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08 दिसंबर, 2010

" इंटरनेट " बना अमरीका के गले की हड्डी

 अमरीका की बौद्धिक ताक़त का प्रतीक माना जाने वाला  "  इंटरनेट "  अब अमरीका के गले की हड्डी बन गया है ? इन दिनों विकीलीक्स ने इंटरनेट पर लाखों गुप्त दस्तावेज़ प्रकाशित करके अमरीका को हिला कर रख दिया है. इंटरनेट पर लिखने के लिए अख़बार और टेलीविज़न जैसे संसाधन की जरुरत नहीं होती  . इसी वजह से विकीलीक्स ने ढाई लाख से ज़्यादा ऐसे गुप्त दस्तावेज़ जारी किए हैं जिन्हें दुनिया भर में फैले अमरीकी दूतावासों से भेजा गया था. ' जनतंत्र ', ' बोलने की आज़ादी ' और ' मीडिया की आज़ादी ' को अपना मूल सिद्धांत मानने वाली अमरीका और पश्चिमी देशों की सरकारें विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज से काफी खफा है . जूलियन असांज ने अमरीका की कथनी और करनी के अंतर को सार्वजनिक करके बलां  मोल ले ली है   . विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज आज लंदन की एक अदालत मे पेश हुए ,  जहां उन्हें को जमानत नहीं मिली.  उन पर अमेरिका में जासूसी का मुकदमा चलने की बात चल रही है और उन्हें प्रत्यर्पित भी किया जा सकता है.

फोटो-साभार गूगल

9 टिप्‍पणियां:

  1. हो सकता हे यह भी अमेरिका की एक चाल हो दाद गिरी करने के लिये बदनाम भी होना पडता हे, वर्ना किस किस की आवाज दव गई ज़ह अमेरिका जाने ज़ह विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज क्या चीज हे जी....

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  2. निसंदेह इस खबर में सचाइयों की कई तहें हैं, जो बाद में उजागर होंगी और कुछ निचली परतों में ही घुट जाएंगी.

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  3. जब जब सत्य ने आवाज उठाने कि कोशिश कि है, उसे कुचल दिया जाता है. मुख्य समस्या है परिभाषा को बदलना कि क्या "गुप्त" है और क्या नहीं.
    स्वार्थगत एंव विध्वंश कारी तत्व "गुप्त" शब्द का अवैध फायदा उठा जाते हैं. जो बातें उनकी पोल खोल खोलने वाली हैं, उसे वे गुप्त कि परिभाषा दे देते हैं,

    जब पूरा आकाश खुला है, धरती खुली है, समंदर खुला है, फिर ये आदमी इतना गुप्त क्यों है?

    उपयोगी एंव ज्ञानवर्धक रचना.
    धन्यवाद.

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  4. सही कहा आपने , मगर एक बात कहना चाहूँगा कि चाबी अभी भी इन्ही के हाथों में है , कहने का तात्पर यह है कि अगर अब लोगो ने नोट किया हो तो जब से यह विक्किलीक परकरण दोबारा शुरू हुआ था , दुनिया भर की इन्टरनेट ब्राउजिंग धीमी हो गई थी ( या यूँ कहे कर दी गई थी )!

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  5. इण्टरनेट सब कुछ पारदर्शी बना देगा।

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  6. उपयोगी एंव ज्ञानवर्धक रचना.
    धन्यवाद.

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  7. उपयोगी एंव ज्ञानवर्धक . प्रवीण जी के विचारों से सहमत हूँ ....आभार .

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