ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

16 नवंबर, 2010

'ॐ' धर्म से नहीं सेहत से जोड़िए

  ओंकार ध्वनि 'ॐ' को दुनिया के सभी मंत्रों का सार कहा गया है। यह उच्चारण के साथ ही शरीर पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ती है। भारतीय सभ्यता के प्रारंभ से ही ओंकार ध्वनि के महत्व से सभी परिचित रहे हैं। शास्त्रों में ओंकार ध्वनि के 100 से भी अधिक अर्थ दिए गए हैं। यह अनादि और अनंत तथा निर्वाण की अवस्था का प्रतीक है। कई बार मंत्रों में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है जिसका कोई अर्थ नहीं होता लेकिन उससे निकली ध्वनि शरीर पर अपना प्रभाव छोड़ती है।

तंत्र योग में एकाक्षर मंत्रों का भी विशेष महत्व है। देवनागरी लिपि के प्रत्येक शब्द में अनुस्वार लगाकर उन्हें मंत्र का स्वरूप दिया गया है। उदाहरण के तौर पर कं, खं, गं, घं आदि। इसी तरह श्रीं, क्लीं, ह्रीं, हूं, फट् आदि भी एकाक्षरी मंत्रों में गिने जाते हैं। सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ,होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है। इन ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है।
क्या करें?
* ओम - प्रातः उठकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी। दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होगा।

* ओम नमो - ओम के साथ नमो शब्द के जुड़ने से मन और मस्तिष्क में नम्रता के भाव पैदा होते हैं। इससे सकारात्मक ऊर्जा तेजी से प्रवाहित होती है।

* ओम नमो गणेश - गणेश आदि देवता हैं जो नई शुरुआत और सफलता का प्रतीक हैं। अत: ओम गं गणपतये नम: का उच्चारण विशेष रूप से शरीर और मन पर नियंत्रण रखने में सहायक होता है। 
शरीर में आवेगों का उतार-चढ़ाव
 शब्दों से उत्पन्न ध्वनि से श्रोता के शरीर और मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव पड़ता है। बोलने वाले के मुँह से शब्द निकलने से पहले उसके मस्तिष्क से विद्युत तरंगें निकलती हैं। इन्हें श्रोता का मस्तिष्क ग्रहण करने की चेष्टा करता है। उच्चारित शब्द श्रोता के कर्ण-रंध्रों के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुँचते हैं।

प्रिय या अप्रिय शब्दों की ध्वनि से श्रोता और वक्ता दोनों हर्ष, विषाद, क्रोध, घृणा, भय तथा कामेच्छा के आवेगों को महसूस करते हैं। अप्रिय शब्दों से निकलने वाली ध्वनि से मस्तिष्क में उत्पन्न काम, क्रोध, मोह, भय लोभ आदि की भावना से दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिससे रक्त में 'टॉक्सिक' पदार्थ पैदा होने लगते हैं। इसी तरह प्रिय और मंगलमय शब्दों की ध्वनि मस्तिष्क, हृदय और रक्त पर अमृत की तरह आल्हादकारी रसायन की वर्षा करती है।Webdunia,

15 नवंबर, 2010

सुन्दर ब्लोगिंग करते ईंट-भट्टों के मजदूर बच्चें : बाल -सजग

बचपन यानी ठहाके,शरारतें, बेफिक्री और एक प्यारी-सी मुस्कान। लेकिन क्या नसीब है हर बच्चे को खुशियों के खिलखिलाते मोती, उमंगों का उजाला और नए युग के नए सपने? इस देश की विडंबना है कि यहाँ गरीबी और लाचारी के साये में पल रहे बच्चे उम्र में तो बच्चे ही हैं लेकिन हालात ने उन्हें इतना बड़ा बना दिया है कि वे बचपन की मासूम परिभाषा भूल गए हैं। घोर नकारात्मक परिस्थिति में भी इसी देश में कुछ बच्चे ऐसे अदभुत आधुनिक आयाम रच रहे हैं कि उनके साहस को सलाम करने को जी चाहता है।

