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30 दिसंबर, 2010

गुर्दे के बदले जेल से रिहाई



अमरीका में दो बहनें ग्लेडिस और जेमी उम्र क़ैद की सज़ा काट रही हैं. उन्हें अनिश्चितकाल के लिए रिहाई मिल सकती है लेकिन इसके लिए प्रशासन की एक अजीबो-ग़रीब शर्त है. शर्त ये है कि अगर ग्लेडिस स्कॉट बड़ी बहन जेमी को अपना गुर्दा दान में देती है तो रिहाई हो सकती है.

दरअसल जेमी बीमार हैं और उनका गुर्दा जल्द ही प्रतिरोपित किया जाना है.मिसीसिपी के गर्वनर ने कहा है कि अगर ग्लेडिस अपना एक गुर्दा जेमी को देने के लिए तैयार होती हैं तो उनकी जेल की सज़ा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जाएगी. दोनों बहनों को 1994 में 16 साल पहले एक चोरी में शामिल होने के सिलसिले में जेल हुई थी और आरोप था कि दो व्यक्तियों से 11 डॉलर छीने गए थे. उस समय बहनों की 19 और 22 साल की थीं और दोषी पाए जाने पर उन्हें उम्र क़ैद की सज़ा हुई. अब बड़ी बहन जेमी स्कॉट का गुर्दा काम करना बंद कर चुका है और उसे नियमित रूप से डायलसिस की ज़रूरत है और साथ ही प्रतिरोपण की भी.

ज़्यादा कड़ी सज़ा : ---
 
इनदिनों स्कॉट बहनों का मामला सुर्ख़ियों में है. इसकी एक वजह जेमी की ख़राब सेहत और जेल में उचित इलाज न हो पाना है. लेकिन इससे भी ज़्यादा बहस इस बात को लेकर है कि क्या दोनों को अपने जुर्म के लिए कुछ ज़्यादा ही कड़ी सज़ा नहीं दी गई. कई संस्थानों ने इस सज़ा की आलोचना की थी. अब मिसीसिपी के गवर्नर हेली बारबर ने नई पेशकश कर मामले को नया मोड़ दे दिया है. हालांकि उन्होंने अपने शब्दों का चयन काफ़ी सावधानीपूर्वक किया है. गर्वनर ने ये नहीं कहा है कि वे दोनों बहनों को माफ़ी दे रहे हैं या सज़ा ख़त्म कर रहे हैं.बल्कि उन्होंने ये कहा है कि वे दोनों की सज़ा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर रहे हैं क्योंकि अब ये बहनें समाज के लिए ख़तरा नहीं है.लेकिन अगर ग्लेडिस अपनी बड़ी बहन को गुर्दा नहीं देती हैं तो उन्हें जेल में वापस आने के लिए कहा जा सकता है.

हालांकि वकीलों का कहना है कि ऐसी नौबत ही नहीं आएगी क्योंकि ग्लेडिस ने ख़ुद इस बात की पहल की है कि वे अपनी बहन को गुर्दा देना चाहती हैं. एजेंसी

28 दिसंबर, 2010

प्रख्यात सिने-निर्देशक स्व. श्री सुब्रत बोस की सगी बहन वृद्धाश्रम में ?

 रायपुर से 15 कि.मी. दूर माना कैम्प स्थित वृद्धाश्रम में रह रहे वृद्धों से आज मुलाकात हुई . मै पहली बार इस आश्रम में पहुंचा था . मुझें यह कहने में कतई संकोंच नहीं कि  यह प्रेरणा मुझे छत्तीसगढ़ भवन दिल्ली में 19/12/2010  को दिल्ली के ब्लोगरों की बैठक में मिली . भाई खुशदीप सहगल ने सुझाव दिया कि ब्लोगरों को सामाजिक सरोकार के विषय पर ध्यान देना चाहिए .उन्होंने यह भी जानकारी दी कि वे सप्ताह में एक बार वृद्धों के बीच जाते है . उनका हालचाल पूछते है  उन्हें काफी सुकून मिलाता है .वृद्धों को भी  बड़ा अच्छा लगता है . सभी ब्लोगरों को में यह सहमति बनी कि ब्लोगिंग के साथ सामाजिक सरोकार पर भी ध्यान दिया जाय . सो आज हमने शहर के पास माना कैम्प में वृद्ध-जनों से मिलने का प्रोग्राम तय किया . मेरे साथ पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक श्री एन0एस0 ठाकुर, भाजपा कार्यकर्ता- श्री नारायण यादव, श्री भगवती धनगर एवं  श्री टी0टी0 बेहरा भी थे .वरिष्ठ ब्लोगर  श्री ललित शर्मा को भी मैंने फोन कर दिया था बात होते ही वे ऐसे  आ धमके जैसे उन्हें कोई पूर्व सूचना हो .हमने माना कैम्प  स्थित स्व0 कुलदीप निगम स्मारक वृद्ध आश्रम पहुंचकर वहॉं निवासरत् सभी वृद्धजनों से एक-एक कर भेंट की तथा उनका कुशलक्षेम पूछा. वृद्धाश्रम में लगभग तीन घंटे रहे. हमने  वृद्धजनों से भेंट के दौरान  उनके वृद्धाश्रम आने का कारण एवं उनके परिजनों के संबंध में भी जानकारी प्राप्त की. कुछ वृद्धजनों ने बताया कि वे स्वेच्छा से वृद्धाश्रम में दाखिल हुए हैं वहीं कुछ वृद्धजनों द्वारा पारिवारिक परिस्थिति वश वृद्धाश्रम आने की जानकारी दी  . हमने वहॉं निवासरत् सभी वृद्धजनों को शाल एवं अल्पाहर वितरित किया । वृद्धजनों ने प्रसन्नतापूर्वक  आशीर्वाद दिया. वृद्धाश्रम में सबसे चौकाने वाली बात यह थी कि एक वृद्धा   श्रीमती अपर्णा ने अपने आप को  प्रख्यात सिने-निर्देशक  स्व . श्री सुब्रत बोस की सगी बहन होने का दावा किया . ललित को तो सहसा विश्वास नहीं हुआ सो उसने कन्फर्म करने के  कुछ परिजनों के नाम पूछ लिए . वृद्धा के जवाब के बाद ललित को महिला का दावा सही लगा .

   
वृद्धाश्रम में निवासरत् जिन  वृद्धजनों से आज हम मिलें उनके नाम है : --
  01.    श्री रामसेवक दुबे                02.    श्री गणेश भट्टाचार्य              03.    श्री विप्रो मुखर्जी
    04.   श्री सुकेश सरकार               05.    श्री आर0 के0 सिंह               06.    श्रीमती रजिया
    07.   श्रीमती पुष्पा                      08.    श्रीमती सुलोचनी                09.    श्रीमती आरती
    10.  श्रीमती फुलमाला              11.    श्रीमती लक्ष्मी                     12.    श्रीमती मलिना

    13.    श्रीमती मयना                    14.    श्रीमती सुनिती                   15.    श्रीमती आकाश
    16.    श्रीमती रमा                        17.    श्रीमती अपर्णा
    18.    श्रमती सारोती                     19.    श्रीमती रामकली

25 दिसंबर, 2010

देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सर्वमान्य नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी ( 87 वे जन्म दिन पर विशेष )

