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10 सितंबर, 2011

बरसात, भूकंप, विष्फोट और मेट्रो ट्रेन की यात्रा

फोटो / दैनिक भास्कर रायपुर
            रायपुर से नई दिल्ली तक पानी ही पानी दृष्टिगोचर हो रहा है. रायपुर में पिछले 4 सितंबर से लगातार बारिश हो रही है. गत 7 सितंबर की शाम जब दिल्ली पहुंचा तो वहां मौसम सूखा था. दिल्ली हाई कोर्ट परिसर में दर्दनांक बम विस्फोट से दहशत का माहौल था. हम भी सहकारिता प्रकोष्ट के राष्ट्रीय संयोजक श्री धनंजय कुमार सिंह के साथ आतंकी घटनाओं से सम्बंधित खबरों में खोये हुए थे कि अचानक एक पल के लिए कमरे में ऐसी घड़घड़ाहट हुई जैसे कोई भारी सामान गिरा हो. धनंजय जी ने पूछा क्या हुआ ? मैंने कहा लगता है भूकंप आया है . अगले ही पल समाचार चैनल में पट्टी चलने लगी. अनुमान सही निकला. गनीमत है भूकंप का झटका ज्यादा समय तक नहीं था, मुश्किल से 4 - 6 सेकण्ड का रहा होगा. यदि ज्यादा समय तक झटका आता तो बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती. दूसरे दिन यानी 8 सितंबर को दिल्ली में बारिश शुरू हो गई जो 9 सितंबर को 4 बजे तक जारी है. रायपुर भी लौटना था, सड़क जाम होने की आशंका से मेट्रो एक्सप्रेस का सहारा लिया. इस ट्रेन ने 20 मिनट में शिवाजी स्टेडियम से एयरपोर्ट पहुंचा दिया. सड़क रास्ते से तो समय पर पहुँचना मुश्किल था. वापस रात में रायपुर लौटा तो देखा बारिश जारी है. लगातार 5 - 6 दिनों की झड़ी से छत्तीसगढ़ की तमाम नदियाँ उफान पर है. नदी के किनारे बसी बस्तियां जलमग्न हो गई है, कच्चे मकानों में रहने वालों की हालत बहुत बुरी है.
पिछले वर्ष भी लगभग यही स्थिति थी, सावन में नाम मात्र का पानी गिरा था तब सावन की बिदाई में एक छतीसगढ़ी कविता लिखी थी जो 25.08.2010 को ग्राम चौपाल में लगी थी . कविता का शीर्षक था " भादो म बरसबे, सावन असन " . . .

भादो म बरसबे, सावन असन
(छत्तीसगढ़ी कविता)
                                                  
चल दिस सावन,
पर ते जाबे झन;
सुक्खा हे धरती ,
ते रिसाबे झन;
भादो म बरसबे ,
सावन असन;

चुचुवावत हे पसीना,
फीजे हे बदन;
भविष्य के चिंता म,
बूड़े हे मन ; 
 भादो म बरसबे ,
सावन असन;
 
रदरद ले गिरबे ,
गरजबे झन ;
भर जाय तरिया ,
फीज जाय तन;
भादो म बरसबे ,
सावन असन;

आजा ते आजा ,
अगोरत हवन ;
खेत खार ला भरदे ,
करत हन मनन;
भादो म बरसबे,
सावन असन.