ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

21 अक्तूबर, 2010

अनाड़ी ब्लॉगर का शतकीय पोस्ट

ASHOK BAJAJ 
यह ग्राम चौपाल का शतकीय आलेख है, इस शतक को बनाने में हमें 150 दिन लगे. इस अवधि में 100 पोस्ट, 150 दिन, 37 समर्थक, 741 टिप्पणियां प्राप्त हुई. वैसे तो ब्लॉग हमारा बहुत दिनों से तैयार था लेकिन पहली पोस्ट हमने 22 मई 2010 को लगायी. जल सवर्धन पर एक लेख लिखा था जो अनेक अखबारों में छपा है उसे मैंने अपने ब्लॉग में लगा दिया था, उस पर ई गुरु राजीव का पहला कमेन्ट आया, दूसरा भी उन्हीं का था. उसके बाद पंकज  झा, जयराम “विप्लव”, ललित शर्मा, अजय कुमार और आशुतोष मिश्रा की टिप्पणी प्राप्त हुई . तब हमें टिप्पणियों के बारे में कुछ पता नहीं था. हमने 25  मई को एक पोस्ट लगा कर इन्हें धन्यवाद दिया.                                

जून 2010 में हमने 4 पोस्ट लगाये इस बीच पं.ललित शर्मा से मुलाकात हुई उन्होंने ब्लोगिंग के लिए प्रोत्साहित किया, तत्पश्चात हम जुलाई में सक्रिय हुए, जुलाई 2010 में - 21 पोस्ट , अगस्त 2010 में - 33 पोस्ट, सितम्बर 2010 में - 22 पोस्ट तथा अक्तूबर में अभी तक 17 पोस्ट लगायें हैं. सितम्बर में अधिकांश समय बाहर रहना पड़ा इसीलिए पोस्ट कम आये, वरना मेरा प्रयास रहता है कि हर रोज एक पोस्ट जरूर लगे. हमने पर्यावरण पर सर्वाधिक लेख लिखे है. इसके अलावा देश विदेश के ताजा घटनाक्रमों को स्थान दिया .धर्म, योग, राजनीति, संचार के अलावा स्वामी विवेकानंद, मुंशी प्रेमचंद, पं. दीनदयाल उपाध्याय, राजर्षि पुरूषोत्तमदास टंडन, पं. श्रीराम शर्मा, संत कबीर एवं महात्मा गांधी के प्रेरणा दायी विचारों को समाहित करने का प्रयास किया है. दो-चार छत्तीसगढ़ी एवं हिन्दी गीतों की पुष्प भी ब्लॉग में चढाई. नशाखोरी, महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भी आपका ध्यान आकृष्ट किया इसके अलावा देश के मान-सम्मान से जुड़ी कुछ खबरों को भी आप तक पहुचानें का प्रयास करता रहा हूँ. पहले ashokbajaj99.blogspot.com था एक दिन ललित ने डोमेन कर http://www.ashokbajaj.com/ कर दिया तब से चिट्ठाजगत में सक्रियता में हमारी सीनियारिटी मारी गई. पहले हम सक्रियता क्रमांक 192 तक पहुँच चुके थे लेकिन अब हमारी सक्रियता क्रंमाक - 381 है.

ब्लोगिंग अपने विचारों एवं भावनाओं को प्रगट करने का सस्ता एवं सर्वोत्तम माध्यम है, हमने 150 दिनों में इसका खूब उपयोग किया. इसके माध्यम से देश -विदेश के अनेक नए मित्रों से परिचय भी हुआ,  ब्लोगिंग की दुनिया के अनेक सितारों के बारे में जानकारी मिली. ग्राम चौपाल को अधिकाधिक लोगों ने पसंद किया. ब्लॉग जगत के बाहर भी इसकी गूंज सुनाई पड़ी.

इसके चक्कर में मेरी दिनचर्या पर प्रतिकूल असर भी पड़ा है. दिन भर की व्यस्तता के बाद पोस्ट लिखने के लिए देर रात तक जागने की बुरी आदत जो पड़ने लगी है. सुबह 7 बजे के बजाय 9 बजे उठना पड़ता है. सुबह के अनेक काम प्रभावित होने लगे है. इस सबके बावजूद मैं आपके साथ मजबूती से खड़ा हूँ. आपका स्नेह भरा कमेन्ट मुझे ब्लोगिग मुझे ब्लॉगिंग के क्रीज पर जमे रहने के लिए प्रेरित करता है.

