ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

01 जनवरी, 2012

मित्रों का अनुराग और पानी की बौछार

ख़िरकार वर्ष 2011 बीत गया और वर्ष 2012 आ गया .आईये हम सब मिलकर बीते वर्ष की बिदाई करें तथा नए वर्ष 2012 का स्वागत करें .हालाँकि सब कुछ वही है केवल समय चक्र बदल रहा है .  वर्ष 2011 के अंतिम दिन मौसम ने अंगड़ाई ली और असमान से बौछारें पड़ने लगी है . ऐसा लग रहा है मानों बारिस की बूंदें भी नए वर्ष का स्वागत कर रही हो. शाम से लगातार बारिस हो रही है और अभी तक यानी रात के 11.50 बजे तक जब मई यह पोस्ट लिख रहा हूँ बारिस थमने का नाम नहीं ले रही है .थर्टी फर्स्ट मनाने वाले को निश्चित रूप से परेशानी हो रही होगी .  कुछ लोग टी.वही.से चिपके होंगे . मोबाईल,फेसबुक, ब्लाग और ई-मेल में बधाइयों की बरसात हो रही है . एक बधाई सन्देश पढ़ नहीं पाते कि दूसरा सन्देश आ जाता है. समय पर हम अपना बधाई सन्देश भेज नहीं पा रहे है . इस पोस्ट के माध्यम से आप सबको बधाई सन्देश भेजने का प्रयास कर रहा हूँ ,कृपया इस सन्देश के साथ मेरा बधाई सन्देश स्वीकार करे .         


आप सबको नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

28 दिसंबर, 2011

डा. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ महतारी को नौलखा पहनाया

 

छत्तीसगढ़
त्तीसगढ़ में 1 जनवरी 2012  से 9 नए जिलों के निर्माण की अधिसूचना जारी हो गई है . राज्य में अब जिलों की संख्या 18 से बढ़ कर 27 हो गई है . कभी यहाँ सिर्फ 7 जिले हुआ करते थे -- रायपुर,दुर्ग ,राजनांदगांव,बस्तर ,बिलासपुर, रायगढ एवं  सरगुजा . तब यह अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था . 6 जुलाई 1998 को मध्यप्रदेश में 16 नए जिले बनाये गए जिसमें से 9 इस अंचल के थे . ये है  धमतरी,महासमुंद,कवर्धा, कांकेर,दंतेवाडा , कोरबा , जांजगीर-चांपा,जशपुर और कोरिया . छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय कुल 16 जिले थे .  मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वर्ष 2007 में दो नये जिलों- बीजापुर और नारायणपुर का गठन किया था, जबकि इस वर्ष 2011 में उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नौ नये जिलों के निर्माण की घोषणा की है जिनमें बेमेतरा, बलौदाबाजार, बालोद, बलरामपुर, गरियाबंद, मुंगेली, सूरजपुर, कोण्डागांव और सुकमा शामिल हैं, जो उनकी घोषणा के अनुरूप ये जिले जनवरी 2012 से अस्तित्व में आ गए और प्रदेश में जिलों की संख्या 18 से बढ़कर 27 होगई है  .            

जहाँ तक रायपुर जिले का सवाल है लगभग 14 वर्षों बाद इस जिले का पुनः विभाजन हुआ है . 24 विकासखंडों एवं 20 विधानसभा क्षेत्रों में फैले इस जिले की गिनती कभी देश के वृहत जिलों में होती थी . 6 जुलाई 1998 को इस जिले को विभाजित कर  धमतरी एवं महासमुंद जिले का निर्माण किया गया . चार विकासखंडों--धमतरी,नगरी,कुरूद एवं मगरलोड को धमतरी जिले में  तथा पांच विकासखंडों- महासमुंद,बागबहरा,पिथौरा,बसना एवं सरायपाली को महासमुंद जिले में शामिल किया गया .जिले के तीन टुकड़े  होने के बावजूद भी पंद्रह विकासखंड अभनपुर,धरसीवां,तिल्दा,सिमगा,भाटापारा,बलौदाबाजार,पलारी,कसडोल,बिलाईगढ़,आरंग,फिंगेश्वर,छुरा,गरियाबंद,मैनपुर एवं देवभोग इस जिले में रह गए थे.

