ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

11 अक्तूबर, 2010

सचिन का डंका

छठी डबल सेंचुरी से केवल 9 रन दूर

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट में सचिन तेंदुलकर  का बल्ला खूब बरस रहा है। तीसरे दिन का खेल खत्म होने पर सचिन 191  रन और धोनी 11 रन बना कर डटे हुए हैं। तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने 5 विकेट पर 435 रन बनाए।
सचिन अपने छठी डबल सेंचुरी से केवल 9 रन दूर हैं। मास्टर ब्लास्टर सचिन  तेंदुलकर  ने अपनी 49वीं सेंचुरी बनाई। सचिन ने छक्के के साथ अपनी सेंचुरी पूरी की। मुरली विजय 139  रन बनाकर आउट हुए। उनके बाद बल्लेबाजी करने आए चेतेश्वर पुजारा भी 4  रन ही बना सके। पुजारा के बाद आए रैना भी 32  रन बना कर क्लार्क की गेंद पर हिलफेनहॉस द्वारा लपके गए।
इससे पहले दूसरे दिन के स्कोर दो विकेट पर 128  रन से आगे खेलते हुए सचिन और विजय ने तीसरे दिन पूरी सूझबूझ से पारी को आगे बढ़ाया। इस बीच सचिन ने अपने टेस्ट करियर की 58  वीं हाफ सेंचुरी लगाई। इसके बाद विजय ने अपने करियर की तीसरी हाफ सेंचुरी जड़ी ।
 वैसे दूसरे दिन भारतीय टीम ने वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड़ का विकेट जल्द ही खो दिया था। सहवाग 28 गेंदों पर 30  रन बनाकर आउट हुए जबकि द्रविड़ एक रन बनाकर जानसन का शिकार बन गए। इसके बाद सचिन ने विजय के साथ मिलकर पारी को संकट से उबारा। इस बीच मास्टर ब्लास्टर ने टेस्ट मैचों में अपने 14,000  रन भी पूरे किए। यह मुकाम हासिल करने वाले वह दुनिया इकलौते बल्लेबाज हैं। 00419


भारत का डंका

कॉमनवेल्थ खेलों में हॉकी के एक लीग मैच में भारत ने  पाकिस्तान पर धमाकेदार जीत दर्ज की है. भारत ने पाकिस्तान को 4 के मुकाबले सात गोल से हराया. इस जीत के साथ ही भारत सेमीफाइनल में पहुंच गया है.

 दिल्ली का मेजर ध्यानचंद स्टेडियम आज  एक ऐसे मैच का  गवाह बना , जिसमें लगा जैसा पूरा भारत उमड़ आया हो.मैच अहम हो और सामने चिर प्रतिद्वंदी  पाकिस्तान की टीम हो, तो समां कैसा होगा. इसका अंदाज़ा लगाया  जा  सकता  है. भारत  की  इस ऐतिहासिक  जीत पर सभी खिलाडियों एवं  आप सबको बहुत बहुत बधाई .  

जीत की उमंग

9 का अंक

 नव-रात्रि का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है .आप भी कहीं ना कहीं देवी माँ की उपासना में व्यस्त होंगें . वैसे तो हमारा देश पर्वो का देश है ,रोज कोई ना कोई त्यौहार होता ही है,भले ही वह देश के अलग अलग हिस्से में ही क्यों ना हो . सभी त्यौहार साल में एक बार आते है लेकिन नव-रात्रि का पर्व दो बार आता है ,वो भी नौ-नौ दिनों के लिए . यानी साल में अट्ठारह दिन देवी के नाम . इन अट्ठारह दिनों का मूलांक निकालें तो नौ ही होता है ....... 1 + 8 = 9

9 का अंक बड़ा विचित्र है इसे चाहे जितनी बार गुना करो उसका मूलांक 9  ही आयेगा .


                     जैसे ---
9 ×    1      =        9                                         =  9
9 ×    2      =     18    =  1  +  8                        =  9
9 ×  13      =    117   =  1 +  1 + 7                    = 9 
9  × 112     =   1008 =  1  +  0 + 0 + 8              = 9
9  × 4226   =  38034 =  3 + 8 +0 + 3 + 4           = 9 


00426

09 अक्तूबर, 2010

किताबों का डिजिटलाइजेशन

डिजिटलाइज करके फेंक दो किताबें ?
ह दौर है किताबों के डिजिटलाइजेशन का. यानी उन्हें कंप्यूटर में सेव करके रखने का. लेकिन इसके साथ ही एक सवाल उठ खड़ा हुआ है कि जो किताबें कंप्यूटर में सेव हो गईं, उनका किया क्या जाए? क्या उन्हें कूड़ेदान में फेंकना सही है?

