ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

19 अगस्त, 2023

स्वतंत्रता दिवस 2023 के कार्यक्रम की झलकियाँ

स्वतंत्रता दिवस 2023 के कार्यक्रम की झलकियाँ


 नगर पंचायत अभनपुर में ध्वजारोहण एवं स्वतंत्रता दिवस समारोह





स्वतंत्रता दिवस पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में ध्वजारोहण कर सभी को बधाई दी




स्वतंत्रता दिवस पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में भारत माँ की आरती में सम्मिलित हुआ.



सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में संबोधित करते हुए.




भाजपा कार्यालय अभनपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया.

10 अगस्त, 2023

'हमर सियान हमर अभिमान'

महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय रमेश बैस जी का नागरिक अभिनन्दन 



सरल, सहज, मिलनसार एवं कर्मठ राजनीतिज्ञ एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस हर वर्ग में लोकप्रिय हैं. उन्होंने 1978 में पार्षद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुवात की तत्पश्चात 1980 में मंदिरहसौद विधानसभा से चुनाव जीत कर मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।  वे 1989 में रायपुर से 9वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में पहली बार निवाचित हुए तत्पश्चात 1996 में 11वीं, फिर  12वीं, 13वीं, 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा में लगातार चुने गए. उन्होंने श्री अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में इस्पात एवं खान, रसायन और उर्वरक, सूचना और प्रसारण जैसे विभिन्न विभागों को संभाला और पर्यावरण व वन तथा खनन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में भी कार्य किया। 15वे लोकसभा में वे भाजपा संसदीय दल के मुख्य सचेतक बनाये गए. इसके अतिरिक्त उन्होंने सन 1992 में मध्यप्रदेश कृषि एवं बीज विकास निगम के अध्यक्ष के रूप में तथा संगठनात्मक रूप से मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश मंत्री एवं प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में संगठन में काम किया तथा छत्तीसगढ़ में भाजपा के विस्तार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। 


छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. सप्रे स्कूल मैदान से आमसभा में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण का संकल्प लिया तब तालियों से पूरा मैदान गूंज उठा था. इस संकल्प के पूर्व श्री बैस ने ही श्री वाजपेयी जी को छत्तीसगढ़वासियों की छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की बहुप्रतीक्षित मांग से अवगत कराया था. संसद में जब राज्य पुनर्गठन विधेयक पेश हुआ तब श्री रमेश बैस वाजपेयी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे, स्वाभाविक रूप से राज्य पुनर्गठन विधेयक के निर्माण से लेकर उसे पारित कराने तक आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. 

केंद्रीय मंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास में श्री बैस जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. केंद्र की अनेक महती योजनाओं को उन्होंने धरातल पर उतारा। राज्य की जनता को बेहतर स्वास्थ सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से श्री बैस जी के पहल पर ही रायपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना हुई, जिससे छत्तीसगढ़ के निवासियों को कम दर पर बेहतरीन  इलाज की सुविधाएं मिल रही है. हम सब वाकिफ है कि कोरोना काल में रायपुर का एम्स पीड़ितों के लिए वरदान सिद्ध हुआ है.
  

अत्यंत सरल, सहज एवं मृदुभाषी श्री रमेश बैस की कृषि व काष्ठकला में काफी रूचि है. कृषि एवं कृषक कल्याण तथा ग्रामीण विकास में आपका महत्वपूर्ण योगदान है, इनकी लोकप्रियता का एक मुख्य कारण ये भी रहा कि सांसद के रूप में रायपुर लोकसभा क्षेत्र का कोई ऐसा गांव नही जहां श्री बैस जी ने प्रवास ना किया हो. आज भी वे क्षेत्र के हर गांव के 50-100 बुजुर्गों, युवाओं एवं महिलाओं को उनके नाम से संबोधित करते है. इनके चार दशक से भी लंबे राजनीतिक कार्यकाल में रायपुर लोकसभा क्षेत्र में ऐसा कोई ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका या नगर निगम क्षेत्र नही है जहां आपने सांसद निधि से कोई काम ना कराया हो. अपने संसदीय क्षेत्र में उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ एवं सिचाई सुविधाओं के विस्तार पर सदैव ध्यान दिया है और आधारभूत संरचना को विकसित किया है.  श्री रमेश बैस जी की कर्मठता, लगनशीलता एवं लंबे प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें जुलाई 2019 में त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त किया वे जुलाई 2021 तक वे त्रिपुरा के राज्यपाल रहे. तत्पश्चात जुलाई 2021 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया, वे 17 फरवरी 2023 तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे. वर्तमान में वे 18 फरवरी 2023 से महाराष्ट्र के राज्यपाल है. 
महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में राज्यपाल की जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बावजूद छत्तीसगढ़ से उनका निरंतर संपर्क बना हुआ है. बुधवार 2 अगस्त 2023 को उनके रायपुर आगमन पर 'हमर सियान हमर अभिमान' आयोजन समिति रायपुर के तत्वावधान में सर्व समाज द्वारा उनका नागरिक अभिनन्दन किया गया. यह संयोग ही है कि 2 अगस्त को उनका जन्मदिन भी है. 










