जिला सहकारी बैंक
रायपुर का शताब्दी वर्ष
जिला सहकारी बैंक
रायपुर अपनी स्थापना के सौंवें वर्ष में प्रवेश कर
चुका है . इसका विधिवत
पंजीयन 2 जनवरी 1913 को हुआ था . इसका पंजीयन क्रमांक भी 1 है .स्व.वामन
बलीराम लाखे इस बैंक के संस्थापक है . तब कुल 16 लोगों ने मिलकर इस बैंक की
स्थापना की थी लेकिन आज इसके सदस्यों की संख्या 644526 हो चुकी है इसका
कार्य क्षेत्र रायपुर,धमतरी,महासमुंद,गरियाबंद एवं बलौदाबाजार जिला है .
ये पांचों जिले कभी रायपुर जिले के ही हिस्से थे लेकिन दो बार के विभाजन के
बाद अब पांच जिले हो गए है .बैंक के सभी पांचों जिलों में 3986 राजस्व
ग्राम हैं , बैक 340 प्राथमिक सहकारी समितियों एवं 59 शाखाओं के माध्यम से अपनी सेवाएं अर्पित कर रहा है .
अपनी स्थापना के सौवें वर्ष में प्रवेश करते करते 16 लोगों द्वारा स्थापित यह बैंक आज विशाल वटवृक्ष का रूप ले चुका है . जिसकी छाया में लाखों किसान आज सुविधा प्राप्त कर रहे है .यह प्रदेश का सबसे बड़ा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक
है , सहकारी क्षेत्र में इस बैंक का अपना अलग स्थान है. संपूर्ण भारत के
जिला सहकारी
बैंकों में इसका सातवां स्थान है. उस समय किसानों को साहूकारों के चंगुल से
बचाने के लिए इसकी स्थापना की गई थी. तब से यह बैंक
निरंतर उन्नति कर रहा है. कुल 644526 सदस्यों में से 403172 कृषकों को अब
तक किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा चुका है . बैंक की कार्यशील
पूंजी 17 अरब रुपये पहुंच चुकी है यहां पर लाभांश का भी वितरण किया जा रहा
है. समर्थन मूल्य पर 506 धान केन्द्रों में धान की खरीदी की जा रही है. अब
तक 9 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है . छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा
उत्कृष्ट सेवाओं के लिए वर्ष 2009 में बैंक को ठाकुर प्यारेलाल सम्मान से नवाजा गया .
बैंक का पंजीयन प्रमाण पत्र |