  
देश  और दुनिया की राजनीतिक क्षितिज पर ध्रुव तारे की तरह अटल एक सितारा कोई है तो वह है हमारे अपने तथा देश के लाडले नेता माननीय अटलबिहारी वाजपेयी . वे देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सर्वमान्य नेता है . एक ऐसे उदार नेता जिनकी कथनी और करनी  में कभी  अंतर नहीं रहा . वे देश के एक मात्र नेता है जो भाषण के जरिये लाखों लोंगों को घंटो तक बाँधें रखने की क्षमता रखते है . ह्रदय से अत्यंत ही भावुक लेकिन तेजस्वी  नेता माननीय अटलबिहारी वाजपेयी का आज 87 वां जन्म दिन है  . श्री वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर, 1924 को ग्वालियर (मध्यप्रदेश) में हुआ था. इनके पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम श्रीमती कृष्णा देवी है.श्री वाजपेयी के पास 40 वर्षों से अधिक का एक लम्बा संसदीय अनुभव है. वे 1957 से सांसद रहे हैं. वे पांचवी, छठी और सातवीं लोकसभा तथा फिर दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं , तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा के लिए चुने गए और सन् 1962 तथा 1986 में राज्यसभा के सदस्य रहे.वे लखनऊ (उत्तरप्रदेश) से लगातार पांच बार लोकसभा सांसद चुने गए. वे ऐसे अकेले सांसद हैं जो अलग-अलग समय पर चार विभिन्न राज्यों-उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा दिल्ली से निर्वाचित हुए हैं.
 
श्री अटल बिहारी वाजपेयी 16 से 31 मई, 1996 और दूसरी बार 19 मार्च, 1998 से 13 मई, 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद वे ऐसे अकेले प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने लगातार तीन जनादेशों के जरिए भारत के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया.  श्री वाजपेयी, श्रीमती इन्दिरा गांधी के बाद ऐसे  पहले प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने निरन्तर चुनावों में विजय दिलाने के लिए अपनी पार्टी का नेतृत्व किया.

वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन जो देश के विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न पार्टियों का एक चुनाव-पूर्व गठबन्धन है और जिसे तेरहवीं लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों का पूर्ण समर्थन और सहयोग हासिल है, के नेता चुने गए. श्री वाजपेयी भाजपा संसदीय पार्टी जो बारहवीं लोकसभा की तरह तेरहवीं लोकसभा में भी अकेली सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, के निर्वाचित नेता रहे हैं.

उन्होंने विक्टोरिया (अब लक्ष्मीबाई) कॉलेज, ग्वालियर और डी.ए.वी. कॉलेज, कानपुर (उत्तरप्रदेश) से शिक्षा प्राप्त की. श्री वाजपेयी ने एम.ए. (राजनीति विज्ञान) की डिग्री हासिल की है तथा उन्होंने अनेक साहित्यिक, कलात्मक और वैज्ञानिक उपलब्धियां अर्जित की हैं. उन्होंने राष्ट्रधर्म (हिन्दी मासिक), पांचजन्य (हिन्दी साप्ताहिक) और स्वदेश तथा वीर अर्जुन दैनिक समाचार-पत्रों का संपादन किया. उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं--''मेरी संसदीय यात्रा''(चार भागों में); ''मेरी इक्यावन कविताएं''; ''संकल्प काल''; ''शक्ति से शांति'' और ''संसद में चार दशक'' (तीन भागों में भाषण), 1957-95; ''लोकसभा में अटलजी'' (भाषणों का एक संग्रह); ''मृत्यु या हत्या''; ''अमर बलिदान''; ''कैदी कविराज की कुंडलियां''(आपातकाल के दौरान जेल में लिखीं कविताओं का एक संग्रह); ''भारत की विदेश नीति के नये आयाम''(वर्ष 1977 से 1979 के दौरान विदेश मंत्री के रूप में दिए गए भाषणों का एक संग्रह); ''जनसंघ और मुसलमान''; ''संसद में तीन दशक''(हिन्दी) (संसद में दिए गए भाषण 1957-1992-तीन भाग); और ''अमर आग है'' (कविताओं का संग्रह),1994.

श्री वाजपेयी ने विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लिया है. वे सन् 1961 से राष्ट्रीय एकता परिषद् के सदस्य रहे हैं. वे कुछ अन्य संगठनों से भी सम्बध्द रहे हैं जैसे-(1) अध्यक्ष, ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एंड असिस्टेंट मास्टर्स एसोसिएशन (1965-70);(2) पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक समिति (1968-84); (3) दीनदयाल धाम, फराह, मथुरा (उत्तर प्रदेश); और (4) जन्मभूमि स्मारक समिति, (1969 से) .

पूर्ववर्ती जनसंघ के संस्थापक-सदस्य (1951), अध्यक्ष, भारतीय जनसंघ (1968-73), जनसंघ संसदीय दल के नेता (1955-77) तथा जनता पार्टी के संस्थापक-सदस्य (1977-80), श्री वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष (1980-86) और भाजपा संसदीय दल के नेता (1980-1984,1986 तथा 1993-1996) रहे.  वे ग्यारहवीं लोकसभा के पूरे कार्यकाल तक प्रतिपक्ष के नेता रहे. इससे पहले वे 24 मार्च 1977 से लेकर 28 जुलाई, 1979 तक मोरारजी देसाई सरकार में भारत के विदेश मंत्री रहे.

पंडित जवाहरलाल नेहरु की शैली के राजनेता के रुप में देश और विदेश में अत्यंत सम्मानित श्री वाजपेयी के प्रधानमंत्री के रुप में 1998-99 के कार्यकाल को ''साहस और दृढ़-विश्वास का एक वर्ष'' के रुप में बताया गया है. इसी अवधि के दौरान भारत ने मई 1998 में पोखरण में कई सफल परमाणु परीक्षण करके चुनिन्दा राष्ट्रों के समूह में स्थान हासिल किया. फरवरी 1999 में पाकिस्तान की बस यात्रा का उपमहाद्वीप की बाकी समस्याओं के समाधान हेतु बातचीत के एक नये युग की शुरुआत करने के लिए व्यापक स्वागत हुआ। भारत की निष्ठा और ईमानदारी ने विश्व समुदाय पर गहरा प्रभाव डाला. बाद में जब मित्रता के इस प्रयास को कारगिल में विश्वासघात में बदल दिया गया, तो भारत भूमि से दुश्मनों को वापिस खदेड़ने में स्थिति को सफलतापूर्वक सम्भालने के लिए भी श्री वाजपेयी की सराहना हुई . श्री वाजपेयी के 1998-99 के कार्यकाल के दौरान ही वैश्विक मन्दी के बाबजूद भारत ने 5.8 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृध्दि दर हासिल की जो पिछले वर्ष से अधिक थी. इसी अवधि के दौरान उच्च कृषि उत्पादन और विदेशी मुद्रा भण्डार जनता की जरुरतों के अनुकूल अग्रगामी अर्थव्यवस्था की सूचक थी . ''हमें तेजी से विकास करना होगा। हमारे पास और कोई दूसरा विकल्प नहीं है  '' वाजपेयीजी का नारा रहा है जिसमें विशेषकर गरीब ग्रामीण लोगों को आर्थिक रुप से मजबूत बनाने पर बल दिया गया है . ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, सुदृढ़ आधारभूत-ढांचा तैयार करने और मानव विकास कार्यक्रमों को पुनर्जीवित करने हेतु उनकी सरकार द्वारा लिए गये साहसिक निर्णय ने भारत को 21वीं सदी में एक आर्थिक शक्ति बनाने के लिए अगली शताब्दी की चुनौतियों से निपटने हेतु एक मजबूत और आत्म-निर्भर राष्ट्र बनाने के प्रति उनकी सरकार की प्रतिबध्दता को प्रदर्शित किया . 52वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से बोलते हुए उन्होंने कहा था, ''मेरे पास भारत का एक सपना है: एक ऐसा भारत जो भूखमरी और भय से मुक्त हो, एक ऐसा भारत जो निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो. ''

श्री वाजपेयी ने संसद की कई महत्वपूर्ण समितियों में कार्य किया है. वे सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष (1966-67); लोक लेखा समिति के अध्यक्ष (1967-70); सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य (1986); सदन समिति के सदस्य और कार्य-संचालन परामर्शदायी समिति, राज्य सभा के सदस्य (1988-90); याचिका समिति, राज्य सभा के अध्यक्ष (1990-91); लोक लेखा समिति, लोक सभा के अध्यक्ष (1991-93); विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष (1993-96) रहे.

