ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

02 फ़रवरी, 2011

नशामुक्ति की दिशा में छग सरकार के बढ़ते कदम

मुख्य मंत्री डा.रमन सिंह की अध्यक्षता में  दिनांक 28.01.2011 को छत्तीसगढ़ कैबिनेट  ने   दो हजार की जनसंख्या वाले गांवों की 250 शराब दुकानों को 1 अप्रेल 2011 से बंद करने तथा शराब की अवैध बिक्री रोकने आबकारी एक्ट में कड़े प्रावधान करने का ऐतिहासिक  फैसला लिया है .इस निर्णय से शासन को एक सौ करोड़ रुपए की प्रति वर्ष  राजस्व की हानि होगी .

सरकार का यह नशामुक्ति की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है  . सरकार शराबियों ,शराब-निर्माताओं तथा शराब विक्रेताओं  के खिलाफ कड़े कानून बना कर कार्यवाही करना चाहती है इसीलिए  सरकारी राजस्व की हानि की परवाह किये बगैर मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने यह साहसिक फैसला लिया है .  हालाँकि हम यह भी जानते है कि सरकार के कानून से नशा खोरी को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता .सरकार केवल शराब के उत्पादन वितरण और खपत को ही नियंत्रित कर सकती है लेकिन उसके सेवन को नियंत्रित करना समाज का काम है .वर्तमान में नशाखोरी की बढ़ती प्रवृति इतनी बढ़ गई है कि उसके प्रवाह को रोक पाना संभव नहीं है , कम से कम सरकार के लिए तो यह असंभव है . इसके लिए समाज में जन जागरण जरुरी है , जन-जागरण के अलावा और कोई बेहतर विकल्प नहीं है .  क्योकि सरकार तो शराब दुकानें बंद कर देगीं लेकिन पीने के शौकीन लोग कहीं ना कहीं से अपना इंतजाम कर ही लेंगे , यदि शराब नहीं मिली तो क्या हुआ ,बाजार में अन्य नशीले पदार्थों की भरमार है . कुछ नशीले पदार्थ तो शराब से भी ज्यादा खतरनाक है जो बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते है . अतः बेहतर तो यही होगा कि हम नई पीढ़ी को इस जहर से दूर ही रहने दें .हमने इसीलिये कुछ वर्षों से जन-जागरण करके अनेक लोंगों को नशापान से  मुक्त कराया .इसके लिए जो नारा दिया गया - " नशा हे ख़राब- झन पीहू शराब "  यह गाँव गाँव में काफी प्रसिद्द हुआ है . प्रदेश में अनेक धार्मिक ,सामाजिक एवं स्व-सेवी संस्थाएं भी इस काम में जुटी है . इन सबको अपना प्रयास और तेज करना होगा पहले तो आप स्वयं अकेले थे लेकिन अब सरकार का समर्थन भी आपके साथ है .सरकार एवं समाज दोनों मिलकर समाज को  पूरी तरह नशामुक्त कर सकते है .  मैं सरकार के वर्तमान कदम की सराहना करता हूँ . मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह एवं उनकी सरकार इसके लिए साधुवाद की पात्र है .





