्यवस्था की गई है। इसके लिए शासन द्वारा लगभग 1550 उपार्जन केन्द्र स्थापित किये गये है। वर्ष 2009-10 में समितियों के माध्यम से 44.28 लाख मिट्रिक टन धान की खरीदी गई। जबकि छत्तीसगढ राज्य निर्माण के समय वर्ष 2000-01 में मात्र 4.63 मिट्रिक टन , 2001-02 में 13.34 लाख मिट्रिक टन, 2002-03 मे 14.74 लाख मिट्रिक टन , 2003-04 में 27.05 लाख मिट्रिक टन, 2004-05 में 28.82 लाख मिट्रिक टन, 2005-06 में 35.86 लाख मिट्रिक टन  , 2006-07 में 37.07 लाख मिट्रिक टन , 2007-08 में 31.51 लाख मिट्रिक टन, 2008-09 में 37.47 लाख मिट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी। गत वर्ष 44.28 लाख मिट्रिक टन धान खरीद कर छत्तीसगढ़ सरकार ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

धान खरीदी केन्द्र  आन लाईन - 
 शासन द्वारा स्थापित 1550 धान खरीदी केन्द्रों को आन लाईन किया गया है, जिसकी सराहना देशभर में हुई है। धान उपार्जन केन्द्रों के कम्प्यूटराईजेशन से खरीदी व्यवस्था में काफी व्यवस्थित हो गई है। इससे पारदर्शिता भी आई है। किसानों को तुरंत चेक प्रदान किया जा रहा है। किसानों का ऋण अदायगी के लिए लिकिंग की सुविधा प्रदान की गई है। इससे सहकारी समितियां भी लाभान्वित हो रही है, क्योंकि लिकिंग के माध्यम से ऋण की वसूली आसानी से हो रही है।

भूमिहीन कृषकों को  ऋण प्रदाय -
सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किसानों को टैक्टर हार्वेस्टर के अलावा आवास ऋण भी प्रदाय किया जा रहा है। नाबार्ड के निर्देशानुसार अब ऐसे भूमिहीन कृषकों को भी ऋण प्रदाय किया जा रहा है जो अन्य किसानों की भूमि को अधिया या रेगहा लेकर खेती करते है। छत्तीसगढ़ की यह प्राचीन परंपरा है। जब कोई किसान खेती नहीं कर सकता अथवा नहीं करना चाहता तो वह अपनी कृषि योग्य भूमि को अधिया या रेगहा में कुछ समय सीमा के लिए खेती करने हेतु अनुबंध पर दे देता है। चूंकि अधिया या रेगहा लेकर खेती करने वाले किसानों के नाम पर जमीन नहीं होती इसलिए उन्हें समितियों से ऋण नहीं मिल पाता था, लेकिन ऐसे अधिया या रेगहा लेने वाले किसानों का ”संयुक्त देयता समूह” बना कर सहकारी समितियों से ऋण प्रदान करने की योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत अकेले रायपुर जिले में चालू खरीफ फसल के लिए 61 समूह गठित कर 8.24 लाख रूपिये का ऋण आबंटित किया गया है।

 फसल बीमा - 
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों से ऋण लेने वाले सदस्यों को व्यक्तिगत तथा फसल का बीमा किया जाता है। किसानों के लिए कृषक समूह बीमा योजना तथा फसल के लिए राष्ट्रीय कृषि फसल बीमा योजना लागू है। वर्ष 2009-10 में 7,60,477 किसानों ने 835.71 करोड़ रूपिये का फसल बीमा कराया था फलस्वरूप किसानों को 87.64 करोड़ की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान की गई।

इस प्रकार हम देखते है कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात सहकारिता के माध्यम से सुविधाओं का विस्तार हुआ है। इससे किसानों मे तो खुशहाली आई ही है साथ ही साथ सहकारी आंदोलन को भी काफी गति मिली है।

सहकारिता  से मै सन 1983 से सीधे जुड़ा हूँ ,इन वर्षों में मैंने सहकारी आन्दोलन में अनेक उतार  चढाव देंखें है ,मै वृहत्ताकार कृषि साख समिति मानिकचौरी का 1983  से लगातार संचालक होने के साथ साथ जिला सहकारी केन्द्रीय  बैंक रायपुर का 1997 से 2004  तक संचालक रहा हूँ .   वर्तमान में मै अपेक्स बैंक छत्तीसगढ़ का डायरेक्टर तथा राष्ट्रीय सहकारी संघ नई दिल्ली का प्रतिनिधि हूँ. 
इस लेख को यहाँ भी पढ़ सकते है . अखबारों की कतरनें  यहाँ देंखें . 00357