श्री वाजपेयी ने स्वतंत्रता संघर्ष में हिस्सा लिया और वे 1942 में जेल गये . उन्हें 1975-77 में आपातकाल के दौरान बन्दी बनाया गया था .

व्यापक यात्रा कर चुके श्री वाजपेयी अंतर्राष्ट्रीय मामलों, अनुसूचित जातियों के उत्थान, महिलाओं और बच्चों के कल्याण में गहरी रुचि लेते रहे हैं . उनकी कुछ विदेश यात्राओं में ये शामिल हैं- संसदीय सद्भावना मिशन के सदस्य के रुप में पूर्वी अफ्रीका की यात्रा, 1965; आस्ट्रेलिया के लिए संसदीय प्रतिनिधिमंडल 1967; यूरोपियन पार्लियामेंट, 1983; कनाडा 1987; कनाडा में हुई राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की बैठकों में भाग लेने हेतु भारतीय प्रतिनिधिमंडल 1966 और 1984; जाम्बिया, 1980; इस्ले आफ मैन, 1984; अंतर-संसदीय संघ सम्मेलन, जापान में भाग लेने हेतु भारतीय प्रतिनिधिमंडल, 1974; श्रीलंका, 1975; स्वीट्जरलैंड 1984; संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल, 1988, 1990, 1991, 1992, 1993 और 1994; मानवाधिकार आयोग सम्मेलन, जेनेवा में भाग लेने हेतु भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता, 1993.

श्री वाजपेयी को उनकी राष्ट्र की उत्कृष्ट सेवाओं के लिए वर्ष 1992 में पद्म विभूषण दिया गया. उन्हें 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार तथा सर्वोत्तम सांसद के लिए भारत रत्न ,पंडित गोविन्द बल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किया गया. इससे पहले, वर्ष 1993 में उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा फिलॉस्फी की मानद डाक्टरेट उपाधि प्रदान की गई. 

श्री वाजपेयी काव्य के प्रति लगाव और वाक्पटुता के लिए जाने जाते हैं और उनका व्यापक सम्मान किया जाता है. श्री वाजपेयीजी पुस्तकें पढ़ने के बहुत शौकीन हैं। वे भारतीय संगीत और नृत्य में भी काफी रुचि लेते हैं.
 वे निम्नलिखित पदों पर आसीन रहे :---
•1951 -          भारतीय जनसंघ के संस्थापक-सदस्य (B.J.S)
•1957 -          दूसरी लोकसभा के लिए निर्वाचित
•1957-77 -     भारतीय जनसंघ संसदीय दल के नेता
•1962 -          राज्यसभा के सदस्य
•1966-67 -    सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष
•1967 -         चौथी लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (दूसरी बार)
•1967-70 -    लोक लेखा समिति के अध्यक्ष
•1968-73 -    भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष
•1971 -         पांचवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (तीसरी बार)
•1977 -        छठी लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (चौथी बार)
•1977-79 -    केन्द्रीय विदेश मंत्री
•1977-80 -   जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य
•1980 -        सातवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (पांचवीं बार)
•1980-86 -   भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष
•1980-84, 1986 और 1993-96 -  भाजपा संसदीय दल के नेता
•1986 -          राज्यसभा के सदस्य; सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य
•1988-90 -    आवास समिति के सदस्य; कार्य-संचालन सलाहकार समिति के सदस्य
•1990-91 -    याचिका समिति के अध्यक्ष
•1991 -          दसवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (छठी बार)
•1991-93 -    लोकलेखा समिति के अध्यक्ष
•1993-96 -    विदेश मामलों सम्बन्धी समिति के अध्यक्ष; लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता
•1996 -         ग्यारहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (सातवीं बार)
•16  मई 1996 - 31 मई 1996 तक -  भारत के प्रधानमंत्री; विदेश मंत्री और इन मंत्रालयों/विभागों के प्रभारी .मंत्री-रसायन तथा उर्वरक; नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले और .सार्वजनिक वितरण; कोयला; वाणिज्य; संचार; पर्यावरण और वन;.खाद्य प्रसंस्करण उद्योग; मानव संसाधन विकास; श्रम; खान; .गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत; लोक शिकायत एवं पेंशन; पेट्रोलियम और .प्राकृतिक गैस; योजना तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन; विद्युत; रेलवे,ग्रामीण क्षेत्र और रोजगार; विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी; इस्पात; भूतल परिवहन; कपड़ा; जल संसाधन; परमाणु ऊर्जा; इलेक्ट्रॉनिक्स; जम्मू व कश्मीर मामले; समुन्द्री विकास; अंतरिक्ष और किसी अन्य केबिनेट मंत्री को आबंटित न किए गए अन्य विषय।
•1996-97 -        प्रतिपक्ष के नेता, लोकसभा
•1997-98 -        अध्यक्ष, विदेश मामलों सम्बन्धी समिति
•1998 -             बारहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (आठवीं बार)
•1998-99 -      भारत के प्रधानमंत्री; विदेश मंत्री; किसी मंत्री को विशिष्ट रूप से आबंटित न किए गए    मंत्रालयों/विभागों का भी प्रभार
•1999 -             तेरहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (नौवीं बार)
•13 अक्तूबर 1999 से 13 मई 2004 तक-           भारत के प्रधानमंत्री और किसी मंत्री को विशिष्ट रूप से .आबंटित न किए गए  मंत्रालयों/विभागों का भी प्रभार
•2004 -          चौदहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (दसवीं बार)

इन दिनों वे काफी अस्वस्थ  है ,19-20 दिसंबर 2010 को मै दिल्ली में था , उनसे मिलने के लिए मैंने काफी हाथ पैर मारा लेकिन मुझे सफलता नहीं मिली .मैंने मा. राजनाथ जी से भी गुजारिश की ,उन्होंने भी असमर्थता व्यक्त कर दी अंततः मुझे निराश होकर वापस रायपुर लौटना पढ़ा  . आज उनका  87 वां जन्म-दिन है . श्री अटल जी को जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाई . ईश्वर  से प्रार्थना है कि अटल जी को दीर्घायु दें तथा स्वस्थ होकर वे देश का पुनः नेतृत्व करें . 

