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21 मई, 2011

बच गई दुनिया

                   
               दुनिया बच गई है आप सबको बहुत बहुत बधाई . हेराल्ड   कैंपिंग का दावा खोखला साबित हो गया है .दरअसल   अमेरिका के एक ईसाई धर्मगुरु 89 वर्षीय हेराल्ड   कैंपिंग  ने दावा किया  था कि  21 मई को पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी.

                   अमेरिका के उक्त   धर्मगुरु ने यह
भी दावा किया था  कि उन्हें बाइबल में दी गई तारीखों का अर्थ  समझ  में आ गया है, जिसके अनुसार 21 मई 2011 को दुनिया का अंत होना निश्चित है. 89 वर्षीय हेराल्ड   कैंपिंग के अनुसार हर देश में सुबह के छह बजे से तबाही शुरू हो जाएगी. इसकी शुरुआत न्यूजीलैंड से होगी.  कैम्पिंग ने यह भी कहा था  कि तबाही होने से पहले जो सबसे अच्छे ईसाई है वे स्वर्ग में पहुंच जाएंगे तथा जो  लोग 21 मई को स्वर्ग के दरवाजे तक नहीं पहुंच सकेंगे उन्हें धरती पर ही 21 अक्टूबर तक नर्क भोगना होगा. इसके बाद गुस्साए भगवान धरती को पूरी तरह तबाह कर देंगे. कैंपिंग ने यह भी दावा किया था कि यह वो  तारीख है जब जीसस क्राइस्ट दोबारा धरती पर आएंगे .

                 प्रलय की आशंका से  अमेरिका के  लोगों ने आज के दिन को अपने जीवन के  " अंतिम दिन " के रूप में मनाया तथा खूब पिकनिक किया .अब धर्म गुरु महोदय क्या सफाई देते है इंतजार करना पड़ेगा . खैर दुनिया तो बच गई पर धर्म गुरू की लाज क्या बच पाई ?

18 मई, 2011

बिना एंपायर का मैच और डबल सेंचुरी

 ये ब्लागिंग है कोई वन डे मैच नहीं जो एक दिन चले और ख़त्म हो जाये , ब्लागिंग एक ऐसा मैच है जो रोज चलता है. यह पूरे 365 दिन चौबीसों घंटे चलने वाला मैच है .यह टेस्ट मैच भी नहीं जो कुछ दिनों तक चले फिर अवकाश हो जाये. अब तो क्रिकेट में 20-20 ( ट्वेंटी-ट्वेंटी ) का  जमाना आ गया है जो सीमित ओव्हरों का होता है तथा आधे दिन में समाप्त हो जाता है. दूसरी ओर ब्लागिंग में ना कोई अवकाश होता है और ना ही कोई गेप होता है. यह निरंतर चलने वाला काम है जिसमें कभी एंड नहीं होता. सन्डे - मंडे की बात तो छोडिये होली , दिवाली और दशहरा का भी अवकाश नहीं होता बल्कि ऐसे बड़े त्योहारों में माउस और ज्यादा दौड़ने लगता  है. अब होली को ही ले लें, बाकी लोगों को जैसे जैसे इसका रंग चढ़ता है वैसे वैसे ब्लागर का मन रंगीन पोस्ट लिखने के लिए मचलता है. दिवाली की रात में अनारदाने जैसे जैसे अन्धकार को ललकारते है वैसे वैसे की-बोर्ड पर ब्लागर की उंगलियों  का रफ़्तार भी बढ़ते जाता है.

बहरहाल यह ग्राम-चौपाल का 200 वां पोस्ट है, क्रिकेट की भाषा में इसे दोहरा शतक (DOUBLE CENTURY ) कह सकते है. हमने अपना पहला पोस्ट 22 मई 2010 को लगाया था लेकिन हम इस काम में 01 जुलाई 2010 से सक्रिय हुए. मेरा प्रयास तो यही रहता है कि प्रतिदिन एक नया पोस्ट लगे लेकिन जब घर से बाहर रहता हूँ तब पोस्ट लगाना संभव नहीं होता है. डबल सेंचुरी बनाने में लगभग एक वर्ष लग गए .

ब्लागिग के पिच पर अनेक धुरंधर है जो बरसों से क्रीज पर जमे हुए है और चौंकों-छक्कों की बदौलत   लगातार शतक पर शतक बनाये जा रहें है. इसके चारों और फिल्डर फैले हुए है जो हर गेंद को टिप्पणी रूपी हथेली से लपकने को तैयार बैठे रहते है. बालिंग करने वाले धुरंधरों की भी यहाँ कोई कमी नहीं, यहाँ आल राउंडर भी आपको बहुत भारी संख्या में मिलेंगे जो कभी लेख रूपी तेज बाल फेंकतें है तो कभी कविता रूपी गुगली. इसमें गूगल और आरकूट जैसे दर्शक भी है जो ब्लागरों का हौसला अफजाई करते रहते है. यहाँ चर्चा मंच,ब्लाग-चौपाल, छत्तीसगढ़ ब्लागर्स चौपाल  , ब्लाग4वार्ता  जैसे विकेट-कीपर भी है जो पल-पल! हरपल!! पोस्ट लगते ही लपक लेते है यानी गेंद बल्ले से लगी नहीं कि विकेट कीपर ने लपक लिया. सब कुछ तो है पर बेचारा एंपायर ( चिट्ठा-जगत ) आजकल  गायब है, जिसकी वजह से कई ब्लागर पवेलियन लौट चुके है. एंपायर के नहीं रहने से ना कोई नंबरिग  हो पा रही है और ना ही अनुशासन नाम की चीज यहाँ रह गई है. जिसके मन में जैसा आये बिना हिचक के लिख रहे है क्योकि नो-बाल या वाइड बाल का ईशारा करने वाला यहाँ कोई नहीं. बिना निर्णायक के मैच चल रहा है. अत: जरुरत है स्व - अनुशासन की पर इस कलयुग में  स्व - अनुशासन आये  भी तो कैसे ?