24 मई, 2023

'सेंगोल' सम्मुख होगा राष्ट्रबोध

अमृतकाल में हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को 

आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास



सें
गोल एक राजदंड है जो भारत का ऐतिहासिक धरोहर है. यह आजादी के जुड़ा एक प्रतीक है. 75 साल पूर्व 14 अगस्त 1947 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को स्वीकार किया था। यह अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था. पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई 2023 को नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को प्राप्त करेंगे जिसे नए संसद भवन में आसंदी के पास स्थापित किया जायेगा. आजादी के अमृतकाल में हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है। इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित हो रही है. सेंगोल
देश भर के चुने हुए प्रतिनिधि इस राजदंड सेंगोल के सम्मुख होकर जब कोई चर्चा करेंगे तब यह राजदंड उन्हें राष्ट्रबोध का आभाष कराएगा।
तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से निकला हुआ शब्द है। इसका अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा। किसी ज़माने में सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था. इसे इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था अब यह नए संसद भवन में शोभायमान होगा. संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत है. जहाँ इस विशाल भारत की जनता की समृद्धि व खुशहाली तथा राष्ट्रहित के मुद्दों पर नीतिगत फैसले लिए जाते है. देश भर के चुने हुए प्रतिनिधि इस राजदंड सेंगोल के सम्मुख होकर जब कोई चर्चा करेंगे तब यह राजदंड उन्हें राष्ट्रबोध का आभाष कराएगा, यानी 'सेंगोल' सम्मुख होगा राष्ट्रबोध.  google.co.in

16 मई, 2023

कोरोना के बाद अब टीबी के खिलाफ निर्णायक जंग

टीबी मुक्त भारत अभियान में 'निक्षय मित्र योजना' की प्रभावी भूमिका   


टीबी एक गंभीर जानलेवा बीमारी है. यह अन्य संक्रामक बिमारियों से ज्यादा घातक भी है. बैक्टीरिया से होने वाली यह बीमारी हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे इंसान के शरीर में फैलती है। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। परन्तु यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदों से यह इन्फेक्शन फैलता है। सन 1882 में वैज्ञानिक रॉबर्ट कॉक ने टीबी रोग के कारक जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस की खोज करके टीबी रोग उन्मूलन की राह आसान की. आज पूरी दुनिया इस बीमारी से चिंतित है. जानकारों के अनुसार दुनिया में प्रतिदिन  5,200 लोगों की मौत टीबी से होती है जबकि अकेले भारत में हर दिन लगभग 1,400 लोग टीबी से मरते हैं। दुनिया के कुल टीबी मरीजों में 25 प्रतिशत मरीज अकेले भारत में हैं. इसीलिए भारत में टीबी उन्मूलन हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास जारी है. सन 2030 तक विश्व को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले यानी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. स्वास्थ व परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार का पूरा अमला इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जी-जान से जुटा हैं। देशभर में टी.बी मरीजों की पहचान करके उनके उपचार की उचित व्यवस्था करना तथा उनका समुचित देखभाल करने का कार्य तीव्र गति से हो रहा है। उपचार अवधि में रोगियों को पोषण युक्त आहार नितांत आवश्यक है. शासन द्वारा डीबीटी के तहत मरीजों के खाते में प्रतिमाह 500 रु हस्तांतरित किये जा रहे हैं। इसके अलावा RNTCP के तहत सभी रोगियों को टीबी रोधी दवाओं सहित नि:शुल्क निदान और उपचार की सुविधा भी प्रदान की गई है। 

शासन ने इस अभियान को जन आंदोलन बनाने की नीयत से एक अभिनव योजना प्रारंभ की है, इस योजना को ‘निक्षय मित्र’ योजना नाम दिया गया है. इस योजना के तहत जनभागीदारी सुनिश्चित की गई है यानी टीबी के खिलाफ चल रहे जंग में जनता जनार्दन को भी शामिल कर लिया गया है. ‘निक्षय मित्र योजना' के तहत कोई भी व्यक्ति, समूह या संस्थायें मरीजों को पोषण, उपचार व आजीविका में मददगार बनकर प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान में अपना योगदान दे सकते हैं। इन्हें निक्षय मित्र नाम दिया गया है. निक्षय मित्र को कम से कम एक साल और अधिकतम तीन वर्षों तक रोगियों को गोद लेना होता हैं। परन्तु इसमें टी.बी रोगियो की सहमति आवश्यक हैं। 'निक्षय मित्र योजना' का प्रतिफल यह हुआ कि जन स्वास्थ्य एवं जन सरोकार से जुड़े इस अभियान में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहें हैं। 'निक्षय मित्र' बनने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति, कारोबारी, स्वयंसेवी संस्थाएं एवं अर्द्ध सरकारी संस्थाएं आगे आ रही है. टी.बी. उन्मूलन की दिशा में जन भागीदारी बढ़ गई है तथा इस योजना को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा हैं। इस अभियान से जुड़ने के लिए आप निक्षय पोर्टल www.nikshay.in पर रजिस्टर कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए निक्षय हेल्पलाईन नंबर 1800-11-6666 पर भी सम्पर्क किया जा सकता हैं। 

