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06 जनवरी, 2012

लाखे की स्मृति में जारी हो डाक टिकट

जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, रायपुर का शताब्दी समारोह 

एकीकृत एवं गहन खेती को बढ़ावा दें किसान : राज्यपाल

राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने कहा कि किसान विस्तृत खेती से गहन खेती की ओर आगे बढ़े और खाद्यान्न उत्पादन के साथ कृषि से जुड़े पशुपालन, मत्स्यपालन, डेयरी विकास, फल एवं फूलों की खेती को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि अपने उत्पादों के रख-रखाव और कृषिगत वस्तुओं की मांग वाले क्षेत्रों में भेजने की पर्याप्त व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान केंद्रीत करना चाहिए। राज्यपाल श्री दत्त आज यहां रायपुर में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित की स्थापना के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सहकारिता मंत्री श्री ननकीराम कंवर विशेष रूप से उपस्थित थे।
    राज्यपाल ने किसानो से एकीकृत खेती करने पर जोर दिया और कहा कि प्रदेश में कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में विकास की अपार संभावनाएं है, जिनका समुचित लाभ लेने के लिए प्रतिबध्द प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसी देश की मजबूती उसकी फौज में नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की मजबूती और ताकत में निहित है और हमें अपना ध्यान समाज, प्रदेश और देश के प्रत्येक व्यक्ति की खुशहाली और आर्थिक सम्बलीकरण पर केंद्रीत करना होगा। उन्होंने किसानों से जल और जमीन का खेती सहित अन्य कार्यों में अधिकतम उपयोग करने का आहवान किया और कहा कि फसलों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने हेतु कृषिगत व्यवस्थाओं को शक्तिशाली बनाने की आवश्यकता है। राज्यपाल श्री दत्त ने कहा कि किसानों सहित अन्य संस्थाओं द्वारा खाद्यान्न एवं फसलों के सुरक्षित रख-रखाव तथा भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि से जुड़ी हर व्यवस्था की श्रृंखला अटूट और मजबूत होनी चाहिए। ताकि कृषि कार्य में किसी प्रकार का कोई अवरोध न हो सके।
    श्री दत्त ने कहा कि सहकारिता हमारे जीवन से जुड़ा है और इन कारणों से छत्तीसगढ़ में सहकारिता के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की महान एवं दूरदर्शी विभूति श्री वामन बलीराम जी लाखे ने विपरित परिस्थितियों में किसानों की कृषिगत सुविधा के लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित की स्थापना 43 हजार रूपए की राशि से की, जो अब लगभग 1 हजार सात सौ करोड़ रूपए की कार्यशील पूंजी हो गयी है और इसका लाभ क्षेत्र के किसानों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी से पहले सहकारिता के क्षेत्र सहित किसानों की ऋण और वित्तीय व्यवस्था के लिए यह एक बड़ा कदम था, जो इन विभूतियों की विकास के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी और दायित्वों के प्रति उनके कार्यों का अहसास कराता है। श्री दत्त ने कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है, जहां के 75 प्रतिशत लोग खेती से जुड़े हैं। ऐसी खेती को सुव्यवस्थित करने के लिए अर्थपूंजी की आवश्यकता है। उन्होंने सहकारिता आंदोलन से जुड़े सभी पदाधिकारियों और किसानों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
    कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री श्री ननकीराम कंवर ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित के सभी पदाधिकारियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी और कहा कि आज सहकारिता ने नई उंचाईयों को स्पर्श किया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता के माध्यम से गांव के गरीब और किसानों तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुचाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को खाद बीज सहित ऋण वितरण का कार्य किया जाता है, इसके साथ गुजरात की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में डेयरी विकास के कार्य भी किया जाना चाहिए, ताकि गावं के गरीबों की माली हालत के मजबूत किया जा सके।