21 अक्टूबर, 2010

अनाड़ी ब्लॉगर का शतकीय पोस्ट

ASHOK BAJAJ 
यह ग्राम चौपाल का शतकीय आलेख है, इस शतक को बनाने में हमें 150 दिन लगे. इस अवधि में 100 पोस्ट, 150 दिन, 37 समर्थक, 741 टिप्पणियां प्राप्त हुई. वैसे तो ब्लॉग हमारा बहुत दिनों से तैयार था लेकिन पहली पोस्ट हमने 22 मई 2010 को लगायी. जल सवर्धन पर एक लेख लिखा था जो अनेक अखबारों में छपा है उसे मैंने अपने ब्लॉग में लगा दिया था, उस पर ई गुरु राजीव का पहला कमेन्ट आया, दूसरा भी उन्हीं का था. उसके बाद पंकज  झा, जयराम “विप्लव”, ललित शर्मा, अजय कुमार और आशुतोष मिश्रा की टिप्पणी प्राप्त हुई . तब हमें टिप्पणियों के बारे में कुछ पता नहीं था. हमने 25  मई को एक पोस्ट लगा कर इन्हें धन्यवाद दिया.                                

जून 2010 में हमने 4 पोस्ट लगाये इस बीच पं.ललित शर्मा से मुलाकात हुई उन्होंने ब्लोगिंग के लिए प्रोत्साहित किया, तत्पश्चात हम जुलाई में सक्रिय हुए, जुलाई 2010 में - 21 पोस्ट , अगस्त 2010 में - 33 पोस्ट, सितम्बर 2010 में - 22 पोस्ट तथा अक्तूबर में अभी तक 17 पोस्ट लगायें हैं. सितम्बर में अधिकांश समय बाहर रहना पड़ा इसीलिए पोस्ट कम आये, वरना मेरा प्रयास रहता है कि हर रोज एक पोस्ट जरूर लगे. हमने पर्यावरण पर सर्वाधिक लेख लिखे है. इसके अलावा देश विदेश के ताजा घटनाक्रमों को स्थान दिया .धर्म, योग, राजनीति, संचार के अलावा स्वामी विवेकानंद, मुंशी प्रेमचंद, पं. दीनदयाल उपाध्याय, राजर्षि पुरूषोत्तमदास टंडन, पं. श्रीराम शर्मा, संत कबीर एवं महात्मा गांधी के प्रेरणा दायी विचारों को समाहित करने का प्रयास किया है. दो-चार छत्तीसगढ़ी एवं हिन्दी गीतों की पुष्प भी ब्लॉग में चढाई. नशाखोरी, महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भी आपका ध्यान आकृष्ट किया इसके अलावा देश के मान-सम्मान से जुड़ी कुछ खबरों को भी आप तक पहुचानें का प्रयास करता रहा हूँ. पहले ashokbajaj99.blogspot.com था एक दिन ललित ने डोमेन कर http://www.ashokbajaj.com/ कर दिया तब से चिट्ठाजगत में सक्रियता में हमारी सीनियारिटी मारी गई. पहले हम सक्रियता क्रमांक 192 तक पहुँच चुके थे लेकिन अब हमारी सक्रियता क्रंमाक - 381 है.

ब्लोगिंग अपने विचारों एवं भावनाओं को प्रगट करने का सस्ता एवं सर्वोत्तम माध्यम है, हमने 150 दिनों में इसका खूब उपयोग किया. इसके माध्यम से देश -विदेश के अनेक नए मित्रों से परिचय भी हुआ,  ब्लोगिंग की दुनिया के अनेक सितारों के बारे में जानकारी मिली. ग्राम चौपाल को अधिकाधिक लोगों ने पसंद किया. ब्लॉग जगत के बाहर भी इसकी गूंज सुनाई पड़ी.

इसके चक्कर में मेरी दिनचर्या पर प्रतिकूल असर भी पड़ा है. दिन भर की व्यस्तता के बाद पोस्ट लिखने के लिए देर रात तक जागने की बुरी आदत जो पड़ने लगी है. सुबह 7 बजे के बजाय 9 बजे उठना पड़ता है. सुबह के अनेक काम प्रभावित होने लगे है. इस सबके बावजूद मैं आपके साथ मजबूती से खड़ा हूँ. आपका स्नेह भरा कमेन्ट मुझे ब्लोगिग मुझे ब्लॉगिंग के क्रीज पर जमे रहने के लिए प्रेरित करता है.

आभार ! धन्यवाद !! वंदेमातरम !!! 

आपका - अशोक बजाज रायपुर छत्तीसगढ़, (ashok bajaj raipur )

19 अक्टूबर, 2010

'भारत माता नहीं, भारत नानी'

कैरिबियाई देश त्रिनिडैड एंड टुबैगो की भारतीय मूल की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने बीबीसी हिंदी के राजेश प्रियदर्शी के साथ एक विशेष इंटरव्यू में भारत के साथ अपने भावनात्मक संबंधों पर विस्तार से बात की.  यह बातचीत बड़ी रोचक एवं ज्ञानवर्धक होने के साथ साथ गौरव बढाने वाली भी है . मै आज अपने ब्लॉग के ९९ वें पोस्ट में श्री राजेश प्रियदर्शी को धन्यवाद देते हुए आप सब की जानकारी के लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ ----
 त्रिनिडैड एंड टुबैगो की प्रधानमंत्री
 कमला प्रसाद बिसेसर

 कैरिबियाई देश त्रिनिडैड एंड टुबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर का कहना है कि वे भारत को 'भारत माता' की तरह नहीं बल्कि 'नानी' की तरह देखती हैं.मई महीने में प्रधानमंत्री बनी कमला प्रसाद बिसेसर अपने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री तो हैं ही, इससे पहले वे देश की पहली महिला एटॉर्नी जनरल और शिक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं.  यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस (यूएनसी) की 58  वर्षीय नेता के पूर्वज चार पीढ़ी पहले भारत से मज़दूरी करने के लिए कैरिबियाई द्वीप त्रिनिडाड एंड टुबैगो गए थे.