कोरोना महामारी के दौर में भारत ने जो महती भूमिका निभाई थी, अब टीबी उन्मूलन की दिशा में भी वही भूमिका दृष्टिगोचर हो रही हैं। देश के वैज्ञानिक भी इसके उन्मूलन के लिए नित नई नई दवाइयां व टीके की खोज कर रहे हैं। इस बिमारी को जड़ से खत्म करना हमारा सबका सामाजिक एवं राष्ट्रीय दायित्व है. निक्षय मित्र योजना सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई हैं। आइये हम सब निक्षय मित्र योजना में शामिल होकर 2025 तक टीबी मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करें।
- अशोक बजाज


 

11 मई, 2023

छत्तीसगढ़ के अनेक प्रसंग 'मन की बात' से चर्चित हुए और प्रेरणा बने

   रेडियो और खादी को पीएम मोदी ने पुनः चलन में ला दिया


रेडियो से प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम के अब तक 100 एपिसोड पूरे हो चुके है. शतकीय एपिसोड का प्रसारण 30 अप्रेल 2023 को हुआ. मन की बात में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सदैव सम-सामयिक एवं जन उपयोगी विषयों पर संवाद करते हुए नई ऊर्जा भर देतें है. शायद ही कोई विषय ऐसा हो जो उनसे अछूता हो. यह 'मन की बात' का ही प्रभाव है कि स्वच्छता, कुपोषण मुक्ति एवं जल सरंक्षण जैसे अभियानों ने अब जन आंदोलन का स्वरुप ले लिया है. रेडियो और खादी को उन्होंने पुनः चलन में ला दिया. अपने संवाद में वे सभी वर्गों व क्षेत्रों को समेट लेते हैं. मजे की बात तो यह है कि मन की बात में जिस व्यक्ति, क्षेत्र या विषय की चर्चा होती है वह तुरंत दुनिया भर में ट्रेंड हो जाता है.

मन की बात हो और छत्तीसगढ़ का जिक्र ना हो यह कैसे हो सकता है. श्री मोदी ने इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ का उल्लेख अनेकों बार किया. उन्होंने 26 जुलाई 2015 को 10 वे एपिसोड में राजनांदगाव जिले के केसला गांव का उल्लेख किया तो पूरे छत्तीसगढ़ वासियों का सीना चौड़ा हो गया. हर जगह केसला गांव के लोगों की सोच और समझदारी की चर्चा होने लगी. उन्होनें कहा था - "अभी एक समाचार मेरे कान पे आये थे, कभी-कभी ये छोटी-छोटी चीज़ें बहुत मेरे मन को आनंद देती हैं। इसलिए मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ। छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव में केसला करके एक छोटा सा गाँव है। उस गाँव के लोगों ने पिछले कुछ महीनों से कोशिश करके टायलेट बनाने का अभियान चलाया और अब उस गाँव में किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच नहीं जाना पड़ता है। ये तो उन्होंने किया लेकिन जब पूरा काम पूरा हुआ तो पूरे गाँव ने जैसे कोई बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है वैसा उत्सव मनाया। गाँव ने ये सिद्धि प्राप्त की। केसला गाँव समस्त ने मिल कर के एक बहुत बड़ा आनंदोत्सव मनाया। समाज जीवन में मूल्य कैसे बदल रहे हैं, जन-मन कैसे बदल रहा है और देश का नागरिक देश को कैसे आगे ले जा रहा है इसके ये उत्तम उदाहरण मेरे सामने आ रहे हैं।"


इसी प्रकार उन्होंने 27 दिसंबर 2015 को 15 वी कड़ी में स्वामी विवेकानंद जी की जन्म-जयंती पर रायपुर में प्रस्तावित राष्ट्रीय युवा महोत्सव के संबंध में कहा था - "प्यारे नौजवान साथियो, 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जी की जन्म-जयंती है। मेरे जैसे इस देश के कोटि-कोटि लोग हैं जिनको स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरणा मिलती रही है। 1995 से 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती को एक राष्ट्रीय युवा उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष ये 12 जनवरी से 16 जनवरी तक छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाला है और मुझे जानकारी मिली कि इस बार की उनकी जो थीम है, क्योंकि उनका ये इवेंट थीम बेस्ड होता है, थीम बहुत बढ़िया है ‘इण्डिया यूथ ऑन डेवलपमेंट स्किल एन्ड हार्मोनी’. मुझे बताया गया कि सभी राज्यों से, हिंदुस्तान के कोने-कोने से 10 हज़ार से ज़्यादा युवा इकट्ठे होने वाले हैं। एक लघु भारत का दृश्य वहाँ पैदा होने वाला है। युवा भारत का दृश्य पैदा होने वाला है। एक प्रकार से सपनों की बाढ़ नज़र आने वाली है। संकल्प का एहसास होने वाला है। इस यूथ फेस्टिवल के संबंध में क्या आप मुझे अपने सुझाव दे सकते हैं ? मैं ख़ास कर के युवा दोस्तों से आग्रह करता हूँ कि मेरी जो ‘नरेंद्र मोदी एप’ है उस पर आप डायरेक्टली मुझे अपने विचार भेजिए। मैं आपके मन को जानना-समझना चाहता हूँ और जो ये नेशनल यूथ फेस्टिवल में रिफ्लेक्ट हो, मैं सरकार में उसके लिए उचित सुझाव भी दूँगा, सूचनाएँ भी दूँगा। तो मैं इंतज़ार करूँगा दोस्तो, ‘नरेंद्र मोदी एप’ पर यूथ फेस्टिवल के संबंध में आपके विचार जानने के लिए।"

