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30 जुलाई, 2015

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम कलाम की पाती

विकसित भारत का सपना साकार करेगा छत्तीसगढ़ का आर्थिक विकास : डॉ. कलाम 

पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का कहना था कि आर्थिक रूप से विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए आर्थिक रूप से विकसित छत्तीसगढ़ बनाना बहुत जरूरी है। उनका यह भी कहना था कि आर्थिक रूप से विकसित छत्तीसगढ़ देश को शांति और समृद्धि की तरफ ले जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को अपने निधन के लगभग दो महीने पहले भेजी गई एक चिट्ठी में इस आशय के विचार व्यक्त किए थे। डॉ. कलाम ने मुख्यमंत्री को लिखा था - इस राज्य (छत्तीसगढ़) की संभावनाओं को देखकर मुझे इस बात का अहसास हुआ है कि विकसित भारत के लिए विकसित छत्तीसगढ़ का होना जरूरी है।
  
मुख्यमंत्री को सम्बोधित करते हुए डॉ. कलाम ने लिखा था - मैं 7 नवंबर 2006 को आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना दिवस समारोह पर दिए गए अपने उद्बोधन की याद दिलाना चाहता हूं। मैंने अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ राज्य के संपूर्ण विकास के लिए दिए गए अपने सुझावों में सात मिशनों का उल्लेख किया था। तब से लेकर आज तक इस राज्य ने कई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना किया है। मेरे पूरे व्यावसायिक जीवन के दौरान, मेरा छत्तीसगढ़ के साथ गहरा जुड़ा रहा है- राज्य बनने के पहले भी और राज्य बनने के बाद भी। मैंने इस राज्य के कई हिस्सों का दौरा किया है और हजारों नागरिको से बातचीत की है। मैंने उनकी काबिलियत, उनके साहस, उनके विचार, उनकी उद्यमशीलता को देखा और जाना है। इस राज्य के लोगो से मिलकर मैंने यह पाया कि चाहे युवा हों या अनुभवी, यहाँ का हर व्यक्ति बहुत मेहनती, बुद्धिमान और राज्य के विकास में योगदान लेने के लिए तत्पर है।

डॉ. कलाम अपने पत्र में आगे लिखते हैं - इन अनुभवों से प्रेरित होकर, मैं इस पत्र में अपने कुछ विचार आपसे साझा करना चाहता हूँ. भारत के आर्थिक और सामाजिक मानचित्र पर छत्तीसगढ़ राज्य का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है. ढाई करोड़ की आबादी के साथ, जिनमे अधिकतर युवा है, यह राज्य राष्ट्र की मानव संसाधन क्षमता की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है.  देश के 21 प्रतिशत कोयले, 16 प्रतिशत लौह अयस्क और 11 प्रतिशत डोलोमाइट का उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है। साथ ही, छत्तीसगढ़ भारत में चावल सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। यहाँ की संस्कृति, कला और संगीत समृद्ध है, खास तौर पर आदिवासी धरोहर की दृष्टि से. लेकिन वर्तमान में मानव विकास सूचकांक को अगले चार-पांच वर्षों में 0.358 से 0.750 तक पहुँचाने की एक अहम चुनौती राज्य के सामने है। इसके अलावा, युवाओं के लिए ग्रामीण स्तर पर गुणवत्तायुक्त ज्ञान आधारित रोजगार के अवसर पैदा करने, और राज्य के कुछ अशांत क्षेत्रों से जुड़े कुछ मुद्दे भी सामने हैं।

इस राज्य की संभावनाओं को देखकर मुझे एहसास हुआ की आर्थिक रूप से विकसित भारत का सपना साकार करने के लिए आर्थिक रूप से विकसित छत्तीसगढ़ बने, यह अत्यंत आवश्यक है। मैंने इस राज्य के बारे में बारीकी से अध्ययन किया है और कई विशेषज्ञों से भी राय ली हैं, जिसके आधार पर मैं अपनी ओर से कुछ सुझाव और विचार साझा करना चाहता हु जो मेरी दृष्टि में राज्य के लिए उपयुक्त हैं --