आज क्रिसमस- डे यानी प्रभु ईशु मसीह का भी जन्म दिन है . ईसाई धर्म के सभी अनुयाइयों को क्रिसमस- डे की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं .   
 ( भाजपा मीडिया सेंटर से साभार )    

23 दिसंबर, 2010

राज्य भण्डार गृह निगम के नये कार्यालय का शुभारंभ एवं पदभार ग्रहण समारोह

 

 

   छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने आज यहां अवंति विहार स्थित निगम के नए कार्यालय का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री चंद्रशेखर साहू, लोक निर्माण मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष श्री बद्रीधर दीवान, राज्य बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्री श्याम बैस, छत्तीसगढ़ ब्रेव्हरेज कार्पोरेशन के अध्यक्ष श्री देवजी भाई पटेल, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ के अध्यक्ष श्री राधाकृष्ण गुप्ता, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री यशवंत जैन, जिला पंचायत रायपुर की अध्यक्षा श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, जिला सहकारी बैंक रायपुर के अध्यक्ष श्री योगेश चंद्राकर, श्रम कल्याण मण्डल के अध्यक्ष श्री अरूण चौबे,नगर निगम रायपुर के सभापति श्री संजय श्रीवास्तव, श्री रामसेवक पैकरा, श्री राम प्रताप सिंह, श्री सचिदानंद उपासने सहित विभाग के प्रबंध संचालक डॉ. जितिन कुमार उपस्थित थे। सभी लोगों ने श्री बजाज को बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बधाई और शुभकामनाएं दी। मंत्री द्वय श्री साहू और श्री अग्रवाल ने श्री बजाज के सार्वजनिक जीवन की लम्बे अनुभवों का उल्लेख करते हुए उम्मीद जताई कि श्री बजाज के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम  निगम के विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाएगा और निगम सफलता की नई ऊंचाईयों तक पहुंचेगा। श्री बजाज ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा सौपी गई इस नयी जिम्मेदारी को पूरी गंभीरता से निभाएंगे और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे। श्री बजाज ने कहा कि अनाजों के सुरक्षित भण्डारण के लिए पुख्ता इंतजाम करने का प्रयास किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ भवन में ब्लोगर मिलन

19 दिसंबर को मै दिल्ली में था . भाई ललित शर्मा ने जानकारी दी कि दिल्ली के ब्लोगर आपसे मिलेंगे सो मैंने छत्तीसगढ़ भवन में मिलने का स्थान तय कर दिया . भिलाई के भाई पाबला जी दिल्ली में पहले से ही डेरा जमाये बैठे थे इसलिए उन्होंने अनेक ब्लोगर मित्रों को फोन से समय और जगह की जानकारी दे दी . ठीक शाम 6 बजे पाबला जी ने पहुचने की सूचना दी . मै तत्काल 11,अशोक रोड से निकला और 15 मिनट के अन्दर छत्तीसगढ़ भवन पहुँच गया . रास्ते में भाई रेवाराम यादव का फोन आया तो मैंने उन्हें पाबला जी हुलिया बता कर कुछ देर उनसे बतियाने का आग्रह किया .यादव जी से मेरी 38 साल बाद भेंट हुई थी , मेट्रिक में वे मेरे क्लास मेट थे . उसके बाद वे बिछड़ गए ,आज जब 38 साल बाद मिलें तो एक आफिसर के रूप में . जी हाँ आजकल वे सेन्ट्रल पी. डब्लू. डी. में सहायक यंत्री है . वैसे पिछले कुछ महीनों से उनसे फोन से चर्चा हो रही थी . आज प्रत्यक्ष मुलाकात हुई तो पहचानने में झन भर भी नहीं लगा  .  उनसे मिलकर काफी ख़ुशी हुई . मै जब छत्तीसगढ़ पहुंचा तो अनेक ब्लोगर मित्र पहुँच चुके थे . कुछ अन्य मित्र थोड़ी दे में आ गए . ये सभी मेरे लिए नए थे , लेकिन जब बातों   का सिलसिला शुरू हुआ ,तो तीन घंटे कैसे बीत गए पता ही नहीं चला. किसी भी एंगल से  ऐसा नहीं लग रहा था कि हम अंजान है . इस बैठक में बहुत ही सार्थक चर्चा हुई . समयाभाव के कारण मै विस्तार से लिख नहीं पा रहा हूँ . दिल्ली से लौट कर मैं पद-भार ग्रहण की तैयारी में व्यस्त हो गया . अभी-अभी कार्यक्रम से लौट कर इतना ही लिख पा रहा हूँ . विस्तृत जानकारी के लिए मैं कुछ लिंक दे रहा हूँ . दिल्ली के ब्लोगरों से मिलकर मुझे बेहद ख़ुशी हुई तथा मेरा ज्ञानवर्धन भी हुआ . ईश्वर ने चाहा तो आगे भी मिलते रहेंगे .   

मीटिंग में मौजूद रहे ब्लॉगरगण-

अशोक बजाज         -         ग्राम चौपाल 
बीएस पाबला           -         जिंदगी के मेले
सुरेश यादव              -         सार्थक सृजन
जयराम विप्लव       -         जनोक्ति
शाहनवाज़ सिद्दीकी   -        प्रेमरस
राजीव कुमार तनेजा  -       हंसते रहो
संजू तनेजा               -      आइना कुछ कहता है 
कनिष्क कश्यप        -       विचार मीमांसा, ब्लॉग प्रहरी
रेवा राम यादव          -       भावी ब्लॉगर
कुमार राधारमण      -       स्वास्थ्य सबके लिए




                                                  झकाझक टाईम्स भी पढ़िए

21 दिसंबर, 2010

धार्मिक नेता के फतवे से महिला की मौत


 धार्मिक नेताओं को सजा देने या सुनाने का अधिकार कितना खतरनाक हो सकता है इसका ताजा उदहारण बंगला देश की इस घटना से मिल सकता है . बांग्लादेश के  मुस्लिम धार्मिक नेता  ने एक महिला को बेंत मारने की सजा दी जिसमें उसकी मौत हो गई. महिला पर शादी के बाहर संबंध बनाने का आरोप था. पुलिस के मुताबिक 50 साल की सूफिया बेगम पर अपने सौतेले बेटे के साथ संबंध बनाने का आरोप लगा. राजशाही जिले के एक गांव में धार्मिक नेता ने इस मामले की सुनवाई की और महिला को बेंत मारने की सजा सुनाई. इलाके के पुलिस प्रमुख अजीजुल हक सरकर ने बताया, "गांव के बुजुर्गों ने 10 बेंतों को एक साथ बांध दिया और महिला की टांगों पर मारा." स्थानीय मीडिया के मुताबिक 12 नवंबर को हुई इस घटना में सूफिया बेगम को 40 बेंत मारे गए. गांव के उन बुजुर्ग लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है जो घटना में शामिल रहे. सरकर ने बताया कि पिटाई के बाद सूफिया बेगम की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पिछले हफ्ते उनकी मौत हो गई. इस मामले में उनके भाई ने शिकायत दर्ज कराई है जिसके आधार पर जांच की जा रही है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बांग्लादेश के मुस्लिम बहुल ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर बेंत से मारने की सजा मिलना आम बात है. हालांकि देश के एक हाई कोर्ट ने धार्मिक सजाओं पर रोक लगा रखी है. कुछ मामलों में तो बलात्कार की शिकार हुईं महिलाओं को भी यह कहकर सजा दी गई कि वे शारीरिक संबंध का हिस्सा बनीं. जुलाई में बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने फतवे या धार्मिक आदेशों के जरिए सजा देने पर रोक लगा दी थी. बांग्लादेश की करीब 15 करोड़ आबादी में से 90 फीसदी मुस्लिम हैं और ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में रहते हैं.

