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14 जून 2010

नवां अंजोर


छत्तीसगढ़ी कविता



गोकुल जईसे ह़र गाँव, 
जिंहाँ ममता के छाँव । 
सुन्दर निर्मल तरिया नरूवा, 
सुग्घर राखबो गली खोर ।। 
तब्भे आही नवां अंजोर।




जब जम्मो खार मा पानी,
जिंहाँ मेहनत करे जवानी।
लहलहाए जब फसल धान के,
चले किसान तब सीना तान के
हर घर नाचे जब मनमोर,
तब्भे आही नवां अन्जोर।  

- अशोक बजाज रायपुर