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22 जुलाई, 2011

मेरी नेपाल यात्रा ( तीसरी किस्त )


हिमालय पर्वतमाला की वादियों में बसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पावन धरा नेपाल  में 9 जुलाई से 12 जुलाई 2011 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय  सहकारी सेमीनार में भाग लेने का अवसर मिला.इस सेमीनार का आयोजन राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर ने किया था . इन चार दिनों में नेपाल की प्रकृति, संस्कृति, रहन सहन, वेशभूषा, कृषि, पर्यटन एवं धर्म सम्बंधी अनेक जानकारी हमें मिली. नेपाल सांवैधानिक दृष्टि से एक अलग राष्ट्र है ; यहाँ का प्रधान, निशान व विधान भारत से अलग है, लेकिन रहन-सहन, बोली-भाषा और वेशभूषा लगभग एक जैसी है .नेपाल हमें स्वदेश जैसा ही प्रतीत हुआ .यह मेरी विदेश-यात्रा थी . नेपाल यात्रा की  तीसरी किश्त....

अंतर्राष्ट्रीय सहकारी  सेमीनार काठमांडू  

‘‘ सहकारी साख संरचना के समक्ष चुनौतियां ’’

 नेपाल में गूंजा  छत्तीसगढ़ का पी.डी.एस.


दीप प्रज्जवलित कर सेमिनार का  शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि  श्री अशोक बजाज
होटल एवरेस्ट के कांफ्रेस हॉल में ठीक 6.00 बजे सेमीनार प्रारंभ हुआ. कार्यक्रम  संचालक ने  मुझे मुख्य अतिथि की हैसियत से मंच पर आमंत्रित  किया . मंच पर मेरे अलावा जैसलमेर राजस्थान के श्री पूरन सिंह भाटी, केरल के श्री राजप्पन नायर, गोवा की श्रीमती प्रतिभा गौरीश धोंड , नागपुर महाराष्ट्र के श्री चंद्रशेखर राहटे ,NICBMT की डायरेक्टर श्रीमती जी.शामन्ना बैठे . सबसे पहले दीप प्रज्जवल्लित कर सेमीनार का विधिवत उदघाटन किया .सभा कक्ष में छत्तीसगढ़ ,मध्यप्रदेश, केरल, आंध्रप्रदेश , कर्नाटक,  पंजाब, महाराष्ट्र, गोवा और राजस्थान के प्रतिनिधि मौजूद थे.सम्मलेन का विषय था -- Challeges Before Cooperative Credit System . सबसे पहले मैंने उपस्थित  प्रतिनिधियों का हार्दिक अभिनन्दन  किया तत्पश्चात छत्तीसगढ़ में  सहकारिता की स्थिति को केंद्र बिन्दु  बना कर मैंने अपने भाषण की शुरुवात की .

मैंने सेमीनार में कहा कि  छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जहां सहकारिता से जुड़े किसानों को तीन प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण प्रदान किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार फसल ऋण देने वाली प्राथमिक साख सहकारी समितियों को ऋण सबसीडी प्रदान करती है. वैसे मध्यप्रदेश सरकार ने इस साल से  एक प्रतिशत ब्याज दर निर्धारित किया है, जो कि भारत के किसी भी राज्य की तुलना में सबसे कम  है. मैंने कहा कि सरकार चाहे तो पूरे देश में शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध करा सकती  है. बहरहाल छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में ब्याज दर कम होने से प्राथमिक सहकारी साख समितियों के प्रति आम किसानों का आकर्षण बढ़ा है. आज जिस प्रकार से ऋण सुविधा आसान कर व्यावसायिक बैंकों द्वारा किसानों को आकर्षित किया जा रहा हैं. इससे सहकारी समितियों का व्यवसाय खत्म हो रहा था, लेकिन ब्याज दर कम करने से सहकारी समितियों का काम तेजी से बढ़ा हैं.