 

18 दिसंबर, 2010

बाबा गुरू घासीदास की जयन्ती पर हार्दिक बधाई !

सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरू घासीदास की आज  जयन्ती है , पूरे छत्तीसगढ़ में उनके अनुयायी बड़े   धूमधाम से  यह पर्व मानते है वे मानवता के पुजारी थे . उनकी मान्यता थी - " मनखे मनखे एक हे ,मनखे के धर्म एक हे " .  उन्होंने जीवन मूल्यों पर अधिक ध्यान दिया तथा लोंगो को शराब व मांस के सेवन से मुक्ति दिलाई. बाबा गुरू घासीदास ने समाज को सत्य, अहिंसा, समानता, न्याय और भाईचारे के मार्ग पर चलने की सीख दी . उनके विचारों से प्रेरणा लेकर हमने 18 दिसंबर 2007 को उनकी जयन्ती के अवसर पर " नशा हे ख़राब : जहाँ पीहू शराब "का नारा देते हुए  नशामुक्ति आन्दोलन की शुरुवात की थी . इस आन्दोलन से सम्बंधित एक पोस्ट हमने 24/06/2010 को लगाई थी,  इस ब्लॉग में नशापान एवं धुम्रपान से सम्बंधित कुछ  और भी आलेख है .
       बाबा गुरू घासीदास की  जयन्ती के अवसर  पर सतनामी  संप्रदाय के सभी बहनों और भाइयों को हार्दिक बधाई !


17 दिसंबर, 2010

पाक : पत्रकारों के लिए बेहद ख़तरनाक



पत्रकारों के अधिकारों केलिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था सीपीजे यानी ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ ने कहा है कि आत्मघाती हमलों में बढ़ौतरी के कारण पाकिस्तान पत्रकारों के लिए दुनिया का सब से ख़तरनाक देश बन गया है.सीपीजे ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि इसी साल दुनिया में 42 पत्रकारों की मौत हुई जिन में से सब से ज़्यादा पाकिस्तान में मारे गए और इस क्रम में इराक़ दूसरे स्थान पर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर पत्रकारों की हत्या की गई लेकिन पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, सोमालिया और थाईलेंड में अधिकतर पत्रकार रिपोर्टिंग के दौरान आत्मघाती हमलों और गोलीबारी में मारे गए. सीपीजे के अनुसार वर्ष 2010 में अब तक पाकिस्तान में आठ पत्रकारों की काम करते हुए मौत हो गई है जो दुनिया में पत्रकारों की मौत का बड़ा हिस्सा है.संस्था ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान में मरने वाले आठ पत्रकारों में से छह पत्रकार आत्मघाती हमलों और गोलीबारी में मारे गए. इन घटनाओं में 24 से अधिक पत्रकार घायल भी हुए.

सीपीजे के प्रमुख जोएल साईमन ने बताया कि पाकिस्तान में पत्रकारों की मौतों में बढ़ोतरी देश में जारी चरमपंथ के कारण है जिस ने पाकिस्तान को जकड़ा हुआ है और ज़्यादातर चरमपंथी घटनाएँ अफ़ग़ानिस्तान से पाकिस्तान में फैल रही हैं. “पाकिस्तान में कई सालों से आतंकवादी पत्रकारों की हत्या और सरकार उन का अपहरण कर रही है लेकिन आत्मघाती हमलों में बढ़ोतरी ने पत्रकारों को काम के समय ख़तरे में डाल दिया है. पत्रकारों अपनी जान हथेली पर रख कर राजनीतिक रैलियों, विरोध प्रदर्शन या किसी बड़ी सभा की कवरेज करनी पड़ती है.”पत्रकारों की मौत के हवाले से इराक़ दूसरे नंबर पर है जहाँ इस साल चार पत्रकारों की मौत हो गई. इराक़ में 2004 से 2007 तक हर साल करीब 20 पत्रकार मारे गए थे.

दूसरी ओर पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक अन्य संस्था इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने बलूचिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद ख़ान सासोली की हत्या की जाँच की मांग की है.संस्था की पदाधिकारी जैकलीन पार्क ने कहा कि पाकिस्तान पत्रकारों के लिए ख़तरनाक स्थान बन गया है जहाँ पत्रकारों की हत्या की घटनाएँ कई देशों से ज़्यादा हैं. 

16 दिसंबर, 2010

धूम्रपान से हुई मौत के लिए तीन सौ करोड़ रुपए का हर्जाना

सिगरेट बनाने वाली कंपनी लॉरिलार्ड न्यूपोर्ट, केंट और ओल्ड गोल्ड जैसे लोकप्रिय ब्रांड की सिगरेट बनाती है.एक अदालत ने अमरीका की तीसरी सबसे बड़ी तंबाकू कंपनी को आदेश दिया है कि वह धूम्रपान करने से हुई एक महिला की मौत के लिए उसके बच्चों को 7 करोड़ डॉलर यानी लगभग तीन सौ करोड़ रुपए के बराबर का मुआवज़ा दे.

जूरी ने सिगरेट कंपनी लॉरिलार्ड को अश्वेत बच्चों को मुफ़्त में सिगरेट बाँटकर उनमें धूम्रपान की आदत डालने का भी दोषी पाया है.जब मैरी इवान्स नौ साल की थीं तो बोस्टन मैसाचुसेट्स के ग़रीब और अश्वेत बहुल इलाक़े में एक गाड़ी में घूमते हुए व्यक्ति ने उसे मुफ़्त में सिगरेटें दीं.पहले तो इन सिगरेटों के बदले उसने चॉकलेट ले लिए लेकिन 13 वर्ष की उम्र तक पहुँचते-पहुँचते उसे सिगरेट की लत लग गई.54 वर्ष की उम्र में उसकी फेफड़े के कैंसर से मौत हो गई.

वह इस बात से इनकार कर रही है कि उसने कभी किसी व्यक्ति को मुफ़्त में सिगरेट बाँटने के काम पर रखा या फिर अश्वेतों को निशाना बनाया.लेकिन ज्यूरी ने मैरी इवान्स के उस बयान पर भरोसा किया जो उसने वीडियो टेप पर छोड़ा था और कंपनी से कहा कि वह सात करोड़ दस लाख डॉलर का मुआवज़ा दे.

अमरीका की सिगरेट बनाने वाली कंपनियों के लिए पिछले 24 घंटे बहुत अच्छे नहीं गुज़रे हैं.इससे पहले वहाँ की दूसरी बड़ी सिगरेट कंपनी आरजे रोनॉल्ड्स दो करोड़ अस्सी लाख डॉलर यानी कोई सवा सौ करोड़ रुपयों के बराबर का मुआवज़ा मुक़दमा हार गई है.bbc hindi 