बाल -सजग की टीम
    शहर : कानपुर, स्थान : 'अपना घर', B-135/8, प्रधान गेट, नानकरी, आईआईटी कानपुर। एक छोटे से कमरे में 12 बच्चे 'बाल सजग' नाम से ब्लॉग अपडेट कर रहे हैं। बच्चों के लिए बच्चों का ब्लॉग बदलते दौर में आज के हाईटेक बच्चे अगर ऐसा करें भी तो आखिर क्या चमत्कार है? लेकिन यह चमत्कार भी है, और एक पूरी की पूरी जाति की चौकसी का संके‍त भी।

दरअसल, कानपुर के 'अपना घर' नाम से स्थापित बच्चों का यह समूह अभिजात्य वर्ग से नहीं आया है। ये बच्चे उच्च तकनीकी शिक्षा केन्द्रों या महँगे स्कूलों से नहीं आए हैं। यह बच्चे कानपुर में साल के हर नवंबर में आने वाले और जून में पुन: अपने ‍पिछड़े गाँव लौट जाने वाले प्रवासी मजदूरों के हैं।

यह बच्चे कल तक ईंट-भट्टों की झुलसती आँच में तप रहे थे, कल तक इनके हाथों में कठोर और गर्म ईंटों से हुए फफोले थे आज उन्हीं हाथों में माउस और की-बोर्ड है। अभिव्यक्ति का आधुनिक खुला आकाश यानी इंटरनेट है और भोले मन से निकली नन्ही-नन्ही कविताएँ है, छोटी-छोटी कहानियाँ हैं। आइए इन्हें विस्तार से जानते हैं:
उन्ही बच्चों में से एक बच्चें ने आज बाल-दिवस पर अपने ब्लॉग 'बाल सजग ' में एक सन्देश भरी कविता लिखी है ,  जिसे आपकी जानकारी के लिए इन सभी बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ  .  ------ 

हमारी मांगे पूरी करो

आओ मेरे साथ चलो ,
आपस में एक बात करो ....
नेता जी आये हैं दौरे में ,
चलो अपनी मागों को पूरी करें ....
मांग हमारी एक रहे सब भारतवासी ,
न हो इस देश में कोई प्रवासी ....
नागरिकता से मिले सभी को काम ,
काम को पूरा मिले उनको दाम ....
पाकर दाम भर लें अपना पेट ,
जब नेता मिलेगें,तब फिर करेगें भेंट ....
एक हमारी विनम्र-प्रार्थना ,
सुन लो मेरे भाई ....
भाई-भाई तुम क्या करते हो ,
मेरी तो बज गई शहनाई .....


लेख़क :आशीष कुमार
 कक्षा :8अपना घर

14 नवंबर, 2010

786 का नोट और पनवाड़ी के शौंक की चर्चा इन दिनों बी.बी.सी. हिंदी में...

जागेश्वर अपने ग्राहकों के बीच
 काफ़ी लोकप्रिय हो गए हैं
छत्तीसगढ़ के एक गाँव में रहने वाले पनवाड़ी (पान दूकानदार) के शौंक की चर्चा इन दिनों बी.बी.सी.  हिंदी के माध्यम से पूरी दुनिया में हो रही है . दरअसल राजनांदगांव के जागेश्वर राम यादव को 786 नंबर वाले नोट संकलित करने का शौंक चढ़ा हुआ .उसके इस शौंक का पता जब बी.बी.सी.हिंदी के स्थानीय संवाददाता श्री सलमान रावी को चला तो उन्होंने पूरी रपट ही छाप दी .पढ़िए रपट ................





   बटुए में 786 का नोट और बुलंद हौसला

शौक़ कई तरह के होते हैं. किसी को सिक्के इकठ्ठा करने का शौक़ तो किसी को माचिस के डिब्बे इकठ्ठा करने का शौक़. देश विदेश के डाक टिकट इकठ्ठा करना तो बहुत पुराने शौक़ में शुमार है. भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में 786 का नंबर बड़ा शुभ माना जाता है. ट्रकों और बसों में यह प्रमुखता के साथ सामने लिखा हुआ होता है या फिर दुकानों के सामने बोर्ड पर.

बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी 786 वाले अंक से जुड़े कई यादगार सीन अब भी लोगों के ज़हन में हैं. ख़ास तौर पर बड़े परदे के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की फिल्म ज़ंजीर और कुली में उन्होंने 786 नंबर के बिल्ले वाले कुली की भूमिका निभाई. दोनों ही फिल्मों में बड़े नाटकीय ढंग से उस 786 नंबर के बिल्ले नें हीरो की कई बार जान बचाई. हालांकि इस अंक से जुडी कोई ठोस धार्मिक मान्यता नहीं है, लेकिन लोग इसे शुभ मानते हैं. इसे शुभ मानने वालों में सभी समुदाय के लोग हैं.

