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06 मार्च, 2012

तोर पैरी के झनर झनर....



सम्मान समारोह
त्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अंचल की दो महान हस्तियों के सम्मान का सुअवसर मिला. एक है प्रथम छत्तीसगढ़ी फिल्म के निर्माता/निर्देशक श्री मनु नायक तथा दूसरे है आज के छत्तीसगढ़ी फिल्म स्टार सही अनुज शर्मा . फ़िल्मी दुनिया से जुड़े इन महान हस्तियों का सम्मान समारोह आयोजित किया था मोहनलाल देवांगन ने जो रेडियो के नियमित श्रोता  है. सम्मान समारोह में ज्यादातर रेडियो श्रोता ही थे . ब्लॉगर ललित शर्मा भी आ गए थे . रेडियो श्रोताओं की जब भी जमघट होती है आकाशवाणी के वरिष्ठ एनाउंसर श्री श्याम वर्मा पहुँच ही जाते है .
 
श्री मनु नायक एक जाना पहचाना नाम है ,इन्होने दशकों पहले १९६५ में  छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाने का साहस किया . फिल्म का नाम था- " कहि देबे सन्देश "  उस समय यह फिल्म खूब चर्चित हुई थी . श्री नायक ने इस फिल्म के कुछ गाने मोहम्मद रफ़ी साहब से गवाए थे . कुछ गाने आज भी जेहन पर है जैसे--" झमकत नदिया बहिनी लागे, पर्वत मोर मितान ..." 

                   

 

 

 इस फिल्म का एक और चर्चित गाना था --" तोर पैरी के झनर झनर ,तोर चुरी के खनर खनर ....  "

 

                   



01 मार्च, 2012

एक ब्लॉगर का यू टर्न



ब्लाग पंडित श्री ललित शर्मा ने फेसबुक से मोह त्याग कर पुनः ब्लागिंग का रास्ता पकड़ लिया है .कुछ माह पूर्व तक इस शख्स को अपने चर्चित ब्लाग ललित डाट काम में  नई पोस्ट लगाये बिना नींद नहीं आती थी. विषय कोई  ढंग का हो या ना हो लेकिन अपनी लेखनी से उसे रोचक बना देने की कला में माहिर इस शख्स ने  हाथी,घोडा,गधा,घड़ी,रेडियो,साइकल,खेत,खलिहान,नदी,पहाड़,बैल,भैस,कुत्ता,धर्म,संस्कृति,भाषा,बोली,रीति-रिवाज   और ना जाने कितने विषयों पर पोस्ट लिखा है.यहाँ तक कि झाड़ू जैसे निकृष्ट विषय पर भी इसने पोस्ट लिखी है .सर्च इंजिन  में कुछ भी सर्च करो ब्लाग पंडित सर्च हो जाते थे .कमेन्ट बटोरने में भी इसका कोई जवाब नहीं . एक-एक पोस्ट में सौ-सौ कमेन्ट कैसे प्राप्त करना है यह कला कोई इसी से सीखे . चिट्ठाजगत की सक्रियता क्रमांक में हमेशा टॉप टेन में रहने वाले इस शख्स को एक दिन फेसबुक का नशा चढ़ गया फिर क्या था वह फेसबुक का ही होकर रह गया . लेखनी बंद हो गई , कमेंट्स बंद हो गए और सर्च इंजिन भी फेल हो गया . बहुत सारे साथी भी छुट गए. फेसबुक तो आखिर फेसबुक है उसके कारण इतनी कुर्बानी तो देनी ही पड़ेगी .
ब्लाग पंडित श्री ललित शर्मा


     शायद भूलन कांदा के प्रभाव से अचानक आज उसने यूं टर्न  लिया और फेसबुक से नाता तोड़ कर पुनः ब्लोगिग की दुनिया में प्रवेश कर लिया . अभी भी ऐसे बहुत से ब्लागर है जो ब्लोगिंग से कट चुके है . एक समय मुझे भी लग रहा था कि ब्लोगिंग कहीं संग्रहालय की वस्तु तो नहीं बन जायेगी . वैसे मै भी अपनी सामाजिक ,राजनैतिक व्यस्तताओं के चलते पिछले तीन माह से ब्लोगिंग के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहा हूँ,सो फेसबुक से ही संतोष करना पड़ रहा है . लेकिन मैंने ब्लोगिंग के प्रति बेरुखी नहीं दिखाई . जब भी थोड़ा वक्त मिलता है लिख ही लेता हूँ . चुनाव प्रचार के लिए लंबे समय तक उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में रहना पड़ा . वहां सर्वर धीमी गति से चलता था ,ऊपर से कड़कड़ाती ठण्ड . वहां रजाई में दुबकने में ही भलाई थी .

