कार्तिक पूर्णिमा
दीप-दान करती महिला |
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है.प्रत्येक वर्ष पंद्रह पूर्णिमाएं होती हैं. जब अधिक मास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर १६ हो जाती है. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है. इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे.ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है. इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल मिलता है.
छत्तीसगढ़ में महीने भर प्रात: तड़के उठ कर स्नान करने की प्राचीन परंपरा है ,आज कार्तिक पुन्नी स्नान का अंतिम दिन है .जलाशयों में स्नान कर लोग विशेष कर महिलाएं दीप-दान करती हैं. आवलें के वृक्ष की पूजा कर उसके नीचे भोजन बन कर सामूहिक भोजन करती है .बचपन में इस त्यौहार का एक अपना ही आनंद था.
प्रकाश उत्सव
गुरूनानक देवजी |
आज प्रकाश उत्सव भी है . सिखों के प्रथम गुरू गुरूनानक देवजी का जन्मोत्सव को प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है . गुरु नानक देवजी का प्रकाश (जन्म) 15 अप्रैल 1469 ई. (वैशाख सुदी 3, संवत् 1526 विक्रमी) में तलवंडी रायभोय नामक स्थान पर हुआ था . सुविधा की दृष्टि से गुरु नानक का प्रकाश उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है. तलवंडी अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. तलवंडी पाकिस्तान के लाहौर से 30 मील दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। गुरु नानक जी ने पंडित हरदयाल से शिक्षा -दीक्षा ग्रहण की थी .( यह संयोग ही है कि मेरे पिताश्री का नाम भी श्री हरदयाल बजाज था ,वे स्वर्ग सिधार चुकें है लेकिन ईश्वर की कृपा से माता सावित्री देवी का ममत्व हमें आज भी मिल रहा है .)
जीती नौखंड मेदनी सतिनाम दा चक्र चलाया , भया आनंद जगत बिच कल तारण गुरू नानक आया ।
कार्तिक पूर्णिमा एवं प्रकाश उत्सव की आपको बहुत बहुत बधाई !
- अशोक बजाज (Ashok Bajaj Raipur)
फोटो साभार गूगल