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27 जून, 2011

आकाशवाणी में "नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब "


विश्व नशा निवारण दिवस पर आकाशवाणी रायपुर द्वारा दिनांक 26 जून 2011 को संध्या 7.20 बजे हमर ग्रामसभा कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी स्लोगन "नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब" का टाइटल सांग प्रसारित किया गया .



सुनिए वीडियो ...........



26 जून, 2011

चंपारण के कर्मयोगी

कर्मयोगी श्री कृष्णदास ढ़ी जी
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कर्मयोगी श्री कृष्णदास ढ़ी जी इन दिनों काफी अस्वस्थ है ,वे  बिस्तर से उठ नहीं पाते . पिछले दिनों जब मै उनसे मिलने चंपारण   गया तो वे अपने कक्ष में बिस्तर में लेटे हुए थे . उनकी उम्र 85 वर्ष की हो गई है ,वे महाप्रभु वल्लभाचार्य मंदिर ट्रस्ट चम्‍पारण के मुख्य ट्रस्टी है . महाप्रभु वल्लभाचार्य जी के प्राकट्य स्थल स्थित मंदिर एवं मंदिर परिसर को सजाने - संवारने एवं भव्यता प्रदान करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है . बचपन में हम लोग अक्सर चंपारण (पुराना नाम चांपाझर )  जाया करते थे , यह मेरे गाँव से मात्र 10-12  कि.मी. की दूरी पर है . तब वहां खँडहरनुमा मंदिर हुआ करता था . श्री चंपेश्वर महादेव का मंदिर एवं श्री महाप्रभु वल्लभाचार्य का  मंदिर पासपास  है . मंदिर के चारों और  सुन्दर अभ्यारण्य है जहाँ अनेकों प्रकार के पुराने  वृक्ष है .
आशीर्वाद देते हुए

 श्री ढ़ी जी मूलतः मुंबई के निवासी है वे यहाँ कब आये मुझे स्मरण नहीं लेकिन जब से वे आये है लगातार मंदिर के सौन्दर्यीकरण में लगे है . उनकी वर्षों की तपस्या और लगन का ही परिणाम है कि चम्‍पारण की ख्याति आज पूरे विश्व में हो गई है . यहाँ की भव्यता और सौन्दर्य के सभी कायल है . श्री ढ़ीया जी की कार्यशैली को मैंने काफी करीब से देखा है .बीमार होने के पहले तक  वे चार-चार बजे पहट तक जागते थे और  ट्रस्ट का हिसाब -किताब एवं लिखा-पढ़ी का काम स्वयं करते थे . वे प्रतिदिन 18 से 20 घंटे तक काम करते थे . अभी जब मै उनसे मिला तब भी उनके बिस्तर में ट्रस्ट के हिसाब से संबंधित दस्तावेज एवं कुछ धार्मिक किताबें रखीं थीं . बिस्तर से उठ पाना मुश्किल है लेकिन काम करने की ललक उनमें आज भी है .मेरे टोकने पर उन्होंने अपनी जिन्दादिली आवाज में ही मुझे जवाब दिया कि यह काम मै नहीं छोड़ सकता . इस उम्र में भी उनकी आवाज में कोई फर्क नहीं पड़ा है . उनके आवाज में आज भी वही ओज है जो 10 साल पहले थी . वे   प्रवचन  तो करते ही थे साथ ही साथ गीत व  भजन भी सुनाते थे , उन्हें हारमोनियम बजाते व गाते भी देखा गया है .

हारमोनियम बजाते हुए श्री ढ़ीजी
श्री ढ़ीजी पिछले एक वर्ष से कुछ ज्यादा ही अस्वस्थ है , कुछ महीने तक वे मुंबई के एक  अस्पताल में भी भरती थे . थोडा सा आराम मिला तो वापस आ गए , मुझे बताया गया कि वे अब उपचार के लिए किसी अस्पताल में नहीं जाना चाहते . वे चंपारण्य में ही रहना चाहते है . माखन उनकी सेवा में सदा लगे रहता है , वह  गाँव का ही निवासी है तथा जब से ढ़ीया जी यहाँ आये है तब से साये की तरह उनके साथ रहता है . इस प्रवास  में मुझे  उनका  पुत्र श्री कमल भाई  नहीं मिला , मैंने पूछा तो उन्होंने बताया कि वह इन दिनों मुंबई गया हुआ है उसका वहां बहुत बड़ा व्यवसाय है . 

