अमरीका की बौद्धिक ताक़त का प्रतीक माना जाने वाला " इंटरनेट " अब अमरीका के गले की हड्डी बन गया है ? इन दिनों विकीलीक्स ने इंटरनेट पर लाखों गुप्त दस्तावेज़ प्रकाशित करके अमरीका को हिला कर रख दिया है. इंटरनेट पर लिखने के लिए अख़बार और टेलीविज़न जैसे संसाधन की जरुरत नहीं होती . इसी वजह से विकीलीक्स ने ढाई लाख से ज़्यादा ऐसे गुप्त दस्तावेज़ जारी किए हैं जिन्हें दुनिया भर में फैले अमरीकी दूतावासों से भेजा गया था. ' जनतंत्र ', ' बोलने की आज़ादी ' और ' मीडिया की आज़ादी ' को अपना मूल सिद्धांत मानने वाली अमरीका और पश्चिमी देशों की सरकारें विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज से काफी खफा है . जूलियन असांज ने अमरीका की कथनी और करनी के अंतर को सार्वजनिक करके बलां मोल ले ली है . विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज आज लंदन की एक अदालत मे पेश हुए , जहां उन्हें को जमानत नहीं मिली. उन पर अमेरिका में जासूसी का मुकदमा चलने की बात चल रही है और उन्हें प्रत्यर्पित भी किया जा सकता है.
फोटो-साभार गूगल 08 दिसंबर, 2010
कश्मीर की आज़ादी यानी भारत का एक और विभाजन
जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला सरकार के स्वास्थ्य और बागवानी मंत्री शाम लाल शर्मा ने बानी (कठुआ) में हुई रैली में कश्मीर को भारत से आजाद करने की बात करके अपने आप को पाकिस्तान समर्थक होने का प्रमाण दिया है . शर्मा ने इस रैली में कहा कि जम्मू को अलग राज्य बना दिया जाए और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना कर कश्मीर को आजाद कर दिया जाना चाहिए . उनके इस बयान से सदैव देश की एकता और अखंडता की बात करने वाले नेताओं की कलई खुल गई है . देश के एक राज्य के एक मंत्री के इस राष्ट्र-विरोधी बयान को हल्के में नहीं लेना चाहिए . पहली बात तो यह है कि यह बयान ऐसे समय में आया है जब कश्मीर में उग्रवादी गतिविधियाँ चरम पर है . दूसरी बात जो समझ में आ रही है वह यह है कि भारत की आज़ादी के ६३ साल बाद भी यदि कश्मीर समस्या का हल निकल नहीं पाया है तो उसके लिए शमा जैसे पाक-प्रेमी लोग जिम्मेदार है जो स्वयं अपने मन-वचन और कर्म से अपने आप को पाक-प्रेमी होने का प्रमाण देंते रहते है .
केंद्र और जम्मू-कश्मीर दोनों जगह यू.पी.ए. की सरकार है ऐसी स्थिति यदि शर्मा पर तत्काल कोई बड़ी कार्यवाही नहीं होती तो यह माना जाना चाहिए कि केंद्र सरकार भी कश्मीर की आज़ादी की पक्षधर है .
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