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04 अगस्त, 2011

जिला सहकारी संघ मर्यादित रायपुर का स्वर्ण जयंती समारोह

मुख्यमंत्री को ‘सहकारिता रत्न’ सम्मान

        मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को आज रात यहां उनके निवास पर छत्तीसगढ़ राज्य भण्डारगृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज के नेतृत्व में आए सहकारिता आन्दोलन से जुड़े विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि मण्डल ने ‘सहकारिता रत्न’ सम्मान से नवाजा। उल्लेखनीय है कि रायपुर जिला सहकारी संघ के आज मनाए गए स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्यमंत्री अपरिहार्य कारणों से शामिल नहीं हो पाए थे। इसलिए प्रतिनिधि मण्डल ने उनके निवास पर आकर उन्हें सहकारिता रत्न सम्मान प्रदान किया।

    प्रतिनिधि मण्डल ने छत्तीसगढ़ में सहकारिता आन्दोलन के माध्यम से गांव, गरीब और किसानों की बेहतरी के लिए मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसलों और संचालित योजनाओं का उल्लेख करते हुए उनका अभिनन्दन भी किया। सहकारिता प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को अभिनन्दन पत्र भेंट किया। सहकारिता प्रतिनिधियों ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य में जहां सहकारी समितियों के माध्यम से किसानांे को सिर्फ तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर खेती के लिए ऋण सुविधा मिल रही है, वहीं इन समितियों के जरिए समर्थन मूल्य नीति के तहत धान खरीदी का कार्य भी सफलता पूर्वक चल रहा है। उन्होंेने  मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए कहा कि डॉ. रमन सिंह के कुशल नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को वर्ष 2010-11 में सर्वाधिक चावल उत्पादन के लिए भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है और स्वयं प्रधानमंत्री ने पिछले महीने की सोलह तारीख को नई दिल्ली में मुख्यमंत्री को यह पुरस्कार प्रदान किया है।

    प्रतिनिधि मण्डल में छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ के अध्यक्ष श्री राधाकृष्ण गुप्ता, उपाध्यक्ष श्रीमती शांति मांझी, ब्रेवरेज कार्पोरेशन के अध्यक्ष एवं विधायक श्री देवजी भाई पटेल, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक दुर्ग के अध्यक्ष श्री प्रीतपाल बेलचन्दन, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक राजनांदगांव के अध्यक्ष श्री शशिकांत द्विवेदी, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र पाण्डेय, जिला सहकारी संघ रायपुर के अध्यक्ष श्री कुमार सिंह और संचालक राज्य सहकारी बैंक श्री रमाकांत द्विवेदी, उपभोक्ता सहकारी संघ की संचालक श्रीमती हेमलता परते सहित अनेक प्रतिनिधि शामिल थे।

कमजोर वर्गों का उत्थान सहकारिता से ही संभव : श्री कंवर

 

गांवों के विकास के लिए सहकारिता की भावना पैदा करनी होगी : श्री अग्रवाल



गृह, जेल एवं सहकारिता मंत्री श्री ननकीराम कंवर ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से ही समाज के कमजोर वर्गों का उत्थान संभव है। समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए सहकारी समितियां गठित कर रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं । उन्होंने कहा कि कमजोर वर्गों के उत्थान से ही प्रदेश का विकास होगा। श्री कंवर जिला सहकारी संघ मर्यादित रायपुर की स्थापना के पचास वर्ष पूरे होने पर आज यहां शहीद स्मारक भवन में  आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सहकारिता मंत्री श्री कंवर ने जिला सहकारी संघ मर्यादित रायपुर के 50 वर्ष पूरे होने पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया।

    श्री कंवर ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के  नेतृत्व में विगत लगभग आठ वर्षों में प्रदेश का  चहुंमुखी विकास हुआ है। एक समय था कि जब किसानों को चौदह प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर खेती के लिए ऋण लेना पड़ता था लेकिन अब राज्य सरकार ने भरपूर राहत प्रदान कर किसानों को तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर खेती के लिए ऋण उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर  सहकारी समितियों के जरिए धान खरीदी की व्यवस्था किसानों को दलालों और बिचौलियों से मुक्ति दिलाने का एक सशक्त आधार है। छत्तीसगढ़ प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कामयाबी की चर्चा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हो रही है।

    कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्कूल शिक्षा और लोक निर्माण मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने जिला सहकारी संघ मर्यादित रायपुर की स्थापना के पचास वर्ष पूरे होने पर सहकारिता से जुड़े लोगों को अपनी बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि सहकारिता की भावना से ही देश में एकता और अखण्डता कायम है। गांवों के विकास के लिए सहकारिता की भावना पैदा करनी होगी। श्री अग्रवाल ने कहा कि पिछले लगभग आठ वर्षों से मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर खेती के लिए अल्पकालीन ऋण की सुविधा दी जा रही है। इस वर्ष चालू खरीफ सीजन में किसानों को एक हजार पांच सौ करोड़ रुपए ऋण वितरण का लक्ष्य है। श्री अग्रवाल ने ग्रामीण युवाओं को रोजगार उन्मुखी योजनाओं से  जोड़ने पर बल दिया। कार्यक्रम के विशेष अतिथि छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन का इतिहास बहुत पुराना है। पिछले लगभग आठ वर्षों में सहकारिता के क्षेत्र में जो विकास कार्य हुए हैं, वह अविस्मरणीय है। उन्होंने किसानों के हित और उन्नति के लिए बेहतर काम करते रहने का आह्वान किया। स्वागत भाषण जिला सहकारी संघ रायपुर के अध्यक्ष श्री कुमार सिंह ने दिया।

    स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ के अध्यक्ष श्री राधाकृष्ण गुप्ता, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री दिलीप सिंह होरा, पंजीयक सहकारी संस्थाएं श्री अमृत खलखों सहित विभिन्न जिलों से आये सहकारी संघों के पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित थे।

03 अगस्त, 2011

नेपाल यात्रा की दशवीं और समापन किश्त......

हिमालय पर्वतमाला की वादियों में बसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पावन धरा नेपाल  में 9 जुलाई से 12 जुलाई 2011 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय  सहकारी सेमीनार में भाग लेने का अवसर मिला.इस सेमीनार का आयोजन राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर ने किया था . इन चार दिनों में नेपाल की प्रकृति, संस्कृति, रहन सहन, वेशभूषा, कृषि, पर्यटन एवं धर्म सम्बंधी अनेक जानकारी हमें मिली. नेपाल सांवैधानिक दृष्टि से एक अलग राष्ट्र है ; यहाँ का प्रधान, निशान व विधान भारत से अलग है, लेकिन रहन-सहन, बोली-भाषा और वेशभूषा लगभग एक जैसी है .नेपाल हमें स्वदेश जैसा ही प्रतीत हुआ .यह मेरी पहली  विदेश-यात्रा थी . नेपाल यात्रा की दशवीं और  समापन किश्त......