बहरहाल आज जब ललित ने  फेसबुक से मुंह मोड़ा तो इस पोस्ट के लिए समय निकालना लाजिमी हो गया . आशा है कि अब नियमित रूप से ललित डाट काम में विभिन्न विषयों पर लेख पढ़ने को मिलेगा. 

23 फ़रवरी, 2012

भारत की बढ़ती शक्ति का दुनिया में स्वागत

एशिया की दो बड़ी शक्तियों भारत और चीन के बीच मौजूदा परिस्थितियों में हर क्षेत्र में प्रतिदंद्विता है. कई मामलों में चीन को भारत से आगे माना जाता है.लेकिन एक चीनी सेवानिवृत्त अधिकारी ने अपने लेख में दो टूक शब्दों में चीन को भारत से पाँच अहम सीख लेने की हिदायत दे डाली है.

हिंदू अख़बार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सॉंग जॉंगपिंग ने अपने लिख में कहा है कि भारत की तरह चीन को अपने यहाँ धार्मिक मान्यताओं और लोकतंत्र को बढ़ावा देना चाहिए, संतुलित आर्थिक विकास करना चाहिए और कूटनीति और सॉफ़्ट पावर पर ज़ोर देना चाहिए.

सॉंग जॉंगपिंग चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी में अधिकारी थे और अब वरिष्ठ सैन्य रणनीतिकार हैं.उनका लेख फ़िनिक्स टेलीवीज़न की वेबसाइट पर छपा है और इसे दो लाख 50 हज़ार लोग पढ़ चुके हैं. इस लेख ने चीन में ऑनलाइन पाठकों की बीच बहस छेड़ दी है.

'चाइना शुड बी हंबल और लर्न फ़्रॉम इंडिया' नाम के इस लेख में सॉंग जॉंगपिंग ने लिखा है कि चीन के लिए पहली सीख है कि कैसे भारत धार्मिक मान्यताओं को बढ़ावा देता है.

वे लिखते है, "चीन में पैसे को ही लोग एकमात्र लक्ष्य मानते हैं, हमारा देश आर्थिक विकास को ही प्राथमिकता देता है...बाकी चीज़ों को रास्ते से हटना पड़ता है. नतीजा ये है कि हम नैतिक रूप से कंगाल हो चुके हैं." उनका कहना है, "साउथ चाइन सी में चीन के पड़ोसी देशों के साथ कई विवाद हैं. जबकि भारतीय उपमहाद्वीप में भारत की बढ़ती मौजूदगी को बेहतर नज़रिए से देखा जा रहा है."सॉंग जॉंगपिंग का मानना है कि एक ओर भारत अपनी नौसेना का आधुनीकिकरण कर रहा है वहीं चीन में गति धीमी है. उनका कहना है कि कूटनीति और सॉफ़्ट पावर को लेकर चीन भारत से बहुत कुछ सीख सकता है.


'भारत से ख़ुश तो चीन से डरती है दुनिया'

अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की भारतीय नीति के भी सॉंग जॉंगपिंग कायल नज़र आते हैं.उन्होंने लेख में कहा है, "भारत ने सुनिश्चित किया है कि अरुणाचल प्रदेश पर उसका मज़बूत दावा रहे, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत कहता है. लेकिन चीन ने इस क्षेत्र के 90 हज़ार वर्ग किलोमीटर इलाके पर नियंत्रण खो दिया है." दूसरे देशों में अपनी शक्ति प्रदर्शन के भारतीय तरीके और नौसेना पर ध्यान देने की नीति की भी चीनी रणनीतिकार ने तारीफ़ की है. उनका कहना है, "साउथ चाइन सी में चीन के पड़ोसी देशों के साथ कई विवाद हैं. जबकि भारतीय उपमहाद्वीप में भारत की बढ़ती मौजूदगी को बेहतर नज़रिए से देखा जा रहा है."

सॉंग जॉंगपिंग का मानना है कि एक ओर भारत अपनी नौसेना का आधुनीकिकरण कर रहा है वहीं चीन में गति धीमी है. उनका कहना है कि कूटनीति और सॉफ़्ट पावर को लेकर चीन भारत से बहुत कुछ सीख सकता है. अपने लेख में वे कहते हैं, "दुनिया भारत की बढ़ती शक्ति का स्वागत कर रहा है" जबकि चीन के विकास को डर की दृष्टि से देखता है. भारत के लोकत्रांतिक मूल्यों के कारण दुनिया भारत को सकारात्मक नज़रिए से देख रही है. अगर चीन को भी पश्चिमी देशों से दोस्ताना व्यवहार रखना है तो उसे भी यही मूल्य अपनाने होंगे."