भारत के साथ अपने भावनात्मक संबंधों के बारे में प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर का कहना है कि हमारे देश में भारतीय मूल के लोगों की आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है.इन लोगों ने भारतीय संस्कृति को अपने जीवन में बनाए रखा है, भारत की विरासत को संजोकर रखा है.भारत से आने वाले लोग यह देखकर दंग रह जाते हैं कि बहुत सारी चीज़ें जो भारत में अब देखने को नहीं मिलती वो हमारे यहाँ क़ायम हैं.मैं अक्सर कहती हूँ कि भारत हमारे लिए माता नहीं,  बल्कि नानी की तरह है. माता  तो  त्रिनिडैड  एंड  टुबैगो  है लेकिन ग्रैंडमदर इंडिया और ग्रैंडमदर अफ्रीका भी हैं.

यह पूछे जाने पर कि भारत की संस्कृति और त्रिनिडैड एंड टुबैगो की संस्कृति में कितनी समानता और कितना अंतर है ?  उन्होंने कहा कि हमारे देश एक बहुसांस्कृतिक देश है,उसमें बहुत विविधता  है,यही  उसकी  सुंदरता   है, अलग अलग  विरासतें हैं और सब मिलकर एक अनूठी संस्कृति बनाते हैं जो त्रिनिडैड एंड टुबैगो की संस्कृति है.  मिसाल के तौर पर भारतीय लोकगीत हैं और अफ्रीकी मूल का संगीत है, इन दोनों के मिलने से चटनी म्युज़िक बनता है. बॉलीवुड की फ़िल्में खूब देखते हैं, बॉलीवुड के गायक और दूसरे कलाकार अक्सर हमारे यहाँ आते रहते हैं.भारतीय कलाकारों के कन्सर्ट के टिकट तुरंत बिक जाते हैं,पिछले दिनों अमिताभ बच्चन अपने पूरे परिवार के साथ आए थे.हम सांस्कृतिक स्तर पर भारत से पूरी तरह जुड़े हुए हैं.

उन्होंने कहा कि भारत और त्रिनिडैड एंड टुबैगो को कूटनीतिक और व्यापारिक स्तर पर सामंजस्य बनाने से दोनों देशों का फ़ायदा होगा.भारत के व्यापारियों के हमारे देश में आने और हमारे लोगों के भारत जाने से माहौल और अच्छा बनेगा.दिल से दिल का रिश्ता तो है ही, अब देखिए कि भारत और हमारे देश के बीच कोई सीधी उड़ान नहीं है, बहुत सारे लोग भारत जाना चाहते हैं.मैं इस मामले को आगे बढ़ाना चाहती हूँ,  संपर्क बेहतर बनने से दोनों देशों के लिए फ़ायदा होगा.

यह पूछे जाने पर कि वो कौन से क्षेत्र हैं जिनमें आपको लगता है कि भारत आपकी मदद कर सकता है? प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने कहा कि भारत सूचना तकनीकी के क्षेत्र में अग्रणी है, इस मामले में हमारे व्यापारी उनके साथ सहयोग कर सकते हैं. इसके अलावा ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत सहयोग की संभावना है.पर्यटन से लेकर निर्माण उद्योग तक,हर क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने की गुंजाइश है. सांस्कृतिक पर्यटन एक क्षेत्र है मैं जिसको बढ़ावा देना चाहती हूँ,पाँच नवंबर को दीपावली है लेकिन हमारे यहाँ अभी से दीपावली के कार्यक्रम चल रहे हैं जिसमें भारत के लोगों की  काफ़ी  दिलचस्पी  होगी.अमरीका  और  कनाडा में इतनी बड़ी तादाद में भारतीय रहते हैं जो दीपावली या फगुआ (होली)मनाने भारत नहीं जा पाते,उनके  लिए  त्रिनिडैड  नज़दीक है,हमारे  यहाँ  आकर बिल्कुल भारतीय तरीक़े से पर्व-त्यौहार का आनंद ले सकते हैं.

 भारत  से  जुड़े  आपके अपने  अनुभव  कैसे  हैं,क्या  आप निकट भविष्य में भारत जाने की सोच रही हैं? उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत नहीं गई हूँ, ज़रूर जाना चाहूँगी. मैं आपको अपनी पहली भारत यात्रा के बारे में बताना चाहती हूँ, मेरे दादा-दादी और माता-पिता भारत से बहुत प्रेम करते थे, वे हिंदू थे और मेरे पिता का परिवार पूजा-पाठ करने वाला ब्राह्मण परिवार था. भारत की हर चीज़ से उन्हें बहुत लगाव था. जब मैं पहली बार भारत गई तो विमान अभी उतरा भी नहीं था, मैंने खिड़की से नीचे देखा, भारत की ज़मीन को देखते ही मेरी आँखों में आँसू आ गए, पता नहीं क्यों. बहुत गहरा जुड़ाव है.

