सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरू घासीदास की आज जयन्ती है , पूरे छत्तीसगढ़ में उनके अनुयायी बड़े धूमधाम से यह पर्व मानते है वे मानवता के पुजारी थे . उनकी मान्यता थी - " मनखे मनखे एक हे ,मनखे के धर्म एक हे " . उन्होंने जीवन मूल्यों पर अधिक ध्यान दिया तथा लोंगो को शराब व मांस के सेवन से मुक्ति दिलाई. बाबा गुरू घासीदास ने समाज को सत्य, अहिंसा, समानता, न्याय और भाईचारे के मार्ग पर चलने की सीख दी . उनके विचारों से प्रेरणा लेकर हमने 18 दिसंबर 2007 को उनकी जयन्ती के अवसर पर " नशा हे ख़राब : जहाँ पीहू शराब "का नारा देते हुए नशामुक्ति आन्दोलन की शुरुवात की थी . इस आन्दोलन से सम्बंधित एक पोस्ट हमने 24/06/2010 को लगाई थी, इस ब्लॉग में नशापान एवं धुम्रपान से सम्बंधित कुछ और भी आलेख है .
बाबा गुरू घासीदास की जयन्ती के अवसर पर सतनामी संप्रदाय के सभी बहनों और भाइयों को हार्दिक बधाई !