06 जनवरी, 2012
लाखे की स्मृति में जारी हो डाक टिकट
कार्यक्रम में राज्य भंडारगृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने कहा कि बैंक अपने स्थापना के सौ वर्ष पूरे कर रहा है और इस अवधि में किसानों के हितों से जुड़े कार्यो को मुकाम तक पहुचाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि श्री वामन बलीराम जी लाखे द्वारा स्थापित सहकारी बैंक आज किसानों को ऋण उपलब्ध कराने के साथ-साथ समितियों के माध्यम से धान खरीदी जैसी किसान और शासन की महती व्यवस्था में जुड़ा है। उन्होंने इस बैंक के संस्थापक श्री वामन राव जी लाखे की स्मृति में डाक टिकट जारी करने की मांग की। इस अवसर पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित रायपुर के अध्यक्ष श्री योगेश चंद्राकर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस बैंक के माध्यम से क्षेत्र के किसानों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि बैंक के संचालक मंडल ने किसानों के जीवन स्तर को उंचा उठाने हेतु ग्रामीण जीवन आवास योजना सहित किसानों के पुत्रों को शिक्षा एवं स्वरोजगार ऋण उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी बताया सामाजिक दायित्वों के तहत निराश्रितों के पेंशन भुगतान के लिए काउन्टर की व्यवस्था की गई है। राष्ट्रीयकृत बैंकों के समान जिले के सभी सहकारी बैंकों को कम्प्युट्रीकृत कर कोर बैंकिंग सेवा प्रारंभ करने का भी निर्णय लिया गया है।
04 जनवरी, 2012
विशाल वटवृक्ष की छाया
जिला सहकारी बैंक
रायपुर का शताब्दी वर्ष
जिला सहकारी बैंक
रायपुर अपनी स्थापना के सौंवें वर्ष में प्रवेश कर
चुका है . इसका विधिवत
पंजीयन 2 जनवरी 1913 को हुआ था . इसका पंजीयन क्रमांक भी 1 है .स्व.वामन
बलीराम लाखे इस बैंक के संस्थापक है . तब कुल 16 लोगों ने मिलकर इस बैंक की
स्थापना की थी लेकिन आज इसके सदस्यों की संख्या 644526 हो चुकी है इसका
कार्य क्षेत्र रायपुर,धमतरी,महासमुंद,गरियाबंद एवं बलौदाबाजार जिला है .
ये पांचों जिले कभी रायपुर जिले के ही हिस्से थे लेकिन दो बार के विभाजन के
बाद अब पांच जिले हो गए है .बैंक के सभी पांचों जिलों में 3986 राजस्व
ग्राम हैं , बैक 340 प्राथमिक सहकारी समितियों एवं 59 शाखाओं के माध्यम से अपनी सेवाएं अर्पित कर रहा है .
अपनी स्थापना के सौवें वर्ष में प्रवेश करते करते 16 लोगों द्वारा स्थापित यह बैंक आज विशाल वटवृक्ष का रूप ले चुका है . जिसकी छाया में लाखों किसान आज सुविधा प्राप्त कर रहे है .यह प्रदेश का सबसे बड़ा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक
है , सहकारी क्षेत्र में इस बैंक का अपना अलग स्थान है. संपूर्ण भारत के
जिला सहकारी
बैंकों में इसका सातवां स्थान है. उस समय किसानों को साहूकारों के चंगुल से
बचाने के लिए इसकी स्थापना की गई थी. तब से यह बैंक
निरंतर उन्नति कर रहा है. कुल 644526 सदस्यों में से 403172 कृषकों को अब
तक किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा चुका है . बैंक की कार्यशील
पूंजी 17 अरब रुपये पहुंच चुकी है यहां पर लाभांश का भी वितरण किया जा रहा
है. समर्थन मूल्य पर 506 धान केन्द्रों में धान की खरीदी की जा रही है. अब
तक 9 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है . छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा
उत्कृष्ट सेवाओं के लिए वर्ष 2009 में बैंक को ठाकुर प्यारेलाल सम्मान से नवाजा गया .