श्री मोदी ने 28 अगस्त 2016 को 23 वे एपिसोड में कबीरधाम जिले के स्कूली बच्चों से जुड़े एक प्रसंग का जिक्र बड़े ही आदर व सम्मान के साथ किया। अचरज भी हुआ क्योकिं जिस प्रसंग की जानकारी अच्छों अच्छों को नहीं थी लेकिन प्रधानमंत्री की पैनी निगाह ने खोज कर ली. यही तो चमत्कार है. उन्होंने कहा था- "मेरे प्यारे देशवासियों, कुछ बातें मुझे कभी-कभी बहुत छू जाती हैं और जिनको इसकी कल्पना आती हो, उन लोगों के प्रति मेरे मन में एक विशेष आदर भी होता है। 15 जुलाई को छत्तीसगढ़ के कबीरधाम ज़िले में करीब सत्रह-सौ से ज्यादा स्कूलों के सवा-लाख से ज़्यादा विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से अपने-अपने माता-पिता को चिट्ठी लिखी। किसी ने अंग्रेज़ी में लिख दिया, किसी ने हिंदी में लिखा, किसी ने छत्तीसगढ़ी में लिखा, उन्होंने अपने माँ-बाप से चिट्ठी लिख कर के कहा कि हमारे घर में टायलेट होना चाहिए। टायलेट बनाने की उन्होंने माँग की, कुछ बालकों ने तो ये भी लिख दिया कि इस साल मेरा जन्मदिन नहीं मनाओगे तो चलेगा, लेकिन टायलेट ज़रूर बनाओ। सात से सत्रह साल की उम्र के इन बच्चों ने इस काम को किया और इसका इतना प्रभाव हुआ, इतना इमोशनल इंपैक्ट हुआ कि चिट्ठी पाने के बाद जब दूसरे दिन स्कूल आया, तो माँ-बाप ने उसको एक चिट्ठी पकड़ा दी टीचर को देने के लिये और उसमें माँ-बाप ने वादा किया था कि फ़लानी तारीख तक वह टायलेट बनवा देंगे। जिसको ये कल्पना आई उनको भी अभिनन्दन, जिन्होंने ये प्रयास किया उन विद्यार्थियों को भी अभिनन्दन और उन माता-पिता को विशेष अभिनन्दन कि जिन्होंने अपने बच्चे की चिट्ठी को गंभीर ले करके टायलेट बनाने का काम करने का निर्णय कर लिया। यही तो है, जो हमें प्रेरणा देता है।"

देश और समाज में हो रहे सकारात्मक बदलाव में देश की नारी-शक्ति की भूमिका पर चर्चा करते हुए 28 जनवरी 2018 को 40 वे एपिसोड में उन्होंने ई-रिक्शा चलाने वाली दंतेवाड़ा की आदिवासी महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि "छत्तीसगढ़ की हमारी आदिवासी महिलाओं ने भी कमाल कर दिया है। उन्होंने एक नई मिसाल पेश की है। आदिवासी महिलाओं का जब ज़िक्र आता है तो सभी के मन में एक निश्चित तस्वीर उभर कर आती है। जिसमें जंगल होता है,पगडंडियां होती हैं, उन पर लकड़ियों का बोझ सिर पर उठाये चल रही महिलाएँ। लेकिन छत्तीसगढ़ की हमारी आदिवासी नारी, हमारी इस नारी-शक्ति ने देश के सामने एक नई तस्वीर बनाई है। छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा इलाक़ा, जो माओवाद-प्रभावित क्षेत्र है। हिंसा, अत्याचार, बम, बन्दूक, पिस्तौल - माओवादियों ने इसी का एक भयानक वातावरण पैदा किया हुआ है। ऐसे ख़तरनाक इलाक़े में आदिवासी महिलाएँ  ई-रिक्शा  चला कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। बहुत ही थोड़े कालखंड में कई सारी महिलाएँ इससे जुड़ गयी हैं। और इससे तीन लाभ हो रहे हैं, एक तरफ जहाँ स्वरोजगार ने उन्हें सशक्त बनाने का काम किया है वहीँ इससे माओवाद-प्रभावित इलाक़े की तस्वीर भी बदल रही है और इन सबके साथ इससे पर्यावरण-संरक्षण के काम को भी बल मिल रहा है।" 

