जापान के इतिहास में सबसे भयंकर भूकंप और इसके बाद आए सूनामी ने देश के एक बड़े हिस्सा का नक्शा बदल कर रख दिया. 10 मीटर विशाल लहरों ने सैकड़ों लोगों का जीवन लील लिया और रास्ते में जो कुछ भी आया, उसे नष्ट कर दिया .
हजारों कारें, जहाजें, ट्रेनें, बसें और इमारतें पानी के आगे रेत साबित हुईं और सूनामी की लहरों में बह गईं. स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित रेड क्रॉस का कहना है कि सूनामी की लहरें इतनी ऊंची थीं, जितनी पहले कभी नहीं दिखीं. इसके बाद पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में सूनामी की चेतावनी जारी कर दी गई.
हजारों कारें, जहाजें, ट्रेनें, बसें और इमारतें पानी के आगे रेत साबित हुईं और सूनामी की लहरों में बह गईं. स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित रेड क्रॉस का कहना है कि सूनामी की लहरें इतनी ऊंची थीं, जितनी पहले कभी नहीं दिखीं. इसके बाद पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में सूनामी की चेतावनी जारी कर दी गई.
वेबसाइटों पर मदद की गुहार ....
जापान में आए भूकंप और सुनामी में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट काफ़ी कारगर साबित हो रहे हैं.
शुक्रवार को गूगल वेबसाइट ने दिनभर एक चेतावनी संदेश अपने मुखपृष्ठ पर रखा और अब राहत और बचाव में भी इन वेबसाइटों से मदद मिल रही है.बीबीसी के मार्क लोबेल ने इस संकट की घड़ी में एक ऐसी ही वेबसाइट पर नज़र डाली तो पाया कि लोग इन पर मदद की गुहार लगा रहे हैं क्योंकि आमतौर पर चुस्त टेलीफ़ोन सेवाएं ठप्प पड़ गई हैं.जापान के मुख्य व्यावसायिक टीवी चैनलों में से एक की लाइव स्ट्रीमिंग वेबसाइट पर एक चैटबोर्ड खुला हुआ है जिसपर हर दूसरे सेकंड में कोई न कोई संदेश आ रहा है.जापान में शनिवार की सुबह के तीन बजे हैं जब एक संदेश आता है: “कृपया मेरी मदद करो. कृपया आपात सेवाओं को ख़बर करो. मेरा भाई फंसा हुआ है. 421-2 कोयोबाई इज़ूमिकू, सेनदाइशा.”
मदद की ये करूण गुहार स्क्रीन पर लगभग एक मिनट तक रहती है. नए संदेश जल्द ही उसे पीछे ढकेल देते हैं.लेकिन ठीक सात मिनट बात एक और संदेश आता है: “421-2 में रहने वाले व्यक्ति को सुरक्षित निकाल लिया गया है.”तभी एक और संदेश आता है जिसमें कोई लोगों से बिजली की तारों को नहीं छूने की सलाह देता है और फिर कोई दूसरा सुनामी से प्रभावित लोगों के लिए दुआ करता है.
और फिर एक और संदेश: “मेरे दोस्त की पत्नी और बच्चा वाकाबायाशिकू में हैं और हम उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे. कृपया मुझे उस इलाके के बारे में कोई ख़बर दें.”
और पांच मिनट बाद एक और संदेश आता है: “मेरी मां और मेरा कुत्ता चार बजे तक घर में थे. पता है नंबर 2 मिनातोमाची, इशीमाकिशी, किबा. तब ग्राउंड फ़्लोर में पानी भर चुका था और अब मैं उनसे बिल्कुल ही संपर्क नहीं कर पा रहा हूं. कृप्या उन्हें बचाओ.”
इसके पहले जब पानी का स्तर बढ़ रहा था तब आ रहे संदेशों में भी लोगों की आशंकाएं थीं, डर था और सोशल मीडिया एकमात्र साधन था अपना संदेश बाहर पहुंचाने का.
लेकिन इस संकट के विकराल होते रूप के साथ अब संदेश बाहर पहुंचाना जितनी बड़ी चुनौती है उतनी बड़ी ही चुनौती इस बात की है कि कोई उसे पढ़ सके क्योंकि हर पल संदेश बढ़ते जा रहे हैं. हर दूसरे सेकंड कोई न कोई संदेश आ ही रहा है.
गूगल से प्राप्त तस्वीरें .....