प्राकट्य स्थल
.................श्री अढ़ीआ जी ने मंदिर परिसर, धर्मशाला एवं उसके कमरों का नाम भगवान श्री कृष्ण से जुड़े तथ्यों के आधार पर किया है.मसलन सुदामापुरी,गोकूल, मथुरा,वृन्दावन,द्वारिका आदि  आदि  .वल्लभ कुल परिवार के मुख्य बैठक जी के गादीपति आचार्य बृजजीवनलाल महाराज एवं उनके ज्येष्ठ लाल युवा आचार्य द्वारिकेश लाल  जी के वे काफी विश्वासपात्र माने जाते है .       


अभनपुर विकासखंड के अंतर्गत " चंपारण " छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से मात्र 50 कि.मी. दूर स्थित है , यह प्रदेश की जीवनदायिनी चित्रोत्पला गंगा यानी   महानदी  के किनारे है ." चंपारण  " से 15-20 कि.मी. की दुरी पर  अभनपुर, नवापारा-राजिम एवं आरंग  शहर  है  , जो अलग अलग दिशाओं में है .  यह बहुत ही पवित्र व रमणीय स्थल है . इसे सजाने-संवारने वाले कल्पनाशील कर्मयोगी श्री कृष्णदास ढ़ी जी को शत-शत नमन करते हुए ईश्वर से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ. 

ચંપારણ્ય ધામ છત્તીસગઢ રાજ્યમાં રાયપુર જિલ્લામાં આવેલું છે. રાયપુરથી તે ૪૫ કિ.મી.ના અંતરે છે. રાયપુર સ્ટેશનથી ચંપારણ્ય જવા માટે એસ.ટી. બસ શહેરના બસ સ્ટેન્ડથી મળે છે તેમજ પ્રાઇવેટ બસ, જીપ, ટેક્સી વગેરે વાહનો પણ મળે છે.

Champaran is located at a distance of about 50 km from Raipur. It was earlier known as Champajhar. The village of Champaran has religious significance as the birthplace of Saint Vallabhacharya, the founder and reformer of the Vallabh sect. There is also a temple in his honour. This temple is very popular with the Gujarati populace and there are also two dharamshalas in this temple for the devotees. This often serves as accommodation for many a visitor.
The temple of Champakeshwara Mahadeva is an added attraction at Champaran. It is worth a visit.
The greatest attraction however remains the annual fair, which is held between the months of January and February every year. The birth anniversary of Saint Vallabhacharya is also celebrated with great pomp and show. Many believers visit the temple during this time to pay their homage to the revered soul.

जय श्री कृष्ण !


सांध्य दैनिक छत्तीसगढ़  23 मई 2011

चंपारण से जुड़ी कुछ तस्वीरें

IMAGES OF CHAMPARAN RAIPUR

सुदामापुरी धर्मशाला चंपारण

सन 2007  में भाजपा के  चिंतन शिविर में पहुंचें मुख्यमंत्री डा. रमण सिह
विशाल सभा भवन से बहार निकलते मुख्यमंत्री डा. रमण सिह
श्री कृष्णदास ढ़ीआ से आशीर्वाद प्राप्त करते हुए मुख्यमंत्री डा. रमण सिह
लो.नि. मंत्री श्री बृजमोहन  अग्रवाल से चर्चा करते हुए श्री कृष्णदास ढ़ी
बाएं से दायें अशोक बजाज , श्री कृष्णदास ढ़ीआ,अशोक गाँधी एवं अशोक गंगवाल 