ईबुक तकनीक को लेकर अलग अलग मत सामने आ रहे हैं लेकिन वे विद्वान और पुस्तकालय जो किताबों के बड़े भंडार को नहीं संभाल सकते, इस तकनीक को हाथोंहाथ ले रहे हैं.बहुत से पुस्तकालय अपने संग्रह में मौजूद किताबों का डिजिटलाइजेशन करा रहे हैं.

हालांकि इस प्रक्रिया के साथ साथ एक और सवाल बड़ा होता जा रहा है. वह यह है कि क्या इसके बाद कागज की किताबों को फेंक दिया जाएगा. इटली के फ्लोरेंस में स्थित राष्ट्रीय पुस्तकालय ने हाल ही में अपनी सबसे पुरानी 3000 किताबों को डिजिटलाइजेशन कराया है. उसने यह काम अमेरिका की कंपनी प्रोक्वेस्ट के साथ मिलकर किया है. लेकिन वह अपनी पुरानी और बेशकीमती किताबों को कूड़े में नहीं फेंकेगी.  अधिकारियों का मानना है कि ये किताबें राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं.

डिजिटल बेहतर

प्रोक्वेस्ट के एग्जेक्यूटिव डैन बर्नस्टोन कहते हैं कि बहुत से विद्वान किताबों की जगह उनका डिजिटल रूप देखकर ज्यादा संतुष्ट होंगे. इसका अर्थ यह भी है कि पुरानी किताबें जिन लोगों के निजी संग्रह में हैं, वे नष्ट की जा सकती हैं क्योंकि बाजार में उनकी कोई कीमत नहीं होगी.
पिछले हफ्ते अमेरिका के क्रॉनिकल ऑफ हायर एजुकेशन में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे एक प्रोफेसर एलेक्जैंडर हालवाइस ने मैनहटन के अपने अपार्टमेंट में जगह खाली करने के लिए किताबों का इस्तेमाल किया. हालवाइस ने इन किताबों की जिल्द उतारी और उन्हें पेज-फेड नाम के ऑटोमेटिक स्कैनर पर रख दिया. स्कैनर ने किताबों के सारे पेजों की तस्वीरें उनके कंप्यूटर में सेव कर दीं.इसके बाद प्रोफेसर हालवाइस ने किताबों को नष्ट करने की योजना बना डाली.उनका कहना है कि उनके पास 3000 किताबें हैं और वह उनमें से सिर्फ 500 ही अपने पास रखेंगे. अब तक वह 800 किताबों को अपने कंप्यूटर में सेव कर चुके हैं.

'दोस्तों का कत्ल'!

इस रिपोर्ट ने किताबों के चाहने वाले कई पाठकों को काफी परेशान किया है. उन्होंने प्रोफेसर हालवाइस के काम को 'दोस्तों के कत्ल' जैसा कहा. हालवाइस ने भी अपने ब्लॉग पर लिखा कि जब वह इस प्रक्रिया के बारे में लिख रहे थे तब उन्हें लगा कि वह ईशनिंदा जैसा काम कर रहे हैं.

लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जो किताबों से छुटकारा चाहते हैं.प्राचीन इतिहास के चर्चित ब्लॉगर रोजर पीयर्स कहते हैं कि वह हमेशा किताबों से छुटकारा चाहते हैं. वह बताते हैं, "अगर आप इनसे छुटकारा नहीं पाएंगे तो कुछ वक्त बाद आप खुद को किताबों के विशाल ढेर के बीच पाएंगे.इनमें ऐसी किताबें होंगी जिनके बारे में आप जानते हैं कि आप दोबारा उन्हें कभी नहीं पढ़ेंगे.बहुत कम ऐसी किताबें होंगी जिन्हें आप अपने पास रखना चाहेंगे."

वैसे लोगों ने इस समस्या से बचने के लिए कुछ और तरीके भी निकाल रखे हैं. मसलन हैमबर्ग के एक लेखक ने अपनी किताबों के बहुत बड़े संग्रह में से कुछ को ईबे पर बेचने की कोशिश की.हालांकि उन्हें लगता है कि नीलामी के लिए बोली लगाने वालों के जवाब देना और उन्हें किताबें भेजना कोई आसान काम नहीं है.निजी पुस्तकालयों का हाल अक्सर ऐसा होता है कि उनके मालिकों के मर जाने के बाद किताबें  किसी सेकंड हैंड डीलर के पास चली जाती हैं.

शायद आपके पास इसका  कोई ठोस  समाधान हो ?

DW 00433