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19 अगस्त, 2023

स्वतंत्रता दिवस 2023 के कार्यक्रम की झलकियाँ

स्वतंत्रता दिवस 2023 के कार्यक्रम की झलकियाँ


 नगर पंचायत अभनपुर में ध्वजारोहण एवं स्वतंत्रता दिवस समारोह





स्वतंत्रता दिवस पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में ध्वजारोहण कर सभी को बधाई दी




स्वतंत्रता दिवस पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में भारत माँ की आरती में सम्मिलित हुआ.



सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में संबोधित करते हुए.




भाजपा कार्यालय अभनपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया.

10 अगस्त, 2023

'हमर सियान हमर अभिमान'

महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय रमेश बैस जी का नागरिक अभिनन्दन 



सरल, सहज, मिलनसार एवं कर्मठ राजनीतिज्ञ एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस हर वर्ग में लोकप्रिय हैं. उन्होंने 1978 में पार्षद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुवात की तत्पश्चात 1980 में मंदिरहसौद विधानसभा से चुनाव जीत कर मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।  वे 1989 में रायपुर से 9वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में पहली बार निवाचित हुए तत्पश्चात 1996 में 11वीं, फिर  12वीं, 13वीं, 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा में लगातार चुने गए. उन्होंने श्री अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में इस्पात एवं खान, रसायन और उर्वरक, सूचना और प्रसारण जैसे विभिन्न विभागों को संभाला और पर्यावरण व वन तथा खनन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में भी कार्य किया। 15वे लोकसभा में वे भाजपा संसदीय दल के मुख्य सचेतक बनाये गए. इसके अतिरिक्त उन्होंने सन 1992 में मध्यप्रदेश कृषि एवं बीज विकास निगम के अध्यक्ष के रूप में तथा संगठनात्मक रूप से मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश मंत्री एवं प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में संगठन में काम किया तथा छत्तीसगढ़ में भाजपा के विस्तार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। 


छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. सप्रे स्कूल मैदान से आमसभा में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण का संकल्प लिया तब तालियों से पूरा मैदान गूंज उठा था. इस संकल्प के पूर्व श्री बैस ने ही श्री वाजपेयी जी को छत्तीसगढ़वासियों की छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की बहुप्रतीक्षित मांग से अवगत कराया था. संसद में जब राज्य पुनर्गठन विधेयक पेश हुआ तब श्री रमेश बैस वाजपेयी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे, स्वाभाविक रूप से राज्य पुनर्गठन विधेयक के निर्माण से लेकर उसे पारित कराने तक आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. 

केंद्रीय मंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास में श्री बैस जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. केंद्र की अनेक महती योजनाओं को उन्होंने धरातल पर उतारा। राज्य की जनता को बेहतर स्वास्थ सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से श्री बैस जी के पहल पर ही रायपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना हुई, जिससे छत्तीसगढ़ के निवासियों को कम दर पर बेहतरीन  इलाज की सुविधाएं मिल रही है. हम सब वाकिफ है कि कोरोना काल में रायपुर का एम्स पीड़ितों के लिए वरदान सिद्ध हुआ है.
  

अत्यंत सरल, सहज एवं मृदुभाषी श्री रमेश बैस की कृषि व काष्ठकला में काफी रूचि है. कृषि एवं कृषक कल्याण तथा ग्रामीण विकास में आपका महत्वपूर्ण योगदान है, इनकी लोकप्रियता का एक मुख्य कारण ये भी रहा कि सांसद के रूप में रायपुर लोकसभा क्षेत्र का कोई ऐसा गांव नही जहां श्री बैस जी ने प्रवास ना किया हो. आज भी वे क्षेत्र के हर गांव के 50-100 बुजुर्गों, युवाओं एवं महिलाओं को उनके नाम से संबोधित करते है. इनके चार दशक से भी लंबे राजनीतिक कार्यकाल में रायपुर लोकसभा क्षेत्र में ऐसा कोई ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका या नगर निगम क्षेत्र नही है जहां आपने सांसद निधि से कोई काम ना कराया हो. अपने संसदीय क्षेत्र में उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ एवं सिचाई सुविधाओं के विस्तार पर सदैव ध्यान दिया है और आधारभूत संरचना को विकसित किया है.  श्री रमेश बैस जी की कर्मठता, लगनशीलता एवं लंबे प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें जुलाई 2019 में त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त किया वे जुलाई 2021 तक वे त्रिपुरा के राज्यपाल रहे. तत्पश्चात जुलाई 2021 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया, वे 17 फरवरी 2023 तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे. वर्तमान में वे 18 फरवरी 2023 से महाराष्ट्र के राज्यपाल है. 
महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में राज्यपाल की जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बावजूद छत्तीसगढ़ से उनका निरंतर संपर्क बना हुआ है. बुधवार 2 अगस्त 2023 को उनके रायपुर आगमन पर 'हमर सियान हमर अभिमान' आयोजन समिति रायपुर के तत्वावधान में सर्व समाज द्वारा उनका नागरिक अभिनन्दन किया गया. यह संयोग ही है कि 2 अगस्त को उनका जन्मदिन भी है. 










