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14 जून, 2010

===  नवां अंजोर ===

गोकुल जईसे ह़र गाँव,
जिंहाँ ममता के छाँव !
सुन्दर निर्मल तरिया नरूवा,
सुग्घर राखबो गली खोर ,
तब्भे आही नवां अंजोर !

हर खेत खार में पानी ,
जिंहाँ मेहनत करे जवानी !
लहलहाए जब फसल धान के,
चले किसान तब सीना तान के !
घर घर में नाचे चितचोर ,
तब्भे आही नवां अन्जोर !!

(छत्तीसगढ़ी कविता)

- अशोक बजाज रायपुर