भाजपा के स्थापना दिवस (6 अप्रेल) पर विशेष आलेख
6 अप्रेल 1980 को जब भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ तब शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की थी यह पार्टी विश्व की राजनीतिक धरा पर विशाल वट-वृक्ष की तरह स्थापित हो जायेगी. गैर-कांगेसी दलों के गठबंधन के रूप में 1977 में उपजी जनता पार्टी के बिखरने से देश में राजनैतिक संकट की स्थिति निर्मित हो गई थी. राजनीति से जनता का विश्वास भंग हो चुका था ऐसे समय में जनसंघ घटक ने जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की. भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मुबई में आयोजित पार्टी के प्रथम अधिवेशन में 1980 में कहा था “भारत के पश्चिमी घाट को महिमा मंडित करने वाले महानगर के किनारे खड़े होकर मैं यहां भविष्यवाणी करने का साहस करता हूॅ कि अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा." श्री वाजपेयी द्वारा साहस और दृढ़ निश्चय के साथ कहे गये इन शब्दो में पार्टी और देश को नये उजाले की ओर ले जाने का संकल्प प्रतिध्वनित हो रहा था. देश की वर्तमान राजनैतिक स्थिति को देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि श्री वाजपेयी की 38 वर्ष पूर्व की गई भविष्यवाणी पूरी तरह खरी उतरी है. 1980 से 2018 के सफ़र में 11 करोड़ से अधिक सदस्य बनाकर भारतीय जनता पार्टी आज विश्व की सर्वाधिक सदस्य वाली पार्टी बन चुकी है. केंद्र सहित भारत के अधिकांश प्रान्तों में भाजपा की सरकारें है. भाजपा की स्थापना के समय देश में कांग्रेस वर्सेस ऑल का दौर था जो अब पलट कर भाजपा वर्सेस ऑल हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कुशल नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस का एक एक किला फतह कर समूचे भारत में विजय पताका फहराने की दिशा में अग्रसर है.
1980 से अब तक के सफर में भारतीय जनता पार्टी को अनेको बार धूप-छांव का सामना करना किया. इस अवधि में पार्टी ने अनेक झंझावातो का सामना किया तथा असंख्य समर्पित, निष्ठावान एवं जीवट कार्यकर्ताओ की बदौलत प्रतिकूलता को अनुकुलता में तब्दील किया. स्थापना के बाद हुए 1984 के आम चुनाव में भाजपा को मात्र 2 सीटे मिली थी. हालांकि यह तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानूभूति का नतीजा था. तब भाजपा के विरोधी भाजपा नेताओं पर फब्ती कसते हुए कहते थे “हम दो हमारे दो“ इन फब्तियो की परवाह न करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओ ने अटल-अडवाणी के नेेतृत्व में अपनी संघर्ष यात्रा को अनवरत् जारी रखा. फलस्वरूप 1989 के आम चुनाव में लोकसभा में भाजपा सांसदों की संख्या दो से बढ़कर 85 हो गई. इसके बाद रामजन्म भूमि आंदोलन के चलते कांग्रेस सिमटती गई तथा भाजपा की ताकत में इजाफा होता गया. नतीजन 1991 में 120, 1996 में 161, 1998 में 182, 1999 में भी 182, 2004 में 138, तथा 2009 में भाजपा को लोकसभा में 116 सीटे हासिल हुई. परन्तु 2014 के आमचुनाव में भाजपा एक शक्तिशाली राजनैतिक पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई. इस चुनाव में पार्टी ने 275 सीटो का लक्ष्य रखा था, लेकिन परिणाम आया तो पता चला कि कांग्रेस एवं अनेक क्षेत्रीय पार्टियाॅं चारो खाने चित्त हो गई. भाजपा ने अकेले 31 प्रतिशत वोट पाकर 282 सीटो पर जीत हासिल की तथा सहयोगी दलो को मिलाकर राजग के सांसदो की संख्या 300 पार कर गई. अगर राज्यों की बात करें तो वर्तमान में 15 राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश और त्रिपुरा में भाजपा के मुख्यमंत्री है जबकि जम्मू कश्मीर, नागालैंड, सिक्किम, बिहार एवं मेघालय में सहयोगी दलों के साथ सरकार में काबिज है. कांग्रेस तो केवल चार राज्यों मिजोरम, कर्नाटक, पंजाब एवं पांडिचेरी में ही सिमट कर रह गई है. कर्नाटक में अभी चुनाव चल रहें है जहां भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.
भारतीय जनता पार्टी ने यह मुकाम अपनी जन-कल्याणकारी नीतियों के बदौलत हासिल किया है. यह केवल एक राजनैतिक पार्टी नही बल्कि एक विचारधारा है जो भारतीय जनसंघ की नीतियों व सिद्धांतों पर बनी है तथा अंत्योदय के मार्ग पर चलकर देश की दशा व दिशा बदलने में लगी है. जिस पार्टी का ध्येय सबका साथ : सबका विकास हो उस पार्टी की विजय यात्रा को रोक पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकीन भी है. मोदी-शाह की जोड़ी ने जो राजनैतिक करतब दिखाया है उससे तो यही परिलक्षित होता है कि भारतीय जनता पार्टी 21 वी सदी की सर्वाधिक सशक्त पार्टी के रूप में उभरेगी तथा पूरे विश्व में भारत को सर्वोच्च स्थान पर स्थापित करेगी.
लेखक - अशोक बजाज