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28 नवंबर, 2014

पलायन का दर्द

पने फेसबुक वाल में दिनांक 24 नवंबर 2014 को छत्तीसगढ़ के सन्दर्भ में मैंने भूखमुक्त और पलायन मुक्त राज्य का जिक्र किया था, जिस पर कुछ मित्रों ने कतिपय अखबारों में छपी खबरों का हवाला देकर उसे गलत सिद्ध करने का प्रयास किया है. मै चाह कर भी कमेंट्स का जवाब नहीं दे रहा था, क्योकि यदि जवाब दूंगा तो लंबी बहस छिड़ जायेगी. दरअसल कुछ दलाल किस्म के लोग ज्यादा मजदूरी और अच्छी सुविधा का हवाला देकर लोगों को बाहर ले जा रहे है. जबकि मैंने जिस प्रकार के पलायन का जिक्र किया है वह अलग है, जब कोई व्यक्ति या परिवार काम के अभाव में बेबस व लाचार हो जाता है तथा उसके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तब वह अपने घर द्वार को छोड़ कर इधर उधर काम की तलाश में भटकता है. ईश्वर की कृपा से वर्तमान में अपने राज्य में यह स्थिति नहीं है. नवंबर- दिसंबर महीना तो वैसे भी धान कटाई का सीजन होता है, आज की परिस्थिति में धान की कटाई के लिए किसानों को बड़ी मुश्किल से मजदूर मिल पा रहें है. मजदूरों के अभाव में किसानों को हार्वेस्टर से धान कटाई करनी पड़ रही है. अतः ऐसे समय में जो लोग बाहर जा रहे है वो मजबूरी या लाचारी से नहीं बल्कि ज्यादा पारिश्रमिक तथा अच्छी सुविधा के लिए बाहर जा रहे है. फिर भी मै मानता हूँ कि पलायन एक अभिशाप है, चाहे गाँव के मजदूरों का पलायन हो अथवा संपन्न व शिक्षित परिवार के उन युवकों का पलायन हो जो अच्छी सुविधा अथवा स्टेटस के नाम पर देश छोड़ कर विदेशों में अपना आशियाना तलाश रहें हों.

इराक का ताज़ा उदहारण हमारे सामने है जहाँ 39 भारतीय पिछले 12 जून 2014 से आतंकवादियों के चंगुल में है, इनकी जान को लेकर सारा देश चिंतित है.  ये सभी लोग भारत से पलायन कर मजदूरी करने इराक गए है. उन्हीं में से एक हरजीत भी है जो अपने अच्छे भविष्य और परिवार की गरीबी दूर करने की सोच लेकर कर्ज उठाकर करीब एक साल पहले इराक गया था और वहां मसूल में एक कंपनी में काम करने पहुंचा तो इराक में चल रहे गृह युद्ध के चलते वह 12 जून 2014 को आतंकियों के हत्थे चढ़ गया था परन्तु वह किसी तरह भाग निकला. शेष 39 के बारे में किसी के पास कोई पुष्ट जानकारी नहीं है.
  

08 नवंबर, 2014

अटलजी के ऋणी

त्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 14 साल पूर्ण हो चुके है, इस राज्य की स्थापना 1 नवंबर 2000 को हुई थी. इन चौदह वर्षों में छत्तीसगढ़ ने विकसित रूप ले लिया है. इस राज्य का निर्माण देश के लाडले नेता माननीय अटलबिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में हुई थी . वास्तव में यह राज्य उन्हीं की दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम है . अगर अटलजी प्रधानमंत्री नहीं बने होते तो शायद राज्य का निर्माण नहीं हो पाता. राज्य निर्माण क्या हुआ यहाँ प्रगति का द्वार खुल गया. विशेषकर यहाँ के गावों की तस्वीर ही बदल गई, जब जब मै गावों के विकसित रूप को देखता हूँ अटलजी के प्रति आभार प्रकट करता हूँ . इसी प्रकार जब जब स्थापना दिवस आता है तब तब हर छत्तीसगढ़वासी को उनकी जरुर याद आती है. छत्तीसगढ़ महतारी को सजाने - संवारने तथा यहाँ की माटी की सौंध को महकाने के लिए हम उनके सदा ऋणी रहेंगें. 

 - अशोक बजाज अभनपुर , रायपुर (Ashok Bajaj Abhanpur Raipur)