इस ब्लॉग में अब तक आप अन्य विषयों के अलावा पर्यावरण एवं नशामुक्ति से जुड़े तथ्यों का अवलोकन करते आ रहें है .आज हम ध्रूमपान से ध्रूमपान ना करने वालों पर कितना घातक असर हो रहा है इस पर आपका ध्यान आकृष्ट करेंगे .आगे की पोस्ट में आपको परफ्यूम्स से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी देना चाहेंगे यदि आपके पास कोई जानकारी या तथ्य हो तो कृपया अवगत करने का कष्ट करेंगें .धन्यवाद !
आप आश्चर्य करेंगे कि सौ में एक व्यक्ति की मौत सिगरेट पीये बिना ही दूसरों की सिगरेट से निकलने वाले अनचाहे धुयें को ग्रहण करने से हो रही है.धूम्रपान को लेकर किए गए अब तक के पहले अंतरराष्ट्रीय अध्ययन से ये बात सामने आई है कि दुनियाभर में हर साल छह लाख से ज़्यादा लोग ‘पैसिव स्मोकिंग’ यानी दूसरों के धूम्रपान के धुँए को झेलने से मर जाते हैं. जिनमें डेढ़ लाख से अधिक बच्चे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के अनुसार पौने चार लाख लोग दिल की बीमारियों के कारण मरते हैं तो डेढ़ लाख से अधिक लोग सांस की बीमारी के कारण. इसके अलावा 37 हजार लोग अस्थमा से और साढ़े 21 हजार लोग फेफड़े के कैंसर से मरते हैं.
वैज्ञानिक पत्रिका लांसेट में विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमें यह रहस्योद्घाटन किया गया है. इसके अनुसार दुनिया भर में 40 फीसदी बच्चे, 35 फीसदी महिलाएं और 33 फीसदी मर्द बिन चाहे सिगरेट का धुंआ पी रहे हैं. घर में रहते हुए इस धुंए को झेलने से नवजात शिशुओं में निमोनिया, दमा और अचानक मौत का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है.
विश्व स्वास्थय संगठन (डब्लूएचओ) ने लगभग 200 देशों के अध्ययन में पाया कि जिन देशों में धूम्रपान विरोधी कानून लागू किया जा चुका है वहां दुनिया की आबादी का सिर्फ साढ़े सात प्रतिशत हिस्सा रहता है. लेखकों का कहना है कि सवा अरब तंबाकू पीने वाले पौने पांच अरब लोगों को " पैसिव स्मोकिंग " करने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों की मानें तो भवनों और दफ्तरों में धूम्रपान पर रोक लगाने वाले कानून दिल की बीमारी और मौत के खतरे को कम कर सकते हैं. इससे चिकित्सा के क्षेत्र में खर्च भी कम होगा.जिन देशों में धूम्रपान विरोधी कानून लागू किया जा चुका है वहां दुनिया की आबादी का सिर्फ साढ़े सात प्रतिशत हिस्सा रहता है.
भारत जैसे विकासशील देश में इसके लिए व्यापक उपाय ढूँढने होंगे क्योकि परोक्ष धूम्रपान से मरने वालों में किशोरों व बच्चों की संख्या विकासशील देशों में अधिक है. मुख्य रूप से बच्चे अपने घर पर "पैसिव स्मोकिंग " का शिकार ज्यादा होते हैं. अगर घर में कोई सिगरेट पीता है तो वे इस खतरे से बच नहीं सकते. खासकर पिछड़े क्षेत्रों में धूम्रपान और संक्रमण मौत की घातक जुगलबंदी हैं. जब तक इसे रोकने के लिए सख्त कानून के साथ-साथ व्यापक जनजागरण नहीं किया जायेगा तब तक इस काले जहर से मुक्ति पाना कठिन ही है .फोटो साभार गूगल
भारत जैसे विकासशील देश में इसके लिए व्यापक उपाय ढूँढने होंगे क्योकि परोक्ष धूम्रपान से मरने वालों में किशोरों व बच्चों की संख्या विकासशील देशों में अधिक है. मुख्य रूप से बच्चे अपने घर पर "पैसिव स्मोकिंग " का शिकार ज्यादा होते हैं. अगर घर में कोई सिगरेट पीता है तो वे इस खतरे से बच नहीं सकते. खासकर पिछड़े क्षेत्रों में धूम्रपान और संक्रमण मौत की घातक जुगलबंदी हैं. जब तक इसे रोकने के लिए सख्त कानून के साथ-साथ व्यापक जनजागरण नहीं किया जायेगा तब तक इस काले जहर से मुक्ति पाना कठिन ही है .फोटो साभार गूगल
अच्छी और ज्ञानवर्धक जानकारी..आभार,
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक जानकारी..
