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28 जुलाई, 2011

मेरी नेपाल यात्रा ( सातवीं किस्त )

हिमालय पर्वतमाला की वादियों में बसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पावन धरा नेपाल  में 9 जुलाई से 12 जुलाई 2011 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय  सहकारी सेमीनार में भाग लेने का अवसर मिला.इस सेमीनार का आयोजन राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर ने किया था . इन चार दिनों में नेपाल की प्रकृति, संस्कृति, रहन सहन, वेशभूषा, कृषि, पर्यटन एवं धर्म सम्बंधी अनेक जानकारी हमें मिली. नेपाल सांवैधानिक दृष्टि से एक अलग राष्ट्र है ; यहाँ का प्रधान, निशान व विधान भारत से अलग है, लेकिन रहन-सहन, बोली-भाषा और वेशभूषा लगभग एक जैसी है .नेपाल हमें स्वदेश जैसा ही प्रतीत हुआ .यह मेरी विदेश-यात्रा थी . नेपाल यात्रा की  सातवीं  किश्त...... 

पल पल बदलते प्रकृति के नज़ारे

 काठमांडू से प्लेन द्वारा एवरेस्ट घूमने की व्यवस्था है . अतः  12 जुलाई को एवरेस्ट जाने का प्रोग्राम बना . प्लेन 17 सीटर थी सो उतने ही  प्रतिनिधियों की बुकिंग हो गई . सुबह 6 बजे निकलना था सो चार बजे नींद खुल गई . होटल की खिड़की से झाँका तो देखा कि सामने पहाड़ का कुछ हिस्सा बादलों से ढका हुआ है . मैंने कैमरा निकाल कर उस दृश्य को कैमरे में कैद कर लिया . सुबह सुबह भौर में काठमांडू शहर , पहाड़ ,बादल व आसमान का दृश्य देखते ही बन रहा था . आधे घंटे बाद नजारा कुछ बदला हुआ था अतः पुनः तस्वीर ली , जैसे जैसे वक्त गुजर रहा था तथा जैसे जैसे उषाकिरण की रोशनी धरती पर पड़ रही थी वैसे वैसे नई  तस्वीर बनाती जा रही थी . जल्दी जाने की आपाधापी में भी हमने कुछ तस्वीरे ली और जैसे तैसे तैयार हुए . क्रमशः 

दृश्य  - 1
दृश्य  -2
दृश्य  -3
दृश्य  - 4
दृश्य  - 5
                                                                                         
अगली किश्त में हम आपको ले चलेंगे हिमालय के शिखर पर ...........