रायपुर जिले का नया आकार
 नए विभाजन में रायपुर जिले को पुनः तीन भागों में विभाजित किया गया है. जिले के पंद्रह विकास खण्डों में से  बलौदाबाजार ,  भाटापारा , सिमगा , पलारी , कसडोल एवं  बिलाईगढ़ को मिलाकर बलौदाबाजार तथा फिंगेश्वर,छुरा,गरियाबंद,मैनपुर एवं देवभोग को मिलाकर गरियाबंद जिले का निर्माण किया गया है .अब रायपुर जिले  में मात्र चार विकास खंड अभनपुर , आरंग ,धरसीवां एवं तिल्दा  ही शेष रह गए है . हालाँकि इसमें रायपुर शहर भी शामिल है जो धरसीवां विकासखंड का हिस्सा है . अब इस जिले का आकार काफी छोटा हो गया है . पहले कहाँ 24 विकासखंड और अब दूसरे विभाजन के बाद मात्र 4 विकासखंड रह गए है . जिलों के नए रेखांकन के बाद अब पुराना रायपुर जिला पांच भागों रायपुर,धमतरी,महासमुंद,बलौदाबाजार एवं गरियाबंद में विभाजित हो गया है . कभी ये पांच तहसील हुआ करते थे अब पांचों तहसील जिले का आकर ले चुके है  .

अभी देवभोग ब्लाक के तेल नदी के आगे के ग्रामीणों को लगभग 250 की.मी. की दूरी तय कर जिला मुख्यालय रायपुर आना पड़ता था अब उन्हें गरियाबंद आने के लिए मात्र  150 - 160 की.मी. की दूरी तय करनी पड़ेगी . इसी प्रकार बिलाईगढ़ ब्लाक के लोगों को बलौदाबाजार आने के लिए अधिकतम  125 की.मी. की दूरी तय करनी पड़ेगी .  इससे आम लोगों को काफी राहत मिलेगी ,वे आसानी से जिला मुख्यालय तक पहुँच सकेंगें .       
    
राज्य बनाने के बाद रायपुर जिले का विभाजन  प्रशासनिक दृष्टि से काफी लाजिमी हो गया था . राजधानी होने के कारण प्रशासनिक अमले का सारा ध्यान रायपुर में ही लगा रहता है , सुदूर के क्षेत्रों में प्रशासन की पकड़ मजबूत बनाने के लिए डा. रमन सरकार ने बेहतर निर्णय लिया है . नए जिलों के निर्माण से एक ओर जहाँ आम लोगों की अड़चने दूर होंगीं तो दूसरी ओर  सरकार को अपने विकास के दृष्टिकोण को अमलीजामा पहनाने में सुविधा होगी. सरकार की इस उपलब्धि को कई पीढ़ी तक याद किया जायेगा . मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने 9 नए जिलों का निर्माण कर  छत्तीसगढ़ महतारी को सबसे महंगे आभूषण नौलखा से विभूषित किया है .  
प्रखर समाचार में ग्राम चौपाल 





24 दिसंबर, 2011

एक अटल सितारा

छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता माननीय अटलबिहारी वाजपेयी का  राज्य निर्माण के बाद 28 जनवरी 2002 को पहली बार रायपुर आगमन हुआ तो उन्हें 36 लाख पुष्प  पंखुड़ियों की  माला से स्वागत किया गया . तस्वीर में स्वागत करते हुए दिखाई दे रहें है आज के मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह ,तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री श्री रमेश बैस , श्री नंदकुमार साय  एवं अन्य पदाधिकारी . मैं उस समय  भाजपा के  जिलाध्यक्ष के दायित्व में था .