दीप प्रज्जवलन
मैंने अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए कहा कि राज्य की मुख्य फसल धान है .न्यूनतम समर्थन मूल्य पर  धान की खरीदी  का काम प्राथमिक सहकारी साख समितियां करती है .समितियों द्वारा ख़रीदे गए धान के संग्रहण का काम राज्य सहकारी विपणन संघ यानी मार्कफेड करती है . प्रदेश में नागरिक आपूर्ति निगम है जो संग्रहित धान  का मिलिंग करा कर चांवल को राज्य भंडारगृह निगम के गोदामों में भंडारित करती है तथा आवश्यकतानुसार गोदामों से वितरण केन्द्रों तक पहुँचाती है . सार्वजनिक वितरण प्रणाली के खाद्यान का वितरण महिला स्व-सहायता समूह , ग्राम पंचायत और  प्राथमिक सहकारी साख समितियां करती हैं . छत्तीसगढ़ में बी.पी.एल. कार्डधारियों को 2 रु. प्रति किलो की दर से प्रतिमाह ३५ किलो चांवल प्रदान किया जाताहै.अति गरीब परिवार को 1 रु.प्रति किलो की दर से प्रतिमाह ३५ किलो चांवल प्रदान किया जाताहै. देश भर में राज्य के  पी.डी.एस. सिस्टम की सराहना हो रही है.सुप्रीम कोर्ट ने भी  राज्य के पी.डी.एस. सिस्टम की सराहना करते हुए इस सिस्टम को देश भर में लागू करने का निर्देश योजना आयोग को दिया है.
अंतर्राष्ट्रीय सहकारी  सेमीनार काठमांडू 

मैंने देश भर में सहकारी अधिनियम में एकरूपता लाने की सलाह दी, जिसे सभी का समर्थन प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मैंने अन्य सदस्यों की चिंता से सदन को अवगत कराते हुए कहा कि सहकारी क्षेत्र में सरकार का कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए. आज जिस प्रकार से सहकारी समितियों व संस्थाओं पर सरकार द्वारा शिकंजा कसा जा रहा है, उससे सहकारी आंदोलन की स्वायत्तता व स्वतंत्रता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है. लोकसभा में जो विधेयक लाया गया है, उससे सहकारी समितियों पर सरकार का सीधा हस्तक्षेप हो  जाएगा. इससे सहकारिता की पवित्र भावना को ठेस पहुँच रही है .

सदन में भारत के छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, आंध्रपदेश, कर्नाटक, राजस्थान एवं पंजाब प्रांत के डेलीगेट्स मौजूद थे. सबने उपरोक्त बिन्दुओं पर करतल ध्वनि से अपनी सहमति दी.अन्य वक्ताओं ने दो-दो, तीन-तीन मिनट में अपनी बात रखी. इस प्रकार इस अन्तर्राष्ट्रीय सहकारी सेमीनार का उद्घाटन सत्र सम्पन्न हुआ. क्रमशः

21 जुलाई, 2011

मेरी नेपाल यात्रा (दूसरी किस्त )

विदेश की धरती पर पहला कदम




एवरेस्ट  होटल के बाहर लान की तस्वीर
हिमालय पर्वतमाला की वादियों में बसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पावन धरा नेपाल  में 9 जुलाई से 12 जुलाई 2011 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय  सहकारी सेमीनार में भाग लेने का अवसर मिला.इस सेमीनार का आयोजन राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर ने किया था . इन चार दिनों में नेपाल की प्रकृति, संस्कृति, रहन सहन, वेशभूषा, कृषि, पर्यटन एवं धर्म सम्बंधी अनेक जानकारी हमें मिली. नेपाल सांवैधानिक दृष्टि से एक अलग राष्ट्र है ; यहाँ का प्रधान, निशान व विधान भारत से अलग है, लेकिन रहन-सहन, बोली-भाषा और वेशभूषा लगभग एक जैसी है .नेपाल हमें स्वदेश जैसा ही प्रतीत हुआ .यह मेरी विदेश-यात्रा थी . नेपाल यात्रा की दूसरी किश्त ------


