
हिन्दू मान्यता के अनुसार इसी दिन चन्द्र अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण
होता है. कुछ क्षेत्रों में इस व्रत को कौमुदी व्रत भी कहा जाता है. यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृ्ष्ण ने
गोपियों के साथ महारास रचा था.इस दिन चन्द्रमा कि किरणों से अमृत वर्षा
होने की मान्यता प्रसिद्ध है. इस दिन एरावत पर आरूढ़ हुए इन्द्र व महालक्ष्मी का पूजन किया
जाता है. इससे लक्ष्मी और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.