देश और दुनिया की राजनीतिक क्षितिज पर ध्रुव तारे की तरह अटल एक सितारा कोई है तो वह है हमारे अपने तथा देश के लाडले नेता माननीय अटलबिहारी वाजपेयी . वे देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सर्वमान्य नेता है . एक ऐसे उदार नेता जिनकी कथनी और करनी  में कभी  अंतर नहीं रहा . वे देश के एक मात्र नेता है जो भाषण के जरिये लाखों लोंगों को घंटो तक बाँधें रखने की क्षमता रखते है . ह्रदय से अत्यंत ही भावुक लेकिन तेजस्वी  नेता माननीय अटलबिहारी वाजपेयी का आज 88 वां जन्म दिन है  . श्री वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर, 1924 को ग्वालियर (मध्यप्रदेश) में हुआ था. इनके पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम श्रीमती कृष्णा देवी है.श्री वाजपेयी के पास 40 वर्षों से अधिक का एक लम्बा संसदीय अनुभव है. वे 1957 से सांसद रहे हैं. वे पांचवी, छठी और सातवीं लोकसभा तथा फिर दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं , तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा के लिए चुने गए और सन् 1962 तथा 1986 में राज्यसभा के सदस्य रहे.वे लखनऊ (उत्तरप्रदेश) से लगातार पांच बार लोकसभा सांसद चुने गए. वे ऐसे अकेले सांसद हैं जो अलग-अलग समय पर चार विभिन्न राज्यों-उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा दिल्ली से निर्वाचित हुए हैं.

 माननीय अटलबिहारी वाजपेयी को 88 वें जन्मदिन पर ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं है .  

 

20 दिसंबर, 2011

भारत पाक युद्ध के चालीस साल



भारत-पाक युद्ध की तस्वीर ( गूगल से साभार ) 
भारत-पाक के बीच हुआ 1971 का युद्ध स्वतंत्र भारत के इतिहास में हमेशा अविस्मरनीय रहेगा . तब हम मात्र 14-15 साल के थे तथा हायर सेकेंडरी के छात्र थे . एक दिन स्कूल में सुबह प्रार्थना  ख़त्म होने के बाद प्राचार्य ने रुकने का संकेत दिया ; उनके हाथ में एक ट्रांजिस्टर था . उन्होंने ट्रांजिस्टर आँन किया और हम सबको भारत पाकिस्तान युद्ध की जानकारी दी . उन दिनों टेलीविजन नहीं पहुंचा था . युद्ध के समाचार रेडियो या अखबारों से ही मिलते थे . स्वाभाविक रूप से इस युद्ध की खबरों में हम सबकी दिलचस्पी रहती थी . भारतीय सैनिकों के शहीद होने , हताहत होने की खबर पाकर बड़ा क्रोध आता था . अखबारों में शहीदों के परिजनों व घायलों को आर्थिक मदद देने की खबरें भी प्रतिदिन भी छपती थी . हम सबने अपने स्कूल से भी सहायता राशि इकट्ठी कर प्रेषित किया था . सहायता राशि देने वालों के नाम अखबारों में भी छपते थे . एक दिन सारे विद्यार्थी चंदा इकट्ठा  करने  सड़क में चले गए तथा वाहनों को रोक रोक कर कुछ राशि एकत्रित की गई . यह खबर जब स्कूल तक पहुँचीं तब दूसरे दिन प्रार्थना के बाद  सबकी खूब खिचाई हुई थी , हमारी शहादत तो पहले से तय थी .    


खैर इस युद्ध को चार दशक पूरे हो चुके है .पाकिस्तान के खिलाफ इस जंग में  90 हजार से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. उस समय भारतीय सेना की कमान फील्ड मार्शल जनरल मानेक शॉ जैसे अनुभवी व कुशल सेनानायक के हाथ में थी. वे राजनैतिक दबाव की परवाह किये बगैर  अपनी रणनीति पर डटे रहे  तथा  युद्ध में  90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को ढाका में युद्धबंदी बना कर, भारत को दुनिया के इतिहास में अभूतपूर्व  विजय दिलाई थी . फील्ड मार्शल जनरल मानेक शॉ का 27 जून 2008 को  निधन हो गया . वे बड़े ही साहसी कर्मवीर थे , वे जीवन से भले ही हार गए लेकिन जीवन में कभी हारना नहीं सीखा . वे इस  युद्ध के हीरो थे , उनका नेतृत्व काबिले तारीफ था.