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22 मई, 2011

ना हम बदले ना जमाना

 अंधविश्वास की  शिकार  दंपति की आँखों की रोशनी क्या  लौट पायेगी ? 
 
  
दुनिया  21 वीं सदी में पहुँच गई लेकिन जमाना वहीं का वहीं है । संचार के इस युग में एवं  शिक्षा  के व्यापक प्रचार-प्रसार के बावजूद अंधविश्वास में कोई कमी नहीं आई है । ना हम बदले है और ना जमाना बदला है . अंधविश्वास की जड़ लोगो के दिमाग में इस कदर  घुसी  है कि निकलने  का नाम ही नहीं ले रही है । ग्रामीण क्षेत्रों का तो और बूरा  हाल है । अंधविश्वास के चलते लोग ना जाने क्या क्या हरकत कर बैठते है और आरोपी बन कर जिन्दगी भर जेल में सड़ते रहते है। 

 छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं पर टोनही [डायन] का आरोप लगाकर प्रताड़ित करने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए राज्य शासन ने कठोर कानून बनाया है  इसके बावजूद राज्य के ग्रामीण  क्षेत्रों में महिलाओं पर डायन होने का आरोप लगाकर उन्हें प्रताड़ित करने की घटनाओं में कमी नहीं आई है। 

इसका ताजा उदाहरण ग्राम - खैरा की घटना है जहाँ  एक 45 वर्षीय  महिला श्यामकुंवर बंजारे  पर टोनही (डायन ) का आरोप लगाकर ग्रामीणों ने उसकी आँखें फोड़ दी तथा उसकी जीभ को कैची से कट दिया . ये ही नहीं बल्कि  घटना  का प्रतिरोध करने पर उसके 50 वर्षीय  पति मंशाराम बंजारे की आँखें भी फोड़ दी .यह वीभत्स घटना छत्तीसगढ़ की  राजधानी रायपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर कसडोल थाना क्षेत्र के अंतर्गत खैरा गाँव में दिनांक 20  मई को  घटित हुई। जब  श्यामकुंवर और मंशाराम अपने घर में आराम कर रहे थे कि तभी गाँव के कुछ लोग   मंशाराम के घर में घुस गए। उन्होंने श्यामकुंवर पर डायन होने का आरोप लगाया।ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि श्यामकुंवर के कारण उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है और लगातार उनकी तबीयत भी खराब रहती है। उन्होंने उसके साथ मारपीट शुरू कर दी।श्यामकुंवर की पिटाई के दौरान जब उसके पति मंशाराम ने इसका विरोध किया तो आरोपियों ने कैंची से पति-पत्नी की आखें फोड़ दीं तथा बाद में श्यामकुंवर की जीभ भी काट दी। इस ह्रदय विदारक घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी वहा से भाग गए। पुलिस ने घटना के बाद गाँव  में घेराबंदी कर कुछ  आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है तथा अन्य  आरोपियों की खोज की जा रही है। आरोपियों के खिलाफ टोनही प्रताड़ना अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है लेकिन क्या  इस कार्यवाही से अंधविश्वासियों   के क्रूर हाथों की शिकार ग्रामीण दंपति की आँखों की रोशनी  लौट पायेगी ?