पाणिग्रहण को लगा ग्रहण- अशोक बजाज
ताजा घटनाक्रम के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को बाढ़ पीड़ितों के सहायतार्थ प्रदत्त 5 करोड़ रूपिये लौटा दिये हैं। गुजरात सरकार ने यह राशि कोशी बाढ़ राहत के लिए प्रदान किया था। हमारा देश संघीय गणराज्य वाला देश है। जब किसी प्रांत में प्राकृतिक आपदा से जन-धन की भारी क्षति होती हैं तो दूसरे प्रांत अपनी क्षमता व परिस्थितियों के अनुसार सहायता करते हैं। इतना बड़ा देश है, यदा-कदा प्राकृतिक आपदायें आती ही रहती है। कहीं भूकंप के झटके पड़ते हैं कहीं बाढ़ आ जाती है, किसी राज्य में अनावृष्टि से सूखा संकट उत्पन्न हो जाता है। मानवीय संवदेना के तहत केन्द्र सरकार तथा राज्य की सरकारें मदद करती है। गुजरात सरकार ने कोशी नदी में आई भीषण बाढ़ के मद्देनजर बिहार सरकार को पीड़ितों के सहायतार्थ 5 करोड़ रूपिये आबंटित किये थे। जिसे ताजा घटनाक्रम के चलते बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने लौटा दिये। ऐसी बात नहीं कि बिहार सरकार ने यह कसम खाकर कि चाहे बिहार में कितना भी संकट आये हम किसी से कभी भी सहायता नहीं लेंगे बल्कि निकृष्ट राजनैतिक महत्वाकांक्षा के चलते यह राशि लौटाई गई है। बिहार की जनता इसे किस रूप में लेती है, यह तो वक्त ही बतायेगा लेकिन गुजरात व बिहार के मुख्यमंत्रियों का हाथ(पाणि) पकड़ कर जनता को एकता का संदेश देने वाला पोस्टर विवाद का मूल कारण बना है। भारत में पाणिग्रहण पवित्र व अटूट बंधन का परिचायक है लेकिन ताजाघटनाक्रम ने इस भावना को पलट दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री को यह नागवार गुजरा कि पोस्टर में नरेन्द्र मोदी के साथ हाथ पकड़कर मंच में खडे़ होकर उन्हेंे अभिवादन करते हुये दिखाया गया है। पाणिग्रहण के इस पोस्टर से हो सकता है बिहार के लाखों लोगों को सुकुन मिला हो, यह भी हो सकता है कि दोनों गठबंधन दलों के लीडरों को सुकुन मिला हो लेकिन इससे नीतिश कुमार का क्या है ? उन्हें तो पाणिग्रहण की पवित्रता से ज्यादा अपनी कुर्सी की चिंता है। उन्हें लगता है कि यह पोस्टर उन्हें कुर्सी से बेदखल कर देगा यही कारण है कि पोस्टर देखते ही उनका गुस्सा फुट पड़ा। अपनी प्रतिक्रिया को वे दबा भी नहीं पाये। सभी मर्यादाओं को ताक में रखकर अतिथियों के सम्मान में आयोजित भोज को रद्द कर दिया। आज उन्होंने आपदा प्रबंधन के लिए प्रदत्त राशि लौटा कर अपने गुस्से का इजहार किया है . श्री नितीश कुमार नें गठबंधन धर्म का पालन भी नहीं किया। उन्हें अपने राजनैतिक हितों के मद्देनजर ऐसा कदम उठाना भले ही जरूरी रहा होगा लेकिन नैतिकता की दृष्टि से उनका यह कदम कितना वाजिब है इसका फैसला बिहार की जनता को ही करना है। हम जैसे लोगों को पाणिग्रहण शब्द का अर्थ बदलने से गहरा आघात लगा है।
ताजा घटनाक्रम के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को बाढ़ पीड़ितों के सहायतार्थ प्रदत्त 5 करोड़ रूपिये लौटा दिये हैं। गुजरात सरकार ने यह राशि कोशी बाढ़ राहत के लिए प्रदान किया था। हमारा देश संघीय गणराज्य वाला देश है। जब किसी प्रांत में प्राकृतिक आपदा से जन-धन की भारी क्षति होती हैं तो दूसरे प्रांत अपनी क्षमता व परिस्थितियों के अनुसार सहायता करते हैं। इतना बड़ा देश है, यदा-कदा प्राकृतिक आपदायें आती ही रहती है। कहीं भूकंप के झटके पड़ते हैं कहीं बाढ़ आ जाती है, किसी राज्य में अनावृष्टि से सूखा संकट उत्पन्न हो जाता है। मानवीय संवदेना के तहत केन्द्र सरकार तथा राज्य की सरकारें मदद करती है। गुजरात सरकार ने कोशी नदी में आई भीषण बाढ़ के मद्देनजर बिहार सरकार को पीड़ितों के सहायतार्थ 5 करोड़ रूपिये आबंटित किये थे। जिसे ताजा घटनाक्रम के चलते बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने लौटा दिये। ऐसी बात नहीं कि बिहार सरकार ने यह कसम खाकर कि चाहे बिहार में कितना भी संकट आये हम किसी से कभी भी सहायता नहीं लेंगे बल्कि निकृष्ट राजनैतिक महत्वाकांक्षा के चलते यह राशि लौटाई गई है। बिहार की जनता इसे किस रूप में लेती है, यह तो वक्त ही बतायेगा लेकिन गुजरात व बिहार के मुख्यमंत्रियों का हाथ(पाणि) पकड़ कर जनता को एकता का संदेश देने वाला पोस्टर विवाद का मूल कारण बना है। भारत में पाणिग्रहण पवित्र व अटूट बंधन का परिचायक है लेकिन ताजाघटनाक्रम ने इस भावना को पलट दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री को यह नागवार गुजरा कि पोस्टर में नरेन्द्र मोदी के साथ हाथ पकड़कर मंच में खडे़ होकर उन्हेंे अभिवादन करते हुये दिखाया गया है। पाणिग्रहण के इस पोस्टर से हो सकता है बिहार के लाखों लोगों को सुकुन मिला हो, यह भी हो सकता है कि दोनों गठबंधन दलों के लीडरों को सुकुन मिला हो लेकिन इससे नीतिश कुमार का क्या है ? उन्हें तो पाणिग्रहण की पवित्रता से ज्यादा अपनी कुर्सी की चिंता है। उन्हें लगता है कि यह पोस्टर उन्हें कुर्सी से बेदखल कर देगा यही कारण है कि पोस्टर देखते ही उनका गुस्सा फुट पड़ा। अपनी प्रतिक्रिया को वे दबा भी नहीं पाये। सभी मर्यादाओं को ताक में रखकर अतिथियों के सम्मान में आयोजित भोज को रद्द कर दिया। आज उन्होंने आपदा प्रबंधन के लिए प्रदत्त राशि लौटा कर अपने गुस्से का इजहार किया है . श्री नितीश कुमार नें गठबंधन धर्म का पालन भी नहीं किया। उन्हें अपने राजनैतिक हितों के मद्देनजर ऐसा कदम उठाना भले ही जरूरी रहा होगा लेकिन नैतिकता की दृष्टि से उनका यह कदम कितना वाजिब है इसका फैसला बिहार की जनता को ही करना है। हम जैसे लोगों को पाणिग्रहण शब्द का अर्थ बदलने से गहरा आघात लगा है।