12 दिसंबर, 2010

सचिन तेंदुलकर ने शराब का विज्ञापन ठुकराया:शाबाश सचिन

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने तथा अपने पिता को दिया वादा पूरा करने के लिए शराब निर्माता एक कंपनी का ब्रांड एंबेसडर बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। ऐसा बताया जा रहा है कि सचिन को इस कंपनी का ब्रांड एंबेसेडर बनने के लिए वार्षिक  20 करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां निभाने और अपने पिता श्री रमेश तेंदुलकर को किए वादे को निभाने के लिए इस प्रस्ताव को ठुकरा  दिया है । यह किसी खिलाड़ी को ब्रांड एंबेसडर बनाने के लिए किसी कंपनी की ओर से दिया गया अब तक का सबसे बड़ा प्रस्ताव है। सचिन के विज्ञापन संबंधी कार्यों को देखने वाली वर्ल्ड  स्पोर्ट्स ग्रुप (डब्ल्यू.जी.सी.) ने उस कंपनी का नाम बताने से इनकार कर दिया है, जिसने सचिन को यह प्रस्ताव दिया था।
एक पूर्व क्रिकेटर और सचिन के करीबी मित्र ने बताया कि सचिन ने अपने पिता से वादा किया था कि वह कभी किसी नशीले पदार्थ या तंबाकू का विज्ञापन नहीं करेंगे।  मैदान पर सचिन की काबिलियत से तो हर कोई वाकिफ है, लेकिन इस प्रस्ताव को ठुकरा कर सचिन ने मैदान के बाहर भी अपनी महानता का परिचय देते हुए सामाजिक शतक ठोंक दिया है . सचिन के इस  सामाजिक शतक ने खेल के मैदान में मारे गए उनके अनेक शतकों को पीछे छोड़ दिया है .  सचिन तेंदुलकर के इस कदम से नशामुक्ति आन्दोलन को नया बल  मिलेगा . शाबाश सचिन !!!



सत्ता का सत्ता

 छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने  12 दिसम्बर को अपनी सरकार की दूसरी पारी के दो वर्ष पूर्ण होने के साथ ही अपनी सत्ता के सात  वर्ष पूर्ण कर लिए .उन्होंने  07 दिसंबर 2003 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी , तब से लगातार  वे इस पद पर बने हुए है .  अपनी सत्ता के सातवें  वर्ष में प्रवेश के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य की जनता का अभिनंदन करते हुए प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी है. डॉ. सिंह ने जनता को  सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया है.मुख्यमंत्री ने आज यहां जारी अपने एक संदेश में कहा है कि जनता के सहयोग और समर्थन से प्रदेश सरकार ने गांव, गरीब और किसानों की बेहतरी के साथ-साथ समाज के सभी वर्गो के विकास और उत्थान के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनके माध्यम से प्रदेशवासियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की लहर साफ देखी जा सकती है. डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पहली पारी के पांच वर्ष और दूसरी पारी के विगत दो वर्षो को मिलाकर पिछले सात वर्ष में आम जनता का विश्वास अर्जित करना और लोगों के भरोसे को कायम रखना उनकी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है. डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर पर प्रदेश सरकार के सभी मंत्रियों, राज्य के जनप्रतिनिधियों, मीडिया प्रतिनिधियों, शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों और आम नागरिकों सहित समाज के सभी वर्गों का आभार व्यक्त करते हुए लोगों को विश्वास दिलाया है कि सबके सहयोग से राज्य की यह विकास यात्रा आने वाले वर्षो में भी लगातार जारी रहेगी और सब मिलकर छत्तीसगढ़ को देश का एक आदर्श और अग्रणी राज्य बनाने में अपने-अपने कार्य क्षेत्र में पूरी सक्रियता से अपना योगदान देंगे. प्रदेश के विकास और जनता की बेहतरी के लिए राज्य सरकार अपने संकल्पों को और भी कड़ी मेहनत के साथ पूर्ण करेगी.
     


बढ़ते कदम .......
 


11 दिसंबर, 2010

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने धूम्रपान को किया टाटा !

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को धूम्रपान की लत छोड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है .इसी का परिणाम है कि उन्होंने पिछले नौ महीने में एक बार भी धूम्रपान नहीं किया है .व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव रॉबर्ट गिब्स का कहना है कि मैंने पिछले नौ महीने में उन्हें धूम्रपान करते हुए ना ही देखा है और ना ही उनके पास धूम्रपान का कोई निशान पाया है .उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी आदत है, जो उन्हें पसंद नहीं और वह जानते हैं कि यह सेहत के लिए ठीक नहीं है. वे इसे बिल्कुल पसंद नहीं करते और चाहते हैं कि उनके स्वयं के बच्चों या अन्य किसी भी बच्चे को उनकी इस आदत के बारे में जानकारी ना हो .

गिब्स ने आगे बताया कि ओबामा धूम्रपान के परिणाम से वाकिफ हैं और वे एक ऐसी बुरी आदत से निज़ात पाना चाहते है ,जिससे अमेरिका के ज्यादातर लोग ग्रस्त है. यह पूछे जाने पर कि क्या ओबामा ने धूम्रपान बिल्कुल बंद कर दिया है, उन्होंने कहा, ' हाँ पिछले नौ महीने से मै यह महसूस कर रहा हूँ. आगे उन्होनें कहा कि ओबामा पहले इंसान होंगे जो आपको यह बताएंगे कि इसे छोड़ना वाकई कितना मुश्किल काम था। '

  गिब्स से जब पूछा गया कि ओबामा इसे छोड़ने में कैसे सफल हुए तो उन्होंने कहा,' ओबामा एक दृढ़ निश्चय वाले व्यक्ति हैं। मुझे लगता है कि उन्हें महसूस हुआ कि इसे छोड़ना उनकी सेहत के लिए अच्छा होगा। 'अमेरिकी सर्जन जनरल ने भी ओबामा को आगाह किया है कि उनके लिए सिगरेट का एक कश भी नुकसानदेह हो सकता .

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 सम्बंधित विषय पर ग्राम-चौपाल का लोकप्रिय पोस्ट पढ़ना न भूलें :--

10 दिसंबर, 2010

विकीलीक्स : नोबेल पुरस्कार , साइबर वार और जेल


  
हैक हुई एक वेबसाइट का बिगड़ा हुआ हुलिया
अपनी वेबसाइट के जरिए अमेरिकी सरकार और उसके  विभागों की लाखों पन्नों की गोपनीय जानकारियां सार्वजनिक करके  विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है, उसकी वजह से दुनिया के अनेक देशों में  साइबर वार की शुरूआत हो गई है.

फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से  जूलियन अंसाजे के लाखों समर्थकों ने दुनिया की नंबर दो क्रेडिट कार्ड कंपनी मास्टर कार्ड की बेवसाइट पर हल्ला बोल दिया है . फलस्वरूप  मास्टर कार्ड की वेबसाइट कई घंटों से ठप्प  है . विकीलीक्स विरोधी माने जाने वाले कई वेबसाइट का हुलिया  बिगाड़ कर  हैकरों ने चैट रूम में एक दूसरे को बधाई दी. मास्टर कार्ड की वेबसाइट हैक करने वालों ने अपने चैट रुम संदेशों में कहा, ''मास्टर कार्ड की वेबसाइट अब भी ठप पड़ी है ; भाड़ में जाएँ ''.  एक दूसरे संदेश में कहा गया, '' वाह...सबने शानदार काम किया.'' यूएस साइबर कॉन्सिक्वेंसेज यूनिट के चीफ टेक्नॉलाजी  अफसर जॉन बमगार्नर कहते हैं, ''ऐसे हमलों की शुरुआत करना बहुत आसान है.'' इंटरनेट पर ऐसे कई सॉफ्टवेयर मिल जाते हैं जो बेहद आधुनिक हैं और हैकर उन्हें आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं. आशंका जताई जा रही है कि विकीलीक्स के समर्थक आने वाले दिनों में कई अन्य वेबसाइटों पर भी इसी तरह के हमले करेंगे. इन हैकरों ने विकीलीक्स के ख़िलाफ़ मुक़दमे में सरकारी वकील की वेबसाइट को भी हैक कर लिया है. 
     
