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15 अक्तूबर, 2010

भारत के लिए सिरदर्द हैं चीन और पाक


भारतीय सेना की नई भूमिका और उद्देश्य विषय पर सेमीनार

भारत की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान और चीन सबसे बड़े सिरदर्द बन गए हैं. यह मानना है भारतीय सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह का. उन्होंने अपनी इस सोच के पीछे कई वजहें भी बताई है.

जनरल सिंह का मानना है कि इन दोनों पड़ोसी मुल्कों से लगातार बढ़ रही सिरदर्दी की वजह से भारतीय सेनाओं को मौजूदा परमाणु युग में पारंपरिक युद्ध की सभी क्षमताओं से लैस होना चाहिए. नई दिल्ली में भारतीय सेना की नई भूमिका और उद्देश्य विषय पर आयोजित सेमिनार में जनरल सिंह ने यह बात कही.

    उन्होंने दलील दी कि पाकिस्तान लचर सरकारी तंत्र और दयनीय आंतरिक स्थिति के बीच आतंकवादी संगठनों की सुरक्षित पनाहगाह बन गया है. इन सब बातों का सीधा असर भारत पर पड़ता है और उसके लिए ये हालात चिंता का सबब बनते हैं. इसके अलावा चीन से भारत को आर्थिक और सामरिक दोनों मोर्चों पर लगातार खतरा बढ़ रहा है. उन्होंने कहा "सीमा विवाद होने के बावजूद हमारी सीमाओं पर स्थायित्व तो है लेकिन साझा सीमाओं वाले देशों की मंशा में खोट को देखते हुए हमें सैन्य क्षमताओं में इजाफा करना चाहिए."सेना प्रमुख ने कहा इस तरह के हालात सेना के मकसद और भूमिका नए सिरे से तय करने पर मजबूर करते हैं. हालांकि उन्होंने चीन के साथ युद्ध की सीधी आशंका को तो नकार दिया लेकिन इसके खतरे से इंकार नहीं किया. उन्होंने कहा "चीन के साथ हमारी सीमाओं पर स्थायित्व तो है लेकिन हम ढिलाई बरतने का खतरा मोल नहीं ले सकते."जनरल सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय सेनाओं को पारंपरिक युद्ध की स्थिति में परमाणु खतरे से निपटने की काबलियत में निखार लाने की जरूरत है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को अपनी सीमाओं के विस्तार की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है फिर भी सीमाओं पर चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर बारीक नजर रखने की जरूरत है.dw 00389