कैरिबियाई देश त्रिनिडैड एंड टुबैगो की भारतीय मूल की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने बीबीसी हिंदी के राजेश प्रियदर्शी के साथ एक विशेष इंटरव्यू में भारत के साथ अपने भावनात्मक संबंधों पर विस्तार से बात की. यह बातचीत बड़ी रोचक एवं ज्ञानवर्धक होने के साथ साथ गौरव बढाने वाली भी है . मै आज अपने ब्लॉग के ९९ वें पोस्ट में श्री राजेश प्रियदर्शी को धन्यवाद देते हुए आप सब की जानकारी के लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ ----
कैरिबियाई देश त्रिनिडैड एंड टुबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर का कहना है कि वे भारत को 'भारत माता' की तरह नहीं बल्कि 'नानी' की तरह देखती हैं.मई महीने में प्रधानमंत्री बनी कमला प्रसाद बिसेसर अपने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री तो हैं ही, इससे पहले वे देश की पहली महिला एटॉर्नी जनरल और शिक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं. यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस (यूएनसी) की 58 वर्षीय नेता के पूर्वज चार पीढ़ी पहले भारत से मज़दूरी करने के लिए कैरिबियाई द्वीप त्रिनिडाड एंड टुबैगो गए थे.
भारत के साथ अपने भावनात्मक संबंधों के बारे में प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर का कहना है कि हमारे देश में भारतीय मूल के लोगों की आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है.इन लोगों ने भारतीय संस्कृति को अपने जीवन में बनाए रखा है, भारत की विरासत को संजोकर रखा है.भारत से आने वाले लोग यह देखकर दंग रह जाते हैं कि बहुत सारी चीज़ें जो भारत में अब देखने को नहीं मिलती वो हमारे यहाँ क़ायम हैं.मैं अक्सर कहती हूँ कि भारत हमारे लिए माता नहीं, बल्कि नानी की तरह है. माता तो त्रिनिडैड एंड टुबैगो है लेकिन ग्रैंडमदर इंडिया और ग्रैंडमदर अफ्रीका भी हैं.
यह पूछे जाने पर कि भारत की संस्कृति और त्रिनिडैड एंड टुबैगो की संस्कृति में कितनी समानता और कितना अंतर है ? उन्होंने कहा कि हमारे देश एक बहुसांस्कृतिक देश है,उसमें बहुत विविधता है,यही उसकी सुंदरता है, अलग अलग विरासतें हैं और सब मिलकर एक अनूठी संस्कृति बनाते हैं जो त्रिनिडैड एंड टुबैगो की संस्कृति है. मिसाल के तौर पर भारतीय लोकगीत हैं और अफ्रीकी मूल का संगीत है, इन दोनों के मिलने से चटनी म्युज़िक बनता है. बॉलीवुड की फ़िल्में खूब देखते हैं, बॉलीवुड के गायक और दूसरे कलाकार अक्सर हमारे यहाँ आते रहते हैं.भारतीय कलाकारों के कन्सर्ट के टिकट तुरंत बिक जाते हैं,पिछले दिनों अमिताभ बच्चन अपने पूरे परिवार के साथ आए थे.हम सांस्कृतिक स्तर पर भारत से पूरी तरह जुड़े हुए हैं.
उन्होंने कहा कि भारत और त्रिनिडैड एंड टुबैगो को कूटनीतिक और व्यापारिक स्तर पर सामंजस्य बनाने से दोनों देशों का फ़ायदा होगा.भारत के व्यापारियों के हमारे देश में आने और हमारे लोगों के भारत जाने से माहौल और अच्छा बनेगा.दिल से दिल का रिश्ता तो है ही, अब देखिए कि भारत और हमारे देश के बीच कोई सीधी उड़ान नहीं है, बहुत सारे लोग भारत जाना चाहते हैं.मैं इस मामले को आगे बढ़ाना चाहती हूँ, संपर्क बेहतर बनने से दोनों देशों के लिए फ़ायदा होगा.