रायपुर नगर निगम के कचरा महोत्सव के श्री मोदी भी मुरीद हुए थे, उन्होंने 41 वे एपिसोड में दिनांक 25 फरवरी 2018 को इसे स्वच्छता के लिए अनूठा प्रयास निरूपित करते हुए कहा था - " मेरे प्यारे देशवासियो, आज तक हम म्यूजिक फेस्टिवल, फ़ूड फेस्टिवल फिल्म फेस्टिवल  न जाने कितने-कितने प्रकार के फेस्टिवल  के बारे में सुनते आए हैं । लेकिन छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अनूठा प्रयास करते हुए राज्य का पहला ‘कचरा महोत्सव’ आयोजित किया गया। रायपुर नगर निगम द्वारा आयोजित इस महोत्सव के पीछे जो उद्देश्य था वह था स्वच्छता को लेकर जागरूकता। शहर के वेस्ट का क्रिएटिवेली यूज करना और गार्बेज को रि-यूज करने के विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना। इस महोत्सव के दौरान तरह-तरह की एक्टिविटी हुई जिसमें छात्रों से लेकर बड़ों तक, हर कोई शामिल हुआ। कचरे का उपयोग करके अलग-अलग तरह की कलाकृतियाँ बनाई गईं। वेस्ट मैनेजमेंट के सभी पहलूओं पर लोगों को शिक्षित करने के लिए वर्कशॉप आयोजित किये गए। स्वच्छता के थीम पर म्यूजिक परफॉर्मेंस हुई। आर्ट वर्क बनाए गए। रायपुर से प्रेरित होकर अन्य ज़िलों में भी अलग-अलग तरह के कचरा उत्सव हुए। हर किसी ने अपनी-अपनी तरफ से पहल करते हुए स्वच्छता को लेकर इंनोवेटिव आइडियाज शेयर किये, चर्चाएं की, कविता पाठ हुए। स्वच्छता को लेकर एक उत्सव-सा माहौल तैयार हो गया। खासकर स्कूली बच्चों ने जिस तरह बढ़-चढ़ करके भाग लिया, वह अद्भुत था। वेस्ट मैनेजमेंट और स्वच्छता के महत्व को जिस  अभिनव तरीक़े से इस महोत्सव में प्रदर्शित किया गया, इसके लिए रायपुर नगर निगम, पूरे छत्तीसगढ़ की जनता और वहां की सरकार और प्रशासन को मैं ढ़ेरों बधाइयाँ देता हूँ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बस्तर के बीजापुर में आई ई डी ब्लास्ट में शहीद सीआरपीएफ के स्निफर डॉग 'क्रेकर' की दिनांक 30 अगस्त 2020 को मन की बात के 68 वे एपिसोड में चर्चा करते हुए अपने मन के भाव को यूँ प्रकट किया - "एक डॉग बलराम ने 2006 में अमरनाथ यात्रा के रास्ते में, बड़ी मात्रा में, गोला-बारूद खोज निकाला था | 2002 में डॉग भावना ने आई ई डी खोजा था, आई ई डी निकालने के दौरान आंतकियों ने विस्फोट कर दिया और श्वान शहीद हो गये | दो-तीन वर्ष पहले छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सीआरपीएफ का स्निफर डॉग 'क्रेकर' भी आई ई डी ब्लास्ट में शहीद हो गया था | अगली बार, जब भी आपडॉग पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी इंडियन बीड के डॉग को घर लाएँ | आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है |"

कोरोना महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता की जिस प्रकार हौसला अफजाई की वह किसी से छुपी नहीं है. उन्होंने कोरोना वारियर्स का हौसला भी डिगने नहीं दिया। मन की बात में दिनांक 25 अप्रेल 2021 को उन्होंने रायपुर के डॉक्टर बी.आर. अम्बेडकर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कार्यरत एक नर्स भावना ध्रुव से सीधे बात की थी। मुश्किल दौर में इस मोदी मन्त्र से देश भर के कोरोना वारियर्स को एक प्रकार से संजीवनी मिल गई.  इसी प्रकार उन्होंने 24 अक्टूबर 2021 को छत्तीसगढ़ के देऊर गाँव की महिलाओं द्वारा गाँव के चौक-चौराहों, सड़कों और मंदिरों की सफाई कार्य का जिक्र करते हुए सराहना की थी. शतकीय कड़ी में उन्होंने पुनः इसका जिक्र किया। 91 वे एपिसोड में दिनांक 31 जुलाई 2022 को श्री मोदी ने नारायणपुर बस्तर के ‘मावली मेले’ का उल्लेख किया था. मन की बात के 97 वे तथा वर्ष 2023 के पहले एपिसोड में दिनांक 29 जनवरी को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष का जिक्र करते हुए कहा था - "अगर आपको छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जाने का मौका मिले तो यहाँ के 'मिलेटस कैफे' जरुर जाइएगा। कुछ ही महीने पहले शुरू हुए इस 'मिलेटस कैफे' में चीला, डोसा, मोमोस, पिज़्ज़ा और मंचूरियन जैसे आईटम खूब पॉपुलर हो रहे हैं।" इसी एपिसोड में उन्होंने बिलासपुर में आठ प्रकार के मिलेट्स का आटा और उसके व्यंजन बनाने के काम में लगे के एफपीओ की जानकारी दी   इसी एपिसोड में आगे उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय हमारी धरती, हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। देश और समाज के विकास में उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। उनके लिए काम करने वाले व्यक्तित्वों का सम्मान, नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा। इस वर्ष पद्म पुरस्कारों की गूँज उन इलाकों में भी सुनाई दे रही है, जो नक्सल प्रभावित हुआ करते थे। अपने प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गुमराह युवकों को सही राह दिखाने वालों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसके लिए कांकेर में लकड़ी पर नक्काशी करने वाले अजय कुमार मंडावी और गढ़चिरौली के प्रसिद्द झाडीपट्टी रंगभूमि से जुड़े परशुराम कोमाजी खुणे को भी ये सम्मान मिला है। इसी प्रकार नॉर्थ-ईस्ट में अपनी संस्कृति के संरक्षण में जुटे रामकुईवांगबे निउमे, बिक्रम बहादुर जमातिया और करमा वांगचु को भी सम्मानित किया गया है।

यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव करने वाली बात है कि 'मन की बात' के माध्यम से छत्तीसगढ़ के अनेक प्रसंग पूरे देश में चर्चित भी हुए और प्रेरणा भी बने.   

