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02 जुलाई, 2011

भारत के लिए टाइम बम है मुद्रास्फीति

जी हाँ मुद्रास्फीति भारत के लिए एक टाइम बम के सामान है , हालाँकि इस समय सारी दुनिया में विशेषकर  यूरोप में ग्रीस के वित्तीय संकट की चिंता है , लेकिन जर्मन अखबार " वेल्ट आम जोनटाग " का कहना है कि आगामी वर्षों  में मुद्रास्फीति भारत  के लिए  चिंता का विषय बन सकता है.

 समाचार पत्र का यह भी कहना है कि भारत बहुराष्ट्रीय कंपनियों की पसंदीदा मंजिल है  तथा यह देश निवेशकों का प्यारा हो चुका है. यहाँ  चीन की तरह  तेजी से  आर्थिक वृद्धि जारी है लेकिन साथ ही  साथ कीमतें भी तेजी से बढ़ रही हैं. इस बीच मुद्रास्फीति की दर 9.1 फीसदी हो चुकी है. मुख्य ब्याज दर इस वक्त सिर्फ 7.5 फीसदी है. यानी अगर कोई कर्ज लेता है तो उसे मुद्रास्फीति की दर से भी कम ब्याज देना पड़ता है. यानी उधार लेकर खर्च करने में फायदा है. पश्चिम के देश ब्याज दर बढ़ाकर इस स्थिति को बदल सकते हैं. लेकिन इसकी उम्मीद नहीं के बराबर है. इस वक्त वे ग्रीस व दूसरी समस्याओं में इस तरह फंसे हैं कि नए विकसित देशों के बारे में सोचने की फुर्सत ही नहीं है. लेकिन घाव वहीं पनपते हैं, जहां नजर नहीं जाती है.

दुनिया आपस में जुड़ती जा रही है. अगर सऊदी अरब या दुबई में संकट हो, तो केरल के लोगों के माथे पर शिकन आ जाती है. समाचार पत्र नॉय त्स्युरषर त्साइटुंग में इस सिलसिले में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अरब देशों  में 40 लाख भारतीय नागरिक काम करते हैं, सिर्फ सऊदी अरब में ही 15 लाख, और संयुक्त अरब अमीरत में दस लाख से अधिक. इनमें से अधिकांश  केरल के हैं. रफीक कहते हैं कि यहां अंग्रेजों का राज था, और चूंकि उनके पूर्वज अंग्रेजों के खिलाफ थे, वे बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में नहीं भेजते थे. वे मदरसे में पढ़ाई करते थे. आजादी के बाद कोझीकोडे में नौसिखिए कामगारों की कमी नहीं थी, आर्थिक वृद्धि की गति धीमी थी. रफीक कहते हैं, "हमारी माली हालत खाड़ी के देशों के साथ गहराई से जुड़ी है, वहां संकट आते ही हम उसे महसूस करने लगते हैं." वहां काम करने वाले लोगों के पैसे से ही कोझीकोडे के आलीशान भवन बने हैं.


भारत भले ही धनी न हो, उसके कुछ नागरिक बेहद अमीर हैं. पिछले साल 1 लाख 53 हजार भारतीय नागरिकों के पास दस लाख डॉलर से अधिक धन था. समाचार पत्र फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने त्साइटुंग में कहा गया है कि एक साल के अंदर इनकी तादाद में 20.8 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस प्रकार भारत अब उन देशों में से है, जहां अमीर लोगों की तादाद सबसे अधिक तेजी के साथ बढ़ रही है. इस सिलसिले में मेरिल लिंच की एक रिपोर्ट की चर्चा करते हुए कहा गया हैः --

इस रिपोर्ट में पुश्तैनी अमीरों, खुद कमाए धन से बने अमीरों, या डॉक्टरी और वकालत जैसे पेशे में लगे लोगों के बीच फर्क किया गया है. डॉक्टर या वकील बाकी दो वर्गों से कहीं ज्यादा, यानी अपनी आमदनी का दस फीसदी हिस्सा सामाजिक कल्याण की मदों में खर्च करते हैं. सभी वर्गों के बीच एक समानता है, वे पैसे खर्च करते वक्त सबसे पहले अपने परिवार के बारे में सोचते हैं. छुट्टी मनाने के लिए, या घड़ी, गहने या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट खरीदने के मामले में यही सबसे आगे हैं. इस वक्त इनके पास 45 खरब रुपए हैं. यह रकम सिर्फ पांच साल के अंदर पांच गुना होकर 235 खरब तक पहुंच जाएगी.

01 जुलाई, 2011

डबल डेकर फ्लाई ओव्हर और दुनिया का सबसे लंबा पुल

संचार से जुडी दिल को रोमांचित करने वाली आज  दो महत्वपूर्ण खबरें मिली . एक खबर अपने भारत देश के गुजरात राज्य की है , जहाँ की राजधानी अहमदाबाद में आज पहला डबलडेकर फ्लाईओवर  गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों उदघाटन के बाद आम जनता के लिए खोल दिया गया. यह फ्लाईओवर शहर के सीटीएम चार रास्ता पर बना हुआ है.शहर के पूर्वी क्षेत्र में नेशनल हाईवे नंबर-8, नरोडा-नारोल रोड पर निर्मित इस फ्लाईओवर में लगभग 45 करोड़ रुपए का खर्च आया है. यह फ्लायओवर केंद्र सरकार की जीएनएनयूआरएम योजना के तहत तैयार किया गया है. इसका एक हिस्सा सीटीएम चार रास्ता से हाटकेश्वर को जोड़ेगा तो दूसरा अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेस-वे को. देखिये इसका मनमोहक चित्र ..........