जवाब देंहटाएंआदत.......मुस्कुराने पर
जवाब देंहटाएंमेरी मंजिल.........संजय भास्कर :
तिलयार में छाया ब्लॉगरों का जादू .....संजय भास्कर
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
@ पं.अनिल जी शर्मा सहारनपुर,
जवाब देंहटाएंवाह भाई वाह आपको तो दशों दिशाओं का पर्याप्त ज्ञान है .
@ संजय भास्कर जी ,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
उपयोगी एंव ज्ञानवर्धक जानकारी, वैसे मुझे सच कहने कि बिमारी है "मैं भी सिगरेट पीता हूँ"
जवाब देंहटाएंशायद अब इस विषय पर सोचना होगा.
धन्यवाद.
@अरविन्द जांगिड जी ,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत धन्यवाद ,आपके मन में धुम्रपान त्यागने का विचार आना इस लेखन की सार्थकता को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है .निवेदन है कि जितनी जल्दी हो सके इस जहर को त्याग दें . आपको नए जीवन का एहसास होगा .आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मैंने 5000 से अधिक लोगों को नशापान से मुक्त कराया है . आप भी दृढ इच्छाशक्ति का परिचय दें . शुभकामनाएं !
शराब की तरह धूम्रपान भी एक धीमा ज़हर है. लोगों को सावधान करने वाला एक सार्थक आलेख .प्रेरणादायक प्रस्तुति के लिए आभार और बधाई .
जवाब देंहटाएं@ स्वराज्य करुण जी ,
जवाब देंहटाएंकृपया आगे बढाइये इस तूफानी अभियान को ; धन्यवाद !
... saarthak post ..... aabhaar !!!
जवाब देंहटाएंदिल्ली में देखकर अच्छा लगा कि पूरा प्रगति मैदान स्मोक फ्री जोन घोषित है और इसका पालन भी कड़ाई से होता है.
जवाब देंहटाएं@अशोक जी, सादर धन्यवाद, मैं सुबह से ही सोच रहा था, इस विषय पर........."मैंने अंतिम सिगरेट समय - 2.38, 27-11-2010 को ली थी"
जवाब देंहटाएंतारीख गवाव रहे! सत्य को प्रमाण कि आवश्यकता नहीं. बाकी बची सिगरेट के पकेट्स (13) को जला दिया है, मेड इन दुबई थी, सो दुःख तो हुआ, ये भी सच है, लेकिन जब छोड़ना ही है तो क्या देशी, क्या विदेशी.
आप अपनी मुहीम में कामयाब यों, ईश्वर से यही कामना है.
एक बार पुनः धन्यवाद.
सार्थक प्रयास.....
जवाब देंहटाएंऊपर वाले की कृपा से हमारे परिवार का प्रत्येक व्यक्ति इस नामुराद चीज से बचा हुआ हैं....
@अरविन्द जांगिड जी ,
जवाब देंहटाएंआपने अनुकरणीय कार्य किया है ,पुरानी आदत को छोड़ना बड़े साहस का काम है .मै आपके साहस की दाद देता हूँ .तथा आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ . मै समझता हूँ की आपके इस सराहनीय कदम पर हमारे अनेक ब्लोगर मित्र नया पोस्ट लिखेंगे .
