किसी भी नागरिक को अपने देश के किसी भी भू-भाग में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की स्वतंत्रता है। स्वतंत्र भारत का ध्वज तिरंगा है और इसे भारतीय गणतंत्र के किसी भी भू-भाग में फहराया जा सकता है यह विडंबना ही है कि भारत एक मात्र देश है जहॉं पर राष्ट्रीय पर्व के दिन ध्वज फहराने को लेकर विवाद उत्पन्न हो रहा है। विवाद उत्पन्न करने वाले लोग यह तर्क दे रहें हैं कि तिरंगा अगर फहराया गया तो कश्मीर में शांति भंग हो जायेगी। जिस तिरंगे की आन-बान और शान के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी तथा अनेक वीर सपूत हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर लटक गये और जिस तिरंगे के बारे में यह कहा गया कि ----
‘शान न इसकी जाने पाये ,
चाहे जान भले ही जाये ,
विश्व विजय करके दिखलायें ,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा,
झण्डा उँचा रहे हमारा ;
आज देश की राजनैतिक स्थिति ऐसी हो गई है कि भारत के मुकुट मणि कश्मीर में झण्डा फहराने से रोका जा रहा है, कुछ लोगों को इसमें आपत्ति है ,आपत्ति करने वाले लोग बड़े शान से कह रहे हैं कि इससे शांति भंग होगी, न फहरायें। कभी तिरंगे को फहराना शान की बात समझी जाती थी, तो आज इन लोगों की नजर में तिरंगा न फहराना शान की बात समझी जा रही है। जहॉं तक शांति भंग का सवाल है तो स्वतंत्रता आंदोलन के समय अंग्रेजी हुकूमत भी यही कहती थी कि आंदोलनकारियों के कारण शांति भंग हो रही है, देश में अराजकता फैल रही है। महात्मा गांधी तक को शांति भंग के आरोप में कई बार गिरफ्तार किया गया। जो लोग तिरंगा फहराने को लेकर आपत्तियां कर रहे हैं, उन्हें तिरंगे की आन-बान और शान की परवाह नहीं है। प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह एवं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अंग्रेजों की भाषा में बोल रहे हैं। 1947 के पहले जो बात अंग्रेज बोलते थे, वही बात आज हमारे प्रधानमंत्री और कश्मीर के मुख्यमंत्री बोल रहे हैं।
‘शान न इसकी जाने पाये ,
चाहे जान भले ही जाये ,
विश्व विजय करके दिखलायें ,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा,
झण्डा उँचा रहे हमारा ;
आज देश की राजनैतिक स्थिति ऐसी हो गई है कि भारत के मुकुट मणि कश्मीर में झण्डा फहराने से रोका जा रहा है, कुछ लोगों को इसमें आपत्ति है ,आपत्ति करने वाले लोग बड़े शान से कह रहे हैं कि इससे शांति भंग होगी, न फहरायें। कभी तिरंगे को फहराना शान की बात समझी जाती थी, तो आज इन लोगों की नजर में तिरंगा न फहराना शान की बात समझी जा रही है। जहॉं तक शांति भंग का सवाल है तो स्वतंत्रता आंदोलन के समय अंग्रेजी हुकूमत भी यही कहती थी कि आंदोलनकारियों के कारण शांति भंग हो रही है, देश में अराजकता फैल रही है। महात्मा गांधी तक को शांति भंग के आरोप में कई बार गिरफ्तार किया गया। जो लोग तिरंगा फहराने को लेकर आपत्तियां कर रहे हैं, उन्हें तिरंगे की आन-बान और शान की परवाह नहीं है। प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह एवं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अंग्रेजों की भाषा में बोल रहे हैं। 1947 के पहले जो बात अंग्रेज बोलते थे, वही बात आज हमारे प्रधानमंत्री और कश्मीर के मुख्यमंत्री बोल रहे हैं।