भारतीय खानपान, पहनावा,संगीत,   पर्व त्यौहार  ये  सब  कितना  है आपके जीवन में?प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर - (अपनी कलाई दिखाते हुए) ये देखिए ये पूजा की मौली है जो मैंने बांधी हुई है. रोज़ का खाना बहुत हद तक भारतीय ही है लेकिन मज़ेदार बात यही है कि हमारा जीवन सिर्फ़ भारतीय ही नहीं है बल्कि अफ्रीकी विरासत भी उसमें घुली मिली हुई है. खान-पान में मामूली अंतर है लेकिन मूल तौर पर एक जैसा ही है, रोटी, दाल, सब्ज़ियाँ. मैं हमेशा कहती हूँ कि हमारे पूर्वज अपने साथ दौलत या क्रेडिट कार्ड नहीं बल्कि गीता और कुरान लेकर आए थे, उन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने बच्चों को धार्मिक और सांस्कृतिक संस्कार दिए, हमारे यहाँ अब भी संयुक्त परिवार का बहुत महत्व है.

आपके देश के 60 प्रतिशत वो लोग जो भारतीय मूल के नहीं हैं, वे आपको किस तरह देखते हैं, क्या भारतीय मूल की महिला होने की वजह से आपको कभी कोई कठिनाई आती है. फिजी का उदाहरण सामने है जहाँ भारतीय मूल के नेता को सत्ता से हटा दिया गया. उन्होंने कहा कि  ये कहना ईमानदारी की बात नहीं होगी कि हमारे देश में लोग इसके बारे में नहीं सोचते हैं, कुछ चिंता ज़रूर हो सकती है. लेकिन यह त्रिनिडैड एंड टुबैगो की अच्छी बात है कि अब हमारे देश के लिए सिर्फ़ नस्ल के आधार पर अपने फ़ैसले नहीं करते. यही वजह है कि हमारी पार्टी चुनाव जीत सकी. मैं एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व करती हूँ जिसमें कुछ लोग भारतीय मूल के हैं, कुछ लोग अफ्रीकी मूल के हैं, सबके हितों का ध्यान रखा जाता है. इससे पहले एफ्रो बहुल सरकार थी, बासुदेव पांडे की सरकार को 'इंडो डोमिनेटेड' सरकार समझा जाता था, मेरी सरकार में सबकी अच्छी भागीदारी है. अगर लोग नाराज़ होंगे कामकाज की वजह से, न कि नस्ली आधार पर.


भारतीय गीत-संगीत और सिनेमा में आपके फ़ेवरिट कौन हैं?प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने कहा कि मुझे हिंदी फ़िल्मी संगीत बहुत पसंद है, मैं ज्यादा लोगों के नाम नहीं जानती लेकिन हिंदी गाने मुझे बहुत अच्छे लगते हैं. मुझे कुमार सानू और शाहरुख़ ख़ान बहुत पसंद हैं, बॉलीवुड की फ़िल्में मुझे बहुत अच्छी लगती हैं. एक और चीज़ है जिसे मैं बहुत पसंद करती हूँ,भारतका साहित्य. मुझे अँगरेज़ी में लिखने वाले भारतीय लेखकों की किताबें पढ़ने का बहुत शौक़ है,विक्रम सेठ के 'ए सुटेबल ब्वाय' में जिस तरह अच्छे लड़के की तलाश होती है उससे मैं सांस्कृतिक स्तर पर काफ़ी रिलेट कर पाती हूँ.

अंत में उन्होंने कहा कि भारत में लोग नमस्कार कहते हैं,  जैसे हम  कहते  हैं  आपके  सभी  पाठकों और श्रोताओं को सीताराम. धन्यवाद. 00384

18 अक्टूबर, 2010

योग भूत-प्रेतों से जुड़ा है ?

पादरी का फरमान योग ईसाई धर्म के खिलाफ

जारों अमेरिकियों के लिए योग शारीरिक रूप से फिट रहने का जरिया है, लेकिन यहाँ के एक पादरी ने यह कह कर नई बहस छेड़ दी है कि योग ईसाई धर्म के खिलाफ है. सदियों पुरानी इस पारंपरिक भारतीय पद्धति को अपनाने वाले लोगों का हालाँकि मानना है कि पादरी का दावा बेमतलब है.

मार्स हिल चर्च के मार्क ड्रिस्कोल ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि योग अभ्यास की जड़ें भूत-प्रेतों की दुनिया तक फैली हैं, जिसे ‘पूर्णत: मूर्तिपूजा’ करार दिया जा सकता है.