लेखक- अशोक बजाज
 पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत रायपुर 
पी-3, सेल्स टैक्स कालोनी खम्हारडीह, शंकरनगर रायपुर 492007 

09 मई, 2023

आलेख 'स्वर्णिम भारत की शुरुवात : मन की बात' के प्रकाशन के लिए संपादकों का आभार

प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी द्वारा प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित #मन_की_बात के ऐतिहासिक 100 वे एपिसोड { शतकीय कड़ी } के अवसर पर 'स्वर्णिम भारत की शुरुवात : मन की बात' शीर्षक से देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचना प्रकाशित हुई. दैनिक एक्शन इंडिया नई दिल्ली, दैनिक आज वाराणसी, दैनिक त्रिनेत्र रेवाड़ी, दैनिक हरिभूमि रायपुर, दैनिक तरुण छत्तीसगढ़ रायपुर, दैनिक स्वतंत्र स्वर रायपुर, दैनिक अमन पथ रायपुर, दैनिक लोकशक्ति रायपुर, दैनिक अमर छत्तीसगढ़ राजनांदगांव, दैनिक ट्रू सोल्जर रायपुर, दैनिक श्रम बिंदु भिलाई, दैनिक लोककिरण रायपुर एवं दैनिक अग्रदूत रायपुर आदि समस्त पत्र-पत्रिकाओं के माननीय संपादकों का मैं आभारी हूँ.


action india new delhi 29.04.2023


amanpath 26.04.2023 

aaj varanasi 26.04.2023 


 amar chhattisgarh rjn 25.04.2023

haribhoomi raipur 26.04.2023

lok kiran 26.04.2023

lok shakti 26.04.2023

shram bindu 26.04.2023

swatamtra swar 25.04.2023

tarun chhattisgarh 25.04.2023

trinetra rewadi 26.04.2023

true soldier  26.04.2023



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06 मई, 2023

मन की बात" से देश में नई कार्य संस्कृति विकसित हुई

  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के"मन की बात" की ऐतिहासिक 100 वीं कड़ी पर विशेष आलेख

स्वच्छता, कुपोषण मुक्ति एवं जल सरंक्षण जैसे अभियानों ने अब जन आंदोलन का स्वरुप ले लिया है


"मेरे लिए ‘मन की बात’ ये एक कार्यक्रम नहीं है, मेरे लिए एक आस्था, पूजा, व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मेरे लिए ‘मन की बात’ ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है। ‘मन की बात’ मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है। ‘मन की बात’ स्व से समिष्टि की यात्रा है। ‘मन की बात’ अहम् से वयम् की यात्रा है। यह तो मैं नहीं तू ही इसकी संस्कार साधना है।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात के 100 वें एपिसोड में प्रकट की गई इन भावनाओं से हर भारतीय गौरवान्वित महसूस कर रहा है. वास्तव में उनके पास बहुत बड़ा ज्ञान का खजाना है. वे 'मन की बात' के माध्यम से ज्ञान का खजाना  लुटाते है. उन्होंने विलुप्त हो रहे  संचार के प्राचीन माध्यम रेडियो को ना केवल पुनर्जीवित किया बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि रेडियो आज भी प्रासंगिक है तथा संचार का सशक्त माध्यम है.   


मन की बात में प्रधानमंत्री श्री मोदी सदैव सम-सामयिक एवं जन उपयोगी विषयों पर संवाद करते हैं तथा लोगों का हौसला अफजाई करते है. इस कार्यक्रम के माध्यम से कभी वे देश के नौजवानों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, कभी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हैं, कभी विद्यार्थियों को परीक्षा के तनाव से मुक्त होने का गुर सिखाते हैं, कभी किसानों को नई तकनीक के साथ अन्न उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं. अब तक के एपिसोड में वे खेती-किसानी, नारी जागरण, स्वच्छता अभियान, प्राकृतिक आपदा, जलवायु परिवर्तन एवं जल संरक्षण व संवर्धन, स्वदेशी उत्पाद , कुपोषण, सिंगल यूज प्लास्टिक, फिट इंडिया, डिज़िटल इण्डिया, ड्रग्स व अन्य मादक पदार्थों  के दुष्परिणाम, नमामि गंगे, सड़क सुरक्षा, वेस्ट टू वेल्थ, अंगदान आदि अन्यान्य विषयों पर चर्चा कर चुके है. 'मन की बात' वे इतने प्रभावी ढंग से कहते है कि उनके द्वारा कही गई बातें लोगों के दिलों को छू जाती है. यही वजह है कि स्वच्छता, कुपोषण मुक्ति एवं जल सरंक्षण जैसे अभियानों ने अब जन आंदोलन का स्वरुप ले लिया है. 