बैंक का पंजीयन प्रमाण पत्र |
01 जनवरी, 2012
मित्रों का अनुराग और पानी की बौछार
आख़िरकार वर्ष 2011 बीत गया और वर्ष 2012 आ गया .आईये हम सब मिलकर बीते वर्ष की बिदाई करें तथा नए वर्ष 2012 का स्वागत करें .हालाँकि सब कुछ वही है केवल समय चक्र बदल रहा है . वर्ष 2011 के अंतिम दिन मौसम ने अंगड़ाई ली और असमान से बौछारें पड़ने लगी है . ऐसा लग रहा है मानों बारिस की बूंदें भी नए वर्ष का स्वागत कर रही हो. शाम से लगातार बारिस हो रही है और अभी तक यानी रात के 11.50 बजे तक जब मई यह पोस्ट लिख रहा हूँ बारिस थमने का नाम नहीं ले रही है .थर्टी फर्स्ट मनाने वाले को निश्चित रूप से परेशानी हो रही होगी . कुछ लोग टी.वही.से चिपके होंगे . मोबाईल,फेसबुक, ब्लाग और ई-मेल में बधाइयों की बरसात हो रही है . एक बधाई सन्देश पढ़ नहीं पाते कि दूसरा सन्देश आ जाता है. समय पर हम अपना बधाई सन्देश भेज नहीं पा रहे है . इस पोस्ट के माध्यम से आप सबको बधाई सन्देश भेजने का प्रयास कर रहा हूँ ,कृपया इस सन्देश के साथ मेरा बधाई सन्देश स्वीकार करे .
आप सबको नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
28 दिसंबर, 2011
डा. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ महतारी को नौलखा पहनाया
छत्तीसगढ़ |
जहाँ तक रायपुर जिले का सवाल है लगभग 14 वर्षों बाद इस जिले का पुनः विभाजन हुआ है . 24 विकासखंडों एवं 20 विधानसभा क्षेत्रों में फैले इस जिले की गिनती कभी देश के वृहत जिलों में होती थी . 6 जुलाई 1998 को इस जिले को विभाजित कर धमतरी एवं महासमुंद जिले का निर्माण किया गया . चार विकासखंडों--धमतरी,नगरी,कुरूद एवं मगरलोड को धमतरी जिले में तथा पांच विकासखंडों- महासमुंद,बागबहरा,पिथौरा,बसना एवं सरायपाली को महासमुंद जिले में शामिल किया गया .जिले के तीन टुकड़े होने के बावजूद भी पंद्रह विकासखंड
अभनपुर,धरसीवां,तिल्दा,सिमगा,भाटापारा,बलौदाबाजार,पलारी,कसडोल,बिलाईगढ़,आरंग,फिंगेश्वर,छुरा,गरियाबंद,मैनपुर
एवं देवभोग इस जिले में रह गए थे.
रायपुर जिले का नया आकार |
अभी देवभोग ब्लाक के तेल नदी के आगे के ग्रामीणों को लगभग 250 की.मी. की दूरी तय कर जिला मुख्यालय रायपुर आना पड़ता था अब उन्हें गरियाबंद आने के लिए मात्र 150 - 160 की.मी. की दूरी तय करनी पड़ेगी . इसी प्रकार बिलाईगढ़ ब्लाक के लोगों को बलौदाबाजार आने के लिए अधिकतम 125 की.मी. की दूरी तय करनी पड़ेगी . इससे आम लोगों को काफी राहत मिलेगी ,वे आसानी से जिला मुख्यालय तक पहुँच सकेंगें .
राज्य बनाने के बाद रायपुर जिले का विभाजन प्रशासनिक
दृष्टि से काफी लाजिमी हो गया था . राजधानी होने के कारण प्रशासनिक अमले का सारा
ध्यान रायपुर में ही लगा रहता है , सुदूर के क्षेत्रों में प्रशासन की पकड़
मजबूत बनाने के लिए डा. रमन सरकार ने बेहतर निर्णय लिया है . नए जिलों के निर्माण से एक ओर जहाँ आम लोगों की अड़चने दूर होंगीं तो दूसरी ओर सरकार को अपने विकास के दृष्टिकोण को अमलीजामा पहनाने में सुविधा होगी. सरकार की इस उपलब्धि को कई पीढ़ी तक याद किया जायेगा . मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने 9 नए जिलों का निर्माण कर छत्तीसगढ़ महतारी को सबसे महंगे आभूषण नौलखा से विभूषित किया है .
प्रखर समाचार में ग्राम चौपाल
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