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11 दिसंबर, 2010

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने धूम्रपान को किया टाटा !

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को धूम्रपान की लत छोड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है .इसी का परिणाम है कि उन्होंने पिछले नौ महीने में एक बार भी धूम्रपान नहीं किया है .व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव रॉबर्ट गिब्स का कहना है कि मैंने पिछले नौ महीने में उन्हें धूम्रपान करते हुए ना ही देखा है और ना ही उनके पास धूम्रपान का कोई निशान पाया है .उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी आदत है, जो उन्हें पसंद नहीं और वह जानते हैं कि यह सेहत के लिए ठीक नहीं है. वे इसे बिल्कुल पसंद नहीं करते और चाहते हैं कि उनके स्वयं के बच्चों या अन्य किसी भी बच्चे को उनकी इस आदत के बारे में जानकारी ना हो .

गिब्स ने आगे बताया कि ओबामा धूम्रपान के परिणाम से वाकिफ हैं और वे एक ऐसी बुरी आदत से निज़ात पाना चाहते है ,जिससे अमेरिका के ज्यादातर लोग ग्रस्त है. यह पूछे जाने पर कि क्या ओबामा ने धूम्रपान बिल्कुल बंद कर दिया है, उन्होंने कहा, ' हाँ पिछले नौ महीने से मै यह महसूस कर रहा हूँ. आगे उन्होनें कहा कि ओबामा पहले इंसान होंगे जो आपको यह बताएंगे कि इसे छोड़ना वाकई कितना मुश्किल काम था। '

  गिब्स से जब पूछा गया कि ओबामा इसे छोड़ने में कैसे सफल हुए तो उन्होंने कहा,' ओबामा एक दृढ़ निश्चय वाले व्यक्ति हैं। मुझे लगता है कि उन्हें महसूस हुआ कि इसे छोड़ना उनकी सेहत के लिए अच्छा होगा। 'अमेरिकी सर्जन जनरल ने भी ओबामा को आगाह किया है कि उनके लिए सिगरेट का एक कश भी नुकसानदेह हो सकता .

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10 दिसंबर, 2010

विकीलीक्स : नोबेल पुरस्कार , साइबर वार और जेल


  
हैक हुई एक वेबसाइट का बिगड़ा हुआ हुलिया
अपनी वेबसाइट के जरिए अमेरिकी सरकार और उसके  विभागों की लाखों पन्नों की गोपनीय जानकारियां सार्वजनिक करके  विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है, उसकी वजह से दुनिया के अनेक देशों में  साइबर वार की शुरूआत हो गई है.

फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से  जूलियन अंसाजे के लाखों समर्थकों ने दुनिया की नंबर दो क्रेडिट कार्ड कंपनी मास्टर कार्ड की बेवसाइट पर हल्ला बोल दिया है . फलस्वरूप  मास्टर कार्ड की वेबसाइट कई घंटों से ठप्प  है . विकीलीक्स विरोधी माने जाने वाले कई वेबसाइट का हुलिया  बिगाड़ कर  हैकरों ने चैट रूम में एक दूसरे को बधाई दी. मास्टर कार्ड की वेबसाइट हैक करने वालों ने अपने चैट रुम संदेशों में कहा, ''मास्टर कार्ड की वेबसाइट अब भी ठप पड़ी है ; भाड़ में जाएँ ''.  एक दूसरे संदेश में कहा गया, '' वाह...सबने शानदार काम किया.'' यूएस साइबर कॉन्सिक्वेंसेज यूनिट के चीफ टेक्नॉलाजी  अफसर जॉन बमगार्नर कहते हैं, ''ऐसे हमलों की शुरुआत करना बहुत आसान है.'' इंटरनेट पर ऐसे कई सॉफ्टवेयर मिल जाते हैं जो बेहद आधुनिक हैं और हैकर उन्हें आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं. आशंका जताई जा रही है कि विकीलीक्स के समर्थक आने वाले दिनों में कई अन्य वेबसाइटों पर भी इसी तरह के हमले करेंगे. इन हैकरों ने विकीलीक्स के ख़िलाफ़ मुक़दमे में सरकारी वकील की वेबसाइट को भी हैक कर लिया है. 
     