आभार ! धन्यवाद !! वंदेमातरम !!! 

आपका - अशोक बजाज रायपुर छत्तीसगढ़, (ashok bajaj raipur )

19 अक्तूबर, 2010

'भारत माता नहीं, भारत नानी'

कैरिबियाई देश त्रिनिडैड एंड टुबैगो की भारतीय मूल की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने बीबीसी हिंदी के राजेश प्रियदर्शी के साथ एक विशेष इंटरव्यू में भारत के साथ अपने भावनात्मक संबंधों पर विस्तार से बात की.  यह बातचीत बड़ी रोचक एवं ज्ञानवर्धक होने के साथ साथ गौरव बढाने वाली भी है . मै आज अपने ब्लॉग के ९९ वें पोस्ट में श्री राजेश प्रियदर्शी को धन्यवाद देते हुए आप सब की जानकारी के लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ ----
 त्रिनिडैड एंड टुबैगो की प्रधानमंत्री
 कमला प्रसाद बिसेसर

 कैरिबियाई देश त्रिनिडैड एंड टुबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर का कहना है कि वे भारत को 'भारत माता' की तरह नहीं बल्कि 'नानी' की तरह देखती हैं.मई महीने में प्रधानमंत्री बनी कमला प्रसाद बिसेसर अपने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री तो हैं ही, इससे पहले वे देश की पहली महिला एटॉर्नी जनरल और शिक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं.  यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस (यूएनसी) की 58  वर्षीय नेता के पूर्वज चार पीढ़ी पहले भारत से मज़दूरी करने के लिए कैरिबियाई द्वीप त्रिनिडाड एंड टुबैगो गए थे.

भारत के साथ अपने भावनात्मक संबंधों के बारे में प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर का कहना है कि हमारे देश में भारतीय मूल के लोगों की आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है.इन लोगों ने भारतीय संस्कृति को अपने जीवन में बनाए रखा है, भारत की विरासत को संजोकर रखा है.भारत से आने वाले लोग यह देखकर दंग रह जाते हैं कि बहुत सारी चीज़ें जो भारत में अब देखने को नहीं मिलती वो हमारे यहाँ क़ायम हैं.मैं अक्सर कहती हूँ कि भारत हमारे लिए माता नहीं,  बल्कि नानी की तरह है. माता  तो  त्रिनिडैड  एंड  टुबैगो  है लेकिन ग्रैंडमदर इंडिया और ग्रैंडमदर अफ्रीका भी हैं.

यह पूछे जाने पर कि भारत की संस्कृति और त्रिनिडैड एंड टुबैगो की संस्कृति में कितनी समानता और कितना अंतर है ?  उन्होंने कहा कि हमारे देश एक बहुसांस्कृतिक देश है,उसमें बहुत विविधता  है,यही  उसकी  सुंदरता   है, अलग अलग  विरासतें हैं और सब मिलकर एक अनूठी संस्कृति बनाते हैं जो त्रिनिडैड एंड टुबैगो की संस्कृति है.  मिसाल के तौर पर भारतीय लोकगीत हैं और अफ्रीकी मूल का संगीत है, इन दोनों के मिलने से चटनी म्युज़िक बनता है. बॉलीवुड की फ़िल्में खूब देखते हैं, बॉलीवुड के गायक और दूसरे कलाकार अक्सर हमारे यहाँ आते रहते हैं.भारतीय कलाकारों के कन्सर्ट के टिकट तुरंत बिक जाते हैं,पिछले दिनों अमिताभ बच्चन अपने पूरे परिवार के साथ आए थे.हम सांस्कृतिक स्तर पर भारत से पूरी तरह जुड़े हुए हैं.

उन्होंने कहा कि भारत और त्रिनिडैड एंड टुबैगो को कूटनीतिक और व्यापारिक स्तर पर सामंजस्य बनाने से दोनों देशों का फ़ायदा होगा.भारत के व्यापारियों के हमारे देश में आने और हमारे लोगों के भारत जाने से माहौल और अच्छा बनेगा.दिल से दिल का रिश्ता तो है ही, अब देखिए कि भारत और हमारे देश के बीच कोई सीधी उड़ान नहीं है, बहुत सारे लोग भारत जाना चाहते हैं.मैं इस मामले को आगे बढ़ाना चाहती हूँ,  संपर्क बेहतर बनने से दोनों देशों के लिए फ़ायदा होगा.