यह पूछे जाने पर कि वो कौन से क्षेत्र हैं जिनमें आपको लगता है कि भारत आपकी मदद कर सकता है? प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने कहा कि भारत सूचना तकनीकी के क्षेत्र में अग्रणी है, इस मामले में हमारे व्यापारी उनके साथ सहयोग कर सकते हैं. इसके अलावा ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत सहयोग की संभावना है.पर्यटन से लेकर निर्माण उद्योग तक,हर क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने की गुंजाइश है. सांस्कृतिक पर्यटन एक क्षेत्र है मैं जिसको बढ़ावा देना चाहती हूँ,पाँच नवंबर को दीपावली है लेकिन हमारे यहाँ अभी से दीपावली के कार्यक्रम चल रहे हैं जिसमें भारत के लोगों की काफ़ी दिलचस्पी होगी.अमरीका और कनाडा में इतनी बड़ी तादाद में भारतीय रहते हैं जो दीपावली या फगुआ (होली)मनाने भारत नहीं जा पाते,उनके लिए त्रिनिडैड नज़दीक है,हमारे यहाँ आकर बिल्कुल भारतीय तरीक़े से पर्व-त्यौहार का आनंद ले सकते हैं.
भारत से जुड़े आपके अपने अनुभव कैसे हैं,क्या आप निकट भविष्य में भारत जाने की सोच रही हैं? उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत नहीं गई हूँ, ज़रूर जाना चाहूँगी. मैं आपको अपनी पहली भारत यात्रा के बारे में बताना चाहती हूँ, मेरे दादा-दादी और माता-पिता भारत से बहुत प्रेम करते थे, वे हिंदू थे और मेरे पिता का परिवार पूजा-पाठ करने वाला ब्राह्मण परिवार था. भारत की हर चीज़ से उन्हें बहुत लगाव था. जब मैं पहली बार भारत गई तो विमान अभी उतरा भी नहीं था, मैंने खिड़की से नीचे देखा, भारत की ज़मीन को देखते ही मेरी आँखों में आँसू आ गए, पता नहीं क्यों. बहुत गहरा जुड़ाव है.
भारतीय खानपान, पहनावा,संगीत, पर्व त्यौहार ये सब कितना है आपके जीवन में?प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर - (अपनी कलाई दिखाते हुए) ये देखिए ये पूजा की मौली है जो मैंने बांधी हुई है. रोज़ का खाना बहुत हद तक भारतीय ही है लेकिन मज़ेदार बात यही है कि हमारा जीवन सिर्फ़ भारतीय ही नहीं है बल्कि अफ्रीकी विरासत भी उसमें घुली मिली हुई है. खान-पान में मामूली अंतर है लेकिन मूल तौर पर एक जैसा ही है, रोटी, दाल, सब्ज़ियाँ. मैं हमेशा कहती हूँ कि हमारे पूर्वज अपने साथ दौलत या क्रेडिट कार्ड नहीं बल्कि गीता और कुरान लेकर आए थे, उन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने बच्चों को धार्मिक और सांस्कृतिक संस्कार दिए, हमारे यहाँ अब भी संयुक्त परिवार का बहुत महत्व है.
आपके देश के 60 प्रतिशत वो लोग जो भारतीय मूल के नहीं हैं, वे आपको किस तरह देखते हैं, क्या भारतीय मूल की महिला होने की वजह से आपको कभी कोई कठिनाई आती है. फिजी का उदाहरण सामने है जहाँ भारतीय मूल के नेता को सत्ता से हटा दिया गया. उन्होंने कहा कि ये कहना ईमानदारी की बात नहीं होगी कि हमारे देश में लोग इसके बारे में नहीं सोचते हैं, कुछ चिंता ज़रूर हो सकती है. लेकिन यह त्रिनिडैड एंड टुबैगो की अच्छी बात है कि अब हमारे देश के लिए सिर्फ़ नस्ल के आधार पर अपने फ़ैसले नहीं करते. यही वजह है कि हमारी पार्टी चुनाव जीत सकी. मैं एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व करती हूँ जिसमें कुछ लोग भारतीय मूल के हैं, कुछ लोग अफ्रीकी मूल के हैं, सबके हितों का ध्यान रखा जाता है. इससे पहले एफ्रो बहुल सरकार थी, बासुदेव पांडे की सरकार को 'इंडो डोमिनेटेड' सरकार समझा जाता था, मेरी सरकार में सबकी अच्छी भागीदारी है. अगर लोग नाराज़ होंगे कामकाज की वजह से, न कि नस्ली आधार पर.