ऑस्ट्रेलिया और रूस  की कई बड़ी हस्तियां विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज के समर्थन में उतर आई हैं.जूलियन असांज का समर्थन करते हुए  रूसी अधिकारियों ने उन्हें  नोबेल पुरस्कार देने की मांग  की है. तो दूसरी तरफ बलात्कार और असुरक्षित यौन संबंध बनाने के आरोप में ब्रिटेन में असांज को   गिरफ्तार कर जेल भेज दिया  गया है . उन्हें सात दिन की हिरासत में  रखा  गया है. 



फोटो-साभार गूगल

08 दिसंबर, 2010

" इंटरनेट " बना अमरीका के गले की हड्डी

 अमरीका की बौद्धिक ताक़त का प्रतीक माना जाने वाला  "  इंटरनेट "  अब अमरीका के गले की हड्डी बन गया है ? इन दिनों विकीलीक्स ने इंटरनेट पर लाखों गुप्त दस्तावेज़ प्रकाशित करके अमरीका को हिला कर रख दिया है. इंटरनेट पर लिखने के लिए अख़बार और टेलीविज़न जैसे संसाधन की जरुरत नहीं होती  . इसी वजह से विकीलीक्स ने ढाई लाख से ज़्यादा ऐसे गुप्त दस्तावेज़ जारी किए हैं जिन्हें दुनिया भर में फैले अमरीकी दूतावासों से भेजा गया था. ' जनतंत्र ', ' बोलने की आज़ादी ' और ' मीडिया की आज़ादी ' को अपना मूल सिद्धांत मानने वाली अमरीका और पश्चिमी देशों की सरकारें विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज से काफी खफा है . जूलियन असांज ने अमरीका की कथनी और करनी के अंतर को सार्वजनिक करके बलां  मोल ले ली है   . विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज आज लंदन की एक अदालत मे पेश हुए ,  जहां उन्हें को जमानत नहीं मिली.  उन पर अमेरिका में जासूसी का मुकदमा चलने की बात चल रही है और उन्हें प्रत्यर्पित भी किया जा सकता है.

फोटो-साभार गूगल

कश्मीर की आज़ादी यानी भारत का एक और विभाजन


जम्मू-कश्मीर  में उमर अब्दुल्ला सरकार के  स्वास्थ्य और बागवानी मंत्री शाम लाल शर्मा ने बानी (कठुआ) में हुई रैली में  कश्मीर को भारत से आजाद करने की बात करके अपने आप को पाकिस्तान समर्थक होने का प्रमाण दिया है . शर्मा ने इस रैली में कहा कि जम्मू को अलग राज्य बना दिया जाए और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना कर कश्मीर को आजाद कर दिया जाना चाहिए . उनके इस बयान से सदैव  देश की एकता और अखंडता की बात करने वाले नेताओं की कलई खुल गई है . देश के एक राज्य के एक मंत्री के इस राष्ट्र-विरोधी बयान को हल्के में नहीं लेना चाहिए . पहली बात तो यह है कि यह बयान  ऐसे समय में आया है जब कश्मीर में उग्रवादी गतिविधियाँ चरम पर है . दूसरी बात जो समझ में आ रही है वह यह है कि भारत की आज़ादी के ६३ साल बाद भी यदि कश्मीर समस्या का हल निकल नहीं पाया है तो उसके लिए शमा  जैसे पाक-प्रेमी  लोग जिम्मेदार है  जो स्वयं अपने मन-वचन और कर्म से अपने आप को पाक-प्रेमी होने का प्रमाण देंते रहते है .
केंद्र और जम्मू-कश्मीर दोनों जगह यू.पी.ए. की सरकार है ऐसी स्थिति यदि  शर्मा पर  तत्काल कोई बड़ी कार्यवाही नहीं होती तो  यह माना जाना चाहिए कि केंद्र सरकार भी कश्मीर की आज़ादी  की पक्षधर है .  



07 दिसंबर, 2010

गूगल : दुनिया का सबसे बड़ा ई बुक पुस्तकालय


गूगल ने  इलेक्ट्रॉनिक बुक स्टोर की दुनिया में कदम रखते हुए अमेजन को जोरदार टक्कर दी. गूगल पर पढ़ी जा सकने वाली मुफ्त किताबों के कारण भी विवाद हुआ. लेकिन गूगल का कहना है कि इससे ज्यादा लोग किताबें पढ़ सकेंगे.
         गूगल की प्रवक्ता जेनी होर्नुंग का कहना है, हमें विश्वास है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा ई बुक पुस्तकालय होगा. मुफ्त पढ़ी जा सकने वाली किताबों को मिला कर इनकी कुल संख्या तीस लाख से ज्यादा है. मैकमिलन, रैन्डम हाउस, साइमन एंड शूस्टर जैसे मशहूर प्रकाशकों की हजारों डिजिटल किताबें ई बुक स्टोर में बेची जाएंगी. गूगल का कहना है कि अगले साल वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करेगा. गूगल ई बुक्स इंटरनेट क्लाउड पर ऑनलाइन रखी जाएंगी और वेब से जुड़े किसी भी कंप्यूटटर या फिर एप्पल के आईफोन, आईपैड, आई पॉड टच और ऐसे स्मार्ट फोन्स जिस पर गूगल के एन्ड्रॉइड सॉफ्टवेयर हो, उन पर पढ़ी जा सकेंगी. ईबुक्स पर बेची गई किताबें सोनी रीडर, बार्नेस और नोबल के नूक सहित दूसरे ई रीडर पर पढ़ी जा सकेंगी लेकिन अमेजन के किंडल पर नहीं. गूगल का मानना है कि अधिकतर लोग लॉग इन करके किताबें ऑनलाइन पढ़ना पसंद करेंगे और इसके लिए वे जो भी गेजेट आसानी से उपलब्ध होगा उसका इस्तेमाल करेंगे. ठीक उसी तरह से जैसे वह वेब पर जीमेल अकाउंट चेक करते हैं, हॉर्नुंग का कहना है, आप एक किसी भी किताब को क्लाउड की एक लायब्रेरी में जमा कर के रख सकेंगे और गूगल अकांउट के जरिए कहीं से भी उस किताब को पढ़ सकेंगे. गूगल बुक्स के इंजीनियरिंग डायरेक्टर जेम्स क्रॉफर्ड का कहना है, मुझे विश्वास है कि आने वाले सालों में हम किसी भी बुक स्टोर से सिर्फ ईबुक्स ही खरीदेंगे, उन्हें वर्चुअल रैक में रखेंगे और किसी भी डिवाइस पर उसे पढ़ेंगे. अभी उस सपने की शुरुआत है. स्वतंत्र बुक स्टोर पॉवेल, ऑनलाइन बुक शॉप एलिब्रिस और अमेरिकी पुस्तक विक्रेता संघ गूगल के लॉन्चिंग डे पार्टनर्स हैं जो गूगल की डिजिटल किताबें बेचेंगे. ईबुक स्टोर न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्ट सेलर उपन्यासों से लेकर तकनीकी पुस्तकों तक सब कुछ उपलब्ध हो सकेगा और इसके वर्चुअल पन्नों पर ग्राफिक्स भी आसानी से देखे जा सकेंगे. जहां तक कीमतों का सवाल है, ई बुक्स स्टोर की किताबें बाजार के हिसाब से होंगी जबकि कई फ्री किताबें पहले ही गूगल पर उपलब्ध हैं. गूगल पुस्तक प्रेमियों की सोशल वेबसाइट गुड रीड्स के साथ हाथ मिलाएगा ताकि ऐसा नेटवर्क बने जहां लोग आसानी से ऑनलाइन ई बुक्स खरीद सकें. होर्नुंग ने बताया कि विचार कुछ ऐसा है कि आप अपनी पसंद के विक्रेता से पुस्तक खरीदें और आपके पास जो डिवाइस मौजूद है उस पर उसे जहां चाहे वहां पढ़ें. गूगल के साथ फिलहाल चार हजार प्रकाशक हैं. 2004 में गूगल बुक्स प्रजेक्ट शुरू होने के बाद से गूगल ने सौ देशों से, चार सौ भाषाओं में करीब डेढ़ करोड़ किताबें डिजिलाइस की हैं. हालांकि इस पर विवाद भी हुआ और अमेरिकी कोर्ट का फैसला अभी इस मुद्दे पर आना है. लेखकों और प्रकाशकों ने गूगल के किताबें डिजिटलाइज करने पर आपत्ति उठाई थी. जिन किताबों का कॉपीराइट है या फिर जिनके लेखकों का कोई अता पता नहीं है ऐसी किताबें ई बुक स्टोर पर नहीं बेची जाएंगी. उम्मीद की जा रही है कि इस साल अमेरिका में ई बुक्स पर 96.6 करोड़ डॉलर खर्च किए जाएंगे और 2015 तक ये बढ़ कर 2.81 अरब डॉलर हो जाएगा. एक शोध के मुताबिक अमेरिका में ई बुक डिवास का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या इस साल के आखिर तक एक करोड़ से ज्यादा हो जाएगी. और 2015 तक 2 करोड़ 94 लाख अनुमानित है. फॉरेस्टर सर्वे के मुताबिक ई बुक पढ़ने वाले लोगों में 35 फीसदी लोग लैपटॉप पर किताब पढ़ते हैं, 32 फीसदी अमेजन के किंडल पर और 15 फीसदी लोग एप्पल के आई फोन पर पढ़ते हैं. hindi@dw-world.de