ऑस्ट्रेलिया और रूस  की कई बड़ी हस्तियां विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज के समर्थन में उतर आई हैं.जूलियन असांज का समर्थन करते हुए  रूसी अधिकारियों ने उन्हें  नोबेल पुरस्कार देने की मांग  की है. तो दूसरी तरफ बलात्कार और असुरक्षित यौन संबंध बनाने के आरोप में ब्रिटेन में असांज को   गिरफ्तार कर जेल भेज दिया  गया है . उन्हें सात दिन की हिरासत में  रखा  गया है. 



फोटो-साभार गूगल

08 दिसंबर, 2010

" इंटरनेट " बना अमरीका के गले की हड्डी

 अमरीका की बौद्धिक ताक़त का प्रतीक माना जाने वाला  "  इंटरनेट "  अब अमरीका के गले की हड्डी बन गया है ? इन दिनों विकीलीक्स ने इंटरनेट पर लाखों गुप्त दस्तावेज़ प्रकाशित करके अमरीका को हिला कर रख दिया है. इंटरनेट पर लिखने के लिए अख़बार और टेलीविज़न जैसे संसाधन की जरुरत नहीं होती  . इसी वजह से विकीलीक्स ने ढाई लाख से ज़्यादा ऐसे गुप्त दस्तावेज़ जारी किए हैं जिन्हें दुनिया भर में फैले अमरीकी दूतावासों से भेजा गया था. ' जनतंत्र ', ' बोलने की आज़ादी ' और ' मीडिया की आज़ादी ' को अपना मूल सिद्धांत मानने वाली अमरीका और पश्चिमी देशों की सरकारें विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज से काफी खफा है . जूलियन असांज ने अमरीका की कथनी और करनी के अंतर को सार्वजनिक करके बलां  मोल ले ली है   . विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज आज लंदन की एक अदालत मे पेश हुए ,  जहां उन्हें को जमानत नहीं मिली.  उन पर अमेरिका में जासूसी का मुकदमा चलने की बात चल रही है और उन्हें प्रत्यर्पित भी किया जा सकता है.

फोटो-साभार गूगल

कश्मीर की आज़ादी यानी भारत का एक और विभाजन


जम्मू-कश्मीर  में उमर अब्दुल्ला सरकार के  स्वास्थ्य और बागवानी मंत्री शाम लाल शर्मा ने बानी (कठुआ) में हुई रैली में  कश्मीर को भारत से आजाद करने की बात करके अपने आप को पाकिस्तान समर्थक होने का प्रमाण दिया है . शर्मा ने इस रैली में कहा कि जम्मू को अलग राज्य बना दिया जाए और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना कर कश्मीर को आजाद कर दिया जाना चाहिए . उनके इस बयान से सदैव  देश की एकता और अखंडता की बात करने वाले नेताओं की कलई खुल गई है . देश के एक राज्य के एक मंत्री के इस राष्ट्र-विरोधी बयान को हल्के में नहीं लेना चाहिए . पहली बात तो यह है कि यह बयान  ऐसे समय में आया है जब कश्मीर में उग्रवादी गतिविधियाँ चरम पर है . दूसरी बात जो समझ में आ रही है वह यह है कि भारत की आज़ादी के ६३ साल बाद भी यदि कश्मीर समस्या का हल निकल नहीं पाया है तो उसके लिए शमा  जैसे पाक-प्रेमी  लोग जिम्मेदार है  जो स्वयं अपने मन-वचन और कर्म से अपने आप को पाक-प्रेमी होने का प्रमाण देंते रहते है .
केंद्र और जम्मू-कश्मीर दोनों जगह यू.पी.ए. की सरकार है ऐसी स्थिति यदि  शर्मा पर  तत्काल कोई बड़ी कार्यवाही नहीं होती तो  यह माना जाना चाहिए कि केंद्र सरकार भी कश्मीर की आज़ादी  की पक्षधर है .