भारतीय गीत-संगीत और सिनेमा में आपके फ़ेवरिट कौन हैं?प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने कहा कि मुझे हिंदी फ़िल्मी संगीत बहुत पसंद है, मैं ज्यादा लोगों के नाम नहीं जानती लेकिन हिंदी गाने मुझे बहुत अच्छे लगते हैं. मुझे कुमार सानू और शाहरुख़ ख़ान बहुत पसंद हैं, बॉलीवुड की फ़िल्में मुझे बहुत अच्छी लगती हैं. एक और चीज़ है जिसे मैं बहुत पसंद करती हूँ,भारतका साहित्य. मुझे अँगरेज़ी में लिखने वाले भारतीय लेखकों की किताबें पढ़ने का बहुत शौक़ है,विक्रम सेठ के 'ए सुटेबल ब्वाय' में जिस तरह अच्छे लड़के की तलाश होती है उससे मैं सांस्कृतिक स्तर पर काफ़ी रिलेट कर पाती हूँ.
अंत में उन्होंने कहा कि भारत में लोग नमस्कार कहते हैं, जैसे हम कहते हैं आपके सभी पाठकों और श्रोताओं को सीताराम. धन्यवाद. 00384
अशोक जी
जवाब देंहटाएंभारत माता नहीं भारत नानी आलेख पढ़ कर भारतीय मूल की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर के बारे में जानकारी प्राप्त की . साथ ही वहां की संस्कृति , वातावरण और परिवेश की भी संक्षिप्त जानकारी पढने को मिली.
हम आपके आभारी हैं.
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर पर आपके विचार हमारे लिए बेहद महत्त्व पूर्ण हैं.
हमारा आभार स्वीकारें.
- विजय तिवारी " किसलय "
@ श्री विजय तिवारी " किसलय " जी
जवाब देंहटाएंत्वरित टिप्पणी के लिए आभार .
इस समाचार को सुनकर जबलपुर के लोग भी गदगद होंगें .यदि आप चाहे तो हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर के माध्यम से भी इसे प्रचारित कर सकते है .धन्यवाद
कोई कहीं भी रहे और चाहे कितनी पीढियों से रहे,अपने देश की माटी की खुशबु उसे खींच ही लाती है। कईयों ने तो पुरखों का देश सुना होगा और बिना देखे ही दुनिया से चले गए होगें। लेकिन पुरखों का देश दिल में बसा हुआ होता है। संस्कारों को जड़ें गहरी होती हैं जो उसे भूलने नहीं देती।
जवाब देंहटाएंकमला प्रसाद बिसेसर जी से मिलाने के लिए आभार
नानी की प्यारी लाड़ली को अतिशय शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएं... प्रसंशनीय पोस्ट !!!
जवाब देंहटाएंभईया ये तो बहुत ही बढ़या पोस्ट है... भारतीय संस्कृती विश्व के कोने कोने को महकाती रहे... आभार.
जवाब देंहटाएंलोगों को अपनी जड़ों से जुड़े देखना अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट , बधाई । शतकीय पोस्ट के लिए अग्रिम शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंयह सब पढ़कर अच्छा लगा, भारतीय संस्कृति विदेशों में भी फल-फूल रही है...रोचक जानकारी...बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर जी, ओर हम भी कमल जी से सहमत हे, आप का धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआप सबको देश के प्रति सकारात्मक भावनाओं को टिपण्णी के माध्यम से प्रकट करनें के लिए आभार . अब हम कल मिलेंगें ग्राम- चौपाल में अपनी १०० वीं पोस्ट के साथ .धन्यवाद !!!
जवाब देंहटाएंबजाज साहब आपका ग्राम चौपाल बहुत हि पसंद आया. विशेष कर यह पोस्ट बहुत ही पसंद आई.
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