02 दिसंबर, 2010

बारात लेकर सड़क पर ना निकलें वरना पुलिस बजाएगी बैंड

शहर के मुख्य मार्ग में जब बारात निकलती है तब ट्रेफिक का बड़ा बुरा हाल होता है . वैवाहिक जुलुस के कारण घंटों तक आवाजाही रूक जाती है इससे आम लोग तो परेशान होते ही हैं, कई बार एंबुलेंस, पीसीआर वैन और फायर ब्रिगेड जैसे इमर्जेंसी वाहन भी जाम में फंस जाते हैं. ऐसे में किसी की जान भी जा सकती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस ने सड़क पर बारात निकालने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का फैसला लिया है . यदि आप दिल्ली की सड़कों पर बारात लेकर निकलना चाहते हैं या किसी बारात में शामिल होना चाहतें है तो कृपया सावधान हो जाइये, यदि बारात पर दिल्ली पुलिस की नजर पड़ गई तो दुल्हे सहित पूरी बारात को शादी के मंडप के बजाय थाने जाना पड़ सकता है.दिल्ली पुलिस एक्ट के प्रावधान के तहत आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

अब प्रश्न उत्पन्न होता है लोग बारात सडकों पर ना निकालें तो कहाँ निकालें ? भारत में शादी सबसे बड़ा मांगलिक कार्य है , वर-वधु को एक नहीं सात जन्मों तक जोड़ने की यह रस्म है . हर व्यक्ति चाहे वह अमीर हो या गरीब इस पल को अविस्मरनीय बनाना चाहता है ,इस स्थिति में दिल्ली पुलिस अपने प्रयास में सफल हो पायेगी इसमें संदेह है . यह सही है कि बारात के कारण चाहे-अनचाहे हमेशा जाम लग जाता है पर इसके लिए अन्य उपाय भी किये जा सकतें है , जैसे-

(1) उन बारातियों के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है जो शराब पीकर असामान्य हरकतें करके यातायात को बाधित करतें है ;

(2) बारातियों की संख्या को सीमित किया जा सकता है ;

(3) सड़कें निर्धारित की जा सकतीं है ;

(4) समय-सीमा तय की जा सकती है ;

(5) वाहनों की संख्या को सीमित किया जा सकता है ; आदि आदि

बारात लेकर सड़क पर ना निकलें वरना पुलिस बजाएगी बैंड "

01 दिसंबर, 2010

" जलवायु परिवर्तन सम्मलेन " कानकुन बनाम कोपेनहेगन


क्रिस्टीना फिगरेस






        मेक्सिको के  कानकुन शहर में संयुक्त राष्ट्र "जलवायु सम्मेलन  " प्रभावी कदमों और समझौतों की अपीलों के साथ आज  शुरू हुआ . पिछले साल इसी प्रकार का सम्मेलन कोपेनहेगन में हुआ था . नतीजा आपके सामने है . कानकुन  में 194 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संधि संरचना यू एन एफ सी सी के तहत  12  दिन तक चलने वाले इस  सम्मेलन में 15,000 से अधिक आधिकारिक प्रतिनिधि, पर्यावरण कार्यकर्ता और पत्रकार भाग ले रहे हैं. यह सम्मेलन क्योटो पर्यावरण संधि के बाद के समय के लिए कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने के प्रयासों के तहत हो रहा है. क्योटो संधि 2011 में समाप्त हो रही है.

सम्मेलन में हिस्सा ले रहे विभिन्न देशों के  विशेषज्ञों को पिछले साल कोपेनहेगन सम्मेलन के हश्र को देखते हुए इस सम्मेलन से किसी बड़ी उपलब्धि की उम्मीद नहीं है .कोपेनहेगन में हुए सम्मेलन में कार्बन उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार विभिन्न देशों में मतभेद उभरने की वजह से किसी बाध्यकारी संधि पर हस्ताक्षर नहीं हो सका था.कोपनहेगन में जलवायु परिवर्तन को लेकर जिन बिन्दुओं पर मतभेद उभरे थे वो अब भी बरकरार हैं.
 
 उत्पादन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर  वैश्विक मंदी के दौर से उबर रही अर्थव्यवस्थाओं की पृष्ठभूमि में हो रहे इस सम्मेलन में कार्बन का उत्सर्जन बढ़ने और औसत वैश्विक तापमान में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी को रोकने के उपायों पर चर्चा हो रही है . संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख क्रिस्टीना फिगरेस ने विश्व के बढ़ते तापमान पर गहरी चिंता प्रगट करते हुए कहा कि  जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान की दिशा में काम करने के लिए एक दूसरे की जरुरतों को समझना होगा.

ऐसी संभावना जताई जा रही है कि वनों की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने में गरीब देशों की मदद की दिशा में कुछ प्रगति हो सकती है. मुख्य रूप से सम्मेलन का लक्ष्य गरीब देशों की मदद के लिए ग्रीन फंड बनाना, वनों का विनाश रोक कर कार्बन उत्सर्जन को कम करना और विकसित देशों से टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर को बढ़ावा देना है. सम्मेलन में गरीब देशों को  2012 तक जलवायु परिवर्तन के लिए तैयार करने के लिए अमेरिका द्वारा दिए 30 बिलियन डॉलर के ‘फास्ट ट्रैक फण्ड’ पर भी विमर्श किया जाएगा .इस सबके बावजूद कानकुन सम्मलेन से कुछ नतीजा निकलेगा इसकी उम्मीद कम ही है .