भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने दक्षिणी ध्रुव पर तिरंगा फहरा दिया है.शून्य से भी कई डिग्री नीचे तापमान और हड्डियों को कंपकपा देने वाली सर्दी की परवाह किये बगैर भारतीय वैज्ञानिकों ने यह कमाल दिखाया है . पूर्वी अंटार्टिका में मैत्री रिसर्च स्टेशन से भारतीय टीम ने 13 नवंबर को अपने अभियान की शुरुआत की थी . टीम को दक्षिणी ध्रुव तक की 2360 किलोमीटर की यात्रा करने में 9 दिन का समय लगा , इस बीच उन्हें पांच बार रूकना पड़ा. अब टीम दक्षिणी ध्रुव पर 24-11-2010 तक रहेगी और उसके बाद मैत्री रिसर्च स्टेशन वापस लौटेगी. दक्षिणी ध्रुव की ओर यह पहली बार है जब भारतीय टीम ने अपना अभियान शुरू किया.
टेली कांफ्रेंसिंग के जरिए दक्षिणी ध्रुव से नेशनल सेंटर फॉर अंटार्टिक एंड ओशन रिसर्च के निदेशक रसिक रविंद्र ने बताया - "हमें दुनिया में सबसे ऊपर होने का एहसास हो रहा है." वैज्ञानिकों और तकनीशियनों का आठ सदस्यीय दल दक्षिणी ध्रुव पर तिरंगा फहराने वाला पहला भारतीय वैज्ञानिक दल है. बेहद खराब मौसम को बयां करते हुए रविंद्र ने कहा, "यहां जबर्दस्त ठंड है. फिलहाल यहां तापमान - 70 डिग्री सेल्सियस है .
वैज्ञानिक दल ने वहां कई प्रयोग किए हैं, उन्होंने वातावरण से डाटा संकलित किया है और वहां जम चुके महाद्वीप से बर्फ के अंश लिए है . इसके जरिए वैज्ञानिक पिछले 1,000 सालों में पर्यावरण में आए बदलावों का अध्ययन करना चाहते हैं. भारतीय वैज्ञानिकों की टीम में रसिक रविंद्र के अलावा अजय धर, जावेद बेग, थम्बन मेलोथ, असित स्वेन, प्रदीप मल्होत्रा, कृष्णामूर्ति और सूरत सिंह शामिल हैं. भारतीय वैज्ञानिकों ने अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए एसयूवी गाड़ी (स्पोर्ट्स युटिलिटी व्हीकल) का इस्तेमाल किया.