पादरी का  समर्थन  करते  हुए  साउथन  बैपटिस्ट  थिओलोजिकल  सेमिनरी के अध्यक्ष आर.अलबर्ट मोहलर जूनियर ने हाल में अपने लेखन में कहा कि योग इसाई धर्म के विपरीत है. 

योग करने को लेकर भले ही नई बहस छिड़ी हो, लेकिन लोगों का मानना है कि इस मामले में धार्मिक पुट जोड़ने की जरूरत नहीं है।

ड्रिस्कोल के हवाले से अखबार ने कहा कि क्या इसाई धर्म के अनुयायियों को योग से इसलिए दूर रहना चाहिए क्योंकि इसकी जड़ें भूत-प्रेत तक जाती हैं ? बिलकुल, योग भूत-प्रेतों से जुड़ा है. अगर आप योग कक्षाओं  में  जाना  शुरू  कर  रहे  हैं तो  इसका  तात्पर्य  है  कि  आप  भूत प्रेत से जुड़ी कक्षाओं में  जा  रहे  हैं. कुछ  दिन पूर्व ग्राम चौपाल में  हमने लिखा था कि दुनिया अब भोग से योग की ओर बढ रही है लेकिन इसके ठीक विपरीत पादरी का फरमान जारी हो गया, आगे आगे देखतें है कि पादरी के फरमान का योग के दीवानों पर कितना असर होता है .     00380

17 अक्टूबर, 2010

ग्राम चौपाल: रावण की लंका में, रहना नहीं है ;

चिंतामग्न विभीषण 


रावण की लंका में,

रहना नहीं है ;



रावण की तरह ,
मरना नहीं है ;



अहंकार के सागर में ,
बहना नहीं है ;



है तो सोने की लंका मगर ,
जहाँ भाईचारे का गहना नहीं है ;



रावण की लंका में,
रहना नहीं है ;



राम का देश बड़ा प्यारा है ,
जहाँ किसी से हमें डरना नहीं है ;



विजयादशमी की आप सबको बहुत बहुत बधाई !!








16 अक्टूबर, 2010

रावण की लंका में, रहना नहीं है ;




रावण की लंका में,
रहना नहीं है ;
रावण की तरह ,
मरना नहीं है ;
अहंकार के सागर में ,
बहना नहीं है ;
है तो सोने की लंका मगर ,
जहाँ भाईचारे का गहना नहीं है ;
रावण की लंका में,
रहना नहीं है ;
राम का देश बड़ा प्यारा है ,
जहाँ किसी से हमें डरना नहीं है ;

विजयादशमी की आप सबको बहुत बहुत बधाई !! 

15 अक्टूबर, 2010

भारत के लिए सिरदर्द हैं चीन और पाक


भारतीय सेना की नई भूमिका और उद्देश्य विषय पर सेमीनार

भारत की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान और चीन सबसे बड़े सिरदर्द बन गए हैं. यह मानना है भारतीय सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह का. उन्होंने अपनी इस सोच के पीछे कई वजहें भी बताई है.

जनरल सिंह का मानना है कि इन दोनों पड़ोसी मुल्कों से लगातार बढ़ रही सिरदर्दी की वजह से भारतीय सेनाओं को मौजूदा परमाणु युग में पारंपरिक युद्ध की सभी क्षमताओं से लैस होना चाहिए. नई दिल्ली में भारतीय सेना की नई भूमिका और उद्देश्य विषय पर आयोजित सेमिनार में जनरल सिंह ने यह बात कही.

    उन्होंने दलील दी कि पाकिस्तान लचर सरकारी तंत्र और दयनीय आंतरिक स्थिति के बीच आतंकवादी संगठनों की सुरक्षित पनाहगाह बन गया है. इन सब बातों का सीधा असर भारत पर पड़ता है और उसके लिए ये हालात चिंता का सबब बनते हैं. इसके अलावा चीन से भारत को आर्थिक और सामरिक दोनों मोर्चों पर लगातार खतरा बढ़ रहा है. उन्होंने कहा "सीमा विवाद होने के बावजूद हमारी सीमाओं पर स्थायित्व तो है लेकिन साझा सीमाओं वाले देशों की मंशा में खोट को देखते हुए हमें सैन्य क्षमताओं में इजाफा करना चाहिए."सेना प्रमुख ने कहा इस तरह के हालात सेना के मकसद और भूमिका नए सिरे से तय करने पर मजबूर करते हैं. हालांकि उन्होंने चीन के साथ युद्ध की सीधी आशंका को तो नकार दिया लेकिन इसके खतरे से इंकार नहीं किया. उन्होंने कहा "चीन के साथ हमारी सीमाओं पर स्थायित्व तो है लेकिन हम ढिलाई बरतने का खतरा मोल नहीं ले सकते."जनरल सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय सेनाओं को पारंपरिक युद्ध की स्थिति में परमाणु खतरे से निपटने की काबलियत में निखार लाने की जरूरत है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को अपनी सीमाओं के विस्तार की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है फिर भी सीमाओं पर चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर बारीक नजर रखने की जरूरत है.dw 00389