विदेश में चला तीर में तुक्का ; प्राईज लेकर स्वदेश लौटे 


यही है वह लाफिंग बुद्धा जो हमें ईनाम में मिला 
 नेपाल की यात्रा पूरी हो चुकी थी , अब हमें सीधे फ्लाईट पकड़ना था . काठमांडू से दोपहर  2.10 बजे नई दिल्ली के लिए जेट एयरवेज की  फ्लाईट थी . हमारे बाकी साथी भी एयरपोर्ट में पहुँच चुके थे . वे सीधे एवरेस्ट होटल से भोजन का पैकेट लेकर चले थे जबकि मै और श्री मिथिलेश दुबे फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ नेपाल के  गोदाम से आ रहे थे  . खाना हम दोनों ने नहीं किया था , अतः बिना भोजन किये प्लेन में बैठ गए . भोजन के संबंध में ना हमसे किसी ने पूछा ना ही हमने किसी से जिक्र किया . हमें भूख के बजाय स्वदेश  लौटने की जिज्ञाषा ज्यादा थी . प्लेन में हम समय पर बैठ गए थे , प्लेन उड़ान भरने के लिए तैयार थी लेकिन लाइन क्लीयर ना होने की वजह से प्लेन एक घंटे विलंब से चली . नई दिल्ली से रायपुर के लिए हमारा  फ्लाईट शाम 6.05 बजे था अतः हमें अगली फ्लाईट मिस होने का खतरा सताने लगा . खैर लगभग 3.20  बजे हमारी प्लेन ने  काठमांडू से उड़ान भरी . नेपाल यात्रा की  अनेक मधुर स्मृतियों को लिए हमने नेपाल की धरती से आकाश की उचाईयों में पहुचे . हम सब की सीटें लगभग आसपास थी , बिदाई की बेला में किसी की आवाज नहीं निकल रही थी . सबके चहरे पर  स्वदेश जाने की ख़ुशी और बिछड़ने का गम साफ झलक रहा था . इस बीच नागपुर के श्री सुरेण दुरागकर ने मुझे हाँथ पकड़ कर उठाते हुए कहा की आइये आपकी डिमांड हो रही है . मै उठकर पीछे की ओर पंहुंचा तो मुझे बताया गया कि आपने मनकामना यात्रा के दौरान पहेली  बूझी थी उसका प्राइज देना बाकी है . दरअसल  मनकामना यात्रा में जाते समय  श्रीमती ज्योति चिटनिस ने एक पहेली पूछी  तथा  सही उत्तर बताने वाले को ईनाम देने की घोषणा की  . रास्ते  भर में कई बार सवाल दुहराया गया लेकिन कोई भी सही उत्तर नहीं  बता पाया . वापस लौटते समय भी इस पहेली को कोई बूझ नहीं पा रहा था आख़िरकार हमारा तीर में तुक्का चल गया . अतः मुझे ज्योति जी ने कपड़े की छोटी सी थैली में प्राइज प्रदान किया तो सबने तालियाँ बजाई और प्राइज को खोल कर दिखाने का आग्रह किया . मैंने पोटली खोली तो उसमें से लाफिंग बुद्धा की मूर्ति निकली . सबने मुझे बधाई देते हुए  कहा कि यह लाफिंग बुद्धा बड़ा लाभदायी है , जब कोई अन्य व्यक्ति से मिले तो यह और ज्यादा लाभकारी  हो जाता है . हमने खुशी खुशी उसे जाकेट की जेब में डाल लिया और यह कहते हुए कि फ्लाईट लेट है , इस प्लेन से उतरने के बाद दिल्ली से रायपुर की फ्लाईट दौड़ के पकड़नी पड़ेगी , सबको नमस्ते किया और क्षमा याचना कर अपनी सीट की ओर  लौटने लगा  .  


इस बीच सूचना दी गई कि कुछ ही देर में हम नई दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय  हवाई अड्डे में लैंड करने जा रहे है अतः सभी यात्री अपनी सीट पर लौट आये तथा कुर्सी की पेटी बांध लें . मै अपनी सीट के बजाय आगे गेट के पास खाली सीट में आकर बैठ गया . लगभग शाम 4.45 बजे दिल्ली हवाई अड्डे में लैंड किया . रायपुर की फ्लाईट 6.20 बजे थी , पूरा विश्वास था कि हमें अगली फ्लाईट मिल जायेगी . लेकिन आधे घंटे के  इंतजार के बाद गेट खुला . दौड़ कर लगेज के लिए गए , यहाँ भी विलंब किया गया . अंततः शाम 5.40 बजे हम बोर्डिंग के लिए काउंटर पर पहुंचे तो बोर्डिंग क्लोज हो गया था . कारण बताने पर कुछ अतिरिक्त चार्ज लेकर दूसरे दिन की टिकिट देने के लिए राजी हुए , अतः हम दूसरे दिन यानी 13 जुलाई की टिकिट लेकर छत्तीसगढ़ भवन आ  गए . मेरे साथ श्री मिथिलेश दुबे भी थे . दिनभर कुछ खाए नहीं थे अतः आते ही भोजन का आर्डर दिया और भोजन कर जल्दी सो गए .पिछले कई दिनों की थकान थी इसीलिये सुबह आराम से 9 बजे उठे . हमारी फ्लाईट शाम को 6.20 बजे थी अतः आज 4 बजे ही एयरपोर्ट पहुँच गए थे . ठीक 7.55 बजे हमने रायपुर की धरती पर कदम रखा . इस प्रकार अनेक खट्टे-मीठे अनुभव के साथ हमारी पहली विदेश यात्रा पूरी हुई .  (समाप्त)   