अहमदाबाद का डबल डेकर फ्लाई ओव्हर  - 1 
अहमदाबाद का डबल डेकर फ्लाई ओव्हर  - 2
दूसरी रोमांचित करने वाली खबर चीन से प्राप्त हुई है जहाँ दुनिया के सबसे लंबे पुल को जनता के लिए खोल दिया गया है. इस पुल की  लंबाई 42.4 किलोमीटर है इसके निर्माण में मात्र 4 वर्ष लगें है . इस पर हर रोज़ लगभग 30 हज़ार कारें चलेंगी. इससे पहले सबसे लंबे पुल का रिकॉर्ड अमरीकी प्रांत लाऊसिआना का लेक पॉंटमचार्ट्रेन कॉज़्वे था..चीन का पुल अमरीकी पुल से चार किलोमीटर ज़्यादा लंबा है. इसे बनाने में 10 अरब युआन (यानी 1.55 अरब डॉलर) ख़र्च हुए. देखिये इसका मनमोहक चित्र .............


   चीन में बना   दुनिया का सबसे लंबा पुल - 1
   चीन में बना   दुनिया का सबसे लंबा पुल - 2
   चीन में बना   दुनिया का सबसे लंबा पुल - 3
चीन में बना   दुनिया का सबसे लंबा पुल - 4

चीन में बना   दुनिया का सबसे लंबा पुल -5



photo by google     ashok bajaj champaran raipur chhattisgarh

30 जून, 2011

सूरत के ओलपाड में पानी की दहशत

सूरत जिले के कुछ गांवों में जगह-जगह जमीन के भीतर से पानी का फव्वारा फूट रहा है। कुओं में पानी का स्तर अचानक बढ़ गया है। पानी का स्वाद भी खारा हो गया है। अचानक होने वाली इस घटना से लोगों में दहशत है। हालांकि कुछ लोग इसे चमत्कार के तौर पर देख रहे हैं तो कुछ इसे अनहोनी का संकेत मान रहे हैं। फिलहाल प्रशासन ने लोगों को पानी पीने से मना कर दिया है।

सूरत के कुछ इलाकों में जीवन देना वाला पानी दहशत का दूसरा नाम बन गया है। सूरत के ओलपाड तहसील में जमीन के भीतर से पानी का फव्वारा फूट रहा है। ये पानी जमीन के कई फुट नीचे से बाहर आ रहा है।

वहीं, इलाके के कुएं में पानी 20 फुट नीचे था लेकिन अचानक पानी का स्तर बढ़ गया और लोग हाथों से पानी छू सकते हैं। लोगों को हैरानी इस बात की है कि बिना बारिश के आखिर पानी का स्तर कैसे बढ़ गया। इलाके में रहनेवाले एक शख्स ने बताया कि आठ साल से यहां रह रहे हैं लेकिन ऐसा कभी नहीं देखा। हैरानी इस बात की है कि बगैर बारिश हुए ही कुएं में पानी का स्तर बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि ये कुदरत का कोई करिश्मा है।

इलाके के लोगों का कहना है कि कुएं में पानी का लेवल तो बढ़ा ही साथ ही पानी का स्वाद भी खारा हो गया है। जबकि कुछ दिनों पहले तक लोग इसी कुएं का पानी पीते थे। दूसरी ओर गांव के कुछ लोगों को लगता है कि गांव पर कोई बड़ी मुसीबत आने वाली है।

परा गांव के रहनेवाले हबीब मोहम्मद शेख ने बताया कि साठ साल की उम्र में पहली बार ऐसा देखा कि जो कुंवा मीठा पानी देता था वो खारा हो गया और जो खारा था वो मीठा हो गया। यह एक अजीब कुदरत की घटना है।

गौरतलब है कि कभी इस इलाके में मशीनों के जरिए पानी निकालने की कोशिश होती थी, लेकिन पानी खुद ब खुद जमीन का सीना फाड़कर बाहर निकल रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है, ये अभी तक एक रहस्य है।  VIDEO


29 जून, 2011

ब्लॉगरों सावधान

गूगल के ज़रिए सेंसरशिप ?

 


कहने के लिए तो भारत में मीडिया स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की पूरी आज़ादी है लेकिन क्या सरकारें और प्रशासन अपनी निंदा बर्दाश्त कर पाते हैं ?

अगर सर्च इंजिन गूगल की मानें तो उत्तर होगा, नहीं.

गूगल की 'ट्रांसपरेंसी रिपोर्ट' के मुताबिक़ छह महीनों में प्रशासन और यहाँ तक कि अदालतों की ओर से भी गूगल से कई बार कहा गया कि वे मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों की आलोचना करने वाले रिपोर्ट्स, ब्लॉग और यू-ट्यूब वीडियो को हटा दें. पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए कृपया क्लिक करें  ...... 

   अशोक बजाज , अभनपुर , रायपुर . ashok bajaj abhanpur raipur chhattisgarh