24 मई, 2023

'सेंगोल' सम्मुख होगा राष्ट्रबोध

अमृतकाल में हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को 

आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास



सें
गोल एक राजदंड है जो भारत का ऐतिहासिक धरोहर है. यह आजादी के जुड़ा एक प्रतीक है. 75 साल पूर्व 14 अगस्त 1947 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को स्वीकार किया था। यह अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था. पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई 2023 को नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को प्राप्त करेंगे जिसे नए संसद भवन में आसंदी के पास स्थापित किया जायेगा. आजादी के अमृतकाल में हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है। इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित हो रही है. सेंगोल
देश भर के चुने हुए प्रतिनिधि इस राजदंड सेंगोल के सम्मुख होकर जब कोई चर्चा करेंगे तब यह राजदंड उन्हें राष्ट्रबोध का आभाष कराएगा।
तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से निकला हुआ शब्द है। इसका अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा। किसी ज़माने में सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था. इसे इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था अब यह नए संसद भवन में शोभायमान होगा. संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत है. जहाँ इस विशाल भारत की जनता की समृद्धि व खुशहाली तथा राष्ट्रहित के मुद्दों पर नीतिगत फैसले लिए जाते है. देश भर के चुने हुए प्रतिनिधि इस राजदंड सेंगोल के सम्मुख होकर जब कोई चर्चा करेंगे तब यह राजदंड उन्हें राष्ट्रबोध का आभाष कराएगा, यानी 'सेंगोल' सम्मुख होगा राष्ट्रबोध.  google.co.in

16 मई, 2023

कोरोना के बाद अब टीबी के खिलाफ निर्णायक जंग

टीबी मुक्त भारत अभियान में 'निक्षय मित्र योजना' की प्रभावी भूमिका   


टीबी एक गंभीर जानलेवा बीमारी है. यह अन्य संक्रामक बिमारियों से ज्यादा घातक भी है. बैक्टीरिया से होने वाली यह बीमारी हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे इंसान के शरीर में फैलती है। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। परन्तु यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदों से यह इन्फेक्शन फैलता है। सन 1882 में वैज्ञानिक रॉबर्ट कॉक ने टीबी रोग के कारक जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस की खोज करके टीबी रोग उन्मूलन की राह आसान की. आज पूरी दुनिया इस बीमारी से चिंतित है. जानकारों के अनुसार दुनिया में प्रतिदिन  5,200 लोगों की मौत टीबी से होती है जबकि अकेले भारत में हर दिन लगभग 1,400 लोग टीबी से मरते हैं। दुनिया के कुल टीबी मरीजों में 25 प्रतिशत मरीज अकेले भारत में हैं. इसीलिए भारत में टीबी उन्मूलन हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास जारी है. सन 2030 तक विश्व को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले यानी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. स्वास्थ व परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार का पूरा अमला इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जी-जान से जुटा हैं। देशभर में टी.बी मरीजों की पहचान करके उनके उपचार की उचित व्यवस्था करना तथा उनका समुचित देखभाल करने का कार्य तीव्र गति से हो रहा है। उपचार अवधि में रोगियों को पोषण युक्त आहार नितांत आवश्यक है. शासन द्वारा डीबीटी के तहत मरीजों के खाते में प्रतिमाह 500 रु हस्तांतरित किये जा रहे हैं। इसके अलावा RNTCP के तहत सभी रोगियों को टीबी रोधी दवाओं सहित नि:शुल्क निदान और उपचार की सुविधा भी प्रदान की गई है। 

शासन ने इस अभियान को जन आंदोलन बनाने की नीयत से एक अभिनव योजना प्रारंभ की है, इस योजना को ‘निक्षय मित्र’ योजना नाम दिया गया है. इस योजना के तहत जनभागीदारी सुनिश्चित की गई है यानी टीबी के खिलाफ चल रहे जंग में जनता जनार्दन को भी शामिल कर लिया गया है. ‘निक्षय मित्र योजना' के तहत कोई भी व्यक्ति, समूह या संस्थायें मरीजों को पोषण, उपचार व आजीविका में मददगार बनकर प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान में अपना योगदान दे सकते हैं। इन्हें निक्षय मित्र नाम दिया गया है. निक्षय मित्र को कम से कम एक साल और अधिकतम तीन वर्षों तक रोगियों को गोद लेना होता हैं। परन्तु इसमें टी.बी रोगियो की सहमति आवश्यक हैं। 'निक्षय मित्र योजना' का प्रतिफल यह हुआ कि जन स्वास्थ्य एवं जन सरोकार से जुड़े इस अभियान में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहें हैं। 'निक्षय मित्र' बनने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति, कारोबारी, स्वयंसेवी संस्थाएं एवं अर्द्ध सरकारी संस्थाएं आगे आ रही है. टी.बी. उन्मूलन की दिशा में जन भागीदारी बढ़ गई है तथा इस योजना को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा हैं। इस अभियान से जुड़ने के लिए आप निक्षय पोर्टल www.nikshay.in पर रजिस्टर कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए निक्षय हेल्पलाईन नंबर 1800-11-6666 पर भी सम्पर्क किया जा सकता हैं। 

कोरोना महामारी के दौर में भारत ने जो महती भूमिका निभाई थी, अब टीबी उन्मूलन की दिशा में भी वही भूमिका दृष्टिगोचर हो रही हैं। देश के वैज्ञानिक भी इसके उन्मूलन के लिए नित नई नई दवाइयां व टीके की खोज कर रहे हैं। इस बिमारी को जड़ से खत्म करना हमारा सबका सामाजिक एवं राष्ट्रीय दायित्व है. निक्षय मित्र योजना सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई हैं। आइये हम सब निक्षय मित्र योजना में शामिल होकर 2025 तक टीबी मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करें।
- अशोक बजाज