26 जनवरी, 2011

छत्तीसगढ़ में नि:शुल्क एम्बुलेंस सेवा " 108 संजीवनी एक्सप्रेस " शुरू





छत्तीसगढ़ में नि:शुल्क एम्बुलेंस सेवा '108 संजीवनी एक्सप्रेस '  शुरू हो गई है ,पहले चरण में 36 एम्बुलेंस की सेवाएं ली जा रही है. इनमें से  रायपुर जिले को  25 और बस्तर जिले को  11 एम्बुलेंस उपलब्ध कराये गए है  . इनमें एक-एक प्रशिक्षित तकनीशियन तैनात रहेंगे. इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एम्बुलेंस सेवा बिल्कुल नि:शुल्क रहेगी तथा घटना की खबर मिलते ही 30 मिनट के अन्दर घटना स्थल पर पंहुचेगी .कहने को तो यह एम्बुलेंस है लेकिन वास्तव में यह चलित-अस्पताल है क्योकि इसमें जीवन रक्षक दवाइयों के अलावा स्ट्रेचर ,कटर, आक्सीजन भी है.आवश्यक होने पर यह अग्नि शमन का भी काम करेगा . इस सेवा का लाभ लेने के लिए किसी भी कंपनी के मोबाईल अथवा लेंड -लाइन फोन  से 108  (वन जीरो एट )   नंबर डायल करना पड़ेगा ,एस.टी.डी. कोड की जरुरत नहीं है .वास्तव में यह कमाल की सेवा है ,दिनों-दिन बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं के कारण यह सेवा अति-आवश्यक हो गई थी .छत्तीसगढ़ सरकार और   इमरजेंसी मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टीटयूट ( EMRI ) के संयुक्त प्रयास से संचालित इस योजना का लाभ अप्रेल माह से प्रदेश के सभी 18 जिले के लोगो को मिल सकेगा . दिनांक 25.01.2011  को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने हरी झंडी दिखा कर सभी  एम्बुलेंस को रवाना किया . आज 26 जनवरी को अभनपुर के गणतंत्र दिवस समारोह में उपस्थित जन समुदाय के समक्ष   इसका प्रदर्शन किया गया . 

25 जनवरी, 2011

भारतीय गणतंत्र और तिरंगा


किसी भी नागरिक को अपने देश के  किसी भी भू-भाग में राष्ट्रीय  ध्वज  फहराने की स्वतंत्रता है। स्वतंत्र भारत का ध्वज तिरंगा है और इसे भारतीय गणतंत्र के किसी भी भू-भाग में फहराया जा सकता है यह विडंबना ही है कि भारत एक मात्र देश है जहॉं पर राष्ट्रीय पर्व के दिन ध्वज फहराने को लेकर विवाद उत्पन्न हो रहा है। विवाद उत्पन्न करने वाले लोग यह तर्क दे रहें हैं कि तिरंगा अगर फहराया गया तो कश्मीर में शांति भंग हो जायेगी। जिस तिरंगे की आन-बान और शान के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी तथा  अनेक वीर सपूत हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर लटक गये और जिस तिरंगे के बारे में यह कहा गया कि ----

शान न इसकी जाने पाये ,
चाहे जान भले ही जाये ,
विश्व विजय करके दिखलायें ,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा, 

झण्डा उँचा रहे हमारा ;