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के जागेश्वर राम यादव को 786 अंक के नोट संजोने का शौक है. पिछले तीन सालों में जागेश्वर ने आठ से दस हज़ार रूपए ऐसे नोटों के इकट्ठे किये हैं जिनका आखिरी अंक 786 हो. इन नोटों में पांच रूपए से लेकर एक हज़ार रूपए तक के नोट हैं. जागेश्वर फिलहाल छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित विधायक आवास में कैंटीन चलाते हैं.

जागेश्वर कहते हैं, "मेरे ही गाँव के शेख ज़ीज़ हमेशा कहते थे कि जागेश्वर तुम कैंटीन चलाते हो. सुबह से शाम तक बहुत लोग आते होंगे. अगर 786 अंक वाले नोट मिलें तो मेरे लिए रख देना. मैं तुमसे ले लूँगा."

भाग्यशाली नोट -

बस शेख अज़ीज़ के कहने पर उन्होंने 786 अंक वाले नोटों को इकठ्ठा करना शुरू कर दिया. कुछ ही दिनों में शेख अज़ीज़ की मृत्यु हो गई. "लेकिन इसी दौरान मुझे इन नोटों को जमा करने में मेरी रूचि जाग गई." अब अपनी कैंटीन में और बाज़ार में जागेश्वर के दिमाग में सिर्फ एक ही बात रहती है. उनकी आँखें एक ही चीज़ ढूढती हैं. और वह है 786 अंक वाले नोट.

वह कहते हैं: "मुझे पता नहीं कि इसके पीछे क्या मान्यता है लेकिन यह मेरे लिए भाग्यशाली है. उसी तरह से जिस तरह अमिताभ बच्चन के लिए ज़ंजीर और कुली फिल्म में साबित हुआ था".

"सिर्फ घर ही नहीं मेरे बटुए में भी एक नोट तो 786 अंक वाला हमेशा रहता है. लेकिन जबसे मेरे पास यह नोट हैं मेरी स्थिति पहले के मुकाबले बेहतर हुई है. अब इन नोटों के सहारे मैं दूसरे व्यवसाय में भी अपनी किस्मत आज़माना चाहता हूँ." जागेश्वर के इस शौक नें उन्हें अपने ग्राहकों में काफी लोकप्रिय बना दिया है. अब तो उनके जाननेवालों के पास अगर कोई 786 अंक वाला नोट आता है तो वह उसे जागेश्वर को लाकर दे देते हैं.

जागेश्वर का कहना है कि कुछ सालों के बाद वह इन नोटों कि प्रदर्शनी लगाएँगे. BBC 

सलमान रावी
बीबीसी संवाददाता, रायपुर

12 नवंबर, 2010

ग्राम-चौपाल - कम्प्यूटर में हाईटेक पटाखे

                          हमने पिछले माह एक पोस्ट लगाई थी जिसमें हमने लिखा था कि ब्लाग के दीवानों के लिए यह खुशखबरी से कम नहीं कि आने वाले दिनों में ब्लाक जगत की गतिविधियों की खबरों को अखबारों में स्थान मिलने लगेगा . देखें -- " ब्लागरों के लिए खुशखबरी "

                          तब से लगातार आप अनुभव कर रहें होंगें कि ब्लाक जगत की गतिविधियों की खबरों को अखबारों में स्थान मिल रहा है  . आज सुबह जब हमने अखबार खोला तो देखा कि दिनांक 5-11-2010 यानी दीवाली के दिन लगी पोस्ट " दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं " के आधार पर दैनिक हरिभूमि रायपुर ने एक धमाकेदार समाचार प्रकाशित किया है .आप सबकी जानकारी के लिए हम ' हरिभूमि ' की कतरन यहाँ लगा रहें है . यह है वेब दुनिया का वह 'अनारदाना ' जो पूरी तरह प्रदूषण मुक्त है . शायद आपको भी पसंद आयें .

                 
                           लोकप्रिय हिंदी दैनिक " हरिभूमि " 11-11-2010