कार्यक्रम में राज्य भंडारगृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने कहा कि बैंक अपने स्थापना के सौ वर्ष पूरे कर रहा है और इस अवधि में किसानों के हितों से जुड़े कार्यो को मुकाम तक पहुचाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि श्री वामन बलीराम जी लाखे द्वारा स्थापित सहकारी बैंक आज किसानों को ऋण उपलब्ध कराने के साथ-साथ समितियों के माध्यम से धान खरीदी जैसी किसान और शासन की महती व्यवस्था में जुड़ा है। उन्होंने इस बैंक के संस्थापक श्री वामन राव जी लाखे की स्मृति में डाक टिकट जारी करने की मांग की। इस अवसर पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित रायपुर के अध्यक्ष श्री योगेश चंद्राकर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस बैंक के माध्यम से क्षेत्र के किसानों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि बैंक के संचालक मंडल ने किसानों के जीवन स्तर को उंचा उठाने हेतु ग्रामीण जीवन आवास योजना सहित किसानों के पुत्रों को शिक्षा एवं स्वरोजगार ऋण उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी बताया सामाजिक दायित्वों के तहत निराश्रितों के पेंशन भुगतान के लिए काउन्टर की व्यवस्था की गई है। राष्ट्रीयकृत बैंकों के समान जिले के सभी सहकारी बैंकों को कम्प्युट्रीकृत कर कोर बैंकिंग सेवा प्रारंभ करने का भी निर्णय लिया गया है।
    इससे पहले राज्यपाल श्री दत्त ने श्री वामन बलीराम जी लाखे के चित्र पर माल्यार्पण किया। श्री दत्त ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित रायपुर के पूर्व पदाधिकारियों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया। इस अवसर पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित रायपुर के पूर्व अध्यक्ष मो. अकबर, राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री महावीर राठौर, सहकारी बैंक के संचालक मंडल के सदस्यों सहित पूर्व अध्यक्षगण एवं बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।

 

DPR

04 जनवरी, 2012

विशाल वटवृक्ष की छाया

 जिला  सहकारी बैंक  रायपुर का शताब्दी वर्ष 
 
जिला  सहकारी बैंक  रायपुर अपनी  स्थापना  के सौंवें वर्ष में प्रवेश कर चुका है . इसका विधिवत पंजीयन 2 जनवरी  1913 को हुआ था . इसका पंजीयन क्रमांक भी 1 है .स्व.वामन बलीराम लाखे इस बैंक के संस्थापक है . तब कुल 16 लोगों ने मिलकर इस बैंक की स्थापना की थी लेकिन आज इसके सदस्यों की संख्या 644526 हो चुकी है इसका कार्य क्षेत्र  रायपुर,धमतरी,महासमुंद,गरियाबंद एवं बलौदाबाजार जिला है . ये पांचों जिले कभी रायपुर जिले के ही हिस्से थे लेकिन दो बार के विभाजन के बाद अब पांच जिले हो गए है .बैंक के सभी पांचों जिलों में  3986 राजस्व ग्राम हैं , बैक 340 प्राथमिक सहकारी समितियों एवं 59 शाखाओं  के माध्यम से  अपनी सेवाएं अर्पित कर रहा है .


अपनी स्थापना के सौवें वर्ष में प्रवेश करते करते 16 लोगों द्वारा स्थापित यह बैंक आज विशाल वटवृक्ष का रूप ले चुका है . जिसकी छाया में लाखों किसान आज सुविधा प्राप्त कर रहे है .यह प्रदेश का सबसे बड़ा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक है , सहकारी क्षेत्र में इस बैंक का अपना अलग स्थान है. संपूर्ण भारत के जिला सहकारी बैंकों में इसका सातवां स्थान है. उस समय किसानों को साहूकारों के चंगुल से बचाने के लिए इसकी स्थापना की गई थी. तब से यह बैंक निरंतर उन्नति कर रहा है. कुल 644526 सदस्यों में से  403172 कृषकों को अब तक किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा चुका है .  बैंक की कार्यशील पूंजी  17 अरब रुपये पहुंच चुकी है यहां पर लाभांश का भी वितरण किया जा रहा है. समर्थन मूल्य पर 506 धान केन्द्रों में धान की खरीदी की जा रही है. अब तक 9 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी  की जा चुकी है . छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उत्कृष्ट सेवाओं के लिए वर्ष 2009 में बैंक को ठाकुर प्यारेलाल सम्मान से नवाजा गया .


