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29 अक्टूबर, 2010

अमेरिका ने फिर माना भारत का लोहा


अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से पहले अमरीका ने कहा है कि भारत के उदय और महत्व को देखते हुए भविष्य में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के किसी भी सुधार में भारत केन्द्र में होगा.

      बराक ओबामा की भारत यात्रा के कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए हुई पत्रकार वार्ता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर भारतीय दावे के सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के राजनैतिक मामलों के अधिकारी बिल बर्न्स ने ये बात कही.हालांकि सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए भारत के समर्थन पर अमरीका ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया.

अमरीकी विदेश मंत्रालय के राजनैतिक मामलों के अधिकारी बिल बर्न्स ने कहा " अमरीका वैश्विक ढाँचे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इक्कीसवी सदी में कारगर बनाए रखने का महत्व समझता है." अमरीका की ओर से कहा गया है कि बराक ओबामा की ये भारत यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को और मज़बूत करेगी.

भारत-पाकिस्तान रिश्ते और कश्मीर पर बातचीत को लेकर उठे सवाले के जवाब में अमरीकी सुरक्षा सलाहकार समिति के बैन रोड्स ने कहा " राष्ट्रपति बराक ओबामा मानते है कि भारत-अमरीका और पाकिस्तान-अमरीका रिश्ते एक दूसरे पर निर्भर नहीं करते. पिछले कई वर्षो में अक्सर ये माना जाता है कि अमरीका एक देश के साथ नज़दीकी दूसरे देश की कीमत पर बनाता है. पर हम लगातार संकेत देते रहे है कि मौजूदा प्रशासन की सोच ठीक विपरीत है"

इसी सवाल के जवाब में बिल बर्नस ने कहा " हमने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का हमेशा स्वागत किया है. और दोनों महत्वपूर्ण देशों को रिश्ते सुधारने के लिए प्रेरित किया है. लेकिन बातचीत की गति क्या हो, दायरा क्या हो और बातचीत कैसे हो ये भारत और पाकिस्तान को निर्धारित करना है. पर हम बातचीत का स्वागत करते रहेगें और प्रोत्साहन देते रहेंगे."

अमरीकी अधिकारियों ने ये भी कहा कि अमरीकी कंपनियाँ परमाणु उर्जा क्षेत्र के विकास में भारत का सहयोग करेंगी. और भारत ने वियना में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के पूरक क्षतिपूर्ती संधि पर हस्ताक्षर कर इस ओर सकारात्मक कदम उठाया है, जिससे अमरीकी कंपनियों को व्यापार करने के समान अवसर मिलेगें.

अब देखना यह है कि अमेरिका का रूख केवल दिखावा है या इसमें कोई सच्चाई भी है . इस ब्लॉग में हमने 19-8-2010 को सहायक विदेशमंत्री रॉबर्ट ब्लैक के हवाले से लिखा था कि "अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे " . 00292

9 टिप्‍पणियां:

  1. कहीं अमेरिका की शक्ल मैं इस्ट इंडिया फिर से तो नहीं आ रही ?

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  2. दिखावा हो या सच्चाई..आज तो उनकी मजबूरी है. शुभ संकेत तो भारत के लिए है ही.

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  3. देखते है ओबामा की भारत यात्रा से भारत को कुछ मिलेगा या भारत लूटेगा ! क्योंकि हमारे देश के नेता किसी से पाने के बजाय देश को लुटवाने में ज्यादा रूचि रखते है|

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  4. बात तो अच्छी है पर केवल यात्रा के पहले माहौल बनाने तक ही सीमित न रहे।

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  5. अजी जिस ने भी आज तक अमेरिका से दोस्ती की हे, अमेरिका ने उस का ही सत्य नाश किया हे, अच्छा हे इस से दुर ही रहे, क्योकि यह वो जानवर हे जिस थाली मे खाता हे उसी मे ह..... हे.

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  6. सार्थक, समसामयिक आलेख, जो विषय के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है।

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  7. मानो हमारी तमाम कोशिशों पर मुहर लग गई जैसे!

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  8. samay kee gati ke saath amerika kee soch badal rahee hai, yah ek achcha sanket hai ! bajaaj ji sundar rachana hai, dhanyavad.

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  9. समय के साथ यदि अमेरिका की सोंच बदल जाये तो अच्छा ही है अन्यथा भारत को अपने बलबूते से ही आगे बढ़ना होगा .

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