एवरेस्ट  होटल ( AVEREST HOTEL)
 राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर ( National Institute of Cooperative Banking Management & Training Bangalore  NICBMT ) के  तत्वाधान  में  आयोजित  अंतर्राष्ट्रीय सहकारी   सेमीनार में भारत से जाने वाले प्रतिभागियों को 9 जुलाई को दोपहर 12.00 बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से काठमांडू के लिए रवाना होना था, सो  सुबह 10.00 बजे मैं दिल्ली एयरपोर्ट पंहुंच गया था . मेरे साथ अपेक्स बैंक रायपुर के एक अन्य संचालक श्री मिथिलेश कुमार दुबे भी थे .एयरपोर्ट के पोर्च में राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर की डायरेक्टर श्रीमती जी. शमन्ना और प्रोग्राम अधिकारी श्री  गिरीश कुमार मिले. उन्होंने हमें एक ओर बैठने का इशारा किया , जहाँ  मध्यप्रदेश, केरल, आंध्रपदेश, कर्नाटक,  पंजाब, महाराष्ट्र, गोवा और राजस्थान के प्रतिभागी वहां पहले से मौजूद थे.छत्तीसगढ़ से हम केवल दो थे . उन सबसे थोड़ा-बहुत परिचय हुआ. उसी समय बोर्डिंग और  सुरक्षा जांच के लिए जाने का संकेत हुआ. चूंकि नेपाल एक मित्र राष्ट्र  है इसीलिए वहॉं जाने के लिए वीजा व पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती है. लगभग सभी लोग भारत निर्वाचन आयोग का वोटर आई.डी. लेकर आये थे. प्रतिभागियों की संख्या लगभग 60 थी.  सारी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद हम सब 11.30 बजे विमान में बैठे. ठीक दोपहर  12.00 बजे किंगफिशर के विमान ने अन्तर्राष्ट्रीय विमान तल दिल्ली से काठमांडू के लिए उड़ान भरी.

फूटपाथ में किताब दूकान के चारों ओर नेपाल के युवक
ठीक  1.30 बजे  हमारा विमान काठमांडू में लैंड कर चुका था . एयरपोर्ट के बाहर निकलने से पूर्व काफी चेकिंग हुई , चूँकि हम सब ग्रुप में थे इसलिए सबको चेकिंग में एक घंटा लग गया . हम लोगों को होटल तक ले जाने के लिए एयरपोर्ट के  बाहर दो बसें खड़ी थी . अधिकांश लोग बस में बैठ गए जबकि कुछ लोग एयरपोर्ट में ही नेपाल की करेंसी और वहां की कंपनी के मोबाईल का सिम-कार्ड लेने लगे. अंततः हम लोग दोपहर 3 बजे होटल पहुंचे , हम सबके ठहरने के लिए काठमांडू के होटल एवरेस्ट में  व्यवस्था की गयी थी.किसी ने दोपहर का भोजन नहीं किया था , तकरीबन सभी लोग भूखे थे . होटल के कमरे में सामान रखकर सभी ने लगभग 4.00 बजे भोजन किया. भोजन करके मै दुबेजी के साथ बाहर बाजार की रौनक देखने निकल गया . एक पान की दूकान में पान खाया , फिर अगली दूकान में जाकर NCELL   कंपनी का सिम-कार्ड लिया . दूकानदार से इन्डियन और नेपाली करेंसी के बारे में जानकारी ली . भारत का रूपया वहां आसानी से चलता है . भारत की करेंसी का मूल्य  नेपाली करेंसी से ज्यादा है यानी भारत के सौ रुपये का मूल्य नेपाल के एक सौ   साठ  रुपये के बराबर है ; छोटे छोटे दूकानदार भी दोनों देशों के करेंसी के मूल्य के अंतर को आसानी से समझते है तथा प्रायः दोनों करेंसी में अपनी वस्तु का मूल्य बताते है . वे हिंदी अच्छी तरह समझते है तथा बोलते  भी  है . बोलने की अदा और लय में कहीं कोई अंतर नहीं है . हम दोनों काफी देर तक बाजार में घूमते रहे तथा लोगों से बात कर अपनी जिज्ञाषा शांत करते रहे .  चूँकि शाम  6 बजे  सेमिनार का शुभारंभ होना था अतः हम दोनों समय पर होटल के कांफ्रेंस हॉल में  पहुँच गए .  क्रमशः

फूटपाथ का बाजार





19 जुलाई, 2011

मेरी नेपाल यात्रा ( पहली किस्त )