प्रधानमंत्री श्री मोदी के ही शब्दों में जानिए उन्होंने प्रथम एपिसोड में क्या प्रेरणा दी थी - "मेरे देशवासियों, सवा सौ करोड़ देशवासियों के भीतर अपार शक्ति है, अपार सामर्थ्य है। हमें अपने आपको पहचानने की जरूरत है। हमारे भीतर की ताकत को पहचानने की जरूरत है और फिर जैसा स्वामी विवेकानंदजी ने कहा था उस आत्म-सम्मान को ले करके, अपनी सही पहचान को ले करके हम चल पड़ेंगे, तो विजयी होंगे और हमारा राष्ट्र भी विजयी होगा, सफल होगा। मुझे लगता है हमारे सवा सौ करोड़ देशवासी भी सामर्थ्यवान हैं, शक्तिवान हैं और हम भी बहुत विश्वास के साथ खड़े हो सकते हैं।" उन्होंने आगे कहा "मेरे देशवासियों, जब तक हम चलने का संकल्प नहीं करते, हम खुद खड़े नहीं होते, तब रास्ता दिखाने वाले भी नहीं मिलेंगे, हमें उंगली पकड़ कर चलाने वाले नहीं मिलेंगे। चलने की शुरूआत हमें करनी पड़ेगी और मुझे विश्वास है कि सवा सौ करोड़ जरूर चलने के लिए सामर्थ्यवान है, चलते रहेंगे।" ये सारा मेरा बातचीत करने का इरादा एक ही है। आओ, हम सब मिल करके अपनी भारत माता की सेवा करें। हम देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जायें। हर कोई एक कदम चले, अगर आप एक कदम चलते हैं, देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाता है.

खादी की खपत और उत्पादन बढ़ाने में मन की बात के योगदान को कोई भूल नहीं पायेगा, श्री मोदी ने खादी के महत्व पर प्रकाश क्या डाला खादी के दिन फिर लौट आये उन्होंने पहले ही एपिसोड में खादी की चर्चा करते हुए कहा था "आपके परिवार में अनेक प्रकार के वस्त्र  होंगे, अनेक प्रकार के फैब्रिक्स होंगे, अनेक कंपनियों के प्रॉडक्ट होंगे, क्या उसमें एक खादी का नहीं हो सकता क्या ?  मैं अपको खादीधारी बनने के लिए नहीं कह रहा, आप पूर्ण खादीधारी होने का व्रत करें, ये भी नहीं कह रहा। मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि कम से कम एक चीज भले ही वह हैंडकरचीफ,  भले घर में नहाने का तौलिया हो, भले हो सकता है बैडशीट हो, तकिए का कबर हो, पर्दा हो, कुछ तो भी हो, अगर परिवार में हर प्रकार के फैब्रिक्स का शौक है,  हर प्रकार के कपड़ों का शौक है, तो ये नियमित होना चाहिए और ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि अगर आप खादी का वस्त्र खरीदते हैं तो एक गरीब के घर में दीवाली का दीया जलता है." उनकी इस भावनात्मक अपील का असर ये हुआ कि देखते ही देखते बाजार में खादी के कपड़ों की मांग बढ़ गई. खादी की खपत बढ़ने का जिक्र उन्होने बाद के अनेक कड़ियों में किया और बताया कि "उत्तर प्रदेश में वाराणसी सेवापुर में सेवापुरी का खादी आश्रम 26 साल से बंद पड़ा था, लेकिन आज पुनर्जीवित हो गया. अनेक प्रकार की प्रवर्तियों को जोड़ा गया. अनेक लोगों को रोज़गार के नये अवसर पैदा किये. कश्मीर में पम्पोर में खादी एवं ग्रामोद्योग ने बंद पड़े अपने प्रशिक्षण केंद्र को फिर से शुरू किया और कश्मीर के पास तो इस क्षेत्र में देने के लिए बहुत कुछ है." 