सन 2007  में भाजपा के  चिंतन शिविर में बाएं से दायें अशोक बजाज ,श्री धरम लाल कौशिक , मुख्यमंत्री डा. रमण सिह,श्री रमेश बैस, श्री चंदुलाल साहू ,श्री धर्मेन्द्र प्रधान एवं अन्य पदाधिकारी

MAP OF CHAMPARAN 


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23 जून, 2011

बी.बी.सी.हिंदी के रेडियो श्रोताओं के लिए खुशखबरी




भारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे बीबीसी विश्व सेवा को ब्रिटिश सरकार ने अगले तीन सालों में 22 लाख पाउंड प्रति वर्ष देने की घोषणा की है .आर्थिक संकट की वजह से बीबीसी ट्रस्ट ने 5 भाषाओँ की रेडियो सेवा बंद कर दी थी तथा हिन्दी सेवा भी बंद करने की तैयारी कर ली थी. इस खबर से चिंतित दुनिया भर के रेडियो श्रोताओं ने हिंदी सेवा बंद करने का विरोध किया था .बी.बी.सी. हिंदी एक विश्वसनीय रेडियो सर्विस है ,इस कार्यक्रम को जारी रखने की खबर से रेडियो श्रोताओं में अपार हर्ष है . पूरी खबर यहाँ  पढ़ें  ..........  बीबीसी हिंदी


22 जून, 2011

सरहद का मखौल

अमेरिकन मॉली आउल
आज ही खबर मिली कि अमेरिकी उल्लू भारत पहुँच गया है. यह भारत में कब, कैसे और क्यों आया यह शोध का विषय हो सकता है. यह भी शोध का विषय हो सकता है कि उसकी भारत के प्रति रूचि क्यों जागृत हुई .

बहरहाल अमेरिकन मॉली नाम का एक विरल प्रजाति का उल्लू तमिलनाडु के नागपट्टनम जिले में पाया गया है. थेरक्कुपोयगायनाल्लुर गांव में किसान अइयप्पन को अपने धान की खेत में यह घायल पंछी मिला. हो सकता है कि यह पंछी गांव के नाम से आकर्षित हुआ था. बहरहाल, किसान अइयप्पन ने उसके लिए दाना पानी का बंदोबस्त किया, जाहिर है कि रात के दौरान. दिन भर यह पंछी सोता रहा होगा. फिर जब शाम ढली तो उसे एक पशु चिकित्सक के पास ले जाया गया. इस बीच इस अजूबे पंछी को वन विभाग के सुपुर्द कर दिया गया है.

वैसे किसी को इस पक्षी के भारत आने पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि पक्षियों के लिए सारा संसार एक घर है. अतः पक्षियों को सरहद पार करने के लिए बीजा या पासपोर्ट की जरुरत नहीं पड़ती . सरहद तो मनुष्य ने मनुष्य के लिए ही बनायें है. पक्षी सदा मनुष्य के बनाये हुए सरहद का मखौल उड़ाते है .

Rare breed of owl spotted at Nagai 

NAGAPATTINAM: A rare breed of owl, mostly found in North America, was spotted in a paddy field here by a farmer on Friday.  The nocturnal bird, which has suffered injuries, was handed over to the forest department.  Wildlife experts said that it belonged to a species named ‘Molly’ which was said to have originated from California in the USA.  Out of the 189 types of owls found in the world, Molly was an important variety.  The bird might have taken shelter in a ship and reached Nagapattinam, he said and added that it was also possible that it could have migrated on its own. The brown coloured bird was noticed by Aiyappan, a farmer of Therkkupoigainallur village, at a paddy field. It was found with injuries and was not in a position to fly.  He had brought it home and gave water to it.  Dr Asokan examined the bird and provided first-aid. Later, it was handed over to the Forest department.  After first-aid, the owl gained strength. Now it is under the care of Nagapattinam wildlife department.  NEWS 

https://www.newindianexpress.com/states/tamil-nadu/2011/jun/18/rare-breed-of-owl-spotted-at-nagai-263808.html