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31 मई, 2011

सावधान : जान लेवा है ई-हैक बैक्टीरिया


विश्व भर के लोगों को अब ई-हैक बैक्टीरिया के संक्रमण का भय सताने लगा है .यह ईहैक बैक्टीरिया ना केवल मनुष्य बल्कि संपूर्ण प्राणी जगत के लिए जान लेवा साबित हो रहा है .

यह कितनी बड़ी विडम्बना है कि जिन खाद्य पदार्थो को हम जीवन रक्षक मानतें है उन पदार्थों के माध्यम से हम मौत को आमंत्रित कर रहें है . टमाटर और खीरा तो हमारे भोजन का जायका बढ़ाता है लेकिन ना जाने अब क्यों वह आदमी के लिए जहर बन गया है .

जर्मनी में लोगों को खीरा व टमाटर का सेवन ना करने की चेतावनी दी गई है . टमाटर, खीरे और कुछ अन्य सब्ज़ियों के ज़रिए ई-हैक बैक्टीरिया का संक्रमण लोगों के शरीर में पहुँच रहा है . अब तक इस संक्रमण की वजह से 14 लोगों की मौत हो गई है और हजारों लोग बीमार हो गए हैं.स्पेन के तटीय इलाकों से आने वाले खीरों में ई-हैक बैक्टीरिया है जो अब पूरे यूरोप में फैल रहा है.ईहेक या ईएचईसी का पूरा नाम एंटेरो हीमोरेजिक एश्चेरेशिया कोली(Antero Himorejika Cscheareshia coli)  है.

स्वीडन, डेनमार्क, हॉलैंड और ब्रिटेन में भी ईहेक से संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. सोमवार को पोलैंड में एक महिला को नाजुक हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया. महिला जर्मनी के शहर हैम्बर्ग से वापस लौटी. हैम्बर्ग में अब तक 450 लोग ईहेक से संक्रमित हैं.

ऑस्ट्रिया और चेक गणराज्य में भी प्रशासन ने स्पेन से आई सब्जियों को बाजार से हटा दिया है.  चेक गणराज्य के अधिकारियों का अनुमान है कि संक्रमित खीरे हंगरी और लक्जमबर्ग भी भेजे गए हो .स्पेन में ईहेक फैलान वाले दो ग्रीन हाउसों की पहचान कर ली गई है. दोनों को बंद कर दिया गया है.

ई-हेक संक्रमण के लक्षण:

यह जीवाणु सीधा पाचन तंत्र पर हमला करता है. संक्रमित रोगी के पेट में जहरीले तत्व बनने लगते हैं. ये जहरीले तत्व खून में मौजूद लाल रुधिर कणिकाओं को खत्म करने लगते हैं. ऐसा होने पर गुर्दे नाकाम होने का खतरा पैदा जाता है. कई मामलों में इंसान का स्नायु  तंत्र (नर्व सिस्टम) नाकाम हो जाता है.

अब तक माना जाता रहा कि हेक विषाणु सिर्फ पांच साल से कम उम्र के बच्चों को निशाना बनाने में सक्षम रहता है. लेकिन ताजा मामले में 90 फीसदी रोगी वयस्क है. इनमें से दो तिहाई महिलाएं हैं.

28 मई, 2011

मनोज चोपड़ा : एशिया के बाहुबली नंबर-1


अदभूत ताकत और गजब की कलाबाजी के जरिये श्री  मनोज चोपड़ा पलक झपकते ही एक मोटी टेलीफोन डायरेक्टरी  को यूँ  फाड़ देते है जैसे कोई सादे कागज का पुर्जा हो  .वे  लोहे के तवे को रोटी की तरह गोल  मोड़ देते है तथा  एक मोटे रबर के ट्यूब को मुहं से फूला कर ऐसे  फोड़ डालते है जैसे कोई बच्चों के खेलने का गुब्बारा हो , इतना  ही नहीं बल्कि  ये महाशय  सड़क में खड़ी  कार या जीप को ऐसे   लुढ़का  देते है जैसे कोई खिलौना हो .  ऐसा करते समय वे अपनी कलाईयों और भुजाओं का बड़े बेहतर तरीके से इस्तेमाल करते है . लोहे के तवे को मोड़ते समय अपनी जांघों की मदद लेतें है यदि साधारण आदमी ऐसा करे तो शायद उसके जांघों की नसें फट जायेगी लेकिन मनोज चोपड़ा ने ऐसा अभ्यास किया है कि उसके लिए यह करतब बच्चों के खेल के समान है . तभी तो आज वे एशिया के बाहुबली नंबर 1 है  तथा दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्तियों में उनकी गिनती १४ वें नंबर पर होती है .

 श्री मनोज चोपड़ा मूलतः रायपुर छत्तीसगढ़ के निवासी है तथा आजकल वे  बैगलोर में रहते है . साधारण से निवेदन पर ही  वे अपना करतब दिखाने के लिए राजी हो जाते है . वे अभी  तक देश के अनेक हिस्सों में जाकर  हजारो  कार्यक्रम  दे चुके  है .वे कार्यक्रम के बीच  में अपने  खानपान  की  आदतों  के बारे  में बताते  हुए कहते है  कि मै इतना ताकतवर इसलिए हूँ क्योंकि  मैं शराब नहीं पीता या किसी प्रकार का नशापान  नहीं करता  यहाँ  तक  की मैं पान,तम्बाखू  या गुटके  का  सेवन भी  नहीं करता हूँ  .वे अपने कार्यक्रम के माध्यम से  नई पीढ़ी को  नशापान से मुक्त करने का सन्देश देते है .