1. छत्तीसगढ़ वृहद पेयजल मिशन की ओर अग्रसर हो सकता है ताकि अपने नागरिकों को कम दरों पर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करा सके, जिससे उनके (विशेष रूप से बच्चो के) स्वास्थ्य में सुधर हो सके।

2. हस्तशिल्प तथा कला और संस्कृति में समृद्ध होने के कारण, छत्तीसगढ़ इनकी वैश्विक रूप से ब्रांडिंग कर सकता है और ऐसे उत्पादों के लिए ई-मार्केट भी विकसित कर सकता है, ताकि राज्य के युवाओं को रोजगार उपलबध हो और राज्य को भी अतिरिक्त राजस्व मिल सके.

3. छत्तीसगढ़ के किसान सिंचाई के लिए मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर है। इस वजह से उन पर फसल की विफलता का जोखिम हमेशा मंडराता रहता है.  नयी तकनीकों, प्रौद्योगिकी और सहकारी आधारित मॉडल को अपनाकर, राज्य सरकार सिंचाई व्यवस्था का  आपूर्ति और मांग की दृष्टि से आधुनिकीकरण कर सकती है।

4. छत्तीसगढ़ में कई फसलें पायी जाती है, जिनका मूल्य संवर्धन किया जाना आवश्यक हैं। इसके अनुरूप, छत्तीसगढ़ खाद्य उत्पादन, प्रसंस्करण, भण्डारण और विपणन के लिए मिशन स्थापित कर सकता है।

5. कुछ क्षेत्रों में, विशेष रूप से आदिवासी इलाकों में सिकल सेल जैसी बीमारी के इलाज के लिए अनुसंधान और विकास के कार्यों में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य बन सकता है।

6. छत्तीसगढ़ मुख्य रूप से ग्रामीण आबादी वाला राज्य है। यहां की 76 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। हम यहां के 20,000 गांवों को शहरी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ‘पुरा‘ (प्रोवाइडिंग अर्बन एमिनिटिज इन रूरल एरियाज) जैसे मिशन की परिकल्पना कर सकते हैं। इसे विशेष रूप से सेवा क्षेत्र के विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, स्थानीय फसलों के कृषि प्रसंस्करण, संस्कृति और पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित अनुसंधान पर केंद्रित कर सकते हैं। 

7. अशांत क्षेत्रों में सुरक्षा सेवाओं से जुड़े अपने अभियान के लिए छत्तीसगढ़ समन्वित आधुनिक तकनीकों  का इस्तेमाल कर सकता है। 

8. छत्तीसगढ़ में सूरज की पर्याप्त रोशनी होती है। इसका उपयोग किया जाए तो राज्य के 40 लाख घरों, विशेष रूप से ग्रिड कनेक्टिविटी के बाहर के क्षेत्रो, के लिए यहाँ रूफ-टॉप सोलर पावर (छत पर सौर ऊर्जा) का एक मिशन शुरू किया जा सकता हैं।

9. जब कभी भी मैने छत्तीसगढ़ के लोगों और प्रोफेशनल्स से मुलाकात की, उन्होंने राज्य के विकास में अपनी भागीदारी निभाने की इच्छा प्रकट की। क्या छत्तीसगढ़ शासन इन विशेषज्ञों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक-दो वर्षों की फेलोशिप नीति लागू कर सकती है, जिसके तहत उन्हें स्थानीय प्रशासन विशेष रूप से जिला कलेक्टरों और स्थानीय विधायकों के साथ काम करने का मौका मिले और वे स्थानीय समस्याओं के निराकरण के लिए नये प्रकार के समाधान चिन्हांकित कर सकें ? मुझे विश्वास है कि इस प्रकार का मॉडल यहां की जनता को काफी प्रोत्साहित कर सकता है, जिनमें से कई लोग काफी सफल भी हो चुके हैं। 