14 अक्टूबर, 2010

चिड़ियों की चहक और फूलों की महक के बिना जीवन नीरस: डॉ. रमन सिंह


जलवायु परिवर्तन प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा : बृजमोहन अग्रवाल

अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की भावना को संस्कार के रूप में विकसित करना है : अशोक बजाज

जलवायु परिवर्तन रोकने श्रेष्ठ सुझावों के लिए 250 स्कूली बच्चे पुरस्कृत




    मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि पेड़-पौधे, हवा-पानी, पंछी-पर्वत, खेत-खलिहान सब कुछ हमारे पर्यावरण का ही अभिन्न हिस्सा हैं। इनसे हमें जीवन की ऊर्जा मिलती है। पेड़ नहीं होंगे तो चिड़ियों की चहक और फूलों की महक भी नहीं होगी, जिनके बिना हमारा जीवन नीरस और निरर्थक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकट से देश और दुनिया को बचाने के लिए पर्यावरण जागरूकता का विशेष अभियान रायपुर शैक्षणिक जिले के स्कूलों में सफलतापूर्वक संचालित किया गया है। इसकी उत्साहजनक सफलता को देखते हुए अब इसे छत्तीसगढ़ के सभी स्कूलों में चलाया जाएगा, ताकि स्कूली बच्चों के माध्यम से इसका संदेश प्रत्येक घर-परिवार और जन-जन तक पहुंचे।

डॉ. रमन सिंह ने आज यहां अपने निवास पर जलवायु परिवर्तन को लेकर स्कूली बच्चों के जागरूकता अभियान के प्रथम चरण के अन्तर्गत सर्वश्रेष्ठ सुझाव देने वाले 250 स्कूली बच्चों को पुरस्कार वितरित करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। डॉ. सिंह ने छात्र-छात्राओं सहित सभी लोगों को शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएं दी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा केन्द्रीय भू-विज्ञान मंत्रालय और समाजसेवी संस्था आई.ए.एस.आर.डी.  नई दिल्ली के सहयोग से लगभग डेढ़ माह का यह अभियान विगत 28 अगस्त से कल 13 अक्टूबर तक रायपुर शैक्षणिक जिले के सभी विकासखण्डों में चिन्हांकित 50  समन्वय शालाओं (नोडल स्कूलों)  के माध्यम से उनके 241  स्कूलों में चलाया गया। पूरे अभियान में इन मिडिल स्कूलों, हाई स्कूलों और हायर सेकेण्डरी स्कूलों के लगभग 24 हजार बच्चों ने सक्रिय भागीदारी से पर्यावरण संरक्षण के संकल्प और संदेश को स्थानीय जनता के बीच प्रचारित किया। मुख्यमंत्री ने आज दोपहर अभियान के प्रथम चरण के समापन पर पुरस्कृत बच्चों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने की। पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम के संयोजक और रायपुर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने इस अवसर पर अभियान की गतिविधियों का विवरण दिया। छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री लीलाराम भोजवानी भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।

मुख्य अतिथि की आसंदी से डॉ. रमन सिंह ने स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए इस अभियान की जोरदार शब्दों में प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह अभियान राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष आम जनता की सक्रिय भागीदारी से शुरू किए गए 'पानी बचाओ अभियान'  और 'हरियर छत्तीसगढ़' अभियान को आगे बढ़ाने में काफी मददगार साबित हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रति स्कूली बच्चों में जागरूकता लाने का यह एक अच्छा प्रयास है। वृक्षारोपण करने, बिजली की बचत करने, पॉलीथिन के दुरूपयोग को रोकने जैसे कई कार्य देखने में छोटे जरूर लगते हैं,  लेकिन पर्यावरण संकट से निपटने में ऐसे कार्यो की सबसे बड़ी भूमिका होती है। स्वच्छ और ताजी हवा के झोंके,  नदियों का साफ पानी,  पेड़ों पर चहकते गौरैया, तोता, मैना और कोयल और यहां तक कि सांप और बिच्छु भी हमारी प्रकृति और जैव विविधता की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैं। मुख्यमंत्री ने अपने आवासीय परिसर का उल्लेख करते हुए कहा कि इस परिसर में विभिन्न प्रजातियों के लगभग 250 वृक्ष हैं और इनमें करीब 40 प्रकार के जीव-जन्तुओं,चिड़ियों और सांप और बिच्छु तक की चहल-पहल होती है। आम के मौसम में कोयल की कुहूक मन को छू जाती है। डॉ.  रमन सिंह ने कहा कि ऐसा ही परिवेश प्रत्येक गांव और शहर में होना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने के कारण आज पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन का खतरा साफ देखा जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है और दुनिया के कई द्वीपों और छोटे देशों सहित अनेक शहरों के निकट भविष्य में जलमग्न होकर डूब जाने का अंदेशा वैज्ञानिकों ने व्यक्त किया है। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में श्री अग्रवाल ने कहा कि यहां भी अब बेमौसम बरसात और खण्ड वर्षा होने लगी है। कभी बरसात के मौसम में इतनी उमस नहीं होती थी,  लेकिन अब बारिश के दिनों में लोग उमस से परेशान रहते हैं। स्वाईन फ्लू और डेंगू जैसी बीमारियों का कभी हम लोगों ने नाम भी नहीं सुना था,  लेकिन आज ये बीमारियां भी जन-स्वास्थ्य के लिए चुनौती बनकर आयी हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह सब प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा है कि आज हमें खाने के लिए अच्छे और स्वादिष्ट फल भी ठीक से नहीं मिल पाते। उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन समय में पर्यावरण को बचाने के लिए हम सबको एकजुट होकर आगे आना होगा। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस कार्य में हमारी नयी पीढ़ी के स्कूली बच्चों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होगा। यह रायपुर शिक्षा जिले के स्कूलों में चलाए गए अभियान से साबित हो गया है। अगर हम इस अभियान में स्कूली बच्चों को जोड़ेंगे, तो उनके माता-पिता और परिवार के अन्य लोग भी इसमें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी बनेंगे। श्री अग्रवाल ने अभियान को रायपुर शिक्षा जिले में मिली सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री  डॉ.रमन  सिंह  के  नेतृत्व  में  निकट  भविष्य में यह अभियान प्रदेश भर के स्कूलों में चलाया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिशा-निर्देश जल्द जारी किए जाएंगे।

