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16 दिसंबर, 2015

किसानों को अकाल की पीड़ा से उबारने समन्वित प्रयास की जरुरत

धान का कटोरा छत्तीसगढ़ पूरी तरह अकाल की चपेट में है. प्राकृतिक आपदा
व कीट प्रकोप के कारण विगत 12 वर्षों में पहली बार धान के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है. निश्चित रूप से इसका असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. किसानों एवं खेतीहर मजदूरों के माथे पर चिंता की लकीरें स्पस्ट दिखाई दे रहीं हैं. कुछ लोग प्राकृतिक आपदा से उत्पन्न इस स्थिति के लिए शासन व उसकी नीतियों पर दोष मढ़ने में लगे है. जबकि मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने विगत 12 वर्षों में कृषि की दशा व दिशा बदलने के लिए अनुकरणीय प्रयास किये हैं. देश के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र को ज्यादा प्राथमिकता दी गई है. मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जहां किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है. डाॅ.रमन सरकार ने नदी-नालों में एनीकेट एवं नाला बंधान बना कर सिंचित रकबा बढ़ाया है. किसानों के खेतों तक बिजली पहुंचाई गई है फलस्वरूप भू-जल श्रोतो का उपयोग कृषि कार्य के लिए किया जा रहा है. किसान समृद्धि योजना व शाकम्भरी योजना के अन्तर्गत शासकीय अनुदान पर विद्धुत व डीजल पंप किसानों को उपलब्ध कराये जा रहें है. शासन ने कृषि व किसानों की बेहतरी के लिए ऐसे अनेक ठोस कदम उठाये है जो अनावृष्टि या अतिवृष्टि की स्थिति से  किसानों को उबार सकते है.

आजादी के बाद यदि ऐसा प्रयास किया जाता तो शायद यह भयावह स्थिति नहीं आती. दुर्भाग्य की बात है कि जिन लोगों ने किसानों को ना कभी एक अधेला बोनस दिया और ना ही कभी कृषि ऋण माफ किया वो लोग प्राकृतिक आपदा से उत्पन्न स्थिति के लिए शासन को दोषी ठहरा कर राजनैतिक लाभ लेने का प्रयास कर रहें है जो कि निंदनीय है. अकाल को राजनैतिक बदला भुनाने का मुद्दा बनाने से किसानों की पीड़ा कम होने वाली नही है. आवश्यकता इस बात की है कि किसानों एवं खेतिहार मजदूरों को अकाल की पीड़ा से उबारने तथा उनका मनोबल बढ़ाने के लिए राजनैतिक व समाजिक स्तर पर समन्वित प्रयास की आवश्यकता है.

12 दिसंबर, 2015

पलायन मुक्त हुआ छत्तीसगढ़ - अशोक बजाज


डाॅ. रमन सरकार के 12 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष लेख 

त्तीसगढ़ की प्रथम निर्वाचित सरकार ने डाॅ. रमन सिंह के नेतृत्व में 12 वर्ष पूर्ण कर लिये हैं। किसी भी सरकार के कामकाज के मूल्यांकन के लिए 12 वर्ष पर्याप्त है लेकिन जिस सरकार को बेकारी, भूखमरी, पलायन एवं पिछड़ापन विरासत में मिला हो उस सरकार के कामकाज के मूल्यांकन के लिए 12 वर्ष का समय पर्याप्त नहीं है। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। यहां के खेतिहर मजदूर लाखों की संख्या में प्रतिवर्ष अन्य राज्यों में पलायन करते थे। पदभार ग्रहण के समय छत्तीसगढ़ से पलायन को रोकना डाॅ. रमन सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती थी। इन बारह वर्षों में सरकार ने कृषि व ग्रामीण विकास की नीतियां बनाकर छत्तीसगढ़ को पलायनमुक्त राज्य बनाया। किसानों को उन्नत बीज प्रदान किया गया ताकि वे विपुल उत्पादन कर सके। इससे छत्तीसगढ़ अन्न के मामले में आत्मनिर्भर बना। 

कृषि के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या रहती है कि खेती पूरी तरह मानसून के भरोसे रहती है लेकिन रमन सरकार की नीति के चलते सिंचाई रकबा बढ़ गया। किसानों को ना केवल बोर खनन के लिए बल्कि विद्युत व डीजल पंप खरीदने के लिए शासन ने अनुदान देना प्रारंभ किया। शाकम्भरी योजना के अंतर्गत लघु व सीमांत किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान होने से विद्युत व डीजल पंपों की बाढ़ आ गई। किसान समृध्दि योजना के अंतर्गत किसानों को नलकूप खनन एवं पंप प्रतिस्थापित करने हेतु 25000 रू. से 43000 रू. तक के अनुदान का प्रावधान रखने से भूजल श्रोतों का उपयोग कृषि उत्पादन के लिए होने लगा। ये ही नहीं बल्कि वर्षा जल को रोकने के लिए नदी - नालों में एनीकट, नालाबंधान एवं स्टाॅप डेम बनाये गये। इसी का परिणाम है कि कृषि के क्षेत्र में मानसून की निर्भरता कम हुई और किसान अच्छी पैदावार लेने में सफल हुए।

 त्तीसगढ़ के किसानों को खेती के लिए समुचित संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। इन बारह वर्षाें में किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से मिलने वाले फसल ऋण पर ब्याज दर 13 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत, बाद में 6 प्रतिशत फिर बाद में 3 प्रतिशत किया गया। पिछले 2 वर्षों से तो किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 925504 किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर 2400 करोड़ रूपये का ऋण वितरित किया गया है। कृषि व किसानों के प्रति सरकार की उदार व प्रगतिशील नीतियों के चलते अन्न का भरपूर उत्पादन होने लगा। कृषि के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े फलस्वरूप छत्तीसगढ़ पूर्णतः पलायनमुक्त राज्य के रूप में स्थापित हुआ। 

सी प्रकार ग्रामीण विकास की दिशा में शासन ने ठोस कदम उठाकर गांवों में बुनियादी सुविधाओं शिक्षा, स्वास्थ्य एवं संचार के साधन विकसित किये। शिक्षा को प्राथमिकता देने का ही यह परिणाम है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रवेशी एवं शाला त्यागी बच्चों की संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है। न बारह वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों व उपस्वास्थ्य केन्द्रों के अलावा आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना की गई तथा कुपोषण को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाया गया।

डाॅ. रमन सरकार ने गरीबों को चिंतामुक्त करते हुए सस्ते चांवल की योजना बनाई जो गरीबी व पलायन को रोकने में काफी कारगर सिध्द हुई है। इस योजना से राज्य की आधी से अधिक आबादी लाभान्वित हो रही है। यही कारण है कि आज छत्तीसगढ़ की जनता के दिल में प्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅं रमन सिंह चाउर वाले बाबा के रूप में स्थापित हो गए हैं। 

तः हम कह सकते हैं कि डाॅ. रमन सिंह के कुशल नेतृत्व व प्रगतिशील नीतियों के चलते नवोदित छत्तीसगढ़ बीमारू राज्य से विकसित राज्य की श्रेणी में आ गया है। आज समूचे देश में छत्तीसगढ़ की नीतियों, कार्यक्रमों एवं योजनाओं का ना केवल जिक्र हो रहा है बल्कि उनका अनुसरण भी हो रहा है। जो अपने आप में सफलता का परिचायक है। हमें यह कहने में भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि छत्तीसगढ़ की राजनीतिक क्षितीज में डाॅ. रमन सिंह अंगद के पांव की तरह स्थापित हो चुके हैं।