एक
राष्ट्रीय न्यूज चैनल द्वारा दिखाया जा रहा "कश्मीर का सच" पता नहीं यह
कितना सच और कितना झूठ है ? उस पीढ़ी के लोग तो अब रहे नहीं जो इस तथाकथित
"सच" की समीक्षा करते, पर इतिहास तो यही कहता है कि जम्मू-कश्मीर का भविष्य
पंडित नेहरू, लार्ड माउंटबेटन और शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की दोस्ती की भेंट
चढ़ गया. अगर सरदार पटेल को पूरी छूट मिली होती तो कश्मीर समस्या उसी समय
समाप्त हो चुकी होती , लेकिन पंडित नेहरू का अब्दुल्ला प्रेम इसमें आड़े आ
गया. इस न्यूज चैनल ने कश्मीर रियासत को भारत में विलय में राष्ट्रीय स्वयं
सेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर जी की
भूमिका का अपने रपट में कहीं उल्लेख ही नहीं किया जबकि उन्होंने ही कश्मीर
के भारत में विलय में मुख्य भूमिका अदा की थी. उक्त रपट में केवल पंडित
नेहरू को ही महिमा मंडित करने का प्रयास किया गया. रपट में यह जानकारी भी
छुपाई गई कि जब भारतीय सेना ने कश्मीर के दो तिहाई हिस्से से पाकिस्तानी
समर्थकों को खदेड़ दिया था तो पं. नेहरू ने सीज फायर की घोषणा कर भारतीय
सेना को वापस लौटने का आदेश किसके इशारे पर दिया तथा पं. नेहरू ने
किसके इशारे पर कश्मीर में धारा 370 लगाई ? बहरहाल पूरे रपट में लार्ड
माउंटबेटन को भारत का महान राष्ट्र भक्त घोषित करने के पीछे उनकी मंशा क्या
है इसे गहराई से समझने की जरुरत है.
- ASHOK BAJAJ RAIPUR CHHATTISGARH
लार्ड माऊंटबेटन के स्थान पर लेडी माऊंटबेटन की महती भूमिका मानी जाती है।
जवाब देंहटाएंसार्थक कथन
जवाब देंहटाएंइतिहास के कितने सच दफन हैं, इतिहास की पुस्तक में।
जवाब देंहटाएं