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18 नवंबर, 2011

हिंद महासागर में मिला गोंडवाना-लैंड

वैज्ञानिकों ने हिंद महासागर में जलमग्न दो द्वीपों का पता लगाने का दावा किया है। बताया गया है कि ये किसी जमाने में भारत और ऑस्ट्रेलिया के भूखंडों का हिस्सा थे। ये डूबे द्वीप दुनिया के मौजूदा नक्शे का रहस्य खोल सकते हैं।

ऑस्ट्रेलिया से पश्चिम में करीब 1,600 किलोमीटर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा में दो द्वीपों का पता चला। पिछले महीने मिले इन द्वीपों की चट्टानों में उथले जल में पाए जाने वाले जीवों के जीवाश्म मिले हैं। सिडनी यूनिवर्सिटी की जो विटटेकर के मुताबिक इससे पता चलता है कि ये द्वीप समुद्र के भीतर की ज्वालामुखीय क्रियाओं ने नहीं बनाए बल्कि ये महाद्वीप का हिस्सा रहे होंगे।

महत्वपूर्ण खोज : 
विटटेकर इस खोज को उत्साहजनक बताती हैं क्योंकि इससे पता चल सकता है कि कैसे आठ से 13 करोड़ साल पहले गोंडवाना के टूटने से ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका और भारत का निर्माण हुआ। इस रिसर्च के मुख्य वैज्ञानिकों में शामिल विटटेकर बताती हैं कि उनकी दिलचस्पी खासतौर पर भारत के पहले उत्तर पश्चिम और फिर एकदम उत्तर की ओर खिसक जाने में है, जहां भारत का उत्तर पूर्वी तट कभी ऑस्ट्रेलिया से जुड़ा हुआ था। लेकिन बाद में भारत अलग हुआ और यूरेशिया से इतनी जोर से टकराया कि हिमालय का निर्माण हुआ।

विटटेकर कहती हैं, 'हमें इस का काफी सही अंदाजा है कि वे महाद्वीप कहां थे लेकिन हमें सटीक जानकारी नहीं है। टेक्टोनिक्स के मामले में पूर्वी हिंद महासागर सबसे कम खंगाले गए इलाकों में से है। नई रिसर्च से हमें प्लेटों की गतिशीलता का पता चलेगा जिसकी वजह से भारत ऑस्ट्रेलिया से दूर होता है और यूरेशिया में टकराने की ओर बढ़ता है।'

कैसे बने होंगे ये द्वीप :
ये द्वीप समुद्र तल से करीब दो हजार मीटर नीचे हैं। उनकी चोटी से रेतीले पत्थरों और ग्रेनाइट की चट्टानों के नमूने लिए गए हैं। उनकी उम्र का पता लगाया जाना अभी बाकी है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि उनकी उम्र एक अरब साल तक हो सकती है। इन चट्टानों की तुलना ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट से की जाएगी ताकि पता लगाया जा सके कि द्वीप कहां से टूटे। भारत के साथ इस तरह की तुलना संभव नहीं है क्योंकि जहां से टूट हुई होगी, वह तट अब कहीं हिमालय में खो चुका है। भारत का पूर्वी तट कभी वहां हुआ करता था जहां आज अंटार्कटिका है।

विटटेकर कहती हैं कि महाद्वीपों का अलग होना कुछ ऐसा रहा होगा जैसे किसी चिपचिपी चीज को खींचा जाए। ऐसे में कुछ टुकड़े बच गए। इन टुकड़ों की मोटाई सामान्य से काफी कम है। उन्होंने बताया, 'लगभग स्कॉटलैंड के आकार के ये टुकड़े शायद उतने मोटे नहीं रहे होंगे जितने महाद्वीप थे। इसलिए वे पानी में नीचे बैठ गए।'