मन की बात में श्री मोदी सदैव छात्रों को परीक्षा के तनाव से मुक्ति की सलाह देते हैं उन्होंने 5 वी कड़ी में कहा था कि "हम हमेशा अपनी प्रगति किसी और की तुलना में ही नापने के आदी होते हैं। हमारी पूरी शक्ति प्रतिस्पर्धा में खप जाती है। जीवन के बहुत क्षेत्र होंगे, जिनमें शायद प्रतिस्पर्धा जरूरी होगी, लेकिन स्वयं के विकास के लिए तो प्रतिस्पर्धा उतनी प्रेरणा नहीं देती है, जितनी कि खुद के साथ हर दिन स्पर्धा करते रहना। खुद के साथ ही स्पर्धा कीजिये, अच्छा करने की स्पर्धा, तेज गति से करने की स्पर्धा, और ज्यादा करने की स्पर्धा, और नयी ऊंचाईयों पर पहुँचने की स्पर्धा आप खुद से कीजिये, बीते हुए कल से आज ज्यादा अच्छा हो इस पर मन लगाइए और आप देखिये ये स्पर्धा की ताकत आपको इतना संतोष देगी, इतना आनंद देगी जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। हम लोग बड़े गर्व के साथ एथलीट सेरगेई बूबका का स्मरण करते हैं। इस एथलीट ने पैंतीस बार खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ा था। वह खुद ही अपने एक्ज़ाम लेता था। खुद ही अपने आप को कसौटी पर कसता था और नए संकल्पों को सिद्ध करता था। आप भी उसी लिहाज से आगे बढें तो आप देखिये आपको प्रगति के रास्ते पर कोई नहीं रोक सकता है।" उन्होंने कार्यक्रम के 17 वे अपिसोड में विद्यार्थियों से सवाल किया कि 'प्रतिस्पर्धा क्यों ? अनुस्पर्धा क्यों नहीं। हम दूसरों से स्पर्धा करने में अपना समय क्यों बर्बाद करें। हम खुद से ही स्पर्धा क्यों न करें। हम अपने ही पहले के सारे रिकॉर्ड क्यों न तोड़ें। आप देखिये, आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पायेगा और अपने ही पिछले रिकॉर्ड को जब तोड़ोगे, तब आपको खुशी के लिए, संतोष के लिए किसी और से अपेक्षा भी नहीं रहेगी। एक भीतर से संतोष प्रकट होगा।’

श्री मोदी युवाओं के प्रेरणाश्रोत है, वे सदैव उन्हें विज्ञान व प्रौद्योगिकी की महत्ता को समझाते है. श्री मोदी ने मन की बात के 29 वे एपिसोड में नई पीढ़ी को नई तकनीक की ओर प्रेरित करते हुए कहा कि "जब नई  टेक्नालाजी  देखते हैं, कोई नई वैज्ञानिक सिद्धि होती है, तो हम लोगों को आनंद होता है। मानव जीवन की विकास यात्रा में जिज्ञासा ने बहुत अहम भूमिका निभाई है, और जो विशिष्ट बुद्धि प्रतिभा रखते हैं, वो जिज्ञासा को जिज्ञासा के रूप में ही रहने नहीं देते; वे उसके भीतर भी सवाल खड़े करते हैं; नई जिज्ञासायें खोजते हैं, नई जिज्ञासायें पैदा करते हैं और वही जिज्ञासा, नई खोज का कारण बन जाती है। वे तब तक चैन से बैठते नहीं, जब तक उसका उत्तर न मिले। और हज़ारों साल की मानव जीवन की विकास यात्रा का अगर हम अवलोकन करें, तो हम कह सकते हैं कि मानव जीवन की इस विकास यात्रा का कहीं पूर्ण-विराम नहीं है। पूर्ण-विराम असंभव है, ब्रह्मांड को, सृष्टि के नियमों को, मानव के मन को जानने का प्रयास निरंतर चलता रहता है। नया विज्ञान, नयी टेक्नालाजी उसी में से पैदा होती है और हर टेक्नालाजी, हर नया विज्ञान का रूप, एक नये युग को जन्म देता है।" 

श्री मोदी ने योग और मिलेट्स की महत्ता को दुनिया भर में प्रतिपादित किया इसकी उन्हें ख़ुशी भी है संतोष भी है. मन की बात में उन्होंने दोनों में समानता स्थापित करते हुए कहा कि "मेरे प्यारे देशवासियो, अगर मैं आपसे पूंछू कि योग दिवस और हमारे विभिन्न तरह के मोटे अनाजों मिलेट्स  में क्या कॉमन है तो आप सोचेंगे ये भी क्या तुलना हुई ? अगर मैं कहूँ कि दोनों में काफी कुछ कॉमन है तो आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल संयुक्त राष्ट्र ने इंटरनेशनल योगा डे और इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स दोनों का ही निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है। दूसरी बात ये कि योग भी स्वास्थ्य से जुड़ा है और मिलेट्स भी सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तीसरी बात और महत्वपूर्ण है दोनों ही अभियानो में जन-भागीदारी की वजह से क्रांति आ रही है। जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और फिटनेस को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह मिलेट्स को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। लोग अब मिलेट्स  को अपने खानपान का हिस्सा बना रहे हैं। इस बदलाव का बहुत बड़ा प्रभाव भी दिख रहा है। इससे एक तरफ वो छोटे किसान बहुत उत्साहित हैं जो पारंपरिक रूप से  मिलेट्स  का उत्पादन करते थे। वो इस बात से बहुत खुश हैं कि दुनिया अब  मिलेट्स  का महत्व समझने लगी है। दूसरी तरफ एफपीओ और इन्टरप्रेनियर्स ने मिलेट्स को बाजार तक पहुँचाने और उसे लोगों तक उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।"

पीएम के "मन की बात" से देश में नई कार्य संस्कृति विकसित हुई है जो नई पीढ़ी सकारात्मक दिशा में चलने तथा रचनात्मक कार्यों की ओर प्रेरित कर रही है. यही वो मूल्य है जो देश की जनता में आत्मविश्वास जगाने, आत्मगौरव बढ़ाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने में मिल का पत्थर साबित होगी। 

 
आलेख - अशोक बजाज