जापान के वैज्ञानिकों ने ऐसा चश्मा बनाया है जो दिमाग को चकमा देकर इंसान को मूर्ख बना सकता है. इसे पहनने के बाद खाने पीने की चीचें भी छोटी या बड़ी दिखाई पड़ने लगती हैं. जो मोटापे के शिकार है उनके लिए ये कारगर हो सकता है.
टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा चश्मा विकसित किया है जो चीजों को उनके वास्तविक आकार से बढ़ाकर या घटाकर दिखा सकता है. यूनिवर्सिटी ग्रेज्युएट स्कूल ऑफ इनफर्मेशन साइंस के प्रोफेसर मिशिताका हिरोसे का कहना है कि प्रयोग के दौरान इसकी सफलता दर करीब 80 प्रतिशत है.
इसका प्रयोग उन लोगों पर किया गया जो बिस्कुट खाना चाहते हैं.चश्मे की वजह से बिस्कुट का आकार वास्तविक आकार से 50 फीसदी ज्यादा बड़ा दिखाई दिया. नतीजा ये हुआ कि लोगों ने 10 फीसदी कम बिस्कुट खाया. इसी तरह कुछ लोगों को खाने के लिए कुकीज दिया गया. चश्मा पहनने के बाद इसका आकार वास्तविक आकार से दो तिहाई हो गया. नतीजा ये हुआ कि कुकीज खाने वालों ने 15 फीसदी ज्यादा कुकीज खाए.
प्रोफेसर मिशिताका हिरोसे का कहना है, "ये सारा खेल आभासी सच्चाई से जुड़ा है. यथार्थ दिमाग में होता है. कंम्प्यूटर का इस्तेमाल करके कैसे इंसान के दिमाग को धोखा दिया जा सकता है ये जानना काफी अहम है.''
इस यंत्र के बारे में हिरोसे कहते हैं कि इसमें एक कैमरा लगा होता है जो छवि को कंम्यूटर तक भेजता है. और फिर इसे कंम्यूटर कम या ज्यादा करता है. जो लोग चश्मा पहने होते हैं उन्हें इसका वास्तविक आकार नहीं पता चलता. इसके अलावा हिरोसे की टीम ने एक मेटा कुकी भी बनाया है जिसे पहनने के बाद दिमाग को धोखा देना एकदम आसान हो जाएगा. इसमें ये भी हो सकता है कि आप हकीकत में स्नैक खा रहे होंगे जबकि आपको लगेगा कि आप सादा बिस्कुट खा रहे हैं.
हालांकि हिरोसे का कहना है कि वो इसका व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं करेंगे लेकिन इसका फायदा उन लोगों को जरूर हो सकता है जो मोटापे के शिकार हैं. आंकड़े बताते हैं कि मोटापे की बीमारी सबसे ज्यादा अमेरिका में है. करीब एक तिहाई आबादी मोटापे से ग्रस्त है. भारत की करीब पांच फीसदी आबादी मोटापे से ग्रस्त हो चुकी है. इसमें सबसे ज्यादा लोग पंजाब के हैं.
टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा चश्मा विकसित किया है जो चीजों को उनके वास्तविक आकार से बढ़ाकर या घटाकर दिखा सकता है. यूनिवर्सिटी ग्रेज्युएट स्कूल ऑफ इनफर्मेशन साइंस के प्रोफेसर मिशिताका हिरोसे का कहना है कि प्रयोग के दौरान इसकी सफलता दर करीब 80 प्रतिशत है.
इसका प्रयोग उन लोगों पर किया गया जो बिस्कुट खाना चाहते हैं.चश्मे की वजह से बिस्कुट का आकार वास्तविक आकार से 50 फीसदी ज्यादा बड़ा दिखाई दिया. नतीजा ये हुआ कि लोगों ने 10 फीसदी कम बिस्कुट खाया. इसी तरह कुछ लोगों को खाने के लिए कुकीज दिया गया. चश्मा पहनने के बाद इसका आकार वास्तविक आकार से दो तिहाई हो गया. नतीजा ये हुआ कि कुकीज खाने वालों ने 15 फीसदी ज्यादा कुकीज खाए.
प्रोफेसर मिशिताका हिरोसे का कहना है, "ये सारा खेल आभासी सच्चाई से जुड़ा है. यथार्थ दिमाग में होता है. कंम्प्यूटर का इस्तेमाल करके कैसे इंसान के दिमाग को धोखा दिया जा सकता है ये जानना काफी अहम है.''
इस यंत्र के बारे में हिरोसे कहते हैं कि इसमें एक कैमरा लगा होता है जो छवि को कंम्यूटर तक भेजता है. और फिर इसे कंम्यूटर कम या ज्यादा करता है. जो लोग चश्मा पहने होते हैं उन्हें इसका वास्तविक आकार नहीं पता चलता. इसके अलावा हिरोसे की टीम ने एक मेटा कुकी भी बनाया है जिसे पहनने के बाद दिमाग को धोखा देना एकदम आसान हो जाएगा. इसमें ये भी हो सकता है कि आप हकीकत में स्नैक खा रहे होंगे जबकि आपको लगेगा कि आप सादा बिस्कुट खा रहे हैं.
हालांकि हिरोसे का कहना है कि वो इसका व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं करेंगे लेकिन इसका फायदा उन लोगों को जरूर हो सकता है जो मोटापे के शिकार हैं. आंकड़े बताते हैं कि मोटापे की बीमारी सबसे ज्यादा अमेरिका में है. करीब एक तिहाई आबादी मोटापे से ग्रस्त है. भारत की करीब पांच फीसदी आबादी मोटापे से ग्रस्त हो चुकी है. इसमें सबसे ज्यादा लोग पंजाब के हैं.
DW News
कम जलेबी खाकर अधिक देखेंगे इस चश्मे से।
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