मेरी नेपाल यात्रा की पूरी स्टोरी एक साथ यहाँ पढ़े ......
pravakta .com   

Haribhoomi Raipur 09-08-2011

 

01 अगस्त, 2011

मेरी नेपाल यात्रा ( नौवीं किश्त )

हिमालय पर्वतमाला की वादियों में बसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पावन धरा नेपाल  में 9 जुलाई से 12 जुलाई 2011 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय  सहकारी सेमीनार में भाग लेने का अवसर मिला.इस सेमीनार का आयोजन राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर ने किया था . इन चार दिनों में नेपाल की प्रकृति, संस्कृति, रहन सहन, वेशभूषा, कृषि, पर्यटन एवं धर्म सम्बंधी अनेक जानकारी हमें मिली. नेपाल सांवैधानिक दृष्टि से एक अलग राष्ट्र है ; यहाँ का प्रधान, निशान व विधान भारत से अलग है, लेकिन रहन-सहन, बोली-भाषा और वेशभूषा लगभग एक जैसी है .नेपाल हमें स्वदेश जैसा ही प्रतीत हुआ .यह मेरी पहली  विदेश-यात्रा थी . नेपाल यात्रा की नौवीं किश्त......

नेपाल में भी गोदामों का अवलोकन

फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ नेपाल के गोदाम का अवलोकन 
 वरेस्ट यानी सागरमाथा का  दर्शन कर हमने एक व्यक्ति से  फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ नेपाल ( FOOD CORPORETION OF NEPAL ) का पता और फोन नंबर लिया तथा एक टेक्सी लेकर थापाथाली स्थित गोडाऊन देखने निकल पड़े . सुबह के 11 बज चुके थे तथा 2 बजे  दिल्ली की  फ्लाईट पकड़नी थी अतः हमें दोपहर 1 बजे के पहले एयरपोर्ट पहुंचना था , फिर भी हम गोदाम देखने का मोह नहीं त्याग सके. थापाथाली के गोदाम में हमें श्री दिल्लीराम लम्साल जी मिले .उन्होंने अपना परिचय अंचल प्रमुख के रूप में दिया . उन्हें   हमारे आने की जानकारी उनके भद्राकाली  हेड ऑफिस से पहले ही  मिल चुकी थी . हमने अपना परिचय देकर अपने आने का प्रयोजन बताया . वे खुशी खुशी हमें गोदाम की ओर ले गए . हमने वहां लगभग डेढ़ घंटे बिताये . श्री लम्साल ने बताया कि नेपाल खाद्य संस्थान ( FCN ) के गोदामों में चांवल,आटा,मैदा,तेल,उड़द,मक्का आदि भण्डारण किया जाता है . पूरे नेपाल में FCN की भण्डारण क्षमता मात्र 1 लाख मेट्रिक टन है जो कि बहुत ही कम है . हमने उन्हें बताया कि छत्तीसगढ़ की आबादी नेपाल से कम है लेकिन छत्तीसगढ़ में हमारे गोदामों की भण्डारण क्षमता लगभग 6  लाख में.ट. है , अभी  8 लाख में.ट. के गोदाम निर्माणाधीन हैं . चांवल की उत्पादन के संबंध में जानकारी मांगने पर उन्होंने बताया कि नेपाल में खपत के मुकाबले उत्पादन कम होता है , भारत और जापान से हमें मदद मिलती रहती है . FCN के गोदामों में 10 किलो और 25 किलो के पैकेट में खाद्यान भंडारित किया जाता है . खाद्यान की खरीदी व प्रसंसकरण का कार्य  स्वयं FCN  करती है तथा स्वयं के साधनों सेपरिवाहन कर भंडारित करती है ,  नेपाल में आम उपभोक्ता सीधे गोदाम में आकर मॉल खरीदते है . पहले उन्हें दफ्तर में वांछित राशी जमा कर कूपन लेना होता है , कूपन के आधार पर गोदाम कीपर ग्राहकों को मॉल प्रदान करता है . 