उनका  प्रदर्शन भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अनेक देशों में हो चुका  है . वे अमेरिका ,कालिफोर्निया आदि देशों में अनेकों प्रदर्शन कर चुके है . वास्तव में मनोज चोपड़ा छत्तीसगढ़  का ही नहीं बल्कि  पूरे देश का गौरव है . हमें उसकी प्रतिभा का  उपयोग नशामुक्ति  के आलावा  देश के नवजवानों  को प्रशिक्षित एवं हृष्ट पुष्ट बनाने में करना चाहिए . 

22 मई, 2011

ना हम बदले ना जमाना

 अंधविश्वास की  शिकार  दंपति की आँखों की रोशनी क्या  लौट पायेगी ? 
 
  
दुनिया  21 वीं सदी में पहुँच गई लेकिन जमाना वहीं का वहीं है । संचार के इस युग में एवं  शिक्षा  के व्यापक प्रचार-प्रसार के बावजूद अंधविश्वास में कोई कमी नहीं आई है । ना हम बदले है और ना जमाना बदला है . अंधविश्वास की जड़ लोगो के दिमाग में इस कदर  घुसी  है कि निकलने  का नाम ही नहीं ले रही है । ग्रामीण क्षेत्रों का तो और बूरा  हाल है । अंधविश्वास के चलते लोग ना जाने क्या क्या हरकत कर बैठते है और आरोपी बन कर जिन्दगी भर जेल में सड़ते रहते है। 

 छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं पर टोनही [डायन] का आरोप लगाकर प्रताड़ित करने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए राज्य शासन ने कठोर कानून बनाया है  इसके बावजूद राज्य के ग्रामीण  क्षेत्रों में महिलाओं पर डायन होने का आरोप लगाकर उन्हें प्रताड़ित करने की घटनाओं में कमी नहीं आई है। 

इसका ताजा उदाहरण ग्राम - खैरा की घटना है जहाँ  एक 45 वर्षीय  महिला श्यामकुंवर बंजारे  पर टोनही (डायन ) का आरोप लगाकर ग्रामीणों ने उसकी आँखें फोड़ दी तथा उसकी जीभ को कैची से कट दिया . ये ही नहीं बल्कि  घटना  का प्रतिरोध करने पर उसके 50 वर्षीय  पति मंशाराम बंजारे की आँखें भी फोड़ दी .यह वीभत्स घटना छत्तीसगढ़ की  राजधानी रायपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर कसडोल थाना क्षेत्र के अंतर्गत खैरा गाँव में दिनांक 20  मई को  घटित हुई। जब  श्यामकुंवर और मंशाराम अपने घर में आराम कर रहे थे कि तभी गाँव के कुछ लोग   मंशाराम के घर में घुस गए। उन्होंने श्यामकुंवर पर डायन होने का आरोप लगाया।ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि श्यामकुंवर के कारण उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है और लगातार उनकी तबीयत भी खराब रहती है। उन्होंने उसके साथ मारपीट शुरू कर दी।श्यामकुंवर की पिटाई के दौरान जब उसके पति मंशाराम ने इसका विरोध किया तो आरोपियों ने कैंची से पति-पत्नी की आखें फोड़ दीं तथा बाद में श्यामकुंवर की जीभ भी काट दी। इस ह्रदय विदारक घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी वहा से भाग गए। पुलिस ने घटना के बाद गाँव  में घेराबंदी कर कुछ  आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है तथा अन्य  आरोपियों की खोज की जा रही है। आरोपियों के खिलाफ टोनही प्रताड़ना अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है लेकिन क्या  इस कार्यवाही से अंधविश्वासियों   के क्रूर हाथों की शिकार ग्रामीण दंपति की आँखों की रोशनी  लौट पायेगी ?


21 मई, 2011

बच गई दुनिया

                   
               दुनिया बच गई है आप सबको बहुत बहुत बधाई . हेराल्ड   कैंपिंग का दावा खोखला साबित हो गया है .दरअसल   अमेरिका के एक ईसाई धर्मगुरु 89 वर्षीय हेराल्ड   कैंपिंग  ने दावा किया  था कि  21 मई को पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी.

                   अमेरिका के उक्त   धर्मगुरु ने यह
भी दावा किया था  कि उन्हें बाइबल में दी गई तारीखों का अर्थ  समझ  में आ गया है, जिसके अनुसार 21 मई 2011 को दुनिया का अंत होना निश्चित है. 89 वर्षीय हेराल्ड   कैंपिंग के अनुसार हर देश में सुबह के छह बजे से तबाही शुरू हो जाएगी. इसकी शुरुआत न्यूजीलैंड से होगी.  कैम्पिंग ने यह भी कहा था  कि तबाही होने से पहले जो सबसे अच्छे ईसाई है वे स्वर्ग में पहुंच जाएंगे तथा जो  लोग 21 मई को स्वर्ग के दरवाजे तक नहीं पहुंच सकेंगे उन्हें धरती पर ही 21 अक्टूबर तक नर्क भोगना होगा. इसके बाद गुस्साए भगवान धरती को पूरी तरह तबाह कर देंगे. कैंपिंग ने यह भी दावा किया था कि यह वो  तारीख है जब जीसस क्राइस्ट दोबारा धरती पर आएंगे .

                 प्रलय की आशंका से  अमेरिका के  लोगों ने आज के दिन को अपने जीवन के  " अंतिम दिन " के रूप में मनाया तथा खूब पिकनिक किया .अब धर्म गुरु महोदय क्या सफाई देते है इंतजार करना पड़ेगा . खैर दुनिया तो बच गई पर धर्म गुरू की लाज क्या बच पाई ?