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17 अक्तूबर, 2010

ग्राम चौपाल: रावण की लंका में, रहना नहीं है ;

चिंतामग्न विभीषण 


रावण की लंका में,

रहना नहीं है ;



रावण की तरह ,
मरना नहीं है ;



अहंकार के सागर में ,
बहना नहीं है ;



है तो सोने की लंका मगर ,
जहाँ भाईचारे का गहना नहीं है ;



रावण की लंका में,
रहना नहीं है ;



राम का देश बड़ा प्यारा है ,
जहाँ किसी से हमें डरना नहीं है ;



विजयादशमी की आप सबको बहुत बहुत बधाई !!