नेपाल में पर्याप्त मात्र में गोदाम नहीं है तथा जो गोदाम  अभी है उनकी हालत भी बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती . पुराने डिज़ाईन के गोदाम थे ,भण्डारण  का तरीका भी पुराना है . लेकिन खाद्यान के पैकेट बड़ी सावधानी से जमाये गए थे , हमें एक भी फूटा हुआ पैकेट नहीं दिखा . गोदामों का अवलोकन कर हम लोग दफ्तर पहुंचे जहाँ सब  कर्मचारी अपने अपने काम में मशगूल थे , अंचल प्रमुख के कक्ष में बैठ कर और भी बातों  की जानकारी ली तथा चाय पीकर हम एयर पोर्ट की ओर निकल पड़े . रास्ते में एक आयुर्वेदिक डाक्टर के पास रुके तथा एलर्जी की दवाइयों के बारे में पूछताछ कर आगे बढ़ गए .  क्रमशः                


फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ नेपाल के गोदाम का अवलोकन
फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ नेपाल के गोदाम का अवलोकन
फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ नेपाल के गोदाम का अवलोकन
फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ नेपाल के गोदाम का अवलोकन
फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ नेपाल के गोदाम का अवलोकन
फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ नेपाल के गोदाम का अवलोकन
फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ नेपाल के गोदाम में सीधे पहुंचे ग्राहक
फिर अंत में बिदाई


मेरी नेपाल यात्रा की पूरी स्टोरी एक साथ यहाँ पढ़े ......

29 जुलाई, 2011

हरियाली के लिए पानी और पानी के लिए हरियाली जरूरी


हरियाली के लिए पानी और पानी के लिए हरियाली जरूरी है
आज हरियाली का पर्व है, छत्तीसगढ़ में इस पर्व को हरेली कहा जाता है. यह पर्व हमें धरती को हरा भरा कर वायुमंडल को शुद्ध व स्वच्छ बनाये रखने का सन्देश देता है. हमें यदि शुद्ध आक्सीजन चाहिए तो अधिक से  अधिक पेड़ पौधे लगाने होंगे. वनों को विनाश से बचाना होगा. 

छत्तीसगढ़ में इस पर्व की विशेष महत्ता है, एक ओर किसान जहाँ अपने कृषि औजारों की पूजा करते है तो दूसरी ओर बच्चे बांस की गेड़ी में चढ़कर घूमते व मस्ती करते है. आज से ही त्योहारों का सिलसिला भी शुरू हो जाता है, इसीलिये हरेली त्यौहार को इस सीजन का प्रथम त्यौहार माना जाता है. आगे एक के बाद एक पर्व आयेंगें जैसे रक्षा बंधन, पोला, तीज, श्री गणेशोत्सव आदि आदि. उसके बाद नव-रात्रि, दशहरा और दिवाली भी तो सामने है. परन्तु किसानों के लिए तो खरीफ पर्व चल रहा है, इसके लिए पर्याप्त वर्षा जरुरी है. इस बार मानसून की बेरूखी के कारण वर्षा कम हुई है. सावन के महीने में भी गर्मी सता रही है. तालाब, कुएं व बांध अभी तक भरे नहीं है जबकि सावन में इन्हें ओवर फ्लो हो जाना था. हरियाली के लिए पानी और पानी के लिए हरियाली जरूरी है, शायद इसीलिये बुजुर्गों ने सावन की अमावस्या को हरियाली पर्व के रूप में मनाने की परंपरा डाली होगी.

आप सबको हरियाली अमावस्या की ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं .