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02 जून, 2011

आधुनिक बच्चों का टूट रहा है कुदरत से नाता

जैव विविधता को बचाने के काम को वे बच्चे और मुश्किल बना रहे हैं जो टेलीविजन, इंटरनेट, विडियोगेम्स या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक मनोरंजन की गिरफ्त में हैं. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि ये सब  प्रकृति  को   बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.

 

संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा है कि ज्यादातर नौजवान शहरों में रहते हैं और कुदरत से उनका नाता टूटा हुआ है, इसलिए वे ईकोसिस्टम और प्रजातियों की सुरक्षा की अहमियत नहीं समझते. जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी सचिव अहमद जोगलाफ ने कहा, "हमारे बच्चे कंप्यूटरों से चिपके रहते हैं. वे एस.एम.एस. विडियोगेम्स और टीवी की गिरफ्त में हैं. वे एक आभासी दुनिया में जी रहे हैं. हमें उन्हें दोबारा कुदरत से जोड़ना होगा."

मनीला में दक्षिणपूर्वी एशियाई जैव विविधता फोरम में बोलते हुए जोगलाफ ने कहा, "वे नहीं देखते कि आलू कैसे उगाया जाता है. वे तो बस आलू को सुपरमार्केट में ही रखा देखते हैं.

जोगलाफ ने कई सर्वेक्षणों के हवाले से कहा कि विकसित देशों में 95 फीसदी बच्चे अपना खाली वक्त टीवी या कंप्यूटर के सामने बिताते हैं और सिर्फ पांच फीसदी बच्चे बाहर जाते हैं. एक अन्य सर्वे के मुताबिक 20 फीसदी अमेरिकी बच्चे कभी पेड़ पर नहीं चढ़े.

जोगलाफ का कहना है कि शिक्षा की कमी कुदरत के संरक्षण की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. उन्होंने यूरोप में 2009 में हुए एक सर्वे का जिक्र किया, जिसमें पता चला कि 60 फीसदी जनता को जैव विविधता शब्द के मायने ही नहीं पता थे. उन्होंने पूछा, "जिस चीज को आप जानते ही नहीं, उसकी रक्षा कैसे करोगे? आप उस चीज की रक्षा कैसे करोगे जिसे आपने कभी देखा ही नहीं?"

 dwhindi   

पाक : पत्रकारों के लिए बेहद ख़तरनाक - 02


पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पत्रकार सलीम शहजाद की हत्या के बाद सरकार ने मीडियाकर्मियों को सुरक्षा के लिए हथियार रखने की इजाजत दे दी है. यानी पाकिस्तान में कलम को बन्दूक के सहारे की जरूरत पड़ रही है . पहले यह कहावत थी कि कलम की ताकत बन्दूक से ज्यादा होती है लेकिन अब कलम की धार कमजोर होती दिखाई पड़ रही है .

 इसके पूर्व हमने दिनांक 17.12.2010 को " पाक : पत्रकारों के लिए बेहद ख़तरनाक " शीर्षक से प्रकाशित लेख में लिखा था कि ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ ने कहा है कि आत्मघाती हमलों में बढ़ौतरी के कारण पाकिस्तान पत्रकारों के लिए दुनिया का सब से ख़तरनाक देश बन गया है.सीपीजे ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि इसी साल दुनिया में 42 पत्रकारों की मौत हुई जिन में से सब से ज़्यादा पाकिस्तान में मारे गए और इस क्रम में इराक़ दूसरे स्थान पर है.


परन्तु पत्रकार सलीम शहजाद की हत्या आतंकवादियों द्वारा नहीं हुई है . उनकी हत्या में स्वयं पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आई.एस.आई. के हाथ होने की संभावना व्यक्त की जा रही है ,. पाकिस्तान में ह्यूमन राइट्स वॉच के प्रतिनिधि अली देयन हसन का कहना है कि सलीम शहजाद को पाकिस्तान की गुप्तचर संस्थाओं की ओर से धमकी दी जा रही थी. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में हसन ने कहा, ''उन्होंने मुझे बताया था कि उनका पीछा किया जा रहा है और कोई लोगों से उन्हें धमकी भरे फोन भी मिल रहे हैं.'' हसन ने कहा, ''हम यह विश्वास से नहीं कह सकते कि सलीम शहजाद की हत्या किसने की है. लेकिन हम यह अवश्य कह सकते हैं कि आई.एस.आई. पहले भी इस तरह के कामों में शरीक रही है.''


41 वर्षीय सलीम शहजाद हॉन्ग कॉन्ग स्थित एशिया टाइम्स ऑनलाइन के लिए पाकिस्तान में ब्यूरो चीफ के तौर पर काम करते थे. रविवार रात वह अपने घर के पास से उस समय लापता हो गए, जब वह निजी टीवी चैनल 'दुनिया न्यूज' के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जा रहे थे. दो दिन बाद उनकी लाश मिली . इस घटना से पूरा मिडिया जगत स्तब्ध है .