मैने और मेरी टीम ने छत्तीसगढ़ की वास्तविक क्षमताओं को ध्यान में रखकर अपने इन विचारों पर आधारित एक विकासमूलक योजना तैयार की है, जिसमें इन्हें क्रियान्वित करने के लिए कुछ तरीके भी सुझाये गए हैं। अपनी चिट्ठी के अंत में डॉ. कलाम ने मुख्यमंत्री को लिखा है- मुझे यकीन है आप इस बात से सहमत होंगे कि आर्थिक रूप से विकसित छत्तीसगढ़ देश को शांति और समृद्धि की तरफ ले जा सकता है। राज्य की दो करोड़ 60 लाख जनता के विकास के लिए प्रकार का मॉडल राज्य और इसके ढाई करोड़ लोगों के विकास लिए इन मिशनों को लागू करने के लिए किसी भी प्रकार का सहयोग करने में मुझे खुशी होगी। DPR

कलाम के अंतिम वाक्य "धरती को जीने लायक कैसे बनाया जाए"


 पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम
देश के पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का 27 जुलाई 2015 को शिलांग में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 83 वर्षीय डॉ. कलाम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट शिलांग में लेक्चर दे रहे थे, उसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश हो गए. उन्हें शिलांग के बेथनी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ शाम 7.45 बजे उनका निधन हो गया. श्री कलाम एक वैज्ञानिक, शिक्षक, विचारक, लेखक, राजनेता, सच्चे राष्ट्रभक्त और ना जाने क्या क्या थे पर हमेशा एक अभिभावक की भूमिका में रहते थे. उनकी सादगी और सरलता के सभी कायल थे. उनके व्यवहार में हमेशा बालपन झलकता था. शिलांग में मृत्यु के पूर्व उन्होंने अंतिम वाक्य कहे - "धरती को जीने लायक कैसे बनाया जाए ?" यह कहते कहते वे गिर पड़े और सदा सदा के लिए इस धरती को अलविदा कर दिया.

बतौर राष्ट्रपति वे 7 नवंबर 2006 को रायपुर आये थे , संयोग से मैं उस समय जिला पंचायत रायपुर का अध्यक्ष था. उनकी अगवानी के लिए एयरपोर्ट पर राज्यपाल श्री के.एम.सेठ, मुख्यमंत्री श्री डा.रमन सिंह, तत्कालीन वन मंत्री तथा वर्तमान में कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल एवं अन्य विभूतियों के साथ मैं भी मौजूद था. जैसे ही वे प्लेन से उतरे बड़ी सहजता से उन्होंने अभिवादन स्वीकार किया. अभिवादन से बिदाई तक लगभग सभी कार्यक्रमों में मैं उनके साथ रहा लेकिन उनके व्यवहार से कहीं नहीं लगा कि ये देश के प्रथम नागरिक है. मेरे लिए यह अदभूत अनुभव था. 

वे आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी यादें सदा ह्रदय पटल पर रहेगी, निःसंदेह उनके निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है. भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे. 

7 नवंबर 2006 के कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें . . . . 
माना विमान तल पर 7.11.2006 को उनकी अगवानी कर करते हुए
                                                                                 
देश के पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने 7 नवंबर 2006 को पुरखौती मुक्तांगन का लोकार्पण किया तथा ऊँचें मंच से काफी देर तक निहारते रहे. छत्तीसगढ़ की लोककला एवं संस्कृति को जानने की उनकी जिज्ञासा इस तस्वीर में स्पस्ट झलक रही है.

                                                                               
पुरखौती मुक्तांगन में बड़ी सहजता से छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों से बात करते हुए डा. कलाम 
                                                                               
ग्राम सुदरकेरा विकासखंड अभनपुर के कार्यक्रम में  
                                                                                       
ग्राम सुदरकेरा विकासखंड अभनपुर में जेट्रोफा (रतनजोत) के प्लान्टेशन का अवलोकन करते हुए 
                                                                                   
ग्राम सुदरकेरा विकासखंड अभनपुर में जेट्रोफा (रतनजोत) के पौधे का रोपण करते हुए