बैंक का पंजीयन प्रमाण पत्र 






            

01 जनवरी, 2012

मित्रों का अनुराग और पानी की बौछार

ख़िरकार वर्ष 2011 बीत गया और वर्ष 2012 आ गया .आईये हम सब मिलकर बीते वर्ष की बिदाई करें तथा नए वर्ष 2012 का स्वागत करें .हालाँकि सब कुछ वही है केवल समय चक्र बदल रहा है .  वर्ष 2011 के अंतिम दिन मौसम ने अंगड़ाई ली और असमान से बौछारें पड़ने लगी है . ऐसा लग रहा है मानों बारिस की बूंदें भी नए वर्ष का स्वागत कर रही हो. शाम से लगातार बारिस हो रही है और अभी तक यानी रात के 11.50 बजे तक जब मई यह पोस्ट लिख रहा हूँ बारिस थमने का नाम नहीं ले रही है .थर्टी फर्स्ट मनाने वाले को निश्चित रूप से परेशानी हो रही होगी .  कुछ लोग टी.वही.से चिपके होंगे . मोबाईल,फेसबुक, ब्लाग और ई-मेल में बधाइयों की बरसात हो रही है . एक बधाई सन्देश पढ़ नहीं पाते कि दूसरा सन्देश आ जाता है. समय पर हम अपना बधाई सन्देश भेज नहीं पा रहे है . इस पोस्ट के माध्यम से आप सबको बधाई सन्देश भेजने का प्रयास कर रहा हूँ ,कृपया इस सन्देश के साथ मेरा बधाई सन्देश स्वीकार करे .         


आप सबको नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

28 दिसंबर, 2011

डा. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ महतारी को नौलखा पहनाया

 

छत्तीसगढ़
त्तीसगढ़ में 1 जनवरी 2012  से 9 नए जिलों के निर्माण की अधिसूचना जारी हो गई है . राज्य में अब जिलों की संख्या 18 से बढ़ कर 27 हो गई है . कभी यहाँ सिर्फ 7 जिले हुआ करते थे -- रायपुर,दुर्ग ,राजनांदगांव,बस्तर ,बिलासपुर, रायगढ एवं  सरगुजा . तब यह अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था . 6 जुलाई 1998 को मध्यप्रदेश में 16 नए जिले बनाये गए जिसमें से 9 इस अंचल के थे . ये है  धमतरी,महासमुंद,कवर्धा, कांकेर,दंतेवाडा , कोरबा , जांजगीर-चांपा,जशपुर और कोरिया . छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय कुल 16 जिले थे .  मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वर्ष 2007 में दो नये जिलों- बीजापुर और नारायणपुर का गठन किया था, जबकि इस वर्ष 2011 में उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नौ नये जिलों के निर्माण की घोषणा की है जिनमें बेमेतरा, बलौदाबाजार, बालोद, बलरामपुर, गरियाबंद, मुंगेली, सूरजपुर, कोण्डागांव और सुकमा शामिल हैं, जो उनकी घोषणा के अनुरूप ये जिले जनवरी 2012 से अस्तित्व में आ गए और प्रदेश में जिलों की संख्या 18 से बढ़कर 27 होगई है  .            