निश्चित रूप से स्मोकिंग जितना अपने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, दूसरों के स्वास्थ्य के लिए भी...
जवाब देंहटाएंप्रेरणा देती सार्थक पोस्ट भैया... धन्यवाद.
आपने बहुत ही बेहतरीन जानकारी दी है... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंप्रेमरस.कॉम
अशोक जी,
जवाब देंहटाएंधूम्रपान तो देश में पहले की तुलना में कम हो गया है...लेकिन उससे भी खतरनाक बीमारी निकल आई है गुटका...इसकी लत जिसे लग जाए, उसका काम तमाम होना तय है...किशोर तक गुटके की आदत के चलते खुद को बर्बाद कर रहे हैं...और सरकार आंखों पर पट्टी और कानों में तेल डाल कर बैठी हुई है...
जय हिंद...
ज्ञान वर्धक लेख़
जवाब देंहटाएं@ 'उदय' जी ,
जवाब देंहटाएं@ पं.डी.के.शर्मा"वत्स" जी ,
@ राहुल सिंह जी ,
@ एस. एम्. हबीब जी ,
@ शाह नवाज़ जी ,
@ एस.एम.मासूम जी ,
आप सभी शुभचिंतकों ने इस पोस्ट को उपयोगी एंव ज्ञानवर्धक समझा ; आप सबका आभार !
@ खुशदीप सहगल जी ,
जवाब देंहटाएंआपने गुटकें का जिक्र कर इस प्रसंग को सही दिशा में मोड़ दिया है . यह ज्वलंत मुद्दा है , शायद ब्लोगरों की पहल से इसके उपयोग को नियंत्रित किया जा सकता है . उपयोगी सुझाव के लिए आभार !
ऊपर वाले की कृपा से हमारे परिवार का प्रत्येक व्यक्ति इस नामुराद चीज से बचा हुआ हैं....par mujhe chod kar par aap ke diye gaye jankari ke bad dhere dhere finish karuga . aap ka prerak prayas badiya.
जवाब देंहटाएंस्थिति चिन्तनीय है, एक के साथ एक फ्री।
जवाब देंहटाएंविचारणीय और सारगर्वित प्रस्तुति .... आभार
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक जानकारी....आभार
जवाब देंहटाएं@ सुमित दास जी ,
जवाब देंहटाएंछोड़ने के लिए वक्त का इंतजार न करें ,बस यह समझिये कि वक्त आ चुका है . आप अपनी दृढ इच्छा शक्ति का परिचय दीजिये और दिल पर पत्थर रख कर सिगरेट का पैकेट फेंक दीजिये , जैसा कि ऊपर आपने पढ़ा होगा अरविन्द जांगिड ने एक ही झटके में इस जहर को जला दिया , आप भी कुछ यैसा ही करिए .सचमुच आपको नए जन्म का एहसास होगा .मुझे तो केवल आपके परिवार व् मित्रों की दुआ चाहिए .धन्यवाद !
@ प्रवीण पाण्डेय जी ,
जवाब देंहटाएं@ महेन्द्र मिश्र जी ,
@राहुल पंडित जी ,
आप सभी शुभचिंतकों ने भी इस पोस्ट को उपयोगी एंव ज्ञानवर्धक समझा ; आप सबका आभार !
bhagwan ka dhanyawad ki mere ghar mein ko nasha nahi karta
जवाब देंहटाएंbhagwan ka dhanyawad ki mere ghar koi nasha nahi karta
जवाब देंहटाएंbhagwan ka dhanyawad ki mere ghar mein koi nasha nahin karta
जवाब देंहटाएंbhagwan ka dhanyawad ki merre ghar mein koi nasha nahin karta
जवाब देंहटाएंbhagwan ka dhanyawad ki mere ghar mein koi nasha nahin karta.
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक पोस्ट...और इसके सार्थकता में तो चार चाँद लगा दी अरविन्द जांगिड जी ने...उब्हें शत-शत साधुवाद...एवं अशोक बजाज जी को भी साधुवाद.
जवाब देंहटाएंपंकज झा.