ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

21 जुलाई, 2011

मेरी नेपाल यात्रा (दूसरी किस्त )

विदेश की धरती पर पहला कदम




एवरेस्ट  होटल के बाहर लान की तस्वीर
हिमालय पर्वतमाला की वादियों में बसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पावन धरा नेपाल  में 9 जुलाई से 12 जुलाई 2011 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय  सहकारी सेमीनार में भाग लेने का अवसर मिला.इस सेमीनार का आयोजन राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर ने किया था . इन चार दिनों में नेपाल की प्रकृति, संस्कृति, रहन सहन, वेशभूषा, कृषि, पर्यटन एवं धर्म सम्बंधी अनेक जानकारी हमें मिली. नेपाल सांवैधानिक दृष्टि से एक अलग राष्ट्र है ; यहाँ का प्रधान, निशान व विधान भारत से अलग है, लेकिन रहन-सहन, बोली-भाषा और वेशभूषा लगभग एक जैसी है .नेपाल हमें स्वदेश जैसा ही प्रतीत हुआ .यह मेरी विदेश-यात्रा थी . नेपाल यात्रा की दूसरी किश्त ------


एवरेस्ट  होटल ( AVEREST HOTEL)
 राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर ( National Institute of Cooperative Banking Management & Training Bangalore  NICBMT ) के  तत्वाधान  में  आयोजित  अंतर्राष्ट्रीय सहकारी   सेमीनार में भारत से जाने वाले प्रतिभागियों को 9 जुलाई को दोपहर 12.00 बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से काठमांडू के लिए रवाना होना था, सो  सुबह 10.00 बजे मैं दिल्ली एयरपोर्ट पंहुंच गया था . मेरे साथ अपेक्स बैंक रायपुर के एक अन्य संचालक श्री मिथिलेश कुमार दुबे भी थे .एयरपोर्ट के पोर्च में राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर की डायरेक्टर श्रीमती जी. शमन्ना और प्रोग्राम अधिकारी श्री  गिरीश कुमार मिले. उन्होंने हमें एक ओर बैठने का इशारा किया , जहाँ  मध्यप्रदेश, केरल, आंध्रपदेश, कर्नाटक,  पंजाब, महाराष्ट्र, गोवा और राजस्थान के प्रतिभागी वहां पहले से मौजूद थे.छत्तीसगढ़ से हम केवल दो थे . उन सबसे थोड़ा-बहुत परिचय हुआ. उसी समय बोर्डिंग और  सुरक्षा जांच के लिए जाने का संकेत हुआ. चूंकि नेपाल एक मित्र राष्ट्र  है इसीलिए वहॉं जाने के लिए वीजा व पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती है. लगभग सभी लोग भारत निर्वाचन आयोग का वोटर आई.डी. लेकर आये थे. प्रतिभागियों की संख्या लगभग 60 थी.  सारी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद हम सब 11.30 बजे विमान में बैठे. ठीक दोपहर  12.00 बजे किंगफिशर के विमान ने अन्तर्राष्ट्रीय विमान तल दिल्ली से काठमांडू के लिए उड़ान भरी.

फूटपाथ में किताब दूकान के चारों ओर नेपाल के युवक
ठीक  1.30 बजे  हमारा विमान काठमांडू में लैंड कर चुका था . एयरपोर्ट के बाहर निकलने से पूर्व काफी चेकिंग हुई , चूँकि हम सब ग्रुप में थे इसलिए सबको चेकिंग में एक घंटा लग गया . हम लोगों को होटल तक ले जाने के लिए एयरपोर्ट के  बाहर दो बसें खड़ी थी . अधिकांश लोग बस में बैठ गए जबकि कुछ लोग एयरपोर्ट में ही नेपाल की करेंसी और वहां की कंपनी के मोबाईल का सिम-कार्ड लेने लगे. अंततः हम लोग दोपहर 3 बजे होटल पहुंचे , हम सबके ठहरने के लिए काठमांडू के होटल एवरेस्ट में  व्यवस्था की गयी थी.किसी ने दोपहर का भोजन नहीं किया था , तकरीबन सभी लोग भूखे थे . होटल के कमरे में सामान रखकर सभी ने लगभग 4.00 बजे भोजन किया. भोजन करके मै दुबेजी के साथ बाहर बाजार की रौनक देखने निकल गया . एक पान की दूकान में पान खाया , फिर अगली दूकान में जाकर NCELL   कंपनी का सिम-कार्ड लिया . दूकानदार से इन्डियन और नेपाली करेंसी के बारे में जानकारी ली . भारत का रूपया वहां आसानी से चलता है . भारत की करेंसी का मूल्य  नेपाली करेंसी से ज्यादा है यानी भारत के सौ रुपये का मूल्य नेपाल के एक सौ   साठ  रुपये के बराबर है ; छोटे छोटे दूकानदार भी दोनों देशों के करेंसी के मूल्य के अंतर को आसानी से समझते है तथा प्रायः दोनों करेंसी में अपनी वस्तु का मूल्य बताते है . वे हिंदी अच्छी तरह समझते है तथा बोलते  भी  है . बोलने की अदा और लय में कहीं कोई अंतर नहीं है . हम दोनों काफी देर तक बाजार में घूमते रहे तथा लोगों से बात कर अपनी जिज्ञाषा शांत करते रहे .  चूँकि शाम  6 बजे  सेमिनार का शुभारंभ होना था अतः हम दोनों समय पर होटल के कांफ्रेंस हॉल में  पहुँच गए .  क्रमशः

फूटपाथ का बाजार





3 टिप्‍पणियां:

  1. दूसरी किस्त का सचित्र प्रस्तुतिकरण भी रोचक और ज्ञानवर्धक है. हिमालय पर्वत और राजमहल की फोटो देखने की जिज्ञासा है...........!

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रमोद कुमार जी की इच्छा पूरी करिए, हमारी तो स्वत: हो जाएगी :)

    जवाब देंहटाएं