नेपाल एक  हिंदू राष्ट्र है

MAP OF  NEPAL
हिमालय पर्वतमाला की वादियों में बसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पावन धरा नेपाल  में 9 जुलाई से 12 जुलाई 2011 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय  सहकारी सेमीनार में भाग लेने का अवसर मिला.इस सेमीनार का आयोजन राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर ने किया था . इन चार दिनों में नेपाल की प्रकृति, संस्कृति, रहन सहन, वेशभूषा, कृषि, पर्यटन एवं धर्म सम्बंधी अनेक जानकारी हमें मिली. नेपाल सांवैधानिक दृष्टि से एक अलग राष्ट्र है ; यहाँ का प्रधान, निशान व विधान भारत से अलग है, लेकिन रहन-सहन, बोली-भाषा और वेशभूषा लगभग एक जैसी है .नेपाल हमें स्वदेश जैसा ही प्रतीत हुआ .यह मेरी पहली विदेश-यात्रा थी . नेपाल यात्रा की पहली किश्त ------

भारत की सीमा से लगा नेपाल एक  हिंदू राष्ट्र है. यहां की आबादी लगभग 3 करोड़ है, जिसमें से 81  प्रतिशत लोग हिन्दू  है.हिन्दुओं का इतना अधिक प्रतिशत भारत में भी नहीं है. हिंदू और बौद्ध संस्कृतियों का अनूठा संगम भी नेपाल में दिखाई देता है.  यहां की संस्कृति व भारत की संस्कृति में अनेक मूलभूत समानताएं है, पड़ोसी देश होने के कारण नेपाल और भारत के बीच काफी सांमजस्य है. दोनों देशों  की नागरिकता  भले ही अलग अलग है लेकिन लोगों के आने-जाने के लिए वीजा, पासर्पोट की जरूरत नही है.नेपाल का उत्तरी हिस्सा हिमालय पर्वतमाला से घिरा हुआ है. विश्व की दस सबसे ऊँची चोटियों में से  आठ नेपाल में है. दुनिया की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट भी यहीं  है .समुद्री सतह से 8848 मीटर यानी 29029 फीट ऊँचीं इस चोटी को स्थानीय लोग "सागरमाथा" कहते हैं,यह नेपाल और चीन की सीमा पर स्थित है . इसके साथ ही यहाँ 20000 फीट तक की ऊँचाई वाली 240 चोटियाँ है.हिमालय की गोद में बसा नेपाल अपनी प्राचीन संस्कृति के लिए जाना जाता है और अपनी प्राकृतिक सुन्दरता  की वजह से यह पर्यटकों की पसंदीदा जगह है.नेपाल पर्यटन के लिए पर्वतारोही कमाई का एक महत्वपूर्ण जरिया है. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए नेपाल सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है . यह कृषि प्रधान देश है. यहां की मुख्य फसल धान व मक्का है ; पर यह भी सच है कि नेपाल दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में से एक है.

 नेपाल की राजधानी  काठमांडू है. काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगञ्ज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगञ्ज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर आदि है. नेपाल 14 अंचल (प्रान्त ) और 75  जिलों में विभाजित है .  क्रमशः
(my nepal tours)     

18 जुलाई, 2011

मुख्यमंत्री को किसानों ने धान से तौलकर सम्मानित किया


मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को आज रायपुर जिले में स्थित राज्य के प्रसिध्द तीर्थ चम्पारण्य प्रवास के दौरान किसानों ने धान से तौल कर सम्मानित किया। ग्रामीण सेवा सहकारी समिति चम्पारण्य के किसानों ने मुख्यमंत्री को वर्ष 2010-11 में छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक चावल उत्पादन के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से प्राप्त राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी। चम्पारण्य के किसान सर्वश्री बलिराम निषाद, चैतूराम यादव, विष्णु साहू, वीरेन्द्र साहू और शोभिन्द साहू सहित अनेक किसानों ने मुख्यमंत्री का आत्मीय स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में यह राष्ट्रीय पुरस्कार छत्तीसगढ़ के हमारे लाखों मेहनतकश किसानों के कठोर परिश्रम को प्राप्त सम्मान है। यह पुरस्कार राज्य के सभी किसानों को समर्पित है। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री चन्द्रशेखर साहू, राज्य भण्डार गृह निगम अध्यक्ष श्री अशोक बजाज तथा सर्वश्री जगत प्रकाश नड्डा, रामप्रताप सिंह और रामसेवक पैकरा समेत अनेक वरिष्ठ नेता और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री को नई दिल्ली में केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा इस महीने की सोलह तारीख को आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के हाथों छत्तीसगढ़ के यह राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया था।