विटटेकर उम्मीद कर रही हैं कि उन्हें कुछ बहुत अच्छे नमूने और स्पष्ट महाद्वीपीय चट्टानें मिल जाएंगी जिनसे पता चलेगा कि ये द्वीप असल में गोंडवाना के हिस्से हैं।

प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत ज्यादा पुराना नहीं है। यह 1950 में संपादित हुआ। विटटेकर बताती हैं कि अभी भी विशेषज्ञ यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि किस वजह से द्वीप एक दूसरे से अलग होकर अलग-अलग दिशाओं में बहने लगे। ऑस्ट्रेलिया लगभग सात सेंटीमीटर सालाना की रफ्तार से उत्तर की ओर बढ़ रहा था। दूसरी तरफ अंटार्कटिका स्थिर था और बिल्कुल नहीं हिल रहा था।


16 नवंबर, 2011

तिहाड़ में खुली लाटरी

तिहाड़ जेल से अगले छह माह के अन्दर रिहा होने वाले कैदियों की लाटरी खुल गई है . देश की कई नामी गिरामी कंपनियों ने शानदार पैकेज  के साथ 80 कैदियों को नौकरी का लेटर थमाया है जिनमे 10 महिला कैदी भी शामिल है .कंपनियों ने बेहतर कार्यक्षमता वाले कैदियों को  वेतन देने में काफी उदारता दिखाई है और तीन कैदियों को छह-छह लाख रुपए के वार्षिक पैकेज पर रखा है. तिहाड़ में प्लेसमेंट के लिए पहुंचे विभिन्न  कंपनियों के प्रतिनिधियों के समक्ष 90 कैदियों ने आवेदन किया  जिसमें से 80 को नौकरी दी गई.आवेदन करने वाली सभी 10 महिला कैदियों  को रोजगार दिया गया. महिला कैदियों का पैकेज भी दो लाख से पांच लाख रुपए सालाना का रखा गया है.

कैदियों को छह लाख रुपए तक का पैकेज देकर रिकॉर्ड बनाने वाली कंपनी का नाम मिलेनियम बिल्डर्स है .जिस कैदी को 6 लाख रुपये साल का पैकेज मिला है ,  उसे  अपहरण के एक मामले में सेशन कोर्ट से उम्र-कैद की सजा मिली हुई है अभी हाई कोर्ट में उसकी अपील विचाराधीन है. यूपी के उस युवक ने  कानपुर युनिवर्सिटी से बीए की थी . जेल में रहते हुए वह टूरिज़म मैनेजमेंट में मास्टर्स और सोशल वर्क में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा कोर्स कर रहा है. वह दोनों कोर्स जेल में ही बने इग्नू के सेंटर से कर रहा है.उसने कंप्यूटर में भी कई पीजी और डिप्लोमा कोर्स कर रखे हैं.

जेल में रहते हुए अच्छी नौकरी मिल जाने से निश्चित रूप से वह  प्रसन्न होगा .यदि वह जेल से छूट कर अच्छे काम में लग जाता है तो यह अच्छी बात है . अपने पूर्व के अपराधों के पश्चाताप स्वरूप उसे नई पीढ़ी को अपराध की दुनिया से दूर रहने के लिए प्रेरित करना चाहिए .
 
 
 


 

13 नवंबर, 2011

सहकारिता यानी " सब के लिए एक और एक के लिए सब "


सहकारिता का सप्तरंगी ध्वज
आज देश के प्रथम प्रधान मंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिन है .हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आज के दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया गया . सहकारी आन्दोलन के प्रति पं. नेहरू के योगदान के मद्देनजर प्रति वर्ष 14 नवंबर से 20 नवंबर तक सहकारी  सप्ताह मनाया जाता है . सहकारी संस्थाओं द्वारा गोष्ठी, प्रदर्शनी व सभा -सम्मलेन के माध्यम से सहकारी आन्दोलन का प्रचार प्रसार किया जाता है .

वास्तव में सहकारिता मनुष्य के सर्वांगीण विकास का सर्वोत्तम माध्यम है , यह आम आदमी को आर्थिक रूप से सक्षम बनाता है . जिस देश में सहकारी आन्दोलन मजबूत होगा उस देश की आर्थिक हालत भी मजबूत होगी . अतः देश के आर्थिक सुदृढ़ीकरण के लिए सहकारी आन्दोलन को सुदृढ़ बनाना अति आवश्यक है .  सहकारिता के प्रति जन विश्वास को और अधिक मजबूत बनाने के लिए सहकारिता से जुड़ी संस्थाओं और इससे जुड़े लोगों कोकाफी मेहनत की जरुरत है .


सहकारिता की मूल भावना है " सब के लिए एक और एक के लिए सब " . इसी मूल भावना को जमीनी स्तर पर ले जाना होगा .सहकारिता हमें पारस्परिक सहयोग के आधार पर स्वावलंबन  एवं आत्मनिर्भर जीवन जीने का अवसर प्रदान करता है .

10 नवंबर, 2011

कार्तिक पूर्णिमा, प्रकाश उत्सव एवं 11/11/11 का महासंयोग


   
11/11/11  का महासंयोग
                      
ज कार्तिक पूर्णिमा  एवं प्रकाश पर्व  है और कल  यानी 11 नवंबर 2011 को एक के अंक की छः  आवृत्तियां 11.11.11 एक साथ है . है ना यह  दुर्लभ संयोग ? ऐसा दुर्लभ संयोग सौ साल में एक बार आता है . इस वर्ष 2011 में यह दुर्लभ संयोग चौथी बार आया है . पहली बार  1 जनवरी 2011 को एक की चार आवृत्तियां 1.1.11 एक साथ थी . दूसरी बार 11 जनवरी को जब पांच आवृत्तियां 11.1.11 एक साथ थी .  तीसरी बार यह दुर्लभ संयोग आया 1.11.11  को और चौथी बार कल यानी  11.11.11 को अंकीय संयोग आया है . इस दिन  11.11.11 को घड़ी का कांटा 11 बज कर 11 मिनट और 11 सेकण्ड पर आएगा तब यह अंकीय महा संयोग होगा . अवश्य आप इस वक्त को अविस्मरनीय बनाने की जुगत में होंगें .

कार्तिक पूर्णिमा
भारतीय संस्कृति में कार्तिक मास की पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक माहात्म्य है. दीपावली, यम द्वितीया और गोवर्धनपूजा के अलावा इस मास के सांस्कृतिक पर्वो में यह पर्व असीम आस्था का संचार करता है. वर्ष के बारह महीनों में पंद्रह पूर्णिमाएं होती हैं. जब अधिक मास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 16 हो जाती है परन्तु कार्तिक मास की पूर्णिमा का  धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से विशेष महत्व है. इसे त्रिपुरी पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है. 

इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे.ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है. इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान तथा दीपदान की प्राचीन परम्परा है. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल   मिलता है.

प्रकाश उत्सव 
कार्तिक पूर्णिमा के दिन  सिखों के प्रथम  गुरू गुरूनानक देवजी का  जन्मोत्सव  प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है . गुरु नानक देवजी का प्रकाश (जन्म) 15 अप्रैल 1469 ई. (वैशाख सुदी 3, संवत्‌ 1526 विक्रमी) में तलवंडी रायभोय नामक स्थान पर हुआ था . सुविधा की दृष्टि से गुरु नानक का प्रकाश उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है. तलवंडी अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. तलवंडी पाकिस्तान के लाहौर से 30 मील दक्षिण-पश्चिम में स्थित है.
 

जीती नौखंड मेदनी सतिनाम दा चक्र चलाया
भया आनंद जगत बिच कल तारण गुरू नानक आया

कार्तिक पूर्णिमा एवं प्रकाश उत्सव  की आपको हार्दिक  बधाई एवं शुभकामनाएं !