मुख्य मंत्री डा.रमन सिंह की अध्यक्षता में दिनांक 28.01.2011 को छत्तीसगढ़ कैबिनेट ने दो हजार की जनसंख्या वाले गांवों की 250 शराब दुकानों को 1 अप्रेल 2011 से बंद करने तथा शराब की अवैध बिक्री रोकने आबकारी एक्ट में कड़े प्रावधान करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है .इस निर्णय से शासन को एक सौ करोड़ रुपए की प्रति वर्ष राजस्व की हानि होगी .
सरकार का यह नशामुक्ति की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है . सरकार शराबियों ,शराब-निर्माताओं तथा शराब विक्रेताओं के खिलाफ कड़े कानून बना कर कार्यवाही करना चाहती है इसीलिए सरकारी राजस्व की हानि की परवाह किये बगैर मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने यह साहसिक फैसला लिया है . हालाँकि हम यह भी जानते है कि सरकार के कानून से नशा खोरी को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता .सरकार केवल शराब के उत्पादन वितरण और खपत को ही नियंत्रित कर सकती है लेकिन उसके सेवन को नियंत्रित करना समाज का काम है .वर्तमान में नशाखोरी की बढ़ती प्रवृति इतनी बढ़ गई है कि उसके प्रवाह को रोक पाना संभव नहीं है , कम से कम सरकार के लिए तो यह असंभव है . इसके लिए समाज में जन जागरण जरुरी है , जन-जागरण के अलावा और कोई बेहतर विकल्प नहीं है . क्योकि सरकार तो शराब दुकानें बंद कर देगीं लेकिन पीने के शौकीन लोग कहीं ना कहीं से अपना इंतजाम कर ही लेंगे , यदि शराब नहीं मिली तो क्या हुआ ,बाजार में अन्य नशीले पदार्थों की भरमार है . कुछ नशीले पदार्थ तो शराब से भी ज्यादा खतरनाक है जो बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते है . अतः बेहतर तो यही होगा कि हम नई पीढ़ी को इस जहर से दूर ही रहने दें .हमने इसीलिये कुछ वर्षों से जन-जागरण करके अनेक लोंगों को नशापान से मुक्त कराया .इसके लिए जो नारा दिया गया - " नशा हे ख़राब- झन पीहू शराब " यह गाँव गाँव में काफी प्रसिद्द हुआ है . प्रदेश में अनेक धार्मिक ,सामाजिक एवं स्व-सेवी संस्थाएं भी इस काम में जुटी है . इन सबको अपना प्रयास और तेज करना होगा पहले तो आप स्वयं अकेले थे लेकिन अब सरकार का समर्थन भी आपके साथ है .सरकार एवं समाज दोनों मिलकर समाज को पूरी तरह नशामुक्त कर सकते है . मैं सरकार के वर्तमान कदम की सराहना करता हूँ . मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह एवं उनकी सरकार इसके लिए साधुवाद की पात्र है .