यह पूछे जाने पर कि वो कौन से क्षेत्र हैं जिनमें आपको लगता है कि भारत आपकी मदद कर सकता है? प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने कहा कि भारत सूचना तकनीकी के क्षेत्र में अग्रणी है, इस मामले में हमारे व्यापारी उनके साथ सहयोग कर सकते हैं. इसके अलावा ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत सहयोग की संभावना है.पर्यटन से लेकर निर्माण उद्योग तक,हर क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने की गुंजाइश है. सांस्कृतिक पर्यटन एक क्षेत्र है मैं जिसको बढ़ावा देना चाहती हूँ,पाँच नवंबर को दीपावली है लेकिन हमारे यहाँ अभी से दीपावली के कार्यक्रम चल रहे हैं जिसमें भारत के लोगों की  काफ़ी  दिलचस्पी  होगी.अमरीका  और  कनाडा में इतनी बड़ी तादाद में भारतीय रहते हैं जो दीपावली या फगुआ (होली)मनाने भारत नहीं जा पाते,उनके  लिए  त्रिनिडैड  नज़दीक है,हमारे  यहाँ  आकर बिल्कुल भारतीय तरीक़े से पर्व-त्यौहार का आनंद ले सकते हैं.

 भारत  से  जुड़े  आपके अपने  अनुभव  कैसे  हैं,क्या  आप निकट भविष्य में भारत जाने की सोच रही हैं? उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत नहीं गई हूँ, ज़रूर जाना चाहूँगी. मैं आपको अपनी पहली भारत यात्रा के बारे में बताना चाहती हूँ, मेरे दादा-दादी और माता-पिता भारत से बहुत प्रेम करते थे, वे हिंदू थे और मेरे पिता का परिवार पूजा-पाठ करने वाला ब्राह्मण परिवार था. भारत की हर चीज़ से उन्हें बहुत लगाव था. जब मैं पहली बार भारत गई तो विमान अभी उतरा भी नहीं था, मैंने खिड़की से नीचे देखा, भारत की ज़मीन को देखते ही मेरी आँखों में आँसू आ गए, पता नहीं क्यों. बहुत गहरा जुड़ाव है.

भारतीय खानपान, पहनावा,संगीत,   पर्व त्यौहार  ये  सब  कितना  है आपके जीवन में?प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर - (अपनी कलाई दिखाते हुए) ये देखिए ये पूजा की मौली है जो मैंने बांधी हुई है. रोज़ का खाना बहुत हद तक भारतीय ही है लेकिन मज़ेदार बात यही है कि हमारा जीवन सिर्फ़ भारतीय ही नहीं है बल्कि अफ्रीकी विरासत भी उसमें घुली मिली हुई है. खान-पान में मामूली अंतर है लेकिन मूल तौर पर एक जैसा ही है, रोटी, दाल, सब्ज़ियाँ. मैं हमेशा कहती हूँ कि हमारे पूर्वज अपने साथ दौलत या क्रेडिट कार्ड नहीं बल्कि गीता और कुरान लेकर आए थे, उन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने बच्चों को धार्मिक और सांस्कृतिक संस्कार दिए, हमारे यहाँ अब भी संयुक्त परिवार का बहुत महत्व है.

आपके देश के 60 प्रतिशत वो लोग जो भारतीय मूल के नहीं हैं, वे आपको किस तरह देखते हैं, क्या भारतीय मूल की महिला होने की वजह से आपको कभी कोई कठिनाई आती है. फिजी का उदाहरण सामने है जहाँ भारतीय मूल के नेता को सत्ता से हटा दिया गया. उन्होंने कहा कि  ये कहना ईमानदारी की बात नहीं होगी कि हमारे देश में लोग इसके बारे में नहीं सोचते हैं, कुछ चिंता ज़रूर हो सकती है. लेकिन यह त्रिनिडैड एंड टुबैगो की अच्छी बात है कि अब हमारे देश के लिए सिर्फ़ नस्ल के आधार पर अपने फ़ैसले नहीं करते. यही वजह है कि हमारी पार्टी चुनाव जीत सकी. मैं एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व करती हूँ जिसमें कुछ लोग भारतीय मूल के हैं, कुछ लोग अफ्रीकी मूल के हैं, सबके हितों का ध्यान रखा जाता है. इससे पहले एफ्रो बहुल सरकार थी, बासुदेव पांडे की सरकार को 'इंडो डोमिनेटेड' सरकार समझा जाता था, मेरी सरकार में सबकी अच्छी भागीदारी है. अगर लोग नाराज़ होंगे कामकाज की वजह से, न कि नस्ली आधार पर.