आज देश की राजनैतिक स्थिति ऐसी  हो गई है कि  भारत के मुकुट मणि कश्मीर में झण्डा फहराने से  रोका जा रहा है, कुछ  लोगों को इसमें आपत्ति है ,आपत्ति करने वाले लोग बड़े  शान से कह रहे हैं कि इससे शांति भंग होगी, न फहरायें। कभी तिरंगे को फहराना शान  की बात समझी जाती थी,  तो आज इन लोगों की नजर में तिरंगा न फहराना शान की बात समझी जा रही  है। जहॉं तक शांति भंग का सवाल है तो स्वतंत्रता आंदोलन के समय अंग्रेजी हुकूमत भी यही कहती थी कि आंदोलनकारियों के कारण शांति भंग हो रही है, देश में अराजकता फैल रही है। महात्मा गांधी तक को शांति भंग के आरोप में कई बार गिरफ्तार किया गया। जो लोग तिरंगा फहराने को लेकर आपत्तियां कर रहे हैं, उन्हें तिरंगे की आन-बान और शान की परवाह नहीं है। प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह एवं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अंग्रेजों की भाषा में बोल रहे हैं। 1947 के पहले जो बात अंग्रेज बोलते थे, वही बात आज हमारे प्रधानमंत्री और कश्मीर के मुख्यमंत्री बोल रहे हैं।
यह विचित्र  विडंबना है कि जिस कांग्रेस पार्टी के बैनर तले देश की आजादी की लड़ाई लड़ी गयी, केन्द्र में उसी कांग्रेस पार्टी की आज हुकूमत है।  1947 के पहले कांग्रेस  के नेता झण्डा फहराने  के लिए मरते थे और आज झण्डा फहराने वालों को मार रहे हैं, देश की जनता यह सब  देख रही है । केन्द्र सरकार ने तुष्टिकरण की नीति के चलते अलगाववादियों के सामने घुटने टेक दिए, देश की सीमा खतरे में है। उमर अब्दुल्ला ने आज तक कभी-भी कश्मीर के लाल चौंक  में पाकिस्तानी झण्डा फहराने वालों को नहीं रोका। भारत और भारतीयों के खिलाफ जगह-जगह वहॉं नारे लिखे गये, उसके बारे में कभी नहीं टोका। आज जब देश के नौजवान वहॉं तिरंगा फहराने की बात कर रहे हैं तो इनको आपत्ति हो रही है। युवाशक्ति के इस इरादे को भांपकर, बेहतर होता कि स्वयं प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह यह कहते कि नौजवानों तुमको लाल चौंक जाने की जरूरत नहीं है, मैं स्वयं वहॉं जाकर तिरंगा फहराउंगा, तो शायद उनकी इज्जत में बढ़ोत्तरी होती, लेकिन तिरंगा फहराने वालों की आलोचना करके उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से यह सिद्ध कर दिया है कि वे कश्मीर को भारत का भू-भाग नहीं मानते।  इस घटनाक्रम से एक बात का खुलासा तो हो ही गया कि कौन  तिरंगे का  पक्षधर  है और कौन तिरंगे का विरोधी । जो लोग लालचौंक में तिरंगा फहराने का विरोध कर रहे हैं, उनमें और अलगाववादियों में फर्क क्या रह गया है ?
जहॉं तक कश्मीर समस्या का सवाल है, यह समस्या धारा 370 की वजह से उत्त्पन्न हुई है ,अगर पंडित नेहरू ने  सरदार वल्लभ भाई पटेल की बात मान ली होती तो आज कश्मीर की सूरत ही कुछ और होती ।आज कश्मीर की हालत यह हो गयी है कि समूचा राज्य अलगाववादियों के हवाले कर दिया गया है तथा दिल्ली की सरकार विवश और लाचार बन कर बैठी है ।  

आप सबको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई !

श्री ललित शर्मा सहित दो सुप्रसिद्द ब्लॉगरों का सम्मान



छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा आयोजित हम भारतीय सम्मेलन में देश के दो सुप्रसिद्द ब्लॉगरों को ब्लॉग गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। इसमें अभनपुर जैसे छोटे से कस्बे से अपनी ब्लॉग के माध्यम से देश-विदेश में लोकप्रिय श्री ललित शर्मा भी शामिल हैं । इस अवसर पर प्रख्यात लेखक एवं हिन्दी सेवी श्री कैलाशचन्द्र पन्त एवं अन्य अतिथियों ने ब्लॉग और इन्टरनेट के माध्यम से हिन्दी के वैश्विक प्रसार पर हो रहे कार्यों की सराहना  की ।समिति द्वारा  प्रख्यात हिन्दी सेवी श्री कैलाशचन्द्र पन्त का अमृत महोत्सव मनाया गया । इस अवसर पर ब्लॉगरों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था ।  समारोह में प्रदेश के औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष श्री बद्रीधर दीवान, विधायक श्री रामसुन्दर दास, पुलिस महानिदेशक एवं कवि श्री विश्वरंजन, पूर्व शिक्षामंत्री श्री सत्यनारायण शर्मा तथा वरिष्ठ साहित्यकारों  ने  कनाडा में  कार्य कर रहे सुप्रसिद्द ब्लॉगर श्री समीर लाल समीर तथा छत्त्तीसगढ़ के विश्व प्रसिद्ध लोकप्रिय ब्लॉगर श्री ललित शर्मा को "ब्लॉग गौरव सम्मान" प्रदान किया