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05 सितंबर, 2010

आदर्श शिष्य की तरह आदर्श गुरु बनें

शिक्षक दिवस की बधाई

आज शिक्षक दिवस है।भारत में डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में हर साल पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है ।वे उच्च पदों पर आने से पहले एक कुशल शिक्षक थे।विश्व भर में शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा है लेकिन तिथि सब जगह अलग अलग निर्धारित है।


यूनेस्को ने पांच अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस घोषित किया था।शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और भविष्य की पीढि़यों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के महत्व के प्रति जागरूकता लाने के मकसद से इसकी शुरूआत १९९४ में की गई थी।कुछ देशों में इस दिन अवकाश रहता है तो कहीं-कहीं यह अन्य दिनों की तरह ही एक कामकाजी दिन ही रहता है।
                              

एजेंशियों ने खबर दी है कि चीन में 1931 में नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शिक्षक दिवस की शुरूआत की गई थी। चीन सरकार ने 1932 में इसे स्वीकृति दी। बाद में 1939 में कन्फ्यूशियस के जन्मदिवस, 27 अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया लेकिन बाद में 1951 में इस घोषणा को वापस ले लिया गया। वर्ष 1985 में 10 सितम्बर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया। अब चीन के ज्यादातर लोग फिर से चाहते हैं कि कन्फ्यूशियस का जन्मदिवस ही शिक्षक दिवस हो।

रूस में 1965 से 1994 तक अक्टूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा। वर्ष 1994 से विश्व शिक्षक दिवस पांच अक्टूबर को ही मनाया जाने लगा। अमेरिका में मई के पहले पूर्ण सप्ताह के मंगलवार को शिक्षक दिवस घोषित किया गया है और वहां सप्ताहभर इसके आयोजन होते हैं। थाइलैंड में हर साल 16 जनवरी को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यहां 21 नवंबर, 1956 को एक प्रस्ताव लाकर शिक्षक दिवस को स्वीकृति दी गई थी। पहला शिक्षक दिवस 1957 में मनाया गया था। इस दिन यहां स्कूलों में अवकाश रहता है। ईरान में वहां के प्रोफेसर अयातुल्लाह मोर्तेजा मोतेहारी की हत्या के बाद उनकी याद में दो मई को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। मोतेहारी की दो मई, 1980 को हत्या कर दी गई थी। तुर्की में 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वहां के पहले राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने यह घोषणा की थी। मलेशिया में इसे 16 मई को मनाया जाता है, वहां इस खास दिन को "हरि गुरू" कहते हैं।
इस प्रकार हम देखतें है कि अलग-अलग देशों में गुरूओं के सम्मान के लिए अलग-अलग दिन निर्धारित हैं।आज के शुभ अवसर पर सभी गुरुओं को नमन करते हुए आशा करता हूँ कि वे गुरु परंपरा का निर्वहन करते रहेंगें तथा आदर्श शिष्य की तरह आदर्श गुरु के रूप में स्थापित होंगें।
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