15 मई, 2011

प्रकृति के अनुरुप घड़ी

चौंक गए ना इस घड़ी को देख कर ? आपका चौंकना जायज है क्योकि इस घड़ी की नंबरिंग सामान्य घड़ियों की तरह नही बल्कि उसके ठीक विपरीत है. ये ही नही बल्कि इसके कांटे  भी सामान्य घड़ियों से उल्टे चलते है. किसी चीज के घुमने की दिशा प्रकट करना हो तो आम तौर पर 'क्लाँक -वाइस' अथवा 'एन्टी क्लाँक-वाइस' शब्द का प्रयोग किया जाता है; लेकिन जो लोग इस घड़ी का प्रयोग करते है उनके लिए इसका अर्थ उल्टा होगा. इस घड़ी की परिकल्पना गोण्डवाना समाज ने की है, ये छत्तीसगढ़ में रहने वाले आदिवासी है जो प्रकृति प्रेमी होते है. आज जंगलों में यदि थोड़े - बहुत वृक्ष बचे है तो इनकी वजह से ही बचे है, ये प्रकृति के रक्षक माने जाते है. ये पृथ्वी के पुजारी है.  पृथ्वी के घुमने की दिशा 'एन्टी क्लाँक-वाइस' होती है, छत्तीसगढ़ में किसान जब खेतों में हल चलातें है तो उनके घूमने दिशा भी 'एन्टी क्लाँक -वाइस ' होती है शायद इसीलिए इन्होने इस प्रकार की घड़ी की परिकल्पना की है जो पृथ्वी की दिशा में घूमें.

मई 2011 के बस्तर प्रवास दौरान बचेली के एक कार्यकर्ता श्री संतोष ध्रुव ने मुझे दोपहर भोजन पर आमन्त्रित किया, उनकी बैठक में ऐसी ही घड़ी मुझे देखने को मिली. भोजन के दौरान इस घड़ी पर भी चर्चा हुई. ऐसा नही कि इस प्रकार की घड़ी को हमने पहली बार देखा हो,  इससे पहले भी हमने ऐसी घड़ी देखी तो थी मगर तब हमने यह महसूस किया था कि शायद शौकिया तौर पर कुछ लोग जैसे गाड़ियों के नंबर प्लेट का कलात्मक डिजाइन बनवाते है उसी प्रकार अपनी घड़ी को भी बनावाये हों, लेकिन ऐसा नही है. मेरी बस्तर-यात्रा के संस्मरण मे एक अध्याय बनकर इन् घड़ियों को देखना भी जुड गया. यात्रा यादगार रही.

13 मई, 2011

मां माटी और मानुष की जीत

कर्नाटक में विधानसभा की तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की.छत्तीसगढ़ में लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी भाजपा को जीत हासिल हुई. वहीं पांच राज्यों में आठ सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के हाथ एक भी सीट नहीं लगी.

 आखिर ढह ही गया बंगाल का लाल दुर्ग

 

तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में अपनी जीत की तुलना आजादी की लड़ाई से करते हुए वादा किया है कि वह निरंकुश सत्ता और ज्यादती का अंत कर देंगी.चुनावों के नतीजे आने के बाद बड़ी तादाद में समर्थक उन्हें बधाई देने के लिए उनके घर के सामने जमा हो गए. इस विशाल भीड़ को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा, "यह लोकतंत्र की जीत है. मां माटी और मानुष की जीत है.उन्होंने कहा, "यह 35 साल की ज्यादतियों और दमन पर लोगों की जीत है. बंगाल और भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लोग इस नतीजे का इंतजार कर रहे थे. हम उन सभी के आभारी हैं."
मां, माटी और मानुष का ममता बनर्जी का नारा वामपंथियों पर बहुत भारी पड़ा. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने अकेले अपने बूते बंगाल में साढ़े तीन दशक लंबे वामपंथी राज का अंत कर दिया.

बस्तर उपचुनाव की सीट भाजपा की झोली में

भारतीय जनता पार्टी के दिनेश कश्यप नें बस्तर लोक सभा उप चुनाव नें अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के कवासी लकमा को 88929 वोटों से हराकर सीट पर क़ब्ज़ा कर लिया है. हालांकि लोक सभा चुनाव के मुकाबले बस्तर के उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत काफी कम रहा.

जयललिता ने किया डीएमके का सफ़ाया

 

तमिलनाडु में जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सत्तारूढ़ डीएमके गठबंधन का सफ़ाया कर दिया है. विधानसभा चुनाव के अब तक मिले नतीजों और रुझानों के अनुसार एआईएडीएमके गठबंधन को 198 सीटें मिलती दिख रही हैं जबकि डीएमके गठबंधन को सिर्फ़ 36 सीटें मिल रही हैं.लेकिन अंतिम परिणाम आने से पहले ही मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने इस्तीफ़ा दे दिया है.राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला ने इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है.