यह विचित्र विडंबना है कि जिस कांग्रेस पार्टी के बैनर तले देश की आजादी की लड़ाई लड़ी गयी, केन्द्र में उसी कांग्रेस पार्टी की आज हुकूमत है। 1947 के पहले कांग्रेस के नेता झण्डा फहराने के लिए मरते थे और आज झण्डा फहराने वालों को मार रहे हैं, देश की जनता यह सब देख रही है । केन्द्र सरकार ने तुष्टिकरण की नीति के चलते अलगाववादियों के सामने घुटने टेक दिए, देश की सीमा खतरे में है। उमर अब्दुल्ला ने आज तक कभी-भी कश्मीर के लाल चौंक में पाकिस्तानी झण्डा फहराने वालों को नहीं रोका। भारत और भारतीयों के खिलाफ जगह-जगह वहॉं नारे लिखे गये, उसके बारे में कभी नहीं टोका। आज जब देश के नौजवान वहॉं तिरंगा फहराने की बात कर रहे हैं तो इनको आपत्ति हो रही है। युवाशक्ति के इस इरादे को भांपकर, बेहतर होता कि स्वयं प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह यह कहते कि नौजवानों तुमको लाल चौंक जाने की जरूरत नहीं है, मैं स्वयं वहॉं जाकर तिरंगा फहराउंगा, तो शायद उनकी इज्जत में बढ़ोत्तरी होती, लेकिन तिरंगा फहराने वालों की आलोचना करके उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से यह सिद्ध कर दिया है कि वे कश्मीर को भारत का भू-भाग नहीं मानते। इस घटनाक्रम से एक बात का खुलासा तो हो ही गया कि कौन तिरंगे का पक्षधर है और कौन तिरंगे का विरोधी । जो लोग लालचौंक में तिरंगा फहराने का विरोध कर रहे हैं, उनमें और अलगाववादियों में फर्क क्या रह गया है ?
जहॉं तक कश्मीर समस्या का सवाल है, यह समस्या धारा 370 की वजह से उत्त्पन्न हुई है ,अगर पंडित नेहरू ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की बात मान ली होती तो आज कश्मीर की सूरत ही कुछ और होती ।आज कश्मीर की हालत यह हो गयी है कि समूचा राज्य अलगाववादियों के हवाले कर दिया गया है तथा दिल्ली की सरकार विवश और लाचार बन कर बैठी है ।
आप सबको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई !
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई . आपके विचारों से शत-प्रतिशत सहमत . आज़ादी के आंदोलन में जिसकी आन-बान और शान की रक्षा के लिए लाखों लोगों ने कठिन संघर्ष किया, अपने प्राणों की आहुतियाँ दीं ,आज अगर हम अपने ही देश में अपनी वह गौरव-पताका ,अपना वह राष्ट्र-ध्वज नहीं फहरा पाएंगे तो इससे बड़ी विडम्बना और क्या होगी ? जनता को राष्ट्र-ध्वज फहराने से रोकने वालों की मंशा और मानसिकता क्या है , इसे समझने और सावधान रहने की ज़रूरत है .
जवाब देंहटाएं@ स्वराज्य करुण जी ,
जवाब देंहटाएंआभार !
दुर्भाग्य है हमारे लोकतंत्र का। जिस तिरंगे को लेकर हम विजयी विश्व तिरंगा प्यारा का ध्वज गान करते हैं। उसे ही फ़हराने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। राजनीतिक तुला पर तिरंगा परचम लहराने को भी तोला जा रहा है। बिना रीढ की सरकारें सिर्फ़ घोटाले ही घोटाले कर रही हैं।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
बनी रहे तिरंगे की शान, बधाईयां.
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं
इतिहास के उलझे चित्रण।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं.... जय हिंद.
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरं, जय हिंद
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंशान न इसकी जाने पाये ,
चाहे जान भले ही जाये ,
विश्व विजय करके दिखलायें ,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा,
झण्डा उँचा रहे हमारा .....shandar
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंशान न इसकी जाने पाये ,
चाहे जान भले ही जाये ,
विश्व विजय करके दिखलायें ,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा,
झण्डा उँचा रहे हमारा .....shandar
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंशान न इसकी जाने पाये ,
चाहे जान भले ही जाये ,
विश्व विजय करके दिखलायें ,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा,
झण्डा उँचा रहे हमारा .....shandar
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
Bajaj sahab
जवाब देंहटाएंitani vyastata ke bad bhee aap ne itana saarthak lekh likha
vah ham to hataprabh hain
Badhai