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26 दिसंबर, 2012

छत्तीसगढ़: एक अटल-प्रतिज्ञा जो पूरी हुई

पूर्व प्रधानमंत्री मान. अटल बिहारी वाजपेयी के 89 वें जन्मदिवस पर विशेष लेख

    ह दृश्य अभी भी ऑंखो से ओझल नहीं हो पाया है जब 31 अक्टूबर 2000 को घड़ी की सुई ने रात के 12 बजने का संकेत दिया तो चारो तरफ खुशी  और उल्लास का वातावरण बन गया। लोग मस्ती में   झूमते- नाचते एक दूसरे को बधाइयॉं दे रहे थे. प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी की चारों तरफ जय-जयकार हो रही थी. घर घर में दीपमल्लिका सजा कर रोशनी की गई थी. आतिश बाजी का नजारा देखते ही बनता था. पहली सरकार कांग्रेस की बननी थी सो कुर्सी के लिए उठापटक का दौर बंद कमरे में चल रहा था. लोग एक तरफ नए राज्य निर्माण की खुशी  मना रहे थे तो दूसरी तरफ कौन बनेगा प्रथम  मुख्यमंत्री इस जिज्ञाषा में अपना ध्यान राजनीतिक गलियारों की ओर लगायें थे.

    राज्य का गठन करना कोई हंसी खेल तो था नहीं। कई वर्षो से लोग आवाज उठा रहे थे अनेक तरह से आंदोलन भी करते रहे लेकिन राज्य का निर्माण नहीं हो पाया था। इस बीच प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 1998 में सप्रेशाला रायपुर के मैदान में एक अटल प्रतिज्ञा की, कि यदि आप लोकसभा की 11 में से 11 सीटो में भाजपा को जितायेंगे तो मैं तुम्हे छत्तीसगढ़ राज्य दूंगा। लोकसभा चुनाव का परिणाम आया। भाजपा को 11 में सें 8 सीटे मिली लेकिन केंद्र में अटल सरकार फिर से बनी। प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप राज्य निर्माण के लिए पहले ही दिन से प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। मध्यप्रदेश राज्य पुर्निर्माण विधेयक 2000 को 25 जुलाई 2000 में लोकसभा में पेश किया गया। इसी दिन बाकी दोनो राज्यो के विधेयक भी पेश हुए। 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। 25 अगस्त को राष्ट्रपति ने इसे मंदूरी दे दी। 4 सिंतबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और एक अटल-प्रतिज्ञा पूरी हुई।

    छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले हम मध्यप्रदेश में थे। मध्यप्रदेश का निर्माण सन 1956 में  1 नवम्बर को ही हुआ था। हम 1 नवम्बर 1956 से 31 अक्टूबर 2000 तक यानी 44 वर्षो तक मध्यप्रदेश के निवासी थे तब हमारी राजधानी भोपाल थी। इसके पूर्व वर्तमान छत्तीसगढ़ का हिस्सा सेन्ट्रल प्रोविंस एंड बेरार (सी.पी.एंड बेरार) में था तब हमारी राजधानी नागपुर थी। इस प्रकार हमें पहले सी.पी.एंड बेरार, तत्पश्चात  मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के निवासी है। वर्तमान छत्तीसगढ़ में जिन लोगो का जन्म 1 नवम्बर 1956 को या इससे पूर्व हुआ वे तीन राज्यो में रहने का सुख प्राप्त कर चुके है।

    परंतु छत्तीसगढ़ राज्य में रहने का अपना अलग ही सुख है। अगर हम भौतिक विकास की बात करे तो छत्तीसगढ़ कें संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि हमने 12 वर्षो से लंबी छलांग लगाई है। मै यह बात इसीलिए लिख रहा हू  क्योंकि हम 1 नवम्बर 2000 के पहले देश की मुख्य धारा से काफी अलग थे। गरीबी, बेकारी, भूखमरी, अराजकता और पिछड़ापन हमें विरासत में मिला। छत्तीसगढ़ इन बारह वर्षो मे गरीबी, बेकारी, भुखमरी, अराजकता और पिछड़ापन के खिलाफ संघर्ष करके आज ऐसे मुकाम पर खड़ा है जहा देखकर अन्य विकासशील  राज्यों का ईर्ष्या हो सकती है। इस नवोदित राज्य को पलायन व पिछड़ापन से मुक्ति पाने में 12 वर्ष लग गये। सरकार की जनकल्याणकारी योजनांए से नगर, गांव व कस्बो की तकदीर व तस्वीर तेजी बदल रही है। छत्तीसगढ़ की मूल आत्मा गांव में बसी हुई है, सरकार के लिए गांवो का विकास एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन इस  काल - खण्ड में विकास कार्यो के सम्मपन्न हो जाने से गांव की नई तस्वीर उभरी है। गांव के किसानों को सिंचाई, बिजली, सड़क, पेयजल, शिक्षा व स्वास्थ जैसी मूलभूत सेवांए प्राथमिकता के आधार पर मुहैया कराई गई है। हमें याद है कि पहले गॉंवो में ग्राम पंचायते थी लेकिन पंचायत भवन नहीं थे, शालाएं थी लेकिन शाला भवन नही थे, सड़के तो नही के बराबर थी, पेयजल की सुविधा भी नाजुक थी लेकिन आज गांव की तस्वीर बन चुकी है। विकास कार्यो के नाम पर पंचायत भवन, शाला भवन, आंगनबाड़ी भवन, मंगल भवन, सामुदायिक भवन, उपस्वास्थय केन्द्र, निर्मलाघाट, मुक्तिधाम जैसे अधोसरंचना के कार्य गांव-गांव में दृष्टिगोचर हो रहे है। अपवाद स्वरूप ही ऐसे गांव बचें होंगे जहॉं बारहमासी सड़को की सुविधा ना हो, गांवो की सड़को से जोड़ने से गांव व शहर की दूरी कम हुई है। अनेक गंभीर चुनौतियों के बावजूद ग्रामीण विकास के मामले में छत्तीसगढ़ ने उल्लेखनीय प्रगति की है। छत्तीसगढ़ को भूखमरी से मुक्त कराने के लिए डॉ रमन सिंह की सरकार ने बी.पी.एल. परिवारों को 1 रूपये/2 रूपये किलों में प्रतिमाह 35 किलो चावल देने का एतिहासिक निर्णय लिया जो देश भर में अनुकरणीय बन गया है। किसानो को 1 प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण प्राप्त हो रहा है। स्कूली बच्चों को मुफ्त में  पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराई जा रही है। वनोपज संग्रहणकर्ता मजदूरों को चरण - पादुकांए दी जा रही है। अगर यह संभव हो पाया तो केवल इसीलिए कि माननीय अटलबिहारी वाजपेयी ने एक झटके में छत्तीसगढ़ का निर्माण किया, छत्तीसगढ़ की जनता उनका सदैव ऋणी रहेगी।