जहाँ तक रायपुर जिले का सवाल है लगभग 14 वर्षों बाद इस जिले का पुनः विभाजन हुआ है . 24 विकासखंडों एवं 20 विधानसभा क्षेत्रों में फैले इस जिले की गिनती कभी देश के वृहत जिलों में होती थी . 6 जुलाई 1998 को इस जिले को विभाजित कर  धमतरी एवं महासमुंद जिले का निर्माण किया गया . चार विकासखंडों--धमतरी,नगरी,कुरूद एवं मगरलोड को धमतरी जिले में  तथा पांच विकासखंडों- महासमुंद,बागबहरा,पिथौरा,बसना एवं सरायपाली को महासमुंद जिले में शामिल किया गया .जिले के तीन टुकड़े  होने के बावजूद भी पंद्रह विकासखंड अभनपुर,धरसीवां,तिल्दा,सिमगा,भाटापारा,बलौदाबाजार,पलारी,कसडोल,बिलाईगढ़,आरंग,फिंगेश्वर,छुरा,गरियाबंद,मैनपुर एवं देवभोग इस जिले में रह गए थे.

रायपुर जिले का नया आकार
 नए विभाजन में रायपुर जिले को पुनः तीन भागों में विभाजित किया गया है. जिले के पंद्रह विकास खण्डों में से  बलौदाबाजार ,  भाटापारा , सिमगा , पलारी , कसडोल एवं  बिलाईगढ़ को मिलाकर बलौदाबाजार तथा फिंगेश्वर,छुरा,गरियाबंद,मैनपुर एवं देवभोग को मिलाकर गरियाबंद जिले का निर्माण किया गया है .अब रायपुर जिले  में मात्र चार विकास खंड अभनपुर , आरंग ,धरसीवां एवं तिल्दा  ही शेष रह गए है . हालाँकि इसमें रायपुर शहर भी शामिल है जो धरसीवां विकासखंड का हिस्सा है . अब इस जिले का आकार काफी छोटा हो गया है . पहले कहाँ 24 विकासखंड और अब दूसरे विभाजन के बाद मात्र 4 विकासखंड रह गए है . जिलों के नए रेखांकन के बाद अब पुराना रायपुर जिला पांच भागों रायपुर,धमतरी,महासमुंद,बलौदाबाजार एवं गरियाबंद में विभाजित हो गया है . कभी ये पांच तहसील हुआ करते थे अब पांचों तहसील जिले का आकर ले चुके है  .

अभी देवभोग ब्लाक के तेल नदी के आगे के ग्रामीणों को लगभग 250 की.मी. की दूरी तय कर जिला मुख्यालय रायपुर आना पड़ता था अब उन्हें गरियाबंद आने के लिए मात्र  150 - 160 की.मी. की दूरी तय करनी पड़ेगी . इसी प्रकार बिलाईगढ़ ब्लाक के लोगों को बलौदाबाजार आने के लिए अधिकतम  125 की.मी. की दूरी तय करनी पड़ेगी .  इससे आम लोगों को काफी राहत मिलेगी ,वे आसानी से जिला मुख्यालय तक पहुँच सकेंगें .       
    
राज्य बनाने के बाद रायपुर जिले का विभाजन  प्रशासनिक दृष्टि से काफी लाजिमी हो गया था . राजधानी होने के कारण प्रशासनिक अमले का सारा ध्यान रायपुर में ही लगा रहता है , सुदूर के क्षेत्रों में प्रशासन की पकड़ मजबूत बनाने के लिए डा. रमन सरकार ने बेहतर निर्णय लिया है . नए जिलों के निर्माण से एक ओर जहाँ आम लोगों की अड़चने दूर होंगीं तो दूसरी ओर  सरकार को अपने विकास के दृष्टिकोण को अमलीजामा पहनाने में सुविधा होगी. सरकार की इस उपलब्धि को कई पीढ़ी तक याद किया जायेगा . मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने 9 नए जिलों का निर्माण कर  छत्तीसगढ़ महतारी को सबसे महंगे आभूषण नौलखा से विभूषित किया है .  
प्रखर समाचार में ग्राम चौपाल