प्रारंभ में अभियान के संयोजक श्री अशोक बजाज ने रायपुर शिक्षा जिले में इसके अन्तर्गत हुए कार्यक्रमों पर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के आव्हान पर प्रदेश में इस वर्ष गर्मियों में पानी बचाओ अभियान और बारिश में हरियर छत्तीसगढ़ अभियान चलाया गया जिससे प्रेरणा लेकर रायपुर शिक्षा जिले में दोनों अभियानों के आधार पर पर्यावरण जागरूकता की कार्य योजना बनाकर जिले के विकासखण्डों में 50 नोडल शालाएं चिन्हांकित कर उनके जरिए 239  स्कूलों को इसमें जोड़ा गया। वैसे तो यह अभियान 28 अक्टूबर को माना बस्ती के शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल से शुरू किया गया था और एक अक्टूबर को इसका औपचारिक समापन हुआ,  लेकिन अभियान को मिली भारी लोकप्रियता को देखकर जनता की विशेष मांग पर कल 13  अक्टूबर को ग्राम खोला और चण्डी के स्कूलों में भी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रकार यह अभियान लगभग डेढ़ माह तक चला। श्री बजाज ने कहा कि बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की भावना को संस्कार के रूप में विकसित करना और दृष्टिकोण को व्यापक बनाना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि अभियान केवल वृक्षारोपण् तक सीमित नहीं था। इसमें बच्चों को पानी की बचत करने,  हवा की कीमत समझने, कुपोषण की रोकथाम और नशाबंदी के बारे में भी बताया गया। नोडल शालाओं के माध्यम से 241 स्कूलों के 25 हजार से अधिक बच्चों ने इसमें सक्रिय उपस्थिति दर्ज करायी। शुभारंभ कार्यक्रम में माना बस्ती के हायर सेकेण्डरी स्कूल में एक हजार बच्चों ने मानव श्रृंखला बनाकर पर्यावरण की रक्षा करने का संकल्प लिया। पूरे अभियान में हर विद्यार्थी को वन विभाग द्वारा एक-एक पौधा भी दिया गया और किस बच्चे ने किस प्रजाति का पौधा कहां लगाया है, इसका रिकार्ड भी रखा गया, ताकि बच्चे जीवन भर उसकी देखभाल कर सकें। प्रत्येक विद्यार्थी को एक प्रश्नावली दी गयी जिसमें जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए उनसे सुझाव मांगे गए। इनमें से सर्वश्रेष्ठ सुझाव देने वाले पांच-पांच बच्चों का चयन प्रत्येक स्कूल से किया गया, जिन्हें आज के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कृत किया गया है। इस अवसर जिला शिक्षा अधिकारी सहित रायपुर शिक्षा जिले के सभी विकासखण्डों के ब्लाक शिक्षा अधिकारी और संबंधित शालाओं के प्राचार्य तथा बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे उपस्थित थे।DPR 00399





भारत संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में



सुरक्षा परिषद में भारत
 
भारत ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में 19 साल बाद अस्थाई सदस्य के तौर पर अपनी जगह सुरक्षित कर ली है.सुरक्षा परिषद में ये स्थान भारत के लिए लगभग तय माना जा रहा था क्योंकि भारत के अलावा इस स्थान के लिए कोई दूसरा दावेदार बचा नहीं था.एशिया से इस स्थान के लिए रहा दूसरा दावेदार, कज़ाकस्तान ने अपनी दावेदारी समय रहते ही इस साल वापस ले ली थी.तब से माना जा रहा था कि भारत के लिए सुरक्षा परिषद की सदस्यता महज़ एक औपचारिकता भर है.00412