भारतीय गीत-संगीत और सिनेमा में आपके फ़ेवरिट कौन हैं?प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने कहा कि मुझे हिंदी फ़िल्मी संगीत बहुत पसंद है, मैं ज्यादा लोगों के नाम नहीं जानती लेकिन हिंदी गाने मुझे बहुत अच्छे लगते हैं. मुझे कुमार सानू और शाहरुख़ ख़ान बहुत पसंद हैं, बॉलीवुड की फ़िल्में मुझे बहुत अच्छी लगती हैं. एक और चीज़ है जिसे मैं बहुत पसंद करती हूँ,भारतका साहित्य. मुझे अँगरेज़ी में लिखने वाले भारतीय लेखकों की किताबें पढ़ने का बहुत शौक़ है,विक्रम सेठ के 'ए सुटेबल ब्वाय' में जिस तरह अच्छे लड़के की तलाश होती है उससे मैं सांस्कृतिक स्तर पर काफ़ी रिलेट कर पाती हूँ.

अंत में उन्होंने कहा कि भारत में लोग नमस्कार कहते हैं,  जैसे हम  कहते  हैं  आपके  सभी  पाठकों और श्रोताओं को सीताराम. धन्यवाद. 00384

18 अक्तूबर, 2010

योग भूत-प्रेतों से जुड़ा है ?

पादरी का फरमान योग ईसाई धर्म के खिलाफ

जारों अमेरिकियों के लिए योग शारीरिक रूप से फिट रहने का जरिया है, लेकिन यहाँ के एक पादरी ने यह कह कर नई बहस छेड़ दी है कि योग ईसाई धर्म के खिलाफ है. सदियों पुरानी इस पारंपरिक भारतीय पद्धति को अपनाने वाले लोगों का हालाँकि मानना है कि पादरी का दावा बेमतलब है.

मार्स हिल चर्च के मार्क ड्रिस्कोल ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि योग अभ्यास की जड़ें भूत-प्रेतों की दुनिया तक फैली हैं, जिसे ‘पूर्णत: मूर्तिपूजा’ करार दिया जा सकता है.

पादरी का  समर्थन  करते  हुए  साउथन  बैपटिस्ट  थिओलोजिकल  सेमिनरी के अध्यक्ष आर.अलबर्ट मोहलर जूनियर ने हाल में अपने लेखन में कहा कि योग इसाई धर्म के विपरीत है. 

योग करने को लेकर भले ही नई बहस छिड़ी हो, लेकिन लोगों का मानना है कि इस मामले में धार्मिक पुट जोड़ने की जरूरत नहीं है।

ड्रिस्कोल के हवाले से अखबार ने कहा कि क्या इसाई धर्म के अनुयायियों को योग से इसलिए दूर रहना चाहिए क्योंकि इसकी जड़ें भूत-प्रेत तक जाती हैं ? बिलकुल, योग भूत-प्रेतों से जुड़ा है. अगर आप योग कक्षाओं  में  जाना  शुरू  कर  रहे  हैं तो  इसका  तात्पर्य  है  कि  आप  भूत प्रेत से जुड़ी कक्षाओं में  जा  रहे  हैं. कुछ  दिन पूर्व ग्राम चौपाल में  हमने लिखा था कि दुनिया अब भोग से योग की ओर बढ रही है लेकिन इसके ठीक विपरीत पादरी का फरमान जारी हो गया, आगे आगे देखतें है कि पादरी के फरमान का योग के दीवानों पर कितना असर होता है .     00380

17 अक्तूबर, 2010

ग्राम चौपाल: रावण की लंका में, रहना नहीं है ;

चिंतामग्न विभीषण 


रावण की लंका में,

रहना नहीं है ;



रावण की तरह ,
मरना नहीं है ;



अहंकार के सागर में ,
बहना नहीं है ;



है तो सोने की लंका मगर ,
जहाँ भाईचारे का गहना नहीं है ;



रावण की लंका में,
रहना नहीं है ;



राम का देश बड़ा प्यारा है ,
जहाँ किसी से हमें डरना नहीं है ;



विजयादशमी की आप सबको बहुत बहुत बधाई !!