12 अक्टूबर, 2010

आखिर बज ही गया सचिन का डंका



आखिकार मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अपना दोहरा शतक पूरा कर लिया है.ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ बंगलौर में चल रहे दूसरे क्रिकेट टेस्ट के चौथे दिन सचिन २१४ रन बनाकर आउट हुए हैं.उन्हें पीटर जॉर्ज ने आउट किया. यह पीटर जॉर्ज का पहला टेस्ट विकेट है.इस  वर्ष यह उनका दूसरा दोहरा शतक है.इस वर्ष शुरुआत में श्रीलंका के ख़िलाफ़ उन्होंने दोहरा शतक लगाया था.बीस साल के टेस्ट करियर में सचिन ने छह दोहरे शतक लगाए हैं.सोमवार को ही उन्होंने अपने टेस्ट जीवन का 49 वाँ शतक लगाया था.इससे पहले उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपने 14 हज़ार रन पूरे किए थे. सचिन ने अब तक 56.11 के औसत से 14 हज़ार रन बनाए है.यह भी एक रिकॉर्ड है और वे टेस्ट मैचों में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं.उन्होंने सबसे ज़्यादा 171 टेस्ट मैच खेलने का भी रिकॉर्ड बनाया है. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ी स्वीव वॉ का रिकॉर्ड तोड़ा था जिनके नाम 168 मैच थे.
दोहरे शतक
•214 ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़   •217 न्यूज़ीलैंड   के ख़िलाफ़
•201 ज़िम्बाब्वे   के ख़िलाफ़    •241 ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़
•248 बांग्लादेश के ख़िलाफ़     •203 श्रीलंका   के ख़िलाफ

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ बंगलौर में बनाया गया दोहरा शतक सचिन तेंदुलकर का छठा दोहरा शतक है.यह ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उनका दूसरा दोहरा शतक है.इससे पहले दो जनवरी २००४ को उन्होंने सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध दोहरा शतक बनाया था और उस समय वह 241  रन बनाकर नॉट आउट रहे थे.अपना पाँचवाँ दोहरा शतक उन्होंने इसी साल यानी २०१० में जुलाई में श्रीलंका के ख़िलाफ़ दोहरा शतक लगाया था.उनका पाँचवा दोहरा शतक पाँच साल बाद आया था.इससे पहले उन्होंने 10  दिसंबर २००४ को ढाका में बांग्लादेश के विरुद्ध 248 रनों की नाबाद पारी खेली थी.तेंदुलकर के अन्य दो दोहरे शतक न्यूज़ीलैंड और ज़िम्बाब्वे के विरुद्ध हैं.तेंदुलकर टेस्ट में सर्वाधिक शतक मारने वाले बल्लेबाज़ हैं. अब तक उनके कुल 49 टेस्ट शतक हो चुके हैं. वनडे में उनके 46 शतक हैं.तेंदुलकर वनडे में दोहरा शतक मारने वाले एकमात्र बल्लेबाज़ हैं. भारत को  सचिन जैसे खिलाडियों पर गर्व है .क्रिकेट के बादशाह को बहुत बहुत बधाई . ००४२१

11 अक्टूबर, 2010

सचिन का डंका

छठी डबल सेंचुरी से केवल 9 रन दूर

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट में सचिन तेंदुलकर  का बल्ला खूब बरस रहा है। तीसरे दिन का खेल खत्म होने पर सचिन 191  रन और धोनी 11 रन बना कर डटे हुए हैं। तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने 5 विकेट पर 435 रन बनाए।
सचिन अपने छठी डबल सेंचुरी से केवल 9 रन दूर हैं। मास्टर ब्लास्टर सचिन  तेंदुलकर  ने अपनी 49वीं सेंचुरी बनाई। सचिन ने छक्के के साथ अपनी सेंचुरी पूरी की। मुरली विजय 139  रन बनाकर आउट हुए। उनके बाद बल्लेबाजी करने आए चेतेश्वर पुजारा भी 4  रन ही बना सके। पुजारा के बाद आए रैना भी 32  रन बना कर क्लार्क की गेंद पर हिलफेनहॉस द्वारा लपके गए।
इससे पहले दूसरे दिन के स्कोर दो विकेट पर 128  रन से आगे खेलते हुए सचिन और विजय ने तीसरे दिन पूरी सूझबूझ से पारी को आगे बढ़ाया। इस बीच सचिन ने अपने टेस्ट करियर की 58  वीं हाफ सेंचुरी लगाई। इसके बाद विजय ने अपने करियर की तीसरी हाफ सेंचुरी जड़ी ।
 वैसे दूसरे दिन भारतीय टीम ने वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड़ का विकेट जल्द ही खो दिया था। सहवाग 28 गेंदों पर 30  रन बनाकर आउट हुए जबकि द्रविड़ एक रन बनाकर जानसन का शिकार बन गए। इसके बाद सचिन ने विजय के साथ मिलकर पारी को संकट से उबारा। इस बीच मास्टर ब्लास्टर ने टेस्ट मैचों में अपने 14,000  रन भी पूरे किए। यह मुकाम हासिल करने वाले वह